दुर्ग
दुर्ग, 25 जुलाई। आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला में आज आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में संत गौरव मुनि ने गुरु की महिमा के संदर्भ में अपना प्रवचन केंद्रित रखा। छत्तीसगढ़ प्रवर्तक रतन मुनी,सतीश मुनि,विवेक मुनि महाराज के सानिध्य में चातुर्मास निर्विघ्नं संपादित हो रहे हैं। धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत गौरव ने कहा गुरु के उपकार को हमें अपने जीवन के अंदर स्वीकार करना चाहिए गुरु की उपमा देते हुए कहा गुरु नाविक होते हैं गुरु भाविक होते हैं, गुरु शिल्पकार होते हैं, गुरु पथिक होते हैं जीवन के हर क्षेत्र में गुरु अपना मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए गुरु की शरण में जाना आवश्यक है। गुरु ही भाविक है जो हमें भाव पार लगाते हैं, जो आत्मा से परमात्मा की ओर जोडऩे की महत्वपूर्ण कड़ी है गुरु पथिक है जो हमें जीवन पर्यंत हमारे पथ प्रदर्शक बने रहते हैं। श्रमण संघ दुर्ग के अध्यक्ष निर्मल बाफना एवं टीकम छाजेड़ ने बताया रविवार को संध्या 3 बजे 5 वर्ष से 20 वर्ष तक के बच्चों के लिए धार्मिक संस्कार के तहत मां सरस्वती आराधना का कार्यक्रम संत गौरव मुनि के मार्गदर्शन में आयोजित है ।