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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 24 फरवरी । संत समागम षुभारंभ की पूर्व बेला में राज्यपाल अनुसूईया उईके एवं अतिथियों द्वारा षासकीय स्टॉल का अवलोकन किया गया। राज्यपाल सरस मेला में लगे स्ऑल हस्त षिल्प कला में मिट्टी के दीये, मटके, थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास, बॉटल को देखकर कर बहुत ही प्रभावित हुई। उईके ने ग्राम नारी के कुम्हारयुगल किषोर चक्रधारी द्वारा बनाये जा रहे मिट्टी के कलष देखकर बहुत ही उत्सुक्तापूर्वक अपने हाथों से चॉक घुमाकर देखा। उन्होंने श्री चक्रधारी से चर्चा की और विक्रय के संबंध में जानकारी दिये। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी ऐसे में हाथों से बनी सामग्री को अधिक से अधिक खरीदे और उद्योग को बढ़ावा दे जिससे कुम्हारों को भी रोजगार मिल सकेगा।
इससे स्वदेषी वस्तुओं का भी प्रचार होगा और हमारे षिल्पियों को भी रोजगार मिलेगा। उन्होंने इस कला को अधिक से अधिक लोगों को सिखाने कहा, जिससे हस्तषिल्प कला के माध्यम से लोगों को आत्मनिर्भर होने का अवसर मिलने के साथ ही साथ उनके हुनर की भी पहचान बनें। राज्यपाल ने रेषम के स्ऑल में कोसा से बने वस्त्रों की बहुत सराहना किया। ग्राम पारागांव की कारीगर श्रीमती सोनकुंवर देवांगन द्वारा बुने जा रहे चादर का अवलोकन किया। कारीगरों से चर्चा करते हुए साड़ी बनाने में आने वाली लागत और बाजार उपलब्धता के बारे जानकारी ली।
हथकरघा स्ऑल में उईके को साल भेंट किया गया। सरस मेला मेें सबसे आकर्शक स्टॉल संगवारी सेल्फी जोन में राज्यपाल ने खुमरी पहनकर अलग-अलग पोज में सेल्फी लिये। इस दौरान धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक अमितेश षुक्ल ने भी सेल्फी का आनंद लिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। प्रसिद्ध श्री राजीव लोचन मंदिर में मेला शुरू होने के बाद से रविवार को बेतहासा भीड़ देखने को मिली। सोमवार को सुबह से ही दर्शनार्थीगण पहुंचे और दर्शन-पूजन आदि कृत्य करते रहे। मंदिर परिसर में भक्तगण श्रीराजीव लोचन के जयकारा लगाते रहे। लोग मंदिरों मे उत्कीर्ण कलानक्काशी को देखकर अभिभूत हो गये। यहां महामण्डप पर दो शीलालेख मौजूद है। परिक्रमा पथ के लिए अलग से स्थान दिया गया है। भगवान विष्णु का यह मंदिर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। यहां के आटिका प्रसाद की स्वादिष्टता का बखान लोग करते नहीं थकते। यह बात अलग है कि महंगाई के चलते पहले दस रूपया में तीन नग मिलते थे। उसके बाद दो नग देने लगेे। वर्तमान में एक ही नग मिल रहे है।
प्रयाग नगरी में 84 मंदिर
बताया जाता है कि छश्रीसगढ़ के प्राचीन प्रयाग नगरी राजिम में कुल 84 मंदिर है। प्रत्येक मंदिरों मे दर्शनार्थी पहुंच रहे है। सीताबाडी में हुई खोदाई से इस शहर की प्राचीनता प्रमाण मिलता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूवात राजगीत से
राजिम माघी पुन्नी मेला में होने वाले प्रत्येक कार्यक्रमों की शुरूवात छश्रीसगढ़ के राजगीत से हो रही है। सुबह 11 बजे से श्री कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के सामने सांस्कृतिक मंच क्रमांक दो, मुख्य सांस्कृतिक मंच, डोम में लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों का कार्यक्रम आदि में राजगीत प्रस्तुत होते हैै। इससे इस गीत के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ गई है।
गीत व नृत्य में दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के मुख्यमंच पर मंगलवार को चेतन देवांगन द्वारा पंडवानी गायन की हुई। जिसमे उसने वेदमती शैली का उपयोग करते हुए किच्चक वध कि व्याख्यान दी। मंच पर दूसरी प्रस्तुति रेखा जलक्षत्री द्वारा भरथरी की प्रस्तुति दी। जिसमें उज्जैन के राजा भरथरी और रानी श्यामकुमारी की प्रेम कहानी का वर्णन उल्लेख किया, जिसमें राजा भरथरी योगी बन जाते है और लंबे समय के बाद अपनी नगरी उज्जैन आते है और रानी श्यामकुमारी से भिक्षा मांगते है तो रानी भिक्षा देने से मना कर देते है लेकिन अंत में भिक्षा देनी पड़ती है। रेखा जलक्षत्री के द्वारा महर-महर महके हे राजिम.... रानी चले योगी पास ओ रामा... रघु मैं अनाथ हूं जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खुब तालियां बटोरी। सांस्कृतिक मंच पर कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति खरोरा से आये लोकमंच महतारी के चंद्रभूषण वर्मा ने राजकीय गीत अरपा पैरी के धार...के साथ अपने कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने बाराहमासी त्योहार जिसमें हरेली, भोजली, सुवा नृत्य, गौरी गौरा और राऊत नाचा आदि गीतों की झड़ी लगा दी। खन खन बइला केे घुंघरू बाजत हे... गीत की प्रस्तुति दी।
चंद्रभूषण वर्मा ने कर्मा के ताल म मादर के थाप म... मै मनिहारी वाला बाबू हो... जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया। कार्यक्रम का संचालन निरंजन साहू, मनोज सेन और रूपा साहू द्वारा किया। कलाकारों का सम्मान केन्द्रीय समिति के सदस्यगण, पत्रकारगण एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया।
राजिम माघी पुन्नी मेला में मुख्यमंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत शाम 5.30 बजे से प्रारंभ होता है, जो रात्रि 10 बजे तक चलता है। इस दौरान प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोकमंच, पंडवानी, भरथरी, पंथी आदि की प्रस्तुति होती है। इसी कड़ी में 24 फरवरी को 7.30 से 10 बजे तक मुख्य आकर्षण पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ीवाला की गायिका कविता वासनिक राजनांदगांव की रहेगी। वहीं 6 बजे से 7.30 बजे तक पप्पू चंद्राकर लोकमंच की प्रस्तुति देंगे।
राजिम, 23 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में पुण्य स्नान हेतु कुण्ड का निर्माण किया गया है। इसमें श्रद्धालुगण प्रमुख पर्वों में पुण्य स्नान करते हैं। इस वर्ष 16 फरवरी माघी पूर्णिमा लाखों श्रद्धालुगण पुण्य स्नान में शामिल हुए। गुरूवार 24 फरवरी को जानकी जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पुण्य स्नान में भाग लेंगे। इसी प्रकार 01 मार्च महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण्य पुण्य स्नान करेंगे।
24 फरवरी को जानकी जयंती के दिन माता सीता का जन्मदिन मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता सीता राजा जनक को पुत्री के रूप में मिली थी। पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता के जन्म की कई कथाएं प्रचलित है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान राम और माता सीता ने एक ही नक्षत्र में जन्म लिया था।
जानकी जयंती को सीता अष्टमी भी कहा जाता है। जानकी जयंती पर उपवास करने और पूजा पाठ करने से व्यक्ति को जमीन दान के साथ-साथ सोलह तरह के महत्वपूर्ण दानों का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में लिखा है कि जानकी जयंती के दिन जो भी महिला उपवास करती है, उसे माता सीता की कृपा प्राप्त होती है। उस स्त्री के पति को माता सीता लंबी आयु का वरदान देती हैं। निसंतान दम्पत्तियों के लिए भी जानकी जयंती पर किया गया व्रत किसी आशीर्वाद कम नहीं। ऐसा माना गया है कि इस दिन व्रत करने से दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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नवापारा राजिम, 23 फरवरी। राजिम भक्तिन मंदिर समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे निशुल्क भोग भंडारा में बुधवार 23 फरवरी को भंडारा नगर परिक्षेत्र साहू समाज नवापारा के द्वारा अंशदान, श्रमदान, अन्न दान सहयोग से संपन्न हुआ।
दोपहर 12 बजे सर्वप्रथम भक्त माता राजिम एवं तेलघानी के मूर्ति के समक्ष पूजा अर्चना कर प्रसादीअर्पित कर भोजन भंडारा का शुभारंभ किया गया। प्रमुख रूप से संरक्षक मेघनाथ साहू, मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ.महेंद्र साहू नवापारा अध्यक्ष परदेसी राम साहू छन्नुलाल साहू, रतिराम साहू, डॉ लीलाराम साहू चंद्रिका साहू, कन्हैयालाल साहू (गुरुजी) संतोष साहू,सखाराम साहू, राजिम क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू ,रोहित साहू, जिला अध्यक्ष भुनेश्वर साहू, प्रदेश संयुक्त सचिव लाला साहू , ईश्वरी साहू बरभाठा, राजू साहू, भोले साहू, रामकुमार साहू ,भवानी शंकर साहू, सचिव राजू साहू, प्रकाश साहू, रोशन साहू, होरी लाल साहू,कुंदन लाल साहू, वीरेंद्र साहू, ओंकार साहू, पुरुषोत्तम साहू,महिला प्रकोष्ठ में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गोबरा नवापारा देहुति साहू ,उमादेवी साहू,राम बाई साहू, सीमा साहू, प्रेम बाई साहू, धनमती साहू, तिजिया बाई साहू, कांति बाई, सुनीता, हेमिन, ललिता, दुकलहीन सहित बड़ी संख्या में साहू समाज के लोग उपस्थित थे।
लोकवाद्य और गायन से होती है संगीत की पहचान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी । सौ से अधिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुके लोक कला मंच हरेली के संचालक टिकेन्द्रनाथ वर्मा ने मीडिया सेन्टर में हुए साक्षात्कार में बताया की यह कार्यक्रम 2006 से संचालित शुरु होकर अनवरत चल रहा है। उन्होने आगे बताया कि हम मध्यप्रदेश में भी अपनी प्रस्तुती दिये है लेकिन हमारा सबसे बढिय़ा अनुभव छश्रीसगढ़ के सीपथ का रहा। जहां नवरात्रि में जसगीत गायन पर लोगों का भरपूर प्यार मिला। उन्होने अपने पसंदीदा गीत के रुप में जय दुर्गा दाई हो... को बताया।
वर्मा जी इसके पहले भी कई बार राजिम कर्मा जयंती मे अपना प्रस्तुति देने की जानकरी दी। उनकी टीम में गायन के रूप मे कृतिका विश्वकर्मा है जो एक साल से इस मंच से जुडी है। वे अपने गायन मे वे पारम्परिक छश्रीसगढ़ी लोक गीतों को पिरोये हुए है। उन्होने आज मुख्यमंच पर मनमोहना तोर चेहरा की... गीत पर दर्शकों से खुब ताली बटोरी और बार-बार इस गीत को सुनने की फरमाइस करने लगे।
रामेश्वर साहू ने आधुनिक संगीत के बारे में पूछे जाने पर कहा की जो दिल को छू जाये वही गायन है। आधुनिक हिन्दी संगीत से संस्कृति की पहचान नहीं होती अपितु लोकवाद्य और गायन से पहचान होता है। वे अपना अनुभव सांझा करते हुए आगे बताया की मंच पर पहचान बनाने के लिए बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
कलाकारों को एकत्रित करना, सीखाना, फिर उनको मंच पर लाना एक मेंढक़ की तरह होते है। हमें मूल संस्कृति को नाटक एवं गीत के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहिए। छश्रीसगढ़ी फिल्म और लोककला मंच मे फूहड़ता नहीं होना चाहिए। इससे छत्तीसगढ़ी महतारी का अपमान होता है।
छत्तीसगढ़ी भाषा को महत्व देना चाहिए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के मीना बाजार में लगे क्राफ्ट बाजार की रौनक देखते ही बन रही है। एक ही स्थान पर कास्ट के बने आकर्षक टोकरी, पेन स्टेण्ड, कुर्सी, सोफे, चुड़ी, फ्लावर व खाद्य सामग्री का स्टॉल लगा हुआ है तथा यहां लगे एक से बढक़र एक झूले लोगों को स्वत: अपनी ओर आकर्षित करती नजर आ रही है। नागपुर से आए तेजराम ने बताया कि वह भी पूजा थाली कवर का स्टॉल लगाए हुए है। जिसमें बहुत ही सुंदर रंगों के थाली कवर को अपनी दुकान में रखे हुए है। उन्होंने बताया कि यह थॉली कवर ऊनी धागे से मषीन द्वारा तैयार किया जाता है। यह छूने में बहुत ही साफ्ट था, इसका कलर बहुत ही खूबसूरत दिखाई दे रहा था। इनके पास थाली कवर के अलावा गेट झालर भी लगा हुआ था जो बहुत ही आकर्षक दिखाई दे रहा था।
बबल्स फुलाकर युवतियां हुई आनंदित
मेले में तरह-तरह की दुकानें सजी हुई है। वहीं एक ओर बबल्स की दुकान में कुछ युवतियां बबल्स फुलाके बहुत ही खुश नजर आ रही थी। एक ओर आज के आधुनिक युग के चकाचौंध में हम अपनी पुरानी खेलों को लुप्त होते देख रहे है। वहीं मेले में आज बच्चों के साथ-साथ बड़ी बच्चियों को खिलौने के रूप में बबल्स फुकते देख बचपन के खेल की याद आ गई। धमतरी से मेला घुमने आयीं सुभद्रा सोनी ने बताया कि हमें इस मेले में बहुत ही मजा आ रहा है, हमने यहां विलुप्त होते खिलौनों जैसे फिलफिली, रेलगाड़ी, भौंरा, बांटी को आधुनिक रूप में देखा है, जो मजा बचपन के खेल-खिलौने खेलने में है वह और किसी में नहीं। हम मेले में घूम-घूमकर सभी चीजों की आनंद ले रहे है।
झूला झूले, मौत का कुंआ देखे, आईस्क्रीम खाए और हमें यह बबल्स का खिलौना आधुनिक रूप में देखकर बहुत ही अच्छा लगा यही रूक गये और दुकानदार से इसके बारे में जानकारी ली और सभी सहेलियां मिलकर एक साथ बबल्स फूकने के बाद जो दृष्य दिखाई दिया वह बहुत ही मनमोहक लगा जैसे आसमान के टिमटिमातें तारे जमीन पर उतर रहे हो।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 23 फरवरी । भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर परिसर में तेलीन माता का विशाल मंदिर है। मंदिर के सर्वराकार चंद्रभानसिंह ठाकुर ने बताया कि इस जगह का नाम पदमापुरी था, लेकिन अब इस स्थान को राजिम के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे किवदंती है कि भगवान श्रीराजीव लोचन पर राजिम नाम की महिला की परम भक्ति थी।
सुबह से शाम तक वह भगवान की चरण वंदन किया करती थी। तेल निकालने का काम करने के बाद भी उनमें भगवान के प्रति श्रद्धा कूट-कूट भरी हुई थी। इसी के पुण्य फल से वह आगे बढ़ती गई। प्रतिदिन की तरह तेल लेकर नदी पार कर विक्रय करने के लिए जा रही थी, अचानक उसका पैर एक पत्थर से टकराया और वह गिर गई। इससे पात्र में रखा सारा तेल बह गया। राजिम सास-ससुर के डर के कारण रोने लगी, थोड़ी देर बाद जब वह घर जाने के लिए तेल के पात्र को उठाने के लिए उठी तो उसने खाली तेल के बर्तन में फिर से तेल से भरा हुआ देखकर वह आश्चर्यचकित रह गई।
इस घटना के बाद वह उत्सुकता के साथ संपूर्ण घटना का विवरण देने के लिए अपने घर की ओर चली गई। कहा जाता है कि जिस दिन से राजिमबाई ने अपने कोल्हू के पास नदी में मिली भगवान श्रीराजीव लोचन की मूर्ति स्थापित की उस दिन से सारा दिन तेल बेचने के बाद भी उसका बर्तन खाली नहीं होता था। इस चमत्कार से राजिमबाई सहित उसके ससुराल वाले अचंभित हो गए। दूसरे दिन पूरा तेली परिवार उस पत्थर को उलट कर देखा तो औंधी मुंह के श्यामवर्णी चतुभुर्जी मूर्ति मिली इन्हें घर में लाकर रख दिया और कोल्हू के पास स्थापित किया और पूजा अर्चना करते रहे।
इधर रत्नपुर नरेश वीरवल को स्वप्न हुआ और स्वप्न के अनुसार राजिम में एक विशाल मंदिर का निर्माण किया। स्वप्न में कहे अनुसार राजिम तेलीन के पास जाकर उस मूर्ति की मांग करने लगे, इतने पर माता राजिम शांत बैठी रही। उनके मौन को स्वीकृति समझकर राजा ने ले जाने के उद्देश्य से मूर्ति को उठाने का प्रयास किया लेकिन नि:फल रहा। तब पुन: राजिम से निवेदन करने लगे, इतने पर राजिम कहती है तुमने मेरे मौन को स्वीकृति समझ लिया, इसलिए मूर्ति नहीं उठी।
श्रद्धा के साथ एक तुलसी पत्र लेकर उठाआ,े तो जरूर उठ जायेगी। राजा ने ऐसा ही किया इससे प्रसन्न होकर कुछ मांगने के लिए कहा तब राजिम ने कहा कि हो सके तो इस मूर्ति के साथ मेरा नाम जुड़ जाये तो मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझुंगी। उसी दिन से इसका नाम राजिम पड़ गया।
कहा जाता है कि राजा रत्नाकर का भगवान के प्रति अटूट आस्था थी, जिसके कारण उसने भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर की स्थापना की गई। यहां का मेला ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक रूप में विख्यात है। तेलीन माता के जयंती को 7 जनवरी को साहू समाज के द्वारा भव्य रूप से मनाया जाता है।
राजिम, 23 फरवरी । राजिम माघी पुन्नी मेला में श्रीलोमश ऋषि आश्रम में विभिन्न आखाड़ों के नागा-साधु, संत आए हुए है। जिसमें सनतपुरी जुन्ना अखाड़ा बड़ा हनुमान घाट काशी मोहन कार्तिक पुरी ओकोश्वर विध्यांचल पर्वत मध्यप्रदेश सचिदानंद गिरी सिद्धीविनायक आश्रम नवागंाव धमतरी दिगम्बर जनकपुरी श्रीपंचदशानाम जुना अखाड़ा से नागा साधु बाबा आश्रम मे अपनी धुनी रमाय बैठे हुए है।
उल्लेखनीय हैं कि कोविड संक्रमण के कारण इस बार साधु-संतों को विशेष रूप से आमंत्रित नहीं किया गया है, लेकिन मेला में आने वाले सभी संतों का स्वागत किया जा रहा है। ये संत श्रद्धालुओं को राख की भभूति से तिलक लगाकर आशीर्वाद दे रहे हैं। काशी जूना अखाड़ा से आए सनतपुरी महाराज ने बताया कि वे 18 साल से राजिम मेला में रहे है। मेला में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और प्रशासन का अच्छा स्नेह मिलता है। इसलिए छत्तीसगढ राज्य हमारे आशीर्वाद से समृद्धि शाली हो रहा है।
राजिम, 22 फरवरी। नवापारा राजिम राजिम भक्तिन मंदिर समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वाधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे निशुल्क भोग भंडारा मे बुधवार 23 फरवरी को भंडारा नगर परिक्षेत्र साहू समाज नवापारा के द्वारा अंशदानए श्रमदान, अन्न दान सहयोग से संपन्न होगा। उक्त आशय की जानकारी देते हुए नगर परीक्षेत्र साहू समाज 9 पार्क के अध्यक्ष परदेशी राम साहू ने बताया कि इस संबंध में सोमवार को 9 पारा में एक बैठक आयोजित कर समाज प्रमुखों द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। बैठक में प्रमुख रूप से संरक्षक मेघनाथ साहू, प्रेमलाल साहू, भागीराम साहू, कन्हैया साहू, संतोष साहू, धनमती साहू, सुखराम साहू सहित अनेक सामाजिक बंधु उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 22 फरवरी। ग्राम तर्री में नौ दिवसीय ताइक्वांडो कैम्प चला जिसमें जितेन्द्र कुमार के मार्गदर्शन में एएनआईएस कोच सागर निर्मलकर के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया और बच्चों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तन्नू मिश्रा महिला मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य ए नागेन्द्र वर्मा भाजयुमो मण्डल अध्यक्ष श्रेणिक जैन भाजयुमो कोषाध्यक्ष एराजू रजक भाजयुमो मण्डल उपाध्यक्ष सन्तोष देवांगन, सचिव देवांगन समाज तर्रीद्ध, सन्तोष मिश्रा, वर्षा मिश्रा ने बताया कि आज के समय को देखते हुए लड़कियों को अपनी आत्म रक्षा और आत्म निर्भर बनने के लिए इस तरीके का प्रशिक्षण आवश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जीत फिटनेस एंड सेल्फ डिफेंस सोसायटी की स्थापना की गई है।
समय-समय पर बालिकाओं को नि:शुल्क आत्म रक्षा एवम योग प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे बच्चों के शारिरिक और मानसिक विकास में वृद्धि हो रही है। जीत फिटनेस एंड सेल्फ डिफेंस सोसायटी की अध्यक्ष वर्षा मिश्रा, उपाध्यक्ष लता साहू, कोषाध्यक्ष पार्वती साहू और सचिव उर्मिला ध्रुव, भारती देवांगन एवं पूजा देवांगन ने दिया बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
अन्य पालकगण संतोष साहू, मनीष वर्मा, रोहित सोनकर, नम्रता सोनकर, टुकेश देवांगन, दीपिका देवांगन, बांके लाल साहू, पूनम साहू, हेमलाल साहू, विजय साहू, उमेश्वरी पाल, पारुल साहू, हेमा साहू, चित्ररेखा नागेश ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।
21 पंचायतों को 28 करोड़ का कार्यादेश जारी
7 स्वास्थ्य केन्द्रों को दी 4.75 लाख प्रोत्साहन राशि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम/गरियाबंद, 22 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में श्रद्धालुओं एवं आगंतुकों को शासन की योजनाओं से लाभ दिलाने एवं जानकारी देने के लिए विभागीय स्टाल लगाए गए हैं, साथ-साथ प्रतिदिन कार्यक्रम व सम्मेलनों के माध्यम से हितग्राहियों को सीधा लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा किये गये संयुक्त आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड के अध्यक्ष संदीप साहू शामिल हुए।
इस अवसर पर उन्होंने जल जीवन मिशन अंतर्गत गरियाबंद जिला के 21 कार्यों के लिए 28 करोड़ 46 लाख रुपये का कार्यादेश विभिन्न ग्राम पंचायतों का सौंपा। उन्होंने जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक घरों में टेप नल कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ पेयजल पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच के अनुरूप राज्य के सभी लोगों को स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा और नागरिक सुविधाएं दिया जा रहा है। उनके मार्गदर्शन में राज्य की संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। राजिम पुन्नी मेला का आयोजन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
श्री साहू ने जानकारी दी कि जिले में 1 लाख 52 हजार 2 सौ 86 परिवारों को घरेलू टेप नल कनेक्शन देना प्रस्तावित है। जिसके अंतर्गत 33 हजार 1 सौ टेप कनेक्शन दिये जा रहे हंै। उन्होंने कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 5 हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड विरतण, कायाकल्प योजना अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फिंगेश्वर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोपरा, खड़मा, मड़ेली एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र कस, बारुका, मदनपुर को कुल 4 लाख 75 हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि प्रदान किया तथा चांदनी धृतलहरे चौबेबांधा हियरिंग एड दिया गया। समाज कल्याण विभाग अंतर्गत 10 दिव्यांगों को मोटराईज्ड ट्रायसायकल, 5 हितग्राहियों को सामान्य ट्रायसायकल, 3 व्हीलचेयर, 3 हितग्राहियों को दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना एवं क्षितिज अपार योजना अंतर्गत 5 दिव्यांगों को 48 हजार रुपये का चेक विरतण किया गया।
कार्यक्रम को गोबरा नवापारा नपा अध्यक्ष धनराज मध्यानी, जिला पंयायत सदस्य मधुबाला रात्रे ने भी संबोधित किया और राज्य सरकार के उपलब्धियों को बताया।
इस अवसर पर नपा अध्यक्ष मगरलोड नीतू साहू, जनपद अध्यक्ष मगरलोड , ज्योति ठाकुर, नपा अध्यक्ष राजिम रेखा सोनकर, सभापति संध्या राव भाण्डुलकर, पद्मा दुबे, विकास तिवारी, ताराचंद मेघवानी, सहित हितग्राही एवं नागरिक उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 22 फरवरी। पिछले दिनों नगर के प्रतिष्ठित पंडित रामबिशाल पांडेय शास.उच्च.माध्य.विद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के उपलक्ष्य पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्राचार्य बी.एल. ध्रुव, प्रधान पाठक ए.जी.गोस्वामी, व्याख्याता आर.के.यादव, एमएल सेन द्वारा मां शारदा व छत्रपति शिवाजी महाराज के छायाचित्र पर माल्यार्पण व दीप-प्रज्ज्वलन से किया गया। कार्यक्रम का संचालन व क्रियान्वयन व्याख्याता समीक्षा गायकवाड़ ने किया।
व्याख्याता आरके यादव ने अपने उद्बोधन में शिवाजी महाराज के शौर्य पराक्रम की गाथा का वर्णन किया। व्याख्याता कमल सोनकर ने छात्रों को शिवाजी राजे भोसले की तरह साहसिक, देशप्रेम, कर्तव्यनिष्ठ गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
संकुल समन्वयक सुभाष शर्मा ने बताया कि छत्रपति शिवराय वीर योद्धा होने के साथ-साथ कुशल रणनीतिकार व छापामार युद्ध नीति के प्रणेता थे। व्यायाम शिक्षिका शिखा महाडिक़ द्वारा छत्रपति के बाल्यकाल से राज्याभिषेक व मराठा साम्राज्य की स्थापना की गौरव गाथा वर्णन किया गया।
चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रकाश धीवर कक्षा ग्यारहवीं, द्वितीय स्थान भावेश देवांगन कक्षा दसवीं, तृतीय स्थान विकास निषाद कक्षा दसवीं ने प्राप्त किया। भाषण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम डीपेश कुर्रे कक्षा दसवीं, द्वितीय मयंक पटेल कक्षा सातवीं तथा पूरन पटेल कक्षा सातवीं व रूपेश देवांगन कक्षा सातवीं तृतीय स्थान पर रहे। मनोज धीवर, देवेंद्र निषाद, राकेश पटेल ,दानेश्वर कंडरा आदि छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में व्याख्याता संतोष सूर्यवंशी, सहा. शिक्षिका अंजू मार्कण्डेय, अंगेश गंगेले , कैलाश साहू ने छात्रों का उत्साहवर्धन किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 फरवरी। श्री राजिम भक्तिन माता समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे माता राजिम निशुल्क भोग भंडारा में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। रविवार का भंडारा नगर साहू संघ राजिम के 10 वरिष्ठ समाजसेवी के अंशदान, श्रमदान, अन्न दान और उनके सहयोग से संपन्न हुआ। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ महेंद्र साहू, भोले साहू, श्याम साहू, भवानीशंकर साहू, रामकुमार साहू, विष्णु साहू, राजू साहू, चोवाराम साहू, महेश कुमार साहू, सोमप्रकाश साहू, श्रीमती रामबाई साहू शामिल है।
इस अवसर पर सर्वप्रथम भंडारा स्थल मे भक्त माता राजिम एवं तेल घानी के मूर्ति के समक्ष विधिवत पूजा अर्चना एवं भोजन प्रसादी अर्पित कर भंडारे की शुरुआत। पश्चात मुख्य अतिथि प्रोफेसर घनाराम साहू एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र साहू के हाथों भोजन प्रसादी परोसगारी कर शुरूआत की गई।
मौके पर प्रदेश पदाधिकारीगण लाला साहू, ईश्वरी साहू, लोकनाथ साहू, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजू साहू, मीडिया प्रभारी डॉ लीलाराम साहू, जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू, किशोर साहू, मिंजुन साहू, कुंजबिहारी साहू, खेमराज साहू, रूपलाल साहू, कुंदन साहू के अलावा फूलचंद महाविद्यालय नवापारा राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक आदि ने अपना सहयोग प्रदान किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन की रविवार को भारी भीड़ रही। मेला में इस बार सडक़ों की चौड़ाई बढ़ा दी गई है। आस्था धर्म एवं आध्यात्म का संगम धरा में श्रद्धालुगणों का सुबह से ही आना जाना शुरू हो गया था। रविवार छुट्टी का दिन होने के कारण आस्था का सैलाब उमड़ गई थी। मीना बाजार क्षेत्र में खचाखच भीड़ देखने को मिली। दुकानों में सामानों की बिक्री खूब हुई। आकाश, ब्रेक डांस, टोराटोरा, डिजनी लैण्ड, क्राफ्ट बाजार, मौत का कुंआ सहित पूरे मेला मैदान दुकाने सजी हुई है। जिस पर मेलार्थी जरूरत के सामनों को खरीद कियए तथा खाद्य पदार्थ वाले स्टॉल में स्वादिश्टि व्यंजनों का आनंद भी ले रहे थे। कहना होगा कि मेला मैदान में अलग-अलग गलियां हैं और इस तरह से 3 किलोमीटर का फासला यहीं से तय करना पड़ रहा है। यहां से सीधे चलते हुए संगम में लंबे चौड़े वर्गाकार क्षेत्रफल में फेले मेला का स्वरूप आज अपने पूरे सबाब पर था।
मंदिरों में रही भीड़
राजिम के प्रमुख मंदिर भगवान श्रीराजीव लोचन, श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव, लोमष ऋषि आश्रम, पवन दीवान आश्रम, सोमेश्वरनाथ महादेव, मांमा भांचा मंदिर, भूतेश्वनाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, साक्षी गोपाल, बाबा गरीबनाथ, लक्ष्मीनारायण मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, मां महामाया मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, गुरूघासीदास मंदिर आदि में दर्शन पूजन एवं अनुष्ठान करने के लिए लोग पहुंचते रहे और अपने मन की मुरादे श्रद्धालुओं ने प्रकट की।
ओखरा खरीदने बारी का इंतजार किया
राजिम मेला के प्रमुख मिठाई ओखरा खरीदने के लिए लोगों ने अपने बारी का इंतजार करते रहे। यहां उड़ीसा से ओखरा लेकर व्यापारी पहुंचे हुए है। इनके अलावा देवभोग व अन्य क्षेत्रों से भी आये हुए है। भीड़ बढऩे के साथ ही खरीददारी भी जमकर हुई। आज रविवार को उनके लिए भी संडे फनडे रहा।
संगम नदी में स्नान किया
की सुविधा दी जाती है। सखी वन स्टॉफ सेंटर का मुख्य उद्देश्य घर व बाहर किसी भी रूप में पीडित व संकटग्रस्त महिला को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराना है। जरूरतमंद महिलाओं को समय पर उचित चिकित्सा प्रदान करना है। विधिक, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, परामर्श और सुविधा देना और महिलाओ को मजबूत बनाना है। आज भी जानकारी के आभाव मे दूर-दराज आदिवासी ग्रामीण और अशिक्षित क्षेत्र में अधिकांश महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं पाती और उन्हे शोषण का शिकार होना पड़ता है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार कि समस्या व समाधान के लिए महिला हेल्प लाईन टोल फ्री नम्बर 181 डायल करे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन राजीव युवा मितान क्लब, राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों का सम्मान एवं हिताग्रहियों को स्वरोजगार हेतु ऋण वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के आसंदी से प्रदेश के तकनीकि शिक्षा, रोजगार उच्च शिक्षा, खेल और युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल स्कूल एवं कॉलेज के हजारों युवाओं के बीच उद्बोधन करते हुए कहा कि राजिम मेला की भव्यता अब देखते ही बन रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ाने का काम किया है। त्यौहारों में छुट्टी के अलावा परंपरा को उच्च शिखर पर स्थान दिलाया है। उन्होंने राजीव युवा मितान कला पर फोकस करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है।
प्रत्येक कला को प्रत्येक 3 माह में 25 हजार रूपये के मान से एक साल में रचनात्मक गतिविधियों के संचालन के लिए 1 लाख रूपये दिये जायेंगे। उन्होंने योजनाओं की जानकारी देते हुए आगे कहा कि स्कूल और कॉलेजों में फाईनेंसियल का एक सब्जेक्ट होना चाहिए। वर्तमान में फाईनेंसियल ट्रांजेक्शन में धोख-धड़ी हो रही है। हम लोग मोबाईल में एकाउंट बना रहे है, इसी से ही ट्रांजेक्शन कर रहे है। कई लोग इसका गलत उपयोग भी कर रहे है जिसके कारण लोग ठगी का शिकार हो रहे है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जॉब की स्थिति कमजोर हुई है। यह न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की स्थिति है। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मिशन की स्थापना की है। जिले कलेक्टर स्कील डेवलपमेंट पर ज्यादा ध्यान दें जिससे युवाओं को रोजगार मिले। उन्होंने बेरोजगारों से कहा कि फिक्र करने की बात नहीं है, समय थोड़ा आगे-पीछे होता है आपको कई अच्छी-अच्छी नौकरियां मिलेगी, बस आप अपने मेहनत को निरंतर जारी रखें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा कि राजिम धर्म और संस्कृति का मिलन होता है यहां के दिव्य एवं अलौकिक मंदिर मंत्रमुग्ध कर देते है। राजिम मंदिरों की नगरी है, मध्य भारत का यह प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। अब हमें नकली कुंभ से मुक्ति मिल गई है। युवाओं को रचनात्मक दिशा देने के लिए राजीव युवा मितान क्लब का गठन हमारी सरकार की सोच ने अस्तित्व में लाया है। अब गांव की तरक्की को कोई रोक नहीं सकता। फिंगेश्वर के जनपद अध्यक्ष पुष्पा जगन्नाथ साहू ने कहा कि मंत्री उमेश पटेल युवाओं का आईडल है इनकी सोच हमेशा किस तरह से युवाओं को आगे बढ़ाये ताकि छत्तीसगढ़ का विकास निरंतर होता रहे।
ग्राम स्वराज की परिकल्पना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरा कर रही है। नगर पालिका परिषद नवापारा के धनराज मध्यानी ने कहा कि सरकार की सोच के कारण ही नया छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ ही राजिम मेला के स्वरूप को विस्तार दिया गया। धनेन्द्र साहू उस समय संस्कृति मंत्री बने और राजिम मेला पूरी दुनिया में विख्यात हो गया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोगों को जोडऩे की है न कि हुक्काबार खोलने की। इस मौके पर विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को चेक वितरण किया गया। जिनमें जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र गरियाबंद के द्वारा मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के मार्जिन मनी अनुदान वितरण उमेन्द्र नागेश, प्रियांद ध्रुव, पिन्टु गुप्ता इस तरह से कुल 10 लोगों को 3 लाख 98 हजार 1 सौ रूपये का चेक दिया गया।
छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 3 लोगों को प्रोत्साहन राशि ढाई लाख रूपया, जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति गरियाबंद एवं विभिन्न बैंको के सहयोग से स्वरोजगार हेतु लोन का वितरण भी किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले जिले के चयनित खिलाडिय़ों को मंत्री उमेश पटेल ने सम्मानित किया। चेक पाकर हितग्राहियों के चेहरे खिल उठे और राजिम मेला से रोजगार के एक नये सपने लेकर अपने गंतव्य को चले गये। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।
इस मौके पर प्रमुख रूप से जिला कलेक्टर नम्रता कलेक्टर, जिला सीईओ रोक्तिमा यादव, जिला खेल अधिकारी के अलावा भावसिंह साहू, ताराचंद मेघवानी, रामकुमार गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, डॉ. आनंद मतावले, गिरीश राजानी, मनीष दुबे, पदमा दुबे, मुन्ना कर्रे, प्रीति पांडे, विष्णु जांगड़े, योगेश साहू, टीकेश साहू, हेमराज साहू सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माथे पर तिलक पूरे शरीर पर भभूत, हाथ में भाला, गले में बड़ी-बड़ी माला, चेहरे पर चमक, ओजस्वी, तेजदमक ऐसा प्रतापी व रौद्र जैसा लगने वाला स्वरूप सामने देखकर मन में विस्मय मिश्रित भय सी अनुभूति होती है, लेकिन ऐसा स्वरूप धारण करने वाले नागा बाबा जगत के कल्याणकारी तथा घोर तपस्वी होते है। जब-जब धर्म के समक्ष संकट खड़ा हुआ, साधु-संत महात्माओं के साथ नागा साधु धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़े हुए। इतिहास गवाह है कि हमारे नागा साधुओं ने देश में अपने शस्त्र व शास्त्रों से हिन्दु धर्म की रक्षा की है। कहा जाता है कि हमारे महात्माओं ने नागा साधुओं को धर्म की रक्षा के लिए मुख्य रूप से तैनात किया है।
नागा धर्म का आचरण व पालन करने वाले जब भी किसी जीव-प्राणी को दुखी देखते है, तो अपने सारे सुख उसे प्रदान कर देते है। आम जन को दुखी नहीं रहने देते है। नागा साधुओं के महात्मा व प्रताप की कथा कुंभ से भी जुड़ी हुई है।
एक समय अत्याचारी राजाओं ने कुंभ पर कब्जा कर लिया था और वे कुंभ के दौरान कई दिनों तक कुंभ क्षेत्र में कब्जा कर लेते थे। आम जनता को कुंभ में पवित्र स्नान करने का अवसर नहीं मिलता था। दुखी लोगों ने नागा साधुओं तक यह बात पहुंचाई तो उन्होंनेे शस्त्र उठाकर अत्याचारी राजाओं के खिलाफ युद्ध का जयघोष कर दिया और राजाओं के शाही स्नान को साधुओं के शाही स्नान की परंपरा शुरू की।
कुंभ में सबसे पहले नागा साधु शाही स्नान करते हैं। तत्पश्चात् श्रद्धालुगण पुण्य स्नान करते हैं। छत्तीसगढ़ के राजिम शहर में आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला में नागा साधुओं का आगमन हुआ है। जिससे यहां श्रद्धा भक्ति की भावना चार गुनी हो गयी।
कहा जाता है कि नागा साधु दुनिया में देश और राज्य की विभाजन रेखा को नहीं मानते। यह विभाजन तो मनुष्य के द्वारा किया गया है। मनुष्यों ने अपने-अपने तरीके से दुनिया का विभाजन कर लिया। नागा साधुओं के लिए पूरा आकाश अपना तम्बू है और पृथ्वी उनकी फर्स है। ऐसी विचार धाराओं के फलस्वरूप नागा साधु एक जगह स्थिर नहीं रहते। वे धर्म की रक्षा के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान विचरण करते रहते है। यह अस्थिरता उनके मन दिमाग को सदैव जागृत रखती है और वे धर्म की रक्षा के प्रति हमेशा सजग व समर्पित रहते है। बताया जाता है कि भारत देश में नागा साधुओं की संख्या 5 लाख से अधिक है। आदि शंकराचार्य के द्वारा भारत देश के उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं में स्थापित मठों से आगे बढक़र नागा साधु देश भर में फैलते गये। ऐसा महसूस होता है नागा साधु दीन दुनिया से बेखबर, अपने में ही मशगूल रहने वाले अक्खड़ स्वभाव के हठी बाबा होते है। परन्तु वास्तविकता इसके काफी विपरीत है। नागा साधु अत्यंत तपस्वी, विद्वान व सदाचारी होते है।
जिस तरह से भगवान भोलेनाथ ने जहर का प्याला खुद पी लिया और दूसरों को नुकसान से बचाया, इसी तरह से नागा साधुओं ने भी संसारिक भोग का त्याग कर दिया, लेकिन संसार के लोगों को पीड़ा-दुखों से मुक्ति दिलाने हेतु वे कृत संकल्पित है। राक्षस प्रवृत्ति के तत्व जब-जब धर्म के नुकसान पहुॅचाने की कोशिश करते है तब-तब उन्होंने अपना रौद्र रूप दिखाया है। शेष समय वे तप करतें है, धर्म की माला जपते है। जब धर्म का अहित होता है वे माला गले में धारण करते है और हाथ में भाला उठा लेते है। नागा साधुओं ने अश्लीलता, लोलुप्ता, लेश मात्र भी नहीं होती।
वे तो इस संसारिक दुनिया की सभ्यता के प्रतीक है। कई लोग ऐसे भी है जो जानबुझ कर नागा साधुओं के बारे में तरह-तरह केे दुस्प्रचार फैलाते है ताकि धर्म को नुकसान पहुॅचाया जा सके। भारत देश की एकता के लिए जगत गुरू आदि शंकराचार्य ने पूरे देश का भ्रमण किया इसके साथ ही पंचदेव को स्थापित किया। नागा साधु भी पूरे देश का भ्रमण किया इसके साथ नागा साधु भी पूरे देश में फैलते गये। मान्यता है कि नागा साधु चार प्रकार के होते है। पहला राज-राजेश्वरी, दूसरा बर्फानी, तीसरा खूनी व चौथा खिचडिय़ा।
हरिद्वार में जो दीक्षा लेते है वे बर्फानी नागा साधु होते है। उत्तराखण्ड में स्थित हरिद्वार बर्फिला क्ष़ेत्र है इसलिए यहॉ दीक्षा लेने वाले नागा साधु शांत स्वभाव के माने जाते है। इलाहाबाद का नागा राज-राजेश्वरी प्रकृति का होता है मतलब राजा की तरह होता है। उज्जैन के नागा साधु अपेक्षाकृत गर्म प्रकृति के होते है। इसलिए यहॉ के नागा साधुओं को खूनी नागा साधु का नाम दिया गया है।
आम मान्यता है कि नागा साधुओं का स्वभाव उग्र प्रवृत्ति का होता है परन्तु यह वास्तविकता है कि जो असल नागा साधु होते है। वे किंचित मात्र भी शराब और मांस का सेवन नहीं करते। काम को अपने नियंत्रण में रखते है। यह भी मान्यता है कि काम को नियंत्रण में रखने के कारण नागा साधुओं में उग्रता बढ़ती है। इसलिए प्रांरभ से उन्हें गांजाओं व भांग के सेवन का छूट है। कुछ राज्यों में तो शासन अपने तौर पर नागा साधुओं को ये चीजें उपलब्ध कराते है। वास्तव में नागा साधुओं को धर्म की रक्षा के लिए सेना का जिम्मा दिया गया है। वे धर्माचार्यों की सेना की तरह काम करते है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। डौंडीलोहारा के लोक सिरजन लोककला मंच के मेघेन्द्र जयसवाल राजिम माघी पुन्नी मेला के मुक्ताकाशी मंच में शानदार प्रस्तुति देने के बाद मीडिया सेन्टर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कला की साधना एक या दो दिन में नहीं होती है, इसके लिए लम्बा वक्त देना पड़ता है। सफलता का कोई शार्टकट रास्ता नहीं है। इस दरमियान मुश्किल दौर से भी गुजरना पड़ता है। जीवन में कब कौन सा मोड़ आ जाये किसी को ज्ञात नहीं है। इस संस्था को खड़ा करने मे खूब मेहनत करना पड़ा और आज देश भर के प्रतिष्ठापूर्ण करीब 80 मंचों में लगातार तीन सालों से प्रस्तुति देते आ रहें है।
जयसवाल ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा जैसे राज्यों में प्रस्तुति देने का सौभाग्य मिला है। इन्होंने मोर मन के मीत छत्तीसगढ़ी फिल्म में प्रोड्यूसर के रूप मे काम किया है। इनके साथ सह कलाकार विष्णु कोठारी मीत ने डार्लिग प्यार झूकता नहीं, बेनाम बादशाह फिल्म में आवार्डेड है। टीम मे कुल 35 सदस्य है। इनके प्रत्येक कलाकार आज भी प्रतिदिन अभ्यास में ज्यादा ध्यान देते है। तभी तो राजिम के इस मंच मे मौलिकता छनकर बाहर आ गई थी। इनके अमर गीत हाय वो तै नाचे बर आबे न... लोगों के जूब़ा है।
जयसवाल ने बताया कि कोरोना काल में चुपचाप नहीं बैठे थे, हालाकि मंचीय प्रस्तुति नहीं दे पाये, लेकिन प्रेक्टिस लगातार चलता रहा। एक कलाकार के लिए कला ही अर्थ का मुख्य साधन होता है। इसी पीड़ा को लघु कथा के रूप में अंतस के पीरा के रूप में प्रस्तुत किये है। छश्रीसगढ़ कला एवं संस्कृति के क्षेत्र मे अत्यंत समृद्ध है इसे सिरजाकर रखने की जिम्मेदारी प्रत्येक छश्रीसगढिय़ों की है। आगे बढऩे के लिए मेरे आदर्श लक्ष्मण मस्तुरिया, खुमान साव है उनसे मुझे प्रेरणा मिली है। जिसके बदौलत आज मैं इस मुकाम पर हूँ। उन्होंने बताया कि कला का वरदान मुझें मेरे नाना से मिला।
मेरे माता-पिता इस क्षेत्र से कोसो दूर थे। पहली प्रस्तुति डौंडीलोहारा के मंच में ही किया। राजिम माघी पुन्नी मेला के मंच मे प्रस्तुति देकर अत्यंत प्रसन्न थे। कलाकारों के लिए प्रदेश सरकार के द्वारा पुन्नी मेला मे सम्मान किया जा रहा है, उसका उन्होने खूब तारिफ भी किया। उनके साथ मे उपस्थित लोक गायिका भावना सेन ने गीत गा कर महौल बना दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 फरवरी । शादीशुदा महिला को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ओमप्रकाश उर्फ बुटानी साहू पिता स्वर्गीय विश्राम साहू (27) गोबरा नवापारा के वार्ड क्रमांक 11 किसानपारा का रहने वाला है। आरोपी ने 13 नवंबर 2021 को वार्ड की ही श्रीमती चेमिन पति पदुम सोनकर (उम्र 19 वर्ष) को अपने प्रेमजाल में फंसाकर भगा ले गया था।
चेमिन को कुछ दिन बाहर रखकर उसके बाद उसे अपने घर ले आया और पत्नी के रूप में रखने लगा। इस दौरान आरोपी ने चेमिन के साथ लगातार शारीरिक संबंध भी बनाया। इधर चेमिन के आरोपी के घर मौजूद रहने की जानकारी मिलने पर चेमिन के पति पदुम और उसका भाई धनेंद्र दोनों आरोपी के घर गए और चेमिन को समझा-बुझाकर वापस पदुम के घर ले आए, जिसके बाद से चेमिन अपने पति पदुम के साथ राजीखुशी रहने लगी, लेकिन आरोपी ओमप्रकाश लगातार चेमिन को अपने साथ शादी करने का दबाव देता रहता था, जिससे तंग आकर चेमिन ने आखिरकार 19 दिसंबर 2021 की दोपहर निंदानाशक जहर का सेवन कर लिया।
जिसे तत्काल गोबरा नवापारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया, जहां से उसकी हालत को देखते हुए मेकाहारा रायपुर रिफर कर दिया गया था। 9 जनवरी 2022 को चेमिन की मृत्यु हो गई। इसके बाद मामले में गोबरा नवापारा पुलिस द्वारा विवेचना प्रारंभ की गई।
इस दौरान तमाम साक्ष्यों के उपरांत यह बात प्रमाणित हुई कि आरोपी ओमप्रकाश द्वारा शादी के लिए लगातार दबाव देने से तंग आकर चेमिन ने आत्मघाती कदम उठाया था। इसके बाद 19 फरवरी की रात को आरोपी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 306 का अपराध दर्ज कर लिया गया और 20 फरवरी की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी की जुडिशल रिमांड लेने उसे न्यायालय रायपुर के समक्ष पेश किया जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। पवित्र महानदी, सोंढूर, पैरी के त्रिवेणी संगम के राजीव लोचन मंदिर परिसर में आज अद्भुत नजारा देखने को मिला, जब पूरा मेला क्षेत्र विशाल विवाह मंडप में बदल गया था। अवसर था मुख्यमंत्री कन्या सामुहिक विवाह का। इस आयोजन में यहां 113 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न हुआ। राजिम माघी पुन्नी मेला के अवसर पर यह ऐतिहासिक पल था कि जिले गरीब 113 बेटियों के हाथ हजारों लोगों की गवाही में पीले हुए। भगवान श्रीराजीव लोचन और श्रीकुलेश्वर नाथ की पावन धरा में बेटियों को महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा, खाद्य मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत, महासमुंद लोकसभा के सासंद चुन्नीलाल साहू, अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू, धरसीवां विधायक श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष स्मृति नीरज ठाकुर, स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारियों का आशीर्वाद मिला।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेडिय़ा ने वर-वधु को आशीष और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह एक शुभ अवसर है कि आज राजिम के पवित्र धरा पर सामुहिक विवाह सम्पन्न हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने बधाई दिया है। उन्होंने कहा कि आज शुभ अवसर है जहां बेटियों को आशीर्वाद मिल रहा है। उन्होंने कहा कि परिवार की जिम्मेदारी बेटियों पर होती है। वे परिवार और समाज को जोड़ कर रखती है।
बेटियां शासन की योजना का लाभ उठाकर सक्षम बने। 3 प्रतिशत ब्याज की दर पर महिला कोष और सक्षम योजना से ऋण लेकर व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बेटियों के लिए ब्याज की दर को 6 प्रतिशत से कम कर मात्र 3 प्रतिशत कर दिया। उनके प्रति मंत्री श्रीमती भेडिय़ां ने आभार प्रकट किया। मंत्री ने नवदम्पति को सफल और स्वस्थ जीवन के लिए शुभकामनाएं दी।
शासकीय योजनाओं का लाभ उठाकर सक्षम बनें-अमरजीत
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि कोई भी परिवार अपने आप को कमजोर न समझे, सरकार हमेशा उनके साथ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान और सम्मान के लिए कार्य कर रहे हैं। कर्ज माफी सहित समर्थन मूल्य, मुख्यमंत्री कन्या सामूहिक विवाह योजना का जिक्र कर कहा कि सरकार हर वर्ग का ध्यान रख रही है। उन्होंने सरकार के तरफ से सभी नवदम्पति को बधाई और शुभकामनाएं दी। विधायक धनेंद्र साहू ने कहा कि हमारे प्रदेश के संवेदनशील मुखिया भूपेश बघेल द्वारा बेटियों की शादी के लिए दी जाने वाली सहायता राशि 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रूपये कर दिया है। यह एक संवेदनशील निर्णय है।
उन्होंने सभी बेटियों को आशीर्वाद दिया। इस सामुहिक विवाह के अनुकरणीय पहल के लिए मंत्री श्रीमती भेडिय़ा ने कलेक्टर एवं स्थानीय प्रशासन को भी बधाई दी। इस अवसर पर नवापारा नगर पालिका अध्यक्ष धनराज मध्यानी, राजिम नपं. अध्यक्ष रेखा राजू सोनकर, जनपद अध्यक्ष फिंगेश्वर पुष्पा साहू, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू, भावसिंह साहू, पदमा दुबे, विकास तिवारी, कलेक्टर नम्रता गांधी, पुलिस अधीक्षक जेआर ठाकुर, जिला पंचायत सीईओ रोक्तिमा यादव एवं महिला बाल विकास के अधिकारी जगरानी एक्का तथा वर-वधु के परिवार व आगंतुक भी मौजूद थे।
गायत्री परिवार के वैदिक मंत्रोच्चार और रीति रिवाज से विवाह सम्पन्न हुआ। इसके पूर्व वधु एवं वर पक्ष से अधिकारी-कर्मचारी बाराती और घराती बने। वर पक्ष को बाजे-गाजे के साथ स्वागत कर बारात निकाली गई। वहीं वधु पक्ष ने फूल बरसाकर स्वागत किया। पूरा मेला स्थल विवाहमय नजर आ रहा था। इस सामुहिक विवाह में देवभोग से पहुंचे कन्या गीता, मालवी प्रधान, फिंगेश्वर के बैशाखिन तारक, कामिनी बंजारे, महेन्द्री छुरा के कुमारी दामिनी, डुमेश्वरी ने इस आयोजन के लिए शासन-प्रशासन का आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि यह शादी हमारे जीवन के लिए यादगार क्षण है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा एवं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने भगवान श्री राजीव लोचन व श्री कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की। वहीं श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पास बने डोम में स्थानीय लोक कलाकारों को भी अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर दिया जा रहा है। इस दौरान श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पास बने डोम में धमतरी जिला के ग्राम शुक्लाभाठा से पहुंची कलाकार श्रीमती गंगाबाई मानिकपुरी के पंडवानी प्रस्तुति का आनंद लिया। श्रीमती मानिकपुरी ने पंडवानी की पारंपरिक कला का प्रस्तुति करते हुए मंत्रियों को प्रभावित किया। उनके प्रस्तुति से मंत्री द्वय द्वारा पांच-पांच हजार रूपए का नगद सम्मान राशि श्रीमती मानिकपुरी को प्रदान किया। इस अवसर पर विधायक अनिता-योगेन्द्र शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष स्मृति नीरज, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू, विकास तिवारी ठाकुर एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
महानदी मैया की आरती का दिख रहा आकर्षक नजारा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में संगम घाट पर प्रतिदिन होने वाले महानदी मैया की आरती में बड़ी संख्या में श्रध्दालुगण जुट रहे है, स्थानीय पंडितों के द्वारा आरती किया जा रहा है। शनिवार को राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत डॉ रामसुंदर दास महाआरती में शामिल होकर प्रदेश वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती स्मृति नीरज ठाकुर, राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा-राजू सोनकर, जिला पंचायत सदस्य मधुबाला रात्रे, गरियाबंद कलेक्टर नम्रता गांधी एवं विकास तिवारी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
मान्यता के अनुसार अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि उन्हे मालूम न हो फिर भी वह आरती कर लेता है, तो भगवान उनकी पूजा को पूर्णरुप से स्वीकार कर लेते है। आरती हिन्दु धर्म की पूजा परम्परा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कार्यों की सफलता के लिए या फिर अनुष्ठान में किसी प्रकार की कमी रह जाय तो उन्हे पूर्ण करने के लिए आरती किया जाता है। साल भर में छत्तीसगढ़ शासन के प्रयास से माघी पुन्नी मेला से महाशिवरात्रि तक लगातार 15 दिनों तक आरती में सम्मिलित होने का लोगों को सुअवसर मिल रहा है। संचालक संतोष शर्मा कुंभज ने बताया की वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ ही आरती के भजन प्रस्तुत किये जा रहे है।
आरती में किसी प्रकार से जाति, धर्म आदि नहीं देखा जाता बल्कि सभी लोग श्रध्दा से आरती कर रहें है। हम अपने जीवन में अपने घरों में आरती करते रहते है परन्तु त्रिवेणी मैया की आरती का सौभाग्य जीवन को धन्य बना रही है। बताना होगा की आरती से पहले श्री राजीवलोचन भजन संध्या ग्रुप के द्वारा धार्मिक भजनें प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसमें श्रध्दालुगण ताली बजाकर भजनों का रसास्वादन कर रहे है। संमिति के संरक्षक पंडित अर्जुन नयन तिवारी, महाआरती संयोजक अशोक श्रीवास्तव एवं विकास तिवारी ने बताया की महानदी की आरती से छत्तीसगढ़ की माटी धन्य हो गई है।
मॉं गंगा हम सबके जीवन में रचा बसा हुआ है। उनके कृपा से ही सुख समृध्दि फैली हुई है। आरती का यह आलौकिक दृश्य देखने ना सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ से आना-जाना लगा हुआ है।
महाआरती के आचार्यगण पंडित विजय शर्मा, कन्हैया तिवारी, संतोष मिश्रा, ऋषि तिवारी, संस्कार मिश्रा, आदित्य मिश्रा इस कार्य में निरंतर अपनी सहभागिता बनाये हुए है। जिला कलेक्टर नम्रता गॉंधी, पुलिस अधीक्षक जेआर ठाकुर, जिला पंचायत के सीईओ रोक्तिमा यादव, अपर कलेक्टर जे.आर. चौरसिया, एसडीएम अविनाश भोई, मुख्य नगर पालिका अधिकारी चंदन मानकर, पुजारी श्रवणसिंह ठाकुर, नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर, पद्मा दुबे, प्रीति पाण्डे, मनीषा शर्मा, टंकू सोनकर, पुष्पा गोस्वामी का निरंतर सहयोग मिल रहा है।
तुलाराम ने प्रस्तुत की धार्मिक भजन
श्री राजीवलोचन भजन संध्या ग्रुप के कलाकार महानदी मैया की महाआरती पर लगातार भजनों का आगाज कर रहे है। श्रोतागण इन्हे बहूत ही पसंद कर रहे है। ग्रुप के संचालक तुलाराम साहू के साथ ही भूपेन्द्र सोनकर, गायिका एश्वर्या साहू, रामकुमार देवांगन, ओजस्वदास, की प्रस्तुति के श्रध्दालुगण कायल हो गये है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। भगवान राजीव लोचन मंदिर के प्रवेश द्वार से लगा हुआ साक्षी गोपाल का मंदिर दो खंभों में टीका हुआ है। विग्रह बढ़ते क्रम है, सबसे ऊपर में साक्षी गोपाल भगवान विराजमान है। मोरपंख लगाए हुए मुख की शोभा श्रद्धालुओं को खासा प्रभावित कर रही है। बताते है कि ईश्वर से याचना करने पर उनके साक्षी, साक्षी गोपाल ही रहते है। पुजारी अविनाश राजपूत ने बताया कि साक्षी गोपाल का मंदिर उडी़सा के जगन्नाथ मंदिर में है उसके बाद राजिम के श्रीराजीव लोचन मंदिर में स्थापित है। विग्रह अत्यंत मनमोहनी है। श्रद्धालुगण देवदर्शन पश्चात् मनोकामना को दोहराने के लिए यहां जरूर पहुंचते है।
आमतौर पर देखा जाता है कि देव गर्भगृह में एक या फिर दो देव ही रहते है परंतु यहां छ: देव जिनमें साक्षी गोपाल के अलावा विष्णुजी, बालाजी, राहू, केतु एवं शनिदेव प्रतिष्ठित है। सामने खंभे पर भैरवबाबा के साथ ही ऊपरी छोर पर बालि-सुग्रीव को युद्ध करते हुए दिखाया गया है। पूरे छत्तीसगढ़ में साक्षी गोपाल का यह मंदिर अत्यंत अनोखा है। जानकारी के अनुसार 8वीं शताब्दी में भगवान श्रीराजीव लोचन का मंदिर बनाया गया, तब समूह के अंतर्गत इस मंदिर को आकार दिया गया।
अत: यह श्रीराजीव लोचन मंदिर के समकालिन बनाया गया है। बताना जरूरी है भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर के चारों कोण में वराह अवतार, बद्री अवतार, वामन अवतार एवं नृसिंह अवतार के चारों धाम स्थापित है जिनके मध्य में साक्षी गोपाल का मंदिर है। मंदिर चतुर्भुजाकार है, खंभों के सहारे ललाटबिम्ब शोभा पा रहे है। यहां देशभर से लोग प्रतिदिन दर्शन पूजन के लिए पहुंचते है। मेला के तीसरे दिन भी श्रद्धालु दर्शन पूजन करते रहे। इस संबंध में महेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि सुबह-शाम दो बार पूजन के बाद भोग प्रसादी चढ़ाया जाता है। मंदिर ट्रस्ट के सहव्यवस्थापक सुनील शर्मा ने कहा कि भक्तगण यहां दर्शन करने के बाद प्रसन्न हो जाते है जो उनके चेहरे से स्पष्ट रूप से झलकती है।
बाजा से जंगल, चिडिय़ा, झरना, नदी, हाथी, चीता, शेर, खरगोश की हुबहु निकालते हैं आवाज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक कलाकार रिखी क्षत्री किसी परिचय के मोहताज नहीं है, उनके रग-रग में छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति रची बसी है। कार्यक्रम प्रस्तुति के बाद मीडिया सेंटर पहुंचे लोक रागिनी लोक कला मंच भिलाई के रिखी क्षत्री ने चर्चा में बताया कि 26 सदस्यों को लेकर प्रारंभ में कार्यक्रम की प्रस्तुति देते और सीखने का क्रम जारी किये।
वर्तमान में कुल 38 कलाकार है। 40 वर्षो से कला की साधना कर रहे है। पूर्वजों को दी हुई धरोहर वाद्ययंत्र लुप्त होने के कगार में है, जिसे सहेजना है। पुरातन गीत और वाद्ययंत्रों को बचाकर रखना, उन्हें स्थापित करना और आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित रखना हमारी लोक कलामंच का उद्देश्य है। 1999 से लोक रागिनी कलामंच का जो सफर चालू हुआ, वो हमेशा आगे ही बढ़ता रहा। वैसे तो 15 वर्ष दूसरे के सानिध्य में रह कर कार्य किया। लुप्त हो रहे वाद्ययंत्रों की जानकारी देते हुए बताया कि 175 वाद्ययंत्र अभी मेरे पास संरक्षित है, जिसमें 20 से 25 विलुप्त हो गये है।
जिनकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। खीरकीची, दंडारी, ठहरी, ओलकोजा, चरहे, टेहडोर और कुटेला वाद्ययंत्र है। 43 वर्षो तक वाद्ययंत्रों के बारे में सर्च करके अलग-अलग स्थानों में भटकने के बाद बहुत बड़ी उपलब्धि मुझे मिली है। छत्तीसगढ़ के वाद्ययंत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी पर मेरे द्वारा पुस्तक लिखा गया है, जिसमें उसके पूरे इतिहास को बताया गया है। इस पुस्तक को 8 भागों में बांटा गया है सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है। हम नये कलाकारों को तैयार करने के लिए प्रशिक्षण देते है जिसमें हमारे द्वारा संग्रहालय में संरक्षित वाद्ययंत्रों की जानकारी बारीकी से दी जाती है।
आगे विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वे वाद्ययंत्र में इस प्रकार डूब चुके है कि बाजा से जंगल, चिडिय़ा, झरना, नदी और बहुत सारे आवाज को हुबहु निकालते है। इस प्रकार के विचार कहां से आया पर कहते है इस क्षेत्र में बचपन से रूचि थी। बड़ा होने पर केन्द्र सरकार से प्रोजेक्ट मिला, जिसमें आदिवासी छत्तीसगढ़ी संगीत को बजाने का, टोटल कलेक्शन करने का कार्य मिला। अपनी शिक्षा के बारे में बताया कि लोक संगीत में एमए खैरागढ़ से किया है। अब तक दिल्ली में 2 प्रधानमंत्री के द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है। कहा कि संस्कृति को सहेजने में अपना जीवन बीता दिया। शासन से एक यही मांग है कि इस सहेजे हुए 175 प्रकार के वाद्ययंत्रों को भावी पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए संग्रहालय बनवा दें। जिसमें हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई धरोहर को सहेज कर रख सकें।
हम सम्मान की भूखे नहीं है, बस शासन से यही मांग है इसे गंभीरतापूर्वक विचार इस मांग को जल्द-जल्द पूरा करें। युवाओं को संदेश देते हुए कहे कि अगर प्रदूषण समस्या है तो फिर से पेड़़ लगा सकते लेकिन लोक संगीत खत्म हुआ तो उसे कोई जिंदा नहीं कर सकते हमारी पहचान ही खत्म हो जायेगी।
छत्तीसगढ़ की माटी से प्रेम करें उसकी संस्कृति, सभ्यता और इतिहास को जाने, समझे और मेहनत करने में कभी पीछे न हटे। इसकी महत्ता को पूरे विश्व पटल पर फैलाए। छत्तीसगढ़ शासन का कार्य बहुत ही प्रसंशनीय है। इस प्रकार का आयोजन होने से कलाकारों को मंच मिलता है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। छत्तीसगढ़ी दाई की भाखा है इसे बोलने एवं सुनने से अपनापन का बोध होता है। सबसे ज्यादा मिठास इसमे भरी हुई है। बचपन से अभी तक हजारो मंचो मे छत्ताीसगढ़ी में प्रस्तुति देना मेरे लिए गौरव की बात रही है। पंडवानी की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार स्कूलो में पढ़ाई के लिए अलग से कक्षा चलाएं। इससे बच्चो की झुकाव धर्म के साथ-साथ ग्रंथो की ओर बढ़ेगी।
उक्त बातें राजिम माघी पुन्नी मेला में प्रस्तुति देने पहुची प्रसिद्ध पंडवानी गायिका ऋतु वर्मा ने पत्रकारो से चर्चा के दौरान व्यक्त किया। उन्होने आगे बताया कि 6 वर्ष की उम्र में पंडवानी की प्रस्तुति देना शुरू कर दी थी। 10 साल की उम्र में अगस्त 1989 को पहेली बार विदेश में प्रस्तुति दी। जापान की यह प्रस्तुति ने ऋतु वर्मा की प्रतिभा को उभारने का काम किया। ऋतु वर्मा ऐसी प्रतिभा सम्पन्न बाल कलाकार थी, जिन्होने शानदार प्रस्तुति देकर भारत का नाम विदेश में प्रसिद्ध कर वहां घुटनो के बल बैठकर और एक हाथ में तमुरा लेकर पूरे आत्मविश्वास के साथ महाभारत के प्रसंग पर बेबाक प्रस्तुति के रूप में पहचानी गई। अभी तक पन्द्रह हजार से भी अधिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी है। उन्होने बताया कि गुरू स्व. बंसल नायक एवं स्व. गुलाब दास मानिकपुरी है।
वह महाभारत के कथा को बता देते थे और मुझे उसे दुहराने के लिए एक घंटा का समय देते थे। इस अंतराल मे मैं बार बार बोलकर कण्ठस्थ करती। महाभारत के 18 पर्व पूरी तरह से याद है। अभी तक स्कूल के बरामदे में कदम नही रखी है अर्थात उनकी पढ़ाई बिलकुल शुन्य है। फिर भी वह महौल मिलने से हिन्दी फटाफट बोल लेती है। अंग्रेजी के काम चलाउ शब्द के मिनिंग वह जानती है। 17 देशों में इन्होने पंडवानी की प्रस्तुति दी है। चार बार ब्रिटेन के लंदन के अलावा फ्रांस, अमेरिका, रूस, अर्जेनटाइना, इण्डोनेशिया आदि देशों में भारत का मान बढ़ाया है। इन्हें बिस्मील्ला खां अवार्ड, कला श्री सम्मान, मानसिंह सम्मान, भुईया सम्मान आदि आवार्डेेड प्राप्त है।
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि मुकाम तय करने के लिए मेहनत ईमानदारी के साथ हो तो सफलता जरूर मिलती है। पंडवानी सीखने के लिए मैं रात और दिन कोई भी समय बस कहीं भी बैठ कर प्रस्तुत करती रही, नतीजा बेदमती शैली में निपुर्णता का वरदान मिला। उन्होने बताया कि राजिम मे कई बार प्रस्तुति दी है। 2017 में भी कार्यक्रम दिया था, परन्तु अब छश्रीसगढ़ शासन के द्वारा अच्छी सुविधा दी जा रही है। जिसका मैं खुले मन से प्रशंसा करती हूँ। मुझे प्रसिद्धी नई दिल्ली संगीत नाटक अकादमी में मिली। वहां कार्यक्रम दे कर जापान जाने का अवसर मिला। नये कलाकारों को संदेश देते हुए कहा कि छश्रीसगढ़ की परम्परा को जीवित रखें। आने वाले पीढ़ी इसे सहेज कर रखें। जबतक स्वांस है तब तक पंडवानी करती रहूँगी और इसे बढ़ाने का प्रयास करूंगी।
राजिम, 20 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में रविवार को नागा संत सन्यासियों ने अपने ईष्ट दत्तात्रेय भगवान का पूजा-आरती कर अपनी धर्मध्वजा की स्थापना की। धर्म ध्वजारोहण कार्यक्रम में सुबह से ही इस अनुष्ठान को लेकर नागाओं ने गजब का उत्साह था। श्रद्धालुओं का हुजुम बेरिकेट के बाहर इनके जोशीले आयोजन को देखने श्रद्धा पूर्वक जुटे थे। नागा साधुओं द्वारा आवश्यक पूजन-अनुष्ठान के बाद यज्ञ हवन भी किया गया। हर-हर महादेव की जयगोष से पूरा स्थल गूंज उठा।