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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 23 फरवरी। नसबंदी कांड में बर्खास्त दो डॉक्टरों की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि दोनों ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरती।
ज्ञात हो कि बिलासपुर के पास सकरी स्थित एक निजी चिकित्सालय नेमीचंद जैन हॉस्पिटल में 8 नवंबर 2014 को नसबंदी शिविर रखा गया था। इस दौरान 84 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया था जिनमें से 13 की मृत्यु हो गई थी। उसे दौरान ऑपरेशन करने वाले सर्जन डॉक्टर आरके गुप्ता तथा बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर के भांगे को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। राज्य सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ दोनों डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच ने डॉक्टरों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दोनों पेशेवर चिकित्सा में हैं तथा अनुभवी डाक्टर हैं। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह ऑपरेशन थिएटर व उपकरणों की निगरानी, चिकित्सा और दवा की व्यवस्था पर समुचित निगरानी रखें। डॉक्टरों ने अपने कर्तव्य में लापरवाही बरती है इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 23 फरवरी। शहर के एक नर्सिंग कॉलेज की छात्रा को पास करने के लिए 25 हजार रुपये देने अथवा हमबिस्तर होने की डिमांड करते हुए व्हाट्सएप मेसैज भेजने वाले प्रोफेसर रवि कुमार गढ़ेवाल को सकरी पुलिस ने गिरफ्तार किया। कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है। आरोपी के कब्जे से चैटिंग की स्क्रीन शॉट की प्रिंट और मोबाइल फोन को जब्त किया गया है।
छात्रा ने थाने में शिकायत की थी कि वह सकरी स्थित एक नर्सिंग कॉलेज की नियमित छात्रा है। इस कॉलेज में आरोपी रवि गढ़ेवाल प्रोफेसर के पद पर काम करता है। उसने 20 फरवरी को व्हाट्सएप पर मेसैज भेजकर परीक्षा में पास होने के लिए एक विषय पर 25 हजार रुपये देने अथवा साथ में सोने की डिमांड की। पीडि़त छात्रा ने बताया कि उसकी एक अन्य सहपाठी को भी प्रोफेसर ने ऐसा ही मेसैज भेजा है। अपराध दर्ज कर पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। थाना प्रभारी राजेश मिश्रा ने बताया कि उसे कोर्ट ने रिमांड पर जेल भेज दिया है।
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बिलासपुर, 22 फरवरी। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के 12-12 रुपये के तीन किश्त जमा करने के बाद पति की मौत हो गई। पत्नी ने बीमा राशि के भुगतान के लिए बैंक और इंश्योरेंस कंपनी में आवेदन दिया लेकिन देरी होने के आधार पर राशि देने से मना कर दिया। जिला उपभोक्ता फोरम ने प्रकरण की सुनवाई के बाद बीमा के दो लाख रुपये सहित कुल 2.30 लाख रुपये के भुगतान का आदेश दिया है।
हिर्री थाने के निपनिया ग्राम के मालिक राम यादव का इंडियन ओवरसीज बैंक में खाता था। उनके खाते से 25 मई 2016 से 7 मई 2018 तक पीएमएसबीआई योजना के तहत 12 रुपये की राशि काटी गई। 8 मई 2018 को मालिक राम की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनकी पत्नी सरस्वती बाई ने यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी और इंडियन ओवरसीज बैंक से दो लाख रुपये की बीमा राशि के भुगतान के लिए आवेदन दिया। बैंक ने मालिक राम का बीमा सोम्पो इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से किया था। बीमा कंपनी ने 15 जनवरी 2019 को उनका आवेदन निरस्त कर दिया। इसका आधार यह बताया गया कि दुर्घटना के 30 दिनों के भीतर आवेदन नहीं दिया गया। इसके विरुद्ध फोरम में वाद दायर किया गया।
फोरम के अध्यक्ष आनंद सिंघल व अन्य सदस्यों ने पाया कि महिला ने समय पर बैंक में आवेदन प्रस्तुत कर दिया था। बैंक और इंश्योरेंस कंपनी के बीच तालमेल की कमी के कारण कंपनी को आवेदन देर से प्राप्त हुआ। यदि कोई संबंधित दस्तावेज जमा करने में देरी हुई है तो इस आधार पर आवेदन निरस्त नहीं किया जा सकता। फोरम ने आदेश दिया है बीमा कंपनी दो लाख रुपये बीमा की राशि दे। इसके अलावा मानसिक क्षतिपूर्ति के 20 हजार तथा वाद व्यय के रूप में भी 10 हजार रुपये का भुगतान करे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 22 फरवरी। एक डॉक्टर ने 13 साल की बच्ची से रेप किया, फिर यह सिलसिला अगले 14 साल तक चलता रहा। इस बीच पीडि़त युवती का विवाह भी हो गया। पीडि़ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। आरोपी की गिरफ्तारी भी हुई पर उसने डीएनए टेस्ट कराने से मना कर दिया। अब हाईकोर्ट ने पीडि़ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉक्टर, पीडि़ता तथा उसकी बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है।
याचिका के मुताबिक बस्तर के एक क्षेत्र में पदस्थ डॉक्टर के पास एक महिला इलाज के लिए जाती थी। उसके साथ 13 साल की उसकी बेटी भी जाती थी। सन् 2005 में डॉक्टर ने उसके साथ पहले छेड़छाड़ की फिर मारपीट की और धमकी देते हुए रेप किया। सन् 2010 में युवती की मध्यप्रदेश में शादी हो गई। इसके बाद भी डरा-धमका कर युवती से मायके आने पर कई बार दुष्कर्म किया गया। सन् 2011 में युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया। इसे युवती ने डॉक्टर का बताया है। सन् 2019 में मायके आने पर डॉक्टर ने फिर अपने क्लीनिक में उससे रेप और मारपीट की। इस पर पीडि़ता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।पुलिस ने पॉक्सो एक्ट, रेप और अन्य धाराओं में डॉक्टर के खिलाफ अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी का ब्लड सैंपल तथा डीएनए टेस्ट कराने कहा लेकिन इससे उसने इंकार कर दिया। इस पर पीडि़ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर डॉक्टर का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में जस्टिस एन के व्यास की बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि सच का पता लगाने के लिए डॉक्टर का डीएनए टेस्ट जरूरी है। विवेचना अधिकारी को उन्होंने पीडि़ता, उसकी बेटी और डॉक्टर का डीएनए कराने की अनुमति दी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 21 फरवरी। बिल्हा थाना इलाके में एक महिला खून से लथपथ बेहोश हालत में मिली। पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सिर्फ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया तो आक्रोशित लोगों ने थाने का घेराव कर दिया। अब पुलिस ने दोबारा मेडिकल जांच कराने की बात कही है।
जानकारी के मुताबिक 40 साल की पीडि़त महिला विधवा है। सोमवार को वह बेहोशी की हालत में गांव में पड़ी मिली थी। आसपास के लोगों ने उसे बिल्हा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। डॉक्टर ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस का कहना है कि मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि नहीं हुई। इधर आरोपियों को बचाने के आरोप में गांव व समाज के लोगों ने थाने का घेराव कर दिया। आरोप लगाया गया है कि सात लोगों ने महिला से रेप किया। अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला के साथ पीडि़त के गांव वालों ने पुलिस अधिकारियों से मिलकर मामले की जांच कर रेप का अपराध दर्ज करने की मांग की। इसके बाद गांव के लोग पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह से मिलकर घटना की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर महिला का दोबारा मेडिकल चेकअप कराया जा रहा है। पुलिस ने कहा कि डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार सामूहिक बलात्कार की धाराएं जोड़ी जाएंगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 21 फरवरी। आईसेक्ट और नेशनल स्किल डेवलपमेंट कार्पोरेशन की ओर से आयोजित रोजगार मेले में 15 से अधिक प्रतिष्ठित कंपनियों ने भाग लेकर 276 युवाओं का फाइनल साक्षात्कार के लिए चयन किया।
मेला आईसेक्ट के रीजनल कार्यालय में आयोजित किया गया था। इसमें 479 प्रत्याशियों ने भाग लिया था, जिनमें से दूसरे राउंड में 276 युवाओं को फाइनल साक्षात्कार के लिए चुना गया। चुने जाने के बाद कंपनियां इन्हें योग्यता के अनुसार स्थानीय कार्यालयों में 9 हजार से 20 हजार रुपये तक वेतन देंगी। भाग लेने वाली कंपनियों में ईएएसएफ, स्वतंत्र माइक्रोफाइनेंस, बाबा प्रोग्रामर, न्यूट्रेएन्टी कॉर्प, वेक्टर फाइनेंस, स्पंदन इंटरप्रेनरशिप, कैलिबर एचआर, एनआईआईटी, एसबीआई लाइफ, एलआईसी आदि शामिल थे। मेले में राज्य समन्वयक योगेश मिश्रा, प्लेसमेंट कोआर्डिनेटर शुजाअत शरीफ, अमित चंद्राकर, आस्था मिश्रा, अभिषेक तिवारी, राज ललन सिंह, राखी श्रीवास आदि का सहयोग रहा।
आपातकालीन सेवा पहुंचाने में आसानी होगी
स्मार्ट सिटी योजना के तहत सर्वे शुरू किया जाएगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 21 फरवरी। जल्द ही शहर की गलियों और मकानों को यूनिक पहचान मिलने जा रही है। स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर के वार्ड,गली और मकानों की एक श्रृंखला तैयार कर घरों में ‘डिजिटल डोर नेम प्लेट’ लगाए जाएंगे,जिनमें क्यू आर कोड भी होगा। इससे पता ढूंढना और अपनी पहचान बताना काफी आसान हो जाएगा। किसी भी ऑनलाइन सर्विस का लाभ भी आसानी से उठाया जा सकेगा इसके आपातकालीन परिस्थिति में पुलिस और स्वास्थ्य सेवा तत्काल पहुंचाई जा सकेगी। स्मार्ट सिटी के कर्मचारी जानकारी जुटाने जल्द ही घरों व मोहल्लों में सर्वे शुरु करेंगे।
इस योजना में घरों में डिजिटल डोर नेम प्लेट लगाया जाएगा जिसमें उस वार्ड के नंबर के साथ गली का नंबर अंकित होगा और फिर मकान को एक नंबर प्रदान किया जाएगा जो उस प्लेट में अंकित होगा। डिजिटल नेम प्लेट में क्यू आर कोड भी होगा जिसमें संबधित मकान और मकान मालिक की जानकारी उपलब्ध रहेगी। जैसे वार्ड क्रं.1,गली क्रं. 1 और मकान नंबर 1, का एक नेम प्लेट तैयार होगा,फिर दूसरे मकान का नंबर बदल कर मकान नंबर 2 उस सीरीज में जुड़ते चला जाएगा।
नगर निगम सीमा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी मकानों और गलियों को यूनिक पहचान देते हुए डिजिटल डोर नेम प्लेट लगने से रहवासियों को स्थायी और सटीक पहचान मिलेगी। साथ ही सभी प्रकार की ऑनलाइन सर्विस,पोस्टल एड्रेस जैसी सेवाओं में आसानी होगी। स्मार्ट सिटी योजना के महाप्रबंधक अमित कुमार ने इसके सर्वे के लिए जल्द ही टीम गठित कर कार्य प्रारंभ करने का निर्देश दिया है।
एडवोकेट जनरल व विधि के प्राध्यापकों ने दी सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन की जानकारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 फरवरी। राज्य के 200 पुलिस अधिकारियों की एक कार्यशाला में गिरफ्तारी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कार्यशाला रखी गई। सात साल से कम सजा वाले मामलों में हो रही अनावश्यक गिरफ्तारी को रोकने में इससे मदद मिलेगी।
प्रार्थना सभा भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में महाधिवक्ता प्रभुल्ल एन भारत, अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष शुक्ला, उप महाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय एवं हिदायतुल्लाह लॉ यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक प्रमुख वक्ता थे। उक्त वक्ताओं ने न्यायालय के निर्देशों की विस्तार से बिंदुवार जानकारी दी। प्रश्नोत्तरी के माध्यम से भी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पुलिस महानिरीक्षक डॉ संजीव शुक्ला ने कहा कि गिरफ़्तारी के संबंध में पुलिस के द्वारा न्यायालयों के दिशानिर्देशों का परिपालन वांछित है। इस संबंध में पुलिस अफ़सरों के लीगल नॉलेज एवं संवेदनशीलता में वृद्धि के लिए इस सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य पुलिस अफ़सरों को गिरफ़्तारी के संबंध में नवीनतम दिशानिर्देशों से परिचित कराना एवं इन दिशानिर्देशों का संकलन एक पुस्तिका के रूप में करना है। यहां प्रशिक्षण प्राप्त पुलिस अधिकारी मास्टर ट्रेनर के रूप में एक माह के अंदर अपने जिले के प्रत्येक विवेचक को इस विषय में प्रशिक्षित करेंगे। महाधिवक्ता उच्च न्यायालय भारत ने बताया कि उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के जीवन एवं स्वतंत्रता की रक्षा करना है। अतिरिक्त महाधिवक्ता शुक्ला ने इस अवसर पर कहा कि उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के दिशानिर्देशों के पीछे मंशा को समझने की ज़रूरत है। दंड प्रक्रिया की संहिता धारा 41(1)(बी) में दिए गए प्रावधानों का परिपालन ही अर्नेश कुमार के केस में बताया गया है, जिसे विवेचना संबंधी समस्त प्रकरणों में पालन करने की आवश्यकता है। उप महाधिवक्ता सौरभ कुमार पाण्डे ने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की दिशा अब साक्ष्य संकलन पर है। उन्होंने गिरफ़्तारी के लिए डाक्यूमेंटेशन की उत्कृष्टता पर जोर दिया। डॉ राजपूत ने महिलाओं एवं बच्चों के संबंध में न्यायालय के द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों से अवगत कराया। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने आशा जताई कि पुलिस अफ़सर इस सेमिनार से अदालती दिशानिर्देशों से परिचित होकर अपने जि़ले के विवेचकों को ट्रेनिंग देंगे। उन्होंने समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका आभार व्यक्त किया गया । कार्यक्रम का संचालन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा ने किया । सभी अधिकारियों को उक्त दिशा निर्देशों की बुकलेट भी प्रदान की गई।
क्या हैं सुप्रीम कोर्ट
के दिशा निर्देश?
दहेज प्रताडऩा की धारा 498 ए से संबंधित अर्नेश कुमार विरुद्ध बिहार राज्य एवं इसी तरह के अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सात साल से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी को अपवाद बताते हुए सभी राज्यों को दिशा निर्देश जारी किया था। अदालत ने पाया था कि इस धारा का दुरुपयोग भी किया जा रहा है। सन् 2014 के आदेश का पालन नहीं होने पर सन् 2023 में पुन: शीर्ष अदालत ने दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मामलों में इस गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर विवेचना अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति भी दी है। ये दिशा निर्देश इस प्रकार है: -
1. सभी राज्य सरकारें अपने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दें कि आईपीसी की धारा 498 ए के तहत मामला दर्ज होने पर स्वचालित रूप से गिरफ्तारी न करें, बल्कि सीआरपीसी की धारा 41 के तहत निर्धारित मापदंडों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के बारे में खुद को संतुष्ट करें।
2. सभी पुलिस अधिकारियों को धारा 41(1)(बी)(2) के तहत निर्दिष्ट उपखंडों वाली एक चेक सूची प्रदान की जानी चाहिए।
3. पुलिस अधिकारी विधिवत दायर की गई जांच सूची को अग्रेषित करेगा और आगे की हिरासत के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष अभियुक्त को पेश करते समय उन कारणों और सामग्रियों को प्रस्तुत करेगा जिनके कारण गिरफ्तारी की आवश्यकता हुई।
4. अभियुक्त की हिरासत को अधिकृत करते समय मजिस्ट्रेट उपरोक्त शर्तों के अनुसार पुलिस अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन करेगा और उसकी संतुष्टि दर्ज करने के बाद ही मजिस्ट्रेट हिरासत को अधिकृत करेगा।
5. किसी अभियुक्त को गिरफ्तार न करने का निर्णय, मामले की शुरुआत की तारीख से दो सप्ताह के भीतर मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा, जिसकी एक प्रति मजिस्ट्रेट को दी जाएगी, जिसे जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाया जा सकता है।
6. सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत उपस्थिति का नोटिस मामले की शुरुआत की तारीख से दो सप्ताह के भीतर आरोपी को दिया जाना चाहिए, जिसे जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाया जा सकता है।
उपरोक्त निर्देशों का पालन करने में विफलता पर संबंधित पुलिस अधिकारियों को विभागीय कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बनाने के अलावा, वे क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट के समक्ष स्थापित की जाने वाली अदालत की अवमानना के लिए दंडित किए जाने के लिए भी उत्तरदायी होंगे। संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उपरोक्त कारण दर्ज किए बिना हिरासत को अधिकृत करने पर संबंधित उच्च न्यायालय द्वारा विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2023 में दोबारा सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों और पुलिस प्रमुखों को आठ सप्ताह के भीतर इन दिशानिर्देशों वाली अधिसूचनाएं और सर्कुलर जारी करने का निर्देश देने के अलावा, अर्नेश कुमार दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करने के महत्व पर जोर दिया। ये टिप्पणियां झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए की गईं, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत विभिन्न प्रावधानों के तहत अपराधों के आरोपी पति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। अग्रिम जमानत खारिज कर दी गई, लेकिन उच्च न्यायालय ने आरोपी पति को आत्मसमर्पण करने और बाद में नियमित जमानत लेने का भी निर्देश दिया।
एक बार जब आरोप पत्र दायर किया जाता है और कम से कम अभियुक्तों की ओर से कोई बाधा न हो तो अदालत को अपराधों की प्रकृति, आरोपों और उनके द्वारा किए जाने वाले अपराधों की अधिकतम सजा को ध्यान में रखकर बाकायदा जमानत देनी चाहिए। हालांकि अदालत ने ऐसा नहीं किया, बल्कि स्वचालित रूप से खारिज कर दिया और अपीलकर्ता को आत्मसमर्पण करने और ट्रायल कोर्ट के समक्ष नियमित जमानत लेने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने इस तरह का आकस्मिक रवैया अपनाकर गलती की, इसलिए विवादित आदेश कायम नहीं रह सकता और इसे रद्द किया जाता है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लगाया एक लाख का जुर्माना
गिरफ्तारी से पहले धारा 41 (1) ए का पालन नहीं करने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर एक लाख रुपये की जुर्माना लगाया है। यह रकम पीडि़त याचिकाकर्ता को दी जाएगी। भिलाई के युवक दीपक त्रिपाठी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया गया कि दुर्ग की महिला थाना प्रभारी व स्टाफ ने उनके खिलाफ दहेज प्रताडऩा के आरोप में आईपीसी की धारा 498 के तहत अपराध दर्ज कर लिया, जबकि युवती ने धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में बताया था कि वह कभी ससुराल नहीं गई और उसकी शादी की जानकारी घर में किसी को नहीं है।
कोविड काल में उसे 77 दिन जेल में रहना पड़ा। पुलिस ने उसकी जबरन गिरफ्तारी की है, जबकि पहले उसे नोटिस जारी कर बयान दर्ज करना था। पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिकारियों से उसने अपनी रिहाई के बाद गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार पुलिस स्टाफ पर कार्रवाई की मांग की लेकिन नहीं की गई।
चार साल की सुनवाई के बाद आए फैसले में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है, यह राशि याचिकाकर्ता को दी जाएगी।
आदेश में कहा गया कि सात साल से कम सजा वाले मामलों में पुलिस बिना सूचना दिए व बयान दर्ज किए गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
बयान दर्ज होने के बाद आवश्यक होने पर ही गिरफ्तारी की जाएगी। पुलिस को गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 19 फरवरी। बिलासपुर हवाई सेवा जन संघर्ष समिति ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण जिले बिलासपुर को हवाई यातायात की सुविधा से लगातार वंचित रखा जा रहा है और यहां से महानगरों के बीच नियमित उड़ान सेवा शुरू नहीं की जा रही है, इससे नागरिकों के सब्र का बांध टूट रहा है।
हवाई सेवा में विस्तार के लिए विगत 4 वर्षों से नियमित धरना दे रहे समिति के सदस्यों ने कहा कि कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद आदि शहरों के लिए हवाई सेवा बिलासपुर में मुंगेरीलाल के हसीन सपने की तरह हो गया है। हाईकोर्ट के निर्देशों की उपेक्षा करते हुए रक्षा मंत्रालय से भूमि अधिग्रहण का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। महानगरों के लिए नियमित उड़ान, 4सी लाइसेंस, नाइट लैंडिंग आदि की मांग पूरी नहीं होने से नागरिक ठगा महसूस कर रहे हैं।
हवाई सेवा विस्तार के लिए नागरिकों का नियमित धरना जारी है। रविवार को इसमें महापौर रामशरण यादव, समीर अहमद, बद्री यादव, केशव गोरख, अनिल गुलहरे, अभिनव तिवारी, रशीद बख्श, अमर बजाज, प्रणव मिश्रा आदि शामिल हुए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 फरवरी। देवरी खुर्द में एक कोयला कारोबारी के घर 24 लाख रुपए से अधिक का माल चोरों ने पार कर दिया।
कोयला व्यापारी आकाश सिंघल का मकान देवरी खुर्द हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में स्थित है। उनके घर में इस समय कुछ निर्माण कार्य चल रहा है इसलिए वे इन दोनों पास में ही एक किराए का मकान लेकर रहते हैं। शुक्रवार को वे अपनी पत्नी के साथ रायपुर गए थे। घर पर उनके वृद्ध माता-पिता और बेटी रात में सोने के लिए एक ही बेडरूम चले गए। देर रात चोर पीछे के दरवाजे से भीतर घुसे और बेडरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। दूसरे कमरे से अलमारी का लॉकर तोडक़र सोने चांदी के गहने और नगद रकम सहित करीब 24 लाख रुपए का सामान लेकर वे भाग गए।
रात करीब 3 बजे कारोबारी की मां शशि बाला की नींद खुली तब उन्हें पता चला कि बाहर से दरवाजा बंद कर दिया गया है। उन्होंने अपने मोबाइल फोन से पड़ोसियों को कॉल किया लेकिन कई लोगों ने फोन नहीं उठाया और कुछ ने बाहर होने की जानकारी दी। एक पड़ोसी महिला मदद के लिए पहुंची मगर वह दीवार फांद कर भीतर नहीं जा पाई। आखिरकार करीब एक घंटे बाद पंप ऑपरेटर बुलाने पर पहुंचा और उसने कमरे का दरवाजा बाहर से खोला। तोरवा पुलिस ने अपराध दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।
बिलासपुर, 17 फरवरी। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने आज अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने कहा है कि बिलासपुर में आदर्श पुलिसिंग दिखाई देगी। अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस होगा। करीब एक सप्ताह पहले सिंह का तबादला आदेश जारी हो गया था, लेकिन वह एक रिफे्रशर कोर्स के चलते लखनऊ प्रवास पर थे। आज सुबह रायपुर से रवाना होकर वे दोपहर 12 बजे एसपी कार्यालय पहुंचे। वे महामाया दर्शन के लिए रतनपुर भी गए। बिलासपुर पुलिस के जवानों ने उन्हें कार्यालय परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जिला मुख्यालय में उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने सभी से परिचय भी प्राप्त किया।
दोपहर बिलासागुड़ी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि बिलासपुर में पुलिस आम जनता की कल्याण के लिए कार्य करेगी प्रयास रहेगा कि यातायात व्यवस्था सुचारू हो महिला अपराधों के प्रति सख्ती बरती जाएगी। पकड़े गए अपराधियों के खिलाफ चालान पेश करने में विलंब नहीं किया जाएगा। उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नागरिकों और मीडिया से सहयोग भी मांगा।
ज्ञात हो कि रजनेश सिंह इससे पहले धमतरी और नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं, वे एंटी करप्शन ब्यूरो में भी एसपी रहे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 17 फरवरी। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने आज अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने कहा है की बिलासपुर में आदर्श पुलिसिंग दिखाई देगी। अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस होगा।
करीब एक सप्ताह पहले सिंह का तबादला आदेश जारी हो गया था लेकिन वह एक रिफ्रेशर कोर्स के चलते लखनऊ प्रवास पर थे। आज सुबह रायपुर से रवाना होकर वे दोपहर 12:00 बजे एसपी कार्यालय पहुंचे। वे महामाया दर्शन के लिए रतनपुर भी गए। बिलासपुर पुलिस के जवानों ने उन्हें कार्यालय परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जिला मुख्यालय में उपस्थित अधिकारी कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने सभी से परिचय भी प्राप्त किया।
दोपहर बिलासागुड़ी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि बिलासपुर में पुलिस आम जनता की कल्याण के लिए कार्य करेगी प्रयास रहेगा कि यातायात व्यवस्था सुचारू हो महिला अपराधों के प्रति सख्ती बरती जाएगी। पकड़े गए अपराधियों के खिलाफ चालान पेश करने में विलंब नहीं किया जाएगा। उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नागरिकों और मीडिया से सहयोग भी मांगा।
रजनेश सिंह इससे पहले धमतरी और नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं वह एंटी करप्शन ब्यूरो में भी एसपी रहे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 फरवरी। यात्री सुविधाओं के लिए रेलवे सुरक्षा बल विगत महीनों से ऑपरेशन अमानत अभियान चला रहा है। इसके तहत पिछले 10 महीनों में बिलासपुर, रायपुर तथा नागपुर मंडल के 960 यात्रियों के गुम हुए या छूटे सामान ढूंढकर उन्हें वापस किए गए हैं। ये सामान दो करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के थे।
कई बार ट्रेनों में चढऩे, उतारने की जल्दबाज़ी में यात्री अपना सामान ट्रेन में ही भूल जाते हैं या फिर कई बार उनका सामान गुम हो जाता है । उनके छूटे सामान को पहुंचाने तथा गुम हुए सामानों की रिकवरी के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा इस अभियान की शुरुआत की गई है । बिलासपुर, चांपा, कोरबा, उसलापुर, रायगढ़, ब्रजराजनगर, पेंड्रारोड, अनुपपुर, शहडोल, मानेंद्रगढ़, बिजुरी, अंबिकापुर, भाटापारा, तिल्दा-नेवरा, रायपुर, दुर्ग, भिलाई राजनांदगांव, डोंगरगढ़, गोंदिया, भंडारारोड, इतवारी, नैनपुर, छिंदवाड़ा, वडसा, नागभीड़, कांप्टी आदि रेल सुरक्षा बल पोस्ट ने इस अभियान में अपना योगदान दिया है।
ट्रेन में पेट्रोलिंग तथा स्टेशनों में गश्ती के दौरान रेल सुरक्षा बल तथा अन्य रेल कर्मियों ने यात्रियों के छूटे हुए सामानों को स्टेशन में तथा ट्रेनों में अधिकृत प्राधिकारियों के पास जमा किया। यात्रियों ने भी कई बार अन्य यात्रियों के छूटे हुए सामानों को ट्रेनों में टीटीई या रेल सुरक्षा बल के कर्मियों के पास सुपुर्द किया तथा सूचित किया। रेल यात्रा के दौरान जिन यात्रियों का सामान गूम हो जाता है, वे अपनी शिकायत ट्रेनों में टीटीई, रेल सुरक्षा बल या ट्रेन मैनेजर अथवा स्टेशनों में स्टेशन मास्टर व संबन्धित रेल कर्मियों के पास दर्ज कराते हैं।
यात्री रेल मदद एप, हेल्पलाइन नंबर 139, ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते है । शिकायत मिलने पर संबन्धित ट्रेनों, स्टेशनों तथा अन्य आरपीएफ पोस्ट में इसकी सूचना दी जाती है और संबन्धित प्राधिकार सामान को रिकवर करने के लिए जुट जाते हैं।
ऑपरेशन अमानत दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में एक अभियान के स्तर पर चलाया जा रहा है तथा यह आगे भी इसी ऊर्जा के साथ निरंतर जारी रहेगा।
संयुक्त टीम ने की जांच, शासन को भेजी गई कार्रवाई के लिए अनुशंसा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 फरवरी। सेंदरी मानसिक अस्पताल के अधीक्षक और प्रभारी संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. जेपी आर्य द्वारा एक निजी अस्पताल में इलाज किए जाने के पुख्ता सबूत पाए गए हैं। उनके द्वारा इलाज के लिए अखबार में विज्ञापन भी जारी किया गया था। कलेक्टर ने मामले की संयुक्त टीम द्वारा जांच कराई। जांच में इलाज किए जाने की पुष्टि हुई है। लिहाजा, उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए सचिव स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति को अनुशंसा की गई है।
संयुक्त टीम की जांच रिपोर्ट के अनुसार अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ.जे.पी.आर्या जो कि वर्तमान में अधीक्षक राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के साथ-साथ प्रभारी संयुक्त संचालक संभागीय स्वास्थ्य सेवायें बिलासपुर के पद पर पदस्थ हैं। उनके द्वारा एक दैनिक समाचार पत्र में 10 फरवरी को यूनिटी हॉस्पिटल बिलासपुर में निजी प्रैक्टिस के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित कराया गया था। उक्त विज्ञापन जिला कलेक्टर के संज्ञान में आने पर उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच के लिए निर्देश दिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के चिकित्सकों की टीम द्वारा 10 फरवरी को ही यूनिटी हॉस्पिटल का औचक निरीक्षण किया गया। यहां डॉ आर्या के हॉस्पिटल में लगातार कार्य करने के संबंध में दस्तावेज मिले।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जांच प्रतिवेदन जिला कलेक्टर को प्रस्तुत किया गया। गौरतलब है कि शासकीय चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस करने के संबंध में छ.ग. शासन द्वारा दिये गये विभागीय पुनरीक्षित निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के चिकित्सकों को निजी प्रैक्टिस करने की छूट रहेगी, पंरतु निजी प्रैक्टिस केवल ड्यूटी अवधि के बाद ही की जा सकेगी। साथ ही चिकित्सक को अपने स्वयं की चेम्बर अथवा क्लीनिक होने चाहिए।
स्वयं की क्लीनिक के अतिरिक्त अन्य किसी पाली क्लीनिक अथवा चिकित्सालय में निजी प्रैक्टिस करते हैं, तो ऐसा करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी। डॉ आर्या वर्तमान में प्रशासकीय पद पर कार्यरत हैं। ऐसे पद पर कार्यरत चिकित्सक को नियमानुसार निजी प्रैक्टिस की पात्रता कतई नही हैं। ऐसे प्रकरणों पर निगरानी एवं कार्रवाई हेतु राज्य स्तरीय समिति का गठन शासन स्तर पर किया गया है। जिसमें सचिव स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित है। उक्त समिति के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव व संचालक स्वास्थ्य सेवायें रायपुर को उक्त चिकित्सक पर नियमानुसार कार्रवाई हेतु पत्र प्रेषित किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 फरवरी। यात्री सुविधाओं के लिए रेलवे सुरक्षा बल विगत महीनों से ऑपरेशन अमानत अभियान चला रहा है। इसके तहत पिछले 10 महीनों में बिलासपुर, रायपुर तथा नागपुर मंडल के 960 यात्रियों के गुम हुए या छूटे सामान ढूंढकर उन्हें वापस किए गए हैं। ये सामान दो करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के थे।
कई बार ट्रेनों में चढऩे, उतारने की जल्दबाज़ी में यात्री अपना सामान ट्रेन में ही भूल जाते हैं या फिर कई बार उनका सामान गुम हो जाता है । उनके छूटे सामान को पहुंचाने तथा गुम हुए सामानों की रिकवरी के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा इस अभियान की शुरुआत की गई है । बिलासपुर, चांपा, कोरबा, उसलापुर, रायगढ़, ब्रजराजनगर, पेंड्रारोड, अनुपपुर, शहडोल, मानेंद्रगढ़, बिजुरी, अंबिकापुर, भाटापारा, तिल्दा-नेवरा, रायपुर, दुर्ग, भिलाई राजनांदगांव, डोंगरगढ़, गोंदिया, भंडारारोड, इतवारी, नैनपुर, छिंदवाड़ा, वडसा, नागभीड़, कांप्टी आदि रेल सुरक्षा बल पोस्ट ने इस अभियान में अपना योगदान दिया है।
ट्रेन में पेट्रोलिंग तथा स्टेशनों में गश्ती के दौरान रेल सुरक्षा बल तथा अन्य रेल कर्मियों ने यात्रियों के छूटे हुए सामानों को स्टेशन में तथा ट्रेनों में अधिकृत प्राधिकारियों के पास जमा किया। यात्रियों ने भी कई बार अन्य यात्रियों के छूटे हुए सामानों को ट्रेनों में टीटीई या रेल सुरक्षा बल के कर्मियों के पास सुपुर्द किया तथा सूचित किया। रेल यात्रा के दौरान जिन यात्रियों का सामान गूम हो जाता है, वे अपनी शिकायत ट्रेनों में टीटीई, रेल सुरक्षा बल या ट्रेन मैनेजर अथवा स्टेशनों में स्टेशन मास्टर व संबन्धित रेल कर्मियों के पास दर्ज कराते हैं।
यात्री रेल मदद एप, हेल्पलाइन नंबर 139, ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते है । शिकायत मिलने पर संबन्धित ट्रेनों, स्टेशनों तथा अन्य आरपीएफ पोस्ट में इसकी सूचना दी जाती है और संबन्धित प्राधिकार सामान को रिकवर करने के लिए जुट जाते हैं। ऑपरेशन अमानत दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में एक अभियान के स्तर पर चलाया जा रहा है तथा यह आगे भी इसी ऊर्जा के साथ निरंतर जारी रहेगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 फरवरी। बिलासपुर रेल मंडल के अनूपपुर-न्यू कटनी सेक्शन के घुनघुट्टी स्टेशन में तीसरी लाइन कनेक्टिविटी कार्य 18 से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इसके चलते दो दर्जन यात्री ट्रेनों का परिचालन प्रभावित रहेगा।
रद्द होने वाली गाडिय़ां-
20 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 08269 चिरमिरी-चंदिया रोड पैसेंजर।
20 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 08270 चंदिया रोड- चिरमिरी पैसेंजर।
19 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 06617 कटनी-चिरमिरी पैसेंजर स्पेशल।
20 से 26 फरवरी तक गाड़ी संख्या 06618 चिरमिरी-कटनी पैसेंजर स्पेशल।
19 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 11265 जबलपुर-अम्बिकापुर एक्सप्रेस।
20 से 26 फरवरी तक गाड़ी संख्या 11266 अम्बिकापुर-जबलपुर एक्सप्रेस।
18 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 18234 बिलासपुर-इंदौर नर्मदा एक्सप्रेस।
19 से 26 फरवरी तक गाड़ी संख्या 18233 इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस।
17 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 18236 बिलासपुर-भोपाल एक्सप्रेस।
19 से 27 फरवरी तक गाड़ी संख्या 18235 भोपाल-बिलासपुर एक्सप्रेस।
18 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 18247 बिलासपुर-रीवां एक्सप्रेस।
19 से 26 फरवरी तक गाड़ी संख्या 18248 रीवां-बिलासपुर एक्सप्रेस।
19 से 25 फरवरी तक गाड़ी संख्या 11201 नागपुर-शहडोल एक्सप्रेस।
20 से 26 फरवरी तक गाड़ी संख्या 11202 शहडोल-नागपुर एक्सप्रेस।
22 एवं 24 फरवरी को गाड़ी संख्या 05755 चिरमिरी-अनुपपुर पैसेंजर स्पेशल।
22 एवं 24 फरवरी को गाड़ी संख्या 05756 अनुपपुर-चिरमिरी पैसेंजर स्पेशल।
21 एवं 23 फरवरी को गाड़ी संख्या 11751 रीवां-चिरमिरी एक्सप्रेस।
22 एवं 24 फरवरी को गाड़ी संख्या 11752 चिरमिरी-रीवां एक्सप्रेस।
19 एवं 22 फरवरी को गाड़ी संख्या 12535 लखनऊ-रायपुर गरीबरथ एक्सप्रेस।
20 एवं 23 फरवरी को गाड़ी संख्या 12536 रायपुर-लखनऊ गरीबरथ एक्सप्रेस।
21 फरवरी को गाड़ी संख्या 20828 सांतरागाछी-जबलपुर एक्सप्रेस।
22 फरवरी को गाड़ी संख्या 20827 जबलपुर-सांतरागाछी एक्सप्रेस।
25 फरवरी को गाड़ी संख्या 18213 दुर्ग-अजमेर एक्सप्रेस।
26 फरवरी को गाड़ी संख्या 18214 अजमेर-दुर्ग एक्सप्रेस।
इसके अलावा 18 से 23 फरवरी तक गाड़ी संख्या 15231 बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग कटनी-जबलपुर-नैनपुर-बालाघाट के मार्ग से गंतव्य को रवाना होगी।
इसी तरह 19 से 24 फरवरी तक गाड़ी संख्या 15232 गोंदिया-बरौनी एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग बालाघाट-नैनपुर-जबलपुर-कटनी के मार्ग से गंतव्य को रवाना होगी।
सीएम-एचएम के निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने आईजी ने ली पुलिस अफसरों की बैठक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 फरवरी। पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला ने मुख्यमंत्री व गृह मंत्री से मिले निर्देशों के पालन को लेकर बिलासा गुड़ी में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन कर सख्त पुलिस व्यवस्था बनाने कहा।
आईजी ने थाना चौकी में विजीबल पुलिसिंग, बेसिक पुलिसिंग, रात्रि गश्त, स्कूल कॉलेज खुलने बंद होने और सुबह और शाम 6 से 11 के समय थाना पेट्रोलिंग का सही उपयोग, अवैध नशा, नारकोटिक्स आदि पर ड्रग इंस्पेक्टर के साथ संयुक्त कार्रवाई, अवैध परिवहन -उत्खनन पर प्रशासन के साथ संयुक्त कार्रवाई, जुआ, सट्टा, गुंडा बदमाश निगरानी बदमाश आदि पर कार्रवाई और नये क़ानून के अनुसार लोगों को जानकारी देने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
सडक़ दुर्घटनाओं की समीक्षा करते हुए आईजी ने दुर्घटनाएं कम करने और दुर्घटना से मृत्यु को रोकने के उपायों को लेकर सभी थाना चौकी प्रभारियों को निर्देश दिया, साथ ही ट्रैफिक इंजीनियरिंग, यातायात शिक्षा और (ट्रैफिक इन्फोर्समेंट) यातायात नियम का पालन को महत्व देते हुए सुरक्षित और सुगम यातायात व्यवस्था बनाने कहा। उन्होंने चिन्हांकित दुर्घटना जन्य जगहों पर उचित व्यवस्था बनाने व सर्वे कर सुधार करने का निर्देश दिया।
समय समय पर मिल रही शिकायत और आपराधिक गतिविधि को कड़ाई से कार्रवाई कर रोकथाम करने तथा सभी राजपत्रित अधिकारी को थाना के कार्यों की मॉनिटरिंग कर बेहतर पुलिसिंग कर अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था से जिले को सुरक्षित करने आवश्यक दिशा निर्देश दिया, जिस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने आश्वस्त किया कि दिए गए निर्देशों का प्रभाव आगामी दिनों में दिखने को मिलेगा।
बैठक में जिले के सभी राजपत्रित पुलिस अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेंद्र जायसवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अर्चना झा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ( आईयूसीएडब्ल्यू) गरिमा द्विवेदी, नगर पुलिस अधीक्षक (सिविल लाइन) संदीप पटेल (आईपीएस), नगर पुलिस अधीक्षक (सिटी कोतवाली) पूजा कुमार (आईपीएस), आईपीएस प्रशिक्षु अजय कुमार, उप पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) उदयन बेहार, उप पुलिस अधीक्षक (चकरभाठा) कृष्ण कुमार पटेल, उप पुलिस अधीक्षक (एट्रोसिटी) डेरहा राम टंडन, अनुविभागीय पुलिस अधीक्षक (कोटा) सिद्धार्थ बघेल, उप पुलिस अधीक्षक (लाइन) मंजुलता केरकेट्टा, उप पुलिस अधीक्षक (यातायात) संजय साहू, प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक रोशन आहूजा, रक्षित निरीक्षक, जि़ले के सभी थाना व चौकी प्रभारी, महिला, एट्रोसिटी, एसीसीयू थाना प्रभारी, पुलिस अधीक्षक कार्यालय स्टेनो, रीडर, शिकायत शाखा, डीएसबी और चुनाव सेल के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 फरवरी। करंट लगने से युवक की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने विद्युत वितरण कंपनी को 10.78 लख रुपए मुआवजा देने का आदेश पारित किया है। निचली अदालत ने परिजनों की याचिका खारिज कर दी थी।
बलौदा बाजार के मजदूर हेमंत ध्रुव 22 फरवरी 2014 को करंट की चपेट में आ गया था। घटना की रात आंधी पानी के कारण बिजली के खंबे गिर गए थे और जमीन पर गिरे तार से करंट दौड़ रहा था। घायल युवक को अस्पताल ले जाया गया था जहां कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई। दुर्घटना के करीब 5 साल बाद परिजनों ने जिला कोर्ट में 25 लाख रुपए मुआवजे की मांग करते हुए केस दायर किया। निचली अदालत में सुनवाई के दौरान बिजली विभाग ने तर्क दिया कि दुर्घटना मृतक की लापरवाही के कारण हुई। साथ ही मुआवजे के लिए निर्धारित तीन साल के भीतर याचिका नहीं लगाई गई है। अदालत ने परिजनों की याचिका खारिज कर दी।
इस आदेश के विरुद्ध उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी और राधाकृष्ण अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने विलंब से याचिका दायर करने के आधार पर दावा खारिज करने को गलत बताते हुए परिजनों को बतौर मुआवजा 10.78 लाख रुपए देने का आदेश दिया है।
कंपनी की स्थापना के बाद पांचवीं बार कंपनी ने छुआ यह आंकड़ा
गेवरा, कुसमुंडा एवं दीपका मेगा परियोजनाओं की रही महत्वपूर्ण भूमिका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 फरवरी। वित्तीय वर्ष ’23-24 में एसईसीएल का वार्षिक कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन के पार पहुंच गया है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में कंपनी ने 16.95 मिलियन टन (12.73त्न) की बढ़ोत्तरी दर्ज करते हुए एक महीने पहले ही 150 मिलियन टन कोयला उत्पादन के आंकड़े को छू लिया है।
अगर पिछले 5 वर्षों के एसईसीएल के कोयला उत्पादन पर नजर डालें तो वर्ष 2022-23 में 167 मिलियन टन, वर्ष 2021-22 में 142.52 मिलियन टन, वर्ष 2020-21 में 150.61 मिलियन टन, 2019-20 में 150.55 मिलियन टन तथा 2018-19 में 157.35 मिलियन टन का कोयला उत्पादन दर्ज किया है। इस प्रकार एसईसीएल ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक रिकॉर्ड पांचवीं बार 150 मिलियन टन कोयला उत्पादन का आंकड़ा पार किया।
कंपनी की इस उपलब्धि में एसईसीएल की मेगापरियोजनाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश की सबसे बड़ी गेवरा खदान ने 46.11 मिलियन टन, कुसमुंडा ने 38.5 मिलियन टन तथा दीपका ने 26.3 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर उत्पादन में 74त्न का योगदान दिया है।
कोयला निष्कासन से पूर्व की प्रक्रिया, ओबीआर में भी एसईसीएल ने इस वर्ष ऐतिहासिक नतीजे दिए हैं। कंपनी पिछले वर्ष के कुल ओबीआर को पहले ही पीछे छोड़ चुकी है और स्थापना से अब तक के सर्वाधिक वार्षिक ओबीआर की तरफ बढ़ रही है। इस अवसर पर सीएमडी एसईसीएल डा. प्रेम सागर मिश्रा व निदेशक मण्डल ने एसईसीएल टीम को बधाई दी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 फरवरी। प्रयागराज से दुर्ग की ओर आ रही यात्रियों से ठसाठस भरी एक बस में आग लग गई। समय रहते सभी यात्रियों को सुरक्षित नीचे उतार लिया गया, लेकिन बस पूरी तरह जलकर खाक हो गई।
जानकारी के मुताबिक मनीष ट्रेवल्स की यह बस बीती रात करीब 80 यात्रियों को लेकर प्रयागराज से दुर्ग के लिए रवाना हुई। रात करीब 3:00 बजे वेंकटनगर के पास पीछे चल रहे एक ट्रक के चालक ने देखा कि बस की एक टायर से आग की तेज लपटें उठ रही हैं। उसने सूझबूझ दिखाते हुए ओवरटेक कर बस को रोका और चालक को इसकी जानकारी दी। चालक परिचालक ने सभी यात्रियों को नीचे उतरने के लिए कहा। इस बीच आग ने पूरी तरह बस को अपनी चपेट में ले लिया, जबकि सभी यात्री इसके पहले बस से सुरक्षित नीचे उतर गए।
आग लगने की सूचना नगर पंचायत पेंड्रा के फायर ब्रिगेड को दी गई, मगर जब तक वह पहुंचती, बस जलकर राख हो गई थी।
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ से प्रयागराज के लिए रोजाना कई बसें चलती हैं, जिनमें प्रवासी मजदूरों को लाया ले जाया जाता है। इनमें क्षमता से अधिक सवारी भी बिठाए जाते हैं। कई बसों का फिटनेस भी चेक नहीं किया जाता। पिछले दिनों ऐसी एक बस गौरेला में एक घर के भीतर घुस गई थी।
जिला शिक्षा अधिकारी ने कलेक्टर को सौंपी सूची
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 फरवरी। स्कूल शिक्षा विभाग की विभिन्न शालाओं से 20 शिक्षक एवं कर्मचारी लम्बे समय से स्कूल से अनधिकृत रूप से नदारत हैं। इनमें से 13 शिक्षकों की गैरहाजिरी 3 साल से अधिक अवधि की और 7 शिक्षक एवं कर्मचारी की 3 साल से कम अवधि की है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने इन गायब शिक्षक और कर्मचारियों की सूची कलेक्टर को सौंप दी है। कलेक्टर अवनीश शरण ने तीन साल से अधिक अवधि से गायब शिक्षकों की सेवा समाप्ति के लिए अंतिम नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। तीन साल से कम अवधि वाले कर्मियों पर भी कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कहा है। इनमें से कुछ शिक्षक 10-11 साल से बिना सूचना के स्कूलों से गायब हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिल्लीबंद (कोटा)के शिक्षक बत्तीलाल मीणा 11 वर्ष से, मनोरमा तिवारी रिस्दा 10 साल से, प्रेमलता पाण्डेय नवागांव 9 साल से, राकेश उरांव दर्रीघाट 8 साल से, अल्का महतो फरहदा 7 साल से, नलिनी अग्रवाल दर्रीघाट 6 साल से, दिव्यनारायण रात्रे 6 साल से, स्टेनली मार्क एक्का तिफरा, 5 साल से, बसंत कुमार लकड़ा ओखर 5 साल से, शारदा सिंह, मोढ़े 5 साल से, यशवंत कुमार साहू डण्डासागर 3 साल से, मेघा यादव परसापानी 3 साल से, हरीराम पटेल भटचैरा 3 साल से, शिवकुमार बछालीखुर्द 2 साल से, अमन मिरी 22 महीने से, श्याम सुंदर तिवारी सीपत 18 माह से, राकेश मिश्रा बेलसरा 18 माह से, मदनलाल श्यामले कआंजति 17 माह से, रामबिहारी ताम्रकार मस्तूरी 15 माह से तथा शशिकान्त यादव शीश 11 महीने से स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। ज्ञात हो कि लगातार तीन साल से अधिक अवधि से शासकीय सेवा से बाहर रहने पर कर्मचारी की सेवा समाप्ति का प्रावधान है।
चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी व पुलिस महानिदेशक को भी पत्र जारी
9 मार्च को प्रदेश भर में लगेगी पहली नेशनल लोक अदालत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 फरवरी। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं फैमिली कोर्ट जजों को 9 मार्च को आयोजित किये जा रहे लोक अदालत के लिए पक्षकारों को नोटिस जारी एवं उसकी तामिली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है ताकि अधिकाधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा सके।
गौरतलब है कि 8 फरवरी को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस गौतम भादुड़ी इस संबंध में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इस संबंध में न्यायिक अधिकारियों की बैठक ले चुके हैं। जस्टिस भादुड़ी ने विशेष रूप से न्यायालयों में 5 वर्ष एवं 10 वर्ष से अधिक अवधि से लंबित प्रकरण, वरिष्ठजन व महिलाओं से संबंधित प्रकरणों को राजीनामा के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा निराकृत किये जाने का भरसक प्रयास करने कहा है। इसके अलावा प्री-लिटिगेशन प्रकरण के रूप में अब तक चिन्हांकित प्रकरणों में बढ़ोत्तरी करते हुए सर्वसंबंधित विभाग और वित्तीय संस्थानों के साथ प्री-सीटिंग, सहयोग एवं उनसे समन्वय स्थापित करने कहा है। उन्होंने राजस्व के प्रकरणों में भी अधिक से अधिक प्रकरणों को आगामी नेशनल लोक अदालत में रखने तथा पक्षकारों को नोटिस समय पूर्व जारी करने कहा है। इसके लिए सभी संबंधित विभागों व पुलिस के साथ सहयोग एवं समन्वय करने कहा गया है।
प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विधि और विधायी कार्य विभाग को राजस्व न्यायालयों के प्रकरणों को भी उक्त नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों को रखने के लिए संबंधित विभागों एवं कलेक्टरों को निर्देश देने कहा गया है। पुलिस महानिदेशक को भी उक्त लोक अदालत में आवश्यक सहयोग तथा पक्षकारों को जारी समंस की तामिली समय पूर्व सुनिश्चित करने के लिए अधीनस्थों को निर्देश देने कहा गया है। सालसा ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी मर्यादित, रायपुर के मैनेजिंग डायरेक्टर को विद्युत से संबंधित मामलों में, बकाया देय वास्तविक मूल राशि एवं सरचार्ज की राशि का आकलन कर सरचार्ज की राशि में भुगतान से छूट की सुविधा के लिए प्रोत्साहन योजना बनाकर इसका लाभ लोक अदालत के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा पक्षकारों तक पहुंचाने कहा है।
अवगत हो कि वर्ष 2023 में आयोजित हुए नेशनल लोक अदालत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों के जिला न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट जजों को सम्मानित करने उच्च न्यायालय में बीते 14 अक्टूबर को समारोह रखा गया था। इसमें चीफ जस्टिस सिन्हा ने न्यायिक अधिकारियों को ट्रॉफी व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका उत्साह बढ़ाया था।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देश के अनुसार गत वर्ष की भांति वर्ष 2024 में भी 9 मार्च, 11 मई, 14 सितंबर और 14 दिसंबर 2024 को नेशनल लोक अदालत लगाई जाएंगीं। उक्त अदालतें उच्च न्यायालय से लेकर तहसील न्यायालय तक सभी स्तरों पर लगाई जाएंगी, जिसमें सिविल एवं राजस्व न्यायालय भी शामिल हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर 13 फरवरी। ऑनलाइन बुकिंग कर परिवार सहित अचानकमार अभयारण्य की सैर के लिए गए पर्यटक को काफी देर तक परेशान करने के बाद कर्मचारियों ने बैरंग वापस लौटा दिया। पीडि़त पर्यटक ने बुकिंग राशि और मानसिक क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए वन विभाग के अधिकारियों को कानूनी नोटिस भेजा है।
जानकारी के मुताबिक बीते 3 फरवरी को भारतीयनगर के राहुल तिवारी अपने परिवार के साथ अचानकमार अभयारण्य भ्रमण के लिए गए थे। उन्होंने 3500 रुपए में ऑनलाइन बुकिंग कराई थी जिसके अनुसार सुबह 6:00 बजे से उन्हें शिवतराई से लेकर जिप्सी में भ्रमण कराया जाना था। परिवार के साथ वे तडक़े 3:00 बजे बिलासपुर से निकले और सुबह 5:30 बजे शिवतराई बैरियर पहुंचे। वहां की चेक पोस्ट पर दो कर्मचारी मिले जो सोए हुए थे। वे बार-बार आवाज देने पर उठे। उठने के बाद उन्होंने जिप्सी के लिए इंतजार करने कहा। काफी इंतजार करने के बाद कोई जिप्सी नहीं पहुंची। जब पर्यटकों ने देर होने का हवाला दिया तो सुरेश तिवारी और अन्य कर्मचारियों ने उनके साथ बदसलूकी की। इसके बाद एक डिप्टी रेंजर ने पहुंचकर उन्हें बैरियर से एंट्री की एक पर्ची दी। उन्होंने बताया कि जिप्सी अचानकमार में ही मिलेगी। पर्यटक अपनी ही गाड़ी से अचानकमार पहुंचे। वहां पर जिप्सी तो खड़ी थी लेकिन कोई ड्राइवर नहीं था। उन्हें ड्राइवर का इंतजार करने के लिए कहा गया, लेकिन डेढ़ 2 घंटे इंतजार करने के बाद भी कोई नहीं पहुंचा। आखिर उन्हें बिना सैर कराए वापस लौटा दिया गया। पूरा परिवार बिना भ्रमण किए वापस बिलासपुर लौट गया।
इसके बाद तिवारी ने ऑनलाइन बुकिंग की जमा राशि की वापसी के लिए वन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन उनको रकम वापस नहीं मिली।
अब उन्होंने अधिवक्ता अनमोल सिंह के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजकर ब्याज सहित बुकिंग की राशि तथा 50 हजार रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति मांगी है। भुगतान नहीं होने पर उन्होंने कोर्ट केस करने की चेतावनी दी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 फरवरी। जिले के ईटवापाली ग्राम स्थित भगवान भांवर गणेश मंदिर की बहुमूल्य मूर्ति एक बार फिर चोरी हो गई है। पहले भी इसकी चार बार और चोरी हो चुकी है, जो पुलिस खोजबीन कर वापस ला चुकी थी।
मस्तूरी पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को गांव के लोगों ने मंदिर में पूजा अर्चना की। शाम तक मूर्ति सही सलामत थी। आज सुबह जब गांव के लोग मंदिर पहुंचे तो मूर्ति गायब थी।
इसकी सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारियों की टीम गांव पहुंच गई है। गांव में लोगों से पूछताछ की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछली बार अगस्त 2022 में यह मूर्ति चोरी गई थी तब करीब दो माह बाद इसे बरामद कर लिया गया था। इसमें गांव के ही कुछ युवक शामिल थे जो उसे दो करोड रुपए में बेचने की फिराक में थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 फरवरी। मोपका में नगर-निगम को आवंटित भूमि में से अवैध अतिक्रमण हटाया गया है। लगभग 16 एकड़ भूमि को एक बिल्डर सहित दर्जन भर लोगों ने बेजा कब्जा कर रखा था। निगम द्वारा इसमें लोगों के घूमने फिरने के लिए शानदार गार्डन बनाया जायेगा। कब्जा धारियों ने निगम की भूमि पर झोपड़ी, बाउंड्री वाल, कॉलम, टीन शेड, बोर्ड लगा दिए थे। आर्यन बिल्डर का बैनर भी हटाया गया।
उल्लेखनीय है की राज्य शासन ने यहां की 6 हेक्टर जमीन को उद्यान निर्माण हेतु के लिए आबंटित किया था। उपरोक्त भूमि पर कतिपय तत्वों द्वारा बेजाकब्जा किया गया था। नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर 16 एकड़ भूमि बेजा कब्जा मुक्त कराया गया। टीम में तहसीलदार ,अतुल वैष्णव, निगम के भवन अधिकारी सुरेश शर्मा,अतिक्रमण दस्ता, जोन कमिश्नर अभियंता जुगल सिंह, पटवारी हरीश जैन हल्का पटवारी आर आई कि उपस्थिति में कब्जा मुक्त कराया गया। निगम को जमीन सौंपने के दो माह पश्चात आर आई निखिल झा द्वारा इसी जमीन को मनीष राय, कुमुद अवस्थी, संदीप केडिया, अमृतलाल जोबनपुत्रा का बताकर उन्हें कब्जा दिया जा रहा है। कुमुद अवस्थी के चौहदी में पूर्व में रोड है, किंतु मौके पर पश्चिम में रोड है। मनीष राय को तहसीलदार राजकुमार साहू द्वारा बेदखल किया गया था। अमृत जोबनपुत्रा को गलत तरीके से आरआई निखिल झा द्वारा सीमांकन कर दे दिया गया। इसके अलावा सरस्वती साहू, मोहन साहू, अनिल श्रीवास, सारा खान का बेजा कब्जा हटाया गया है। शासन व निगम की लगभग 20 एकड़ भूमि भूमाफियाओं से मुक्त कराई गई है।