दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 29 जुलाई। जिले में कुपोषण का स्तर कम करने बापी समन्वयक एवं बापी द्वारा हितग्राहियों के घर पहुंचकर समझाईश दी जा रही है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य सामग्रियों को दैनिक आहार में शामिल किये जाने एवं घरों में पोषण वाटिका का निर्माण कराकर खाद्य विविधता में परिवर्तन कुपोषण को दूर करने में विशेष सहायक साबित हो रहे हंै।
जिले में ‘‘बापी न उवाट’’ कार्यक्रम 10 दिसम्बर 2020 से संचालित है। इस कार्यक्रम अंतर्गत ‘‘बापी’’ (दादी-नानी) अनुभवी बुजुर्ग महिला एवं बापी समन्वयक द्वारा शासकीय योजनाओं को हितग्राहियों तक लाभ पहुंचाने कार्य किया जा रहा है। विदित हो कि बापी अपने अनुभव को गर्भवती माता, शिशुवती माता, किशोरी बालिका एवं 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों को खाद्य विविधता में परिवर्तन, स्वच्छता पर विशेष ध्यान, समय पर टिकाकरण, आयरन फोलिक एसिड टेबलेट का उपयोग एवं नवजात शिशु को कंगारु मदर केयर जैसे कारगार साबित होने वाले नुस्खों से रुबरु कराती है।
इसी प्रकार बापी समन्वयक विभाग अंतर्गत शासन-प्रशासन द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी योजनाओं को हितग्राहियों तक पहुंचाने एवं लाभ दिलाने में विशेष सहयोग करते हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से हितग्राहियों को लाभान्वित करने में बापी एवं बापी समन्वयक का विशेष योगदान रहा है। कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत और जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के समय-समय पर समीक्षा एवं मार्गदर्शन से ‘‘बापी न उवाट’’ कार्यक्रम का सफल संचालन हो पाया है। जिले में 2168 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए।
इस प्रकार 27.97 प्रतिशत कुपोषण की दर में कमी आई है।