दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 29 जुलाई। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविकामूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं पशुपालन के साथ ही मत्स्यपालन को भी प्राथमिकता से जिला प्रशासन द्वारा फोकस किया जा रहा है। इस साल जिले में 423 डबरी बनाई गई हैं इनमें 293 डबरी व्यक्तिगत हितग्राहियों के लिए और 130 डबरी सामुदायिक बनाई गई है। मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्यबीज एवं अन्य जरूरतों के लिए डीएमएफ के माध्यम से पांच हजार रुपए दिए गए हैं। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने धमधा ब्लाक में निर्मित डबरियों का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने व्यक्तिगत हितग्राहियों की डबरियों का निरीक्षण किया। हितग्राहियों ने बताया कि मनरेगा के माध्यम से डबरी का काम हुआ है और डीएमएफ के माध्यम से पांच हजार रुपए मत्स्यपालन के लिए मिले हैं। जैसे ही डबरी में पर्याप्त पानी भर जाएगा, हम मत्स्यपालन आरंभ कर देंगे।
कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक आय दोगुनी करने के लिए बहुत जरूरी है कि कृषि के साथ ही पशुपालन और मत्स्यपालन जैसी गतिविधियों को बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक तरीके से मत्स्यपालन करने के लिए आपको मत्स्य विभाग द्वारा आवश्यक सलाह एवं तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। सही तरीके से मत्स्यपालन करने से छोटी सी डबरी के माध्यम से भी बढिय़ा आय हासिल की जा सकती है।
चारागाहों में नैपियर घास का उत्पादन भी देखा
कलेक्टर ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा चारागाहों में उत्पादित नैपियर घास भी देखा। महिलाओं ने बताया कि उन्हें इसके लिए पशुपालन विभाग से सहायता मिली। साथ ही जुताई के लिए भी राशि प्राप्त हुई. इसके साथ ही मनरेगा के माध्यम से फेंसिंग कार्य भी किया गया। कलेक्टर ने जनपद सीइओ को सभी चारागाहों में उत्पादित किए जा रहे नैपियर घास की कटाई एवं इसके उपयोग के लिए कार्र्ययोजना बनाने के निर्देश दिए।