राजनांदगांव
प्रभावशाली लोगों के संरक्षण का आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गंडई, 29 जुलाई। छुईखदान ब्लॉक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अधिकांश मुरूमयुक्त सरकारी जगह या निजी जगहों सहित जंगलों से बीते कई सालों से जेसीबी, हाईवा, ट्रेक्टर सहित अन्य माध्यमों से अवैध खनन एवं परिवहन का कार्य चल रहा है। सरकार बदलती है, पार्टी बदलती है और बदलते है अधिकारी, परंतु खनन माफियाओं का चेहरा वही रहता है, फिर भी कार्रवाई शून्य रहता है। जिसके चलते खनिज माफियाओं का हौसला दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहा है। यही वजह है अब पूरे क्षेत्र में जंगल और मुरुक्तयुक्त जगहों पर खाई बन गया है, जहां कभी भी दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है।
खाई में तब्दील होने के बाद भी माफियाओं के ऊपर कार्रवाई नहीं होने के कारण अब प्रशासनिक कार्रवाई पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं और अब तो सवाल यह है कि आखिर किसके संरक्षण में क्षेत्र के मुरुम खदानों में बिना किसी रायल्टी और खनिज विभाग से लीज कराए बिना ही खनन माफिया मुरूम खनन कर क्षेत्र के बड़े-बड़े मुरुम खदानों को खाई में तब्दील कर रहे हैं। वहीं जंगल क्षेत्र में भी कीमती पत्थर सहित जंगल की जमीन को बेधडक़ खोदा जा रहा है। जिससे वन विभाग, खनिज विभाग, राजस्व विभाग जान कर भी अंजान है। स्थिति यह है कि अगर किसी के द्वारा इसकी जानकारी संबंधित विभाग को दिया जाता है, तो विभाग के ही कुछ लोग माफियाओं को इसकी जानकारी दे देते हैं। जिससे वो सतर्क हो जाते हैं और इसी कारण इनके हौसले भी बुलंद हैं।
पर्दे के पीछे कुछ राजनीतिक दलों का भी समर्थन
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले दिनों के घटनाक्रम के सामने आने के बाद ये तो स्पष्ट है कि वोट के लालच में राजनीतिक दलों के कुछ जनप्रतिनिधि भी पर्दे के पीछे इनका सपोर्ट करने में लगे हैं। जिसके कारण इनके ऊपर ठोस कार्रवाई करने पर भी कोताही बरती जा रही है। जिसके कारण मीडिया कर्मियों में काफी रोष है और अब ऐसे कार्यों में लिप्त सभी लोगों के काले चिठ्ठे खंगाले जा रहे हैं।
क्षेत्र में जेसीबी-हाईवा की बेतहाशा वृद्धि
एक समय था, जब क्षेत्र में गिने-चुने ही जेसीबी और हाईवा देखने को मिलता था, परंतु बीते कुछ वर्षों के दौरान जेसीबी और हाईवा की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुआ है। इसके पीछे जानकर कयास लगाते हैं कि अवैध कार्यों को करने से जेसीबी-हाईवा मालिक को ज्यादा मुनाफा होता है। इस कारण जेसीबी-हाईवा की संख्या में वृद्धि हुआ है और खनन माफियाओं की संख्या और हौसले बढ़े हैं। आज ऐसा कोई जगह नहीं है, जहां खनन नहीं किया गया होगा। बजरी के नाम पर नदियों की खुदाई, मुरूम के नाम पर जमीन की खोदाई आम हो गया है। सवाल तो यहां तक उठाए जाते हैं कि जब पूरे ब्लॉक में कोई लीगल खदान नहीं है तो सडक़ो का निर्माण और पंचायतों में मुरूम या मिट्टी सहित संबंधित काम कैसे हो जाते हैं।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह का कहना है कि पिछले कुछ सालों से समय-समय पर अवैध मुरुम खनन को लेकर शिकायतें सामने आ रही है। विभाग को निगरानी समिति बनाकर इस पर कड़े नजर रखने चाहिए। जितने बेदर्दी से आज अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है, उसके हिसाब से पांच साल के अंदर राजस्व क्षेत्र का पूरा हिस्सा खाई में तब्दील हो जाएगा। मेरे द्वारा पिछले दिनों इस मुद्दे को उठाया भी गया था।