राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 जुलाई। शासकीय कमलादेवी राठी महिला महाविद्यालय राजनांदगांव में गत् 22 जुलाई को ऑनलाइन राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी संस्कृत साहित्य में पर्यावरण संरक्षण विषय पर आयोजित किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुषमा तिवारी के स्वागत उद्बोधन से हुआ। संगीत विभाग से रामकुमारी धुर्वा ने सुमधुर ध्वनि से मंगलाचरण किया।
अध्यक्षता करते प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह बघेल ने कालिदास के साहित्य में विद्यमान पर्यावरणीय तत्वों की महत्ता को बताते आयोजन की सफलता की कामना कर बधाई दी। तत्पश्चात डॉ. सुषमा तिवारी ने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते संस्कृत साहित्य में निहित पर्यावरण संरक्षण के सूत्रों को सप्रमाण स्थापित किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. भावप्रकाश गांधी का परिचय एवं वाचिक स्वागत शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका डॉ. दिव्या देशपांडे ने दिया। डॉ. गांधी ने पर्यावरण संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालते बताया कि मनुष्य के अंतर्निहित पर्यावरण द्वारा ही बाह्य पर्यावरण संरक्षण संभव है।
डॉ. सुषमा तिवारी ने लौकिक संस्कृत साहित्य में पर्यावरण विषय के लिए द्वितीय वक्ता डॉ. प्रवीण पंड्या को आमंत्रित किया। उन्होंने वाल्मीकि, माघ, भास्ए कालिदास, भावभूति, भारवी, बानभट्ट आदि प्राचीन संस्कृत कवियों की दृष्टि में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कृत वर्णनों का उल्लेख करते प्राचीन संस्कृत साहित्य की भूमिका को उप स्थापित किया।
तृतीय वक्ता संस्कृत विद्वान डॉ. नवनिहाल गौतम, सहायक आचार्य डॉ. हरी सिंह गौर वि.वि. सागर का परिचय, वंवाचिक स्वागत डॉ. राघवेन्द्र शर्मा ने किया। डॉ. गौतम ने अपने उद्बोधन में इक्कीसवी शताब्दी में संस्कृत में पर्यावरण विषय में पर्यावरण के वास्तविक स्वरुप को उभारने का प्रयास किया। संगोष्ठी के अंत में प्रश्नोत्तर द्वारा प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान मुख्य वक्ताओं द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में लगभग 10 राज्यों से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन डॉ. हरप्रीत कौर गरचा ने किया। तकनीकी क्षेत्र में सहयोग पूर्णिमा तिवारी और गोविंद कुमार ने किया। उक्त जानकारी कार्यक्रम संयोजिका डॉ. सुषमा तिवारी ने दिया।