कोण्डागांव
अति संवेदनशील क्षेत्र कुंएमारी-माडग़ांव पहुंचे कलेक्टर, जलप्रपातों का भ्रमण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
केशकाल, 24 जुलाई। केशकाल विकासखंड अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए प्रदेश के मानचित्र में अपना अलग स्थान बना चुका है। वहीं मानसून की शुरुआत होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित मनोरम झरने एक बार फिर सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इन समस्त झरनों को जिला प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर इको पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना भी बनाई गई है। भरी बरसात में जिसका जायजा लेने आज कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा समेत समस्त विभागों के अधिकारियों का दल ग्राम कुंएमारी, मिड़दे व माडग़ांव पहुंचा। जहां कलेक्टर ने सर्वप्रथम मिड़दे जलप्रपात का जायजा लेते हुए यहां के सौंदर्यीकरण व अन्य निर्माण कार्यों हेतु बनाई गई कार्ययोजना की जानकारी ली। तत्पश्चात कलेक्टर ने घोर नक्सल प्रभावित ग्राम माडग़ांव स्थित मुत्तेखडक़ा जलप्रपात का भी जायजा लिया।
ज्ञात हो कि कुंएमारी, माडग़ांव, उपरबेदी आदि ऐसे गांव हैं, जहां आज से कुछ वर्षों पूर्व मूलभूत सुविधाओं जैसे सडक़, बिजली, पानी के अभाव के चलते बाहरी लोग इस ओर बहुत कम ही आते थे। लेकिन जिला प्रशासन के लगातार प्रयासों के चलते वर्तमान में यहां लगभग सभी मूलभूत सुविधाएं पहुंच चुकी है। फलस्वरूप कोंडागांव के साथ साथ अन्य जिलों व राज्यों से भी सैलानी इन मनोरम झरनों का आनंद लेने पहुंचते हैं।
जलप्रपात क्षेत्रों में हो रही समस्या से कलेक्टर हुए अवगत
इस दौरान कुंएमारी के सरपंच प्रतिनिधि गुरुनाथ ने बताया कि पिछले वर्ष भी जलप्रपात घूमने आने वाले सैलानियों हेतु टिकिट सुविधा बनाई गई थी, जिसके चलते ग्रामीण युवाओं को लाखों रुपए की आमदनी हुई थी। लेकिन कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के चलते सैलानियों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिसके बाद कई हजारों पर्यटक देखने पहुंचे थे । इस बार भी प्रतिदिन झरना को देखने लोग पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर सुविधाओं के अभाव के कारण काफी समस्या होती है। जिसमें मुख्य रुप से मिड़दे जलप्रपात में रेलिंग का निर्माण करवाया जाए ताकि यहां घूमने आने वाले सैलानियों को नीचे उतरने में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसके अलावा आसपास शौचालय का भी निर्माण होने से सैलानियों को काफी सुविधा होगी । जिस पर कलेक्टर ने तत्काल आला अधिकारियों को उक्त कार्य हेतु कार्य योजना बनाने निर्देशित किया।
मूलभूत सुविधाओं के साथ सभी जलप्रपातों तक पहुंचना होगा आसान
कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि जिले में हमने 20 से अधिक जलप्रपातों को चिन्हांकित किया है, जिसके विकास हेतु दो प्रकार से कार्ययोजना भी बनाई गई है। जिसमे हमने स्थानीय युवकों-युवतियों की पर्यटन समिति बनाई है, जिन्हें जलप्रपातों में साफ-सफाई, कैंटीन समेत अन्य व्यवस्था बनाने हेतु प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। साथ ही इन सभी झरनों में पूरे साल पानी भरा रहे, इसके लिए भी नरवा के तहत स्टापडैम, चेकडैम के माध्यम से पूरे साल पानी भरने की योजना बनाई गई है। वहीं जलप्रपात देखने आने वाले पर्यटकों के रुकने, खाने, व घूमने हेतु सुविधा मुहैया करवाने हेतु कार्य किया जा रहा है।
उप स्वास्थ्य केंद्र कुँएमारी में भी निरीक्षण करने पहुंचे कलेक्टर
इस दौरान कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा अचानक कुँएमारी उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां ड्यूटी में तैनात सीएचओ प्रतिभा भारती को देख खुश होते हुए बधाई दिए और कहा कि बिना किसी सूचना के मेरे अस्पताल पहुंचने पर आप लोगों की उपस्थिति बहुत अच्छी बात है इसी प्रकार हमेशा अपना ड्यूटी में तैनात होना चाहिए । जिसके बाद कलेक्टर पूरे अस्पताल का निरीक्षण किया और समस्याओं से अवगत हुए जिस पर सीएचओ प्रतिभा भारती ने बताया कि बिजली और पानी की समस्या है जहाँ कलेक्टर ने आला अधिकारियों को जल्द समस्याओं को दूर करने निर्देश दिया।
इस दौरान जिला पंचायत सीईओ डीएन कश्यप,एसडीएम दीनदयाल मंडावी, नायाब तहसीलदार दयाराम साहू, आरईएस ईई अरुण शर्मा, पीएमजीएसवाई ईई व्ही पसीने ,वन विभाग एसडीईओ केजुराम पोयाम,जनपद पंचायत सीईओ शिवलाल नाग, रेंजर नरेश नाग समेत समस्त विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
पूर्व कुँएमारी में नक्सलियों ने कई गाडिय़ां जलाई थी, वहीं 2 को पुलिस ने किया था ढेर
ज्ञात हो कि ग्राम कुंएमारी में विगत 25 मार्च को कुंएमारी एरिया कमेटी के नक्सलियों ने सडक़ निर्माण कार्य मे लगे दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर अपनी मौजूदगी के संकेत दिए थे। जिसके बाद से काफी दिनों तक इस ओर सैलानियों के आवागमन पर रोक लगा दी गयी थी। वहीं पुलिस बल ने भी इस क्षेत्र में सर्चिंग अभियान तेज कर दिया था, फलस्वरूप विगत 1 जून को ग्राम भंडारपाल के जंगलों में गश्त पर निकले डीआरजी के जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ भी हुई थी, जिसमें दो नक्सली मारे गए थे। ऐसे में पुलिस द्वारा भी लगातार सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम कर लोगों को मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास भी किया जा रहा है।