रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 25 जुलाई। रायगढ़ नगर निगम एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। बीते कई दिनों से महापौर जानकी बाई काटजू व सभापति जयंत ठेठवार के बीच अरूदनी खींचतान चल रही थी। अब महापौर ने अचानक तीन एमआईसी सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाकर तीन नए सदस्यों को शामिल किये जाने को लेकर नया बवंडर खड़ा हो गया है। एमआईसी में हुए अचानक बदलाव को लेकर कांग्रेस खेमे की गुटबाजी भी देखने को मिल रही है चंूकि इससे पहले भी पूर्व नगर निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय के समय महापौर जानकी काटजू रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक के साथ-साथ सभापति जयंत ठेठवार के खिलाफ लेटर बम को लेकर सुर्खियों में आ चुकी थी और अब एमआईसी फेरबदल से नया बम फटा है जिससे कांग्रेसी ही खेमेबाजी में दिखाई दे रहे हैं।
शनिवार की दोपहर को अचानक नगर निगम से यह खबर आई कि महापौर जानकी बाई काटजू ने एमआईसी के तीन सदस्य रत्थु जायसवाल, लक्ष्मी साहू और प्रभात साहू को एमआईसी से बाहर कर दिया है। यह माना जा रहा था कि सभापति और महापौर के बीच चल रही रस्साकस्सी के कारण महापौर ने यह निर्णय लिया है।
बाद में यह खबर मीडिया में आने लगी कि तीन एमआईसी सदस्यों को निकाले जाने के विरोध में 4 और एमआईसी सदस्यों ने एमआईसी से इस्तीफा दे दिया है। इसके बीच निगम की राजनीति में आपस का टकराव बढ़ गया है और इसका दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है।
इस्तीफा देने वाले एमआईसी मेंबर सलीम नियरिया, शौकी बुटान, लखेश्वर मिरी और राकेश तालुकदार ने हालांकि इस्तीफे के कारण खुलकर नहीं बोला लेकिन माना यह जा रहा है कि इन्हें तीन सदस्यों को हटाने के बाद विरोध में स्तीफा दिया है।
पूर्व सभापति व एमआईसी सदस्य सलीम नियरिया ने बताया कि महापौर का निर्णय गलत है और पार्टी फोरम में उच्च स्तर पर इसकी शिकायत की जाएगी। उन्होंने कहा कि आखिर घुटन और दबाव के बीच कोई कैसे काम कर सकता है। पूर्व सभापति के बयान में उनकी पीडा साफ झलक रही थी।
बहरहाल इस मामले में कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई बयान नही आया है और न ही सभापति जयंत ठेठवार इस पर कुछ सफाई दे रहे हैं। देखना यह है कि कांग्रेस के ही महापौर व सभापति के साथ-साथ नगर निगम में कांग्रेस की सरकार ने ऐसी गुटबाजी को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।