स्थायी स्तंभ
रमन सिंह तस्वीर से बाहर
भाजपा सभी सीटों को जीतने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इस बार प्रदेश भाजपा का चेहरा रहे पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह चुनावी परिदृश्य से गायब हैं। वजह यह है कि वो विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते हैं। ऐसे में रमन सिंह की जगह सीएम विष्णुदेव साय ने लिया है।
साय प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में सभाएं ले रहे हैं। रोजाना 3-4 क्षेत्रों में सभाएं ले रहे हैं। सीएम साय पार्टी का आदिवासी चेहरा भी है। सीएम के प्रचार से आदिवासी समाज का पार्टी को भरपूर समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। साय पूरे प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। वो प्रत्याशियों के नामांकन दाखिले के मौके पर भी साथ रहे हैं। पार्टी ने इस बार सभी 11 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। देखना है कि पार्टी को इसमें कितनी सफलता मिलती है।
भूपेश का खेल आदिवासी वोटों पर
राजनांदगांव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपनी ताकत झोंक दी है। यहां भाजपा प्रत्याशी संतोष पाण्डेय से कांटे का मुकाबला है। भूपेश रोज 20-25 गांवों का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के आदिवासी इलाके मानपुर-मोहला, खैरागढ़, और कवर्धा के रेंगाखार इलाके में विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि आदिवासी इलाकों में पार्टी को अच्छी बढ़त मिलती है, तो भूपेश की राह आसान हो जाएगी। वैसे भी विधानसभा चुनाव में मानपुर मोहला से कांग्रेस प्रत्याशी इंदरशाह मंडावी अच्छे वोटों से जीते थे। खैरागढ़ में भी कांग्रेस के विधायक हैं। नांदगांव शहर से पिछड़ते भी हैं, तो आदिवासी इलाकों से भरपाई हो सकती है। मगर वाकई ऐसा होगा, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद साफ हो पाएगा।
कांग्रेस समर्थित अफसर
2018 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस 68 सीटें जीती थी, तब आईएएस और आईपीएस अफसरों का एक वर्ग था, जो 2019 के चुनाव में कांग्रेस को 9- 10 और भाजपा को एक दो सीटें मिलने का दावा कर रहा था।
इन अफसरों ने हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दोबारा जीत का दावा किया था। दोनों में फेल हो गए। अब ये सार्वजनिक रूप से कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। डर है, कहीं ऊंच नीच हो गई तो बेवजह पांच साल के लिए सरकार से अदावत हो जाएगी। लूप लाइन की पोस्टिंग से उबरने का मौका नहीं मिलेगा वो अलग।
साइबर ठगों के निशाने पर बोर्ड परीक्षार्थी
छत्तीसगढ़ पुलिस ने बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थी और उनके पालकों को आगाह किया है कि अंक सूची में नंबर बढ़ाने या फेल छात्रों को पास कराने का झांसा देने साइबर ठग सक्रिय हो गए हैं। ये ठग पहले छात्रों को फोन करके बताते हैं कि उसे किस विषय में कितना कम अंक मिला है और कितना बढ़ा देंगे। फिर यह भी झांसा देते हैं कि किस बैंक खाते पर या ऑनलाइन वालेट पर पैसे डालने हैं। फोन करने वाला अपने आपको माध्यमिक शिक्षा मंडल का कर्मचारी या कम्प्यूटर ऑपरेटर बताता है। भरोसा जीतने के लिए वह यह भी कहता है कि पैसे मिलते ही वह अंक सूची को उसके वाट्सएप पर डाल देगा। काम नहीं हुआ तो पूरे पैसे वापस भी कर देगा।
साइबर ठगों के ज्यादातर फोन झारखंड, बिहार और दिल्ली से आ रहे हैं। सवाल उठता है कि ठगों को छात्रों के फोन नंबर और डिटेल कैसे मिल रहे हैं। गूगल पर आप सर्च करें- स्टूडेंट्स डेटा प्रोवाइडर वेबसाइट। दर्जनों वेबसाइट्स की सूची आपके सामने स्क्रीन पर आ जाएगी। एक वेबसाइट यह दावा करता है कि उसके पास भारत का सबसे बड़ा डेटा कलेक्शन है। करीब 100 करोड़ रिकॉर्ड्स मौजूद हैं, जिनमें से 95 प्रतिशत प्रामाणिक हैं। हर सप्ताह डेटा अपडेट होता है। हजारों हैप्पी क्लाइंट्स हैं। जानकार बता रहे हैं कि कुछ हजार रुपयों में ये डेटा उपलब्ध करा दिए जाते हैं, जिनमें फोन नंबर ही नहीं बल्कि वे दस्तावेज जो आपकी पहचान और शैक्षणिक योग्यता को दर्शाते हैं- भी शामिल हैं। विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंडलों की वेबसाइट्स पर डेटाबेस में प्रवेश करने के लिए लॉगिन पासवर्ड की जरूरत पड़ती है। साइबर विशेषज्ञ बताते हैं कि या तो इन परीक्षा लेने वाली संस्थाओं की वेबसाइट्स को क्रेक कर लिया जाता है, या फिर वहां काम करने वाले कर्मचारियों से साठगांठ की जाती है। हाल ही में एक टीवी चैनल ने बताया है कि ये ठग महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में भी सक्रिय हैं। उसने ठगी के शिकार कई विद्यार्थियों से बात भी की। इससे पता चलता है कि कौन सा छात्र किस विषय में कमजोर है, और उसे फेल होने का डर है- यह भी ठगों को मालूम है। वे छात्रों को उनका इनरोलमेंट नंबर भी बताते हैं। कई छात्र 10-20 से लेकर 50 हजार रुपये तक गवां चुके हैं। रकम मिलने के बाद ठग उसका नंबर ब्लॉक कर देता है।
इस समय चुनाव चल रहे हैं। पिछले कई चुनावों में हमने पाया है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और दूसरे राज्यों के प्रत्याशी आपको कॉल कर वोट देने की अपील करने कहते हैं, जबकि आप उसके वोटर ही नहीं हैं। ये सब नंबर ऐसे ही डेटा प्रोवाइडर वेबसाइट्स उपलब्ध कराते हैं।
पुलिस ने सतर्क रहने के लिए तो कह दिया है लेकिन जो वेबसाइट्स खुले आम आपकी निजी जानकारी और फोन नंबर की नीलामी कर रहे हैं, उन पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है।
शाह के जाने के बाद बस्तर बंद
पिछले साल विधानसभा चुनाव के पहले बस्तर प्रवास के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लक्ष्य रखा था कि लोकसभा चुनाव के पहले नक्सल समस्या का अंत कर दिया जाएगा। अब कल खैरागढ़ की आमसभा में उन्होंने इसके लिए तीन साल मांगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद नक्सल हिंसा से निपटने के लिए तेजी से काम हो रहे हैं। सीएम साय और डिप्टी सीएम विजय शर्मा की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के चार माह में ही 56 नक्सली मारे गए, 150 को गिरफ्तार किया गया और 250 ने सरेंडर किया।
पिछले एक साल के भीतर बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर में नक्सलियों ने अनेक भाजपा नेताओं की हत्या की है। इसे भाजपा ने टारगेट कीलिंग भी बताया। इस बीच गृह मंत्रालय ने पैरामिलिट्री फोर्स की कई नई बटालियनों को बस्तर में तैनात किया है और नए कैंप भी खोले जा रहे हैं। इससे साफ है कि भाजपा की केंद्र व राज्य की सरकार नक्सलियों की हिंसा का जवाब अधिक आक्रामक तरीके से देना चाहती है। इसी आक्रामकता के विरोध में नक्सलियों ने 15 अप्रैल सोमवार को बंद का आह्वान किया है। यह बंद पांच राज्यों में करने का ऐलान सोशल मीडिया के जरिये किया गया है। इनमें छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा शामिल हैं। बंद की घोषणा 3 अप्रैल को कर दी गई थी। नक्सलियों का विरोध सुरक्षा बलों द्वारा लगातार चलाये जा रहे सर्चिंग अभियान और उनमें अपने साथियों के मारे जाने पर है। वे कथित तौर पर बेकसूर ग्रामीणों पर गोली चलाने के विरोध में भी हैं। बस्तर में 19 अप्रैल को मतदान है। दो दिन बाद यहां चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। ऐसे समय में जब बस्तर के विभिन्न जिलों में प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी चुनाव की तैयारी में लगे हैं, बंद की नक्सली अपील ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। पुलिस प्रशासन ने व्यापारिक, सामाजिक संगठनों, ट्रांसपोर्टरों के साथ बैठक लेकर बंद को विफल करने की अपील की है। वैसे भी बंद के आह्वान के बगैर भी कई इलाके इतने संवेदनशील हैं कि राजनीतिक कार्यकर्ता प्रचार के अंतिम दौर में भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। नक्सलियों ने वैसे तो जगह-जगह चुनाव बहिष्कार के बैनर लगा रखे हैं। पर बस्तर में वोट का प्रतिशत तो हर बार बढ़ा है। ऐसे में अंदरूनी खबरें आ रही कि नक्सली चाहते हैं कि जो वोट पड़ रहे हैं वे भाजपा के पक्ष में न हों। सच क्या है, इसका अनुमान चुनाव परिणाम आने से लगाया जा सकेगा।
मोदी को गाली
भाजपा और मोदी विरोधी बयानों के लिए कन्हैया कुमार को सुनने और तालियां बजाने वाले बहुत लोग हैं, लेकिन शनिवार को तो हद हो गई। कन्हैया कुमार जब मीडिया में बाइट दे रहे थे, तब पीछे से किसी ने मोदी को भद्दी गाली दी। उस समय कन्हैया कुमार के साथ विधायक दिलीप लहरिया, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय केशरवानी साथ ही खड़े थे। किसी ने विरोध नहीं किया। यह वीडियो अब वायरल है, लेकिन कांग्रेस गाली देने वाले पर कार्रवाई तो दूर कुछ बोलने से बच रहे है। हालांकि पुलिस कन्हैया के पीछे खड़ी इसी भीड़ में से युवक को तलाश रही है।
किसका रिकॉर्ड टूटेगा, किसका बनेगा?
मप्र के गुना और विदिशा से खबर आ रही है कि श्रीमंत और मामा में कौन रिकार्ड वोट से जीतेगा। वैसे मामा ने 9 लाख वोट के अंतर का टारगेट रखा है । कुछ ऐसी ही चर्चाएं अपने यहां भी रायपुर और दुर्ग को लेकर हो रही हैं। भाजपा के दोनों ही प्रत्याशी लोकल ही हैं और सभी वर्गों में चर्चित स्वीकार्य । वैसे पिछली बार दुर्ग ने रिकॉर्ड बनाया था । क्या दुर्ग अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगा या रायपुर। वैसे पिछली बार रायपुर ने भी अपने संसदीय इतिहास में सर्वाधिक लीड का रिकॉर्ड बनाया था और प्रदेश में दूसरे नंबर पर था। बिलासपुर, महासमुंद में भी दावे किए जा रहे हैं, लेकिन कुछ दिक्कतें हैं। 4 जून को देखना होगा कि पदक तालिका में कौन रिकार्ड बनाता है।
चुनाव और जॉइनिंग
चुनावी आपाधापी के बीच प्रशासनिक हलचल भी जारी है। 1991 बैच के आईएएस सोनमणि बोरा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर मंत्रालय में जॉइनिंग दे दी है। तो 2021 बैच के युवराज बरमट ने कैडर बदलकर तेलंगाना ज्वाइन कर लिया है। वहां की आईपीएस से विवाह के बाद कॉमन कैडर के तहत आईएएस पति ने यह च्वाइस किया है। बोरा को आए पखवाड़े भर से अधिक हो गया है, लेकिन चुनावी चक्कर में सरकार पोस्टिंग की जल्दबाजी नहीं करना चाहती। अभी करने पर आयोग से अनुमति लेनी पड़ सकती है। इसलिए बोरा को 4 जून को नतीजों के बाद तक इंतजार करना पड़ेगा। बोरा को पिछली सरकार में भी पहले पोस्टिंग और फिर डेपुटेशन के लिए रिलीविंग को लेकर महीनों लग गए थे। वैसे बता दें कि एक और एसीएस रिचा शर्मा भी दिल्ली से विदा हो गई हैं उनकी ज्वाइनिंग के बाद दोनों को एक साथ पोस्टिंग दी जा सकती है। फिलहाल वह अवकाश पर हैं। अवकाश को बोरा भी इंजॉय कर सकते थे लेकिन ज्वाइनिंग की जल्दबाजी क्यों कर गए समझ से परे है।
पहली बार गिद्धों की गिनती
गिद्ध दृष्टि, गिद्ध भोज जैसे मुहावरों के इस्तेमाल के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण में पोषक तत्वों की रि साइकिलिंग के लिए गिद्धों का होना जरूरी है। गिद्ध मृत जानवरों के शवों को खाते हैं। इससे बीमारियां फैलने से रोकने में मदद मिलती है और पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है। मगर, बीते वर्षों में गिद्धों की आबादी तेजी से घटी है। इसके चलते मृत जानवरों की सड़ चुकी लाश से मनुष्यों और पशुओं में बीमारी, महामारी फैलने का खतरा बढ़ा है। गिद्धों को बचाने के लिए वल्चर कंजर्वेशन एसोसिएशन ने एक खास अभियान चलाया है। छत्तीसगढ़ में पहली बार बीते सोमवार से शनिवार तक गिद्धों की गिनती हुई है। यह गिनती अचानकमार टाइगर रिजर्व के 500 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 जिलों में हुई। इनमें मध्यप्रदेश के भी 10 जिले शामिल थे।
गिद्धों के विलुप्त होने का बड़ा कारण सामने आया था, मवेशियों में सूजन होने पर दी जाने वाली दर्दनिवारक डिक्लोफेनाक दवा। सन् 1990 से इसका प्रयोग बढ़ा। पर यह दवा गिद्धों की किडनी पर असर डालने लगी। जानवरों का मांस खाने के बाद उनकी तेजी से अकाल मौत होने लगी। सन् 2008 में भारत सरकार ने इस दवा पर बैन लगा दिया। इसके विकल्प के रूप में मेलोक्सिकैम दवा सुझाई गई, पर इन 18 सालों में गिद्धों की कई पीढिय़ां और प्रजातियां नष्ट हो गईं।
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पिछले फरवरी में गिद्धों की गिनती कराई गई थी। वहां इनकी संख्या में वृद्धि पाई गई। छत्तीसगढ़ में कराई गई गणना की रिपोर्ट अभी जारी नहीं हुई है।
तमगे के साथ तोहमत भी...
छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टर अपने-अपने जिलों में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए स्वीप अभियान जोरों से चला रहे हैं। कोई दौड़ लगा रहा है, तो कोई जुंबा डांस कर रहा है, कहीं रंगोली बन रही है कहीं शपथ लिए जा रहे हैं। बलौदाबाजार में भी एक अभियान चला। ट्रैक्टर महारैली निकाली गई। इसे गोल्डन (गिनीज नहीं) बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया। कलेक्टर के एल चौहान को सम्मानित किया गया। रैली में एक ट्रैक्टर खुद चौहान ने भी चलाया।
पर, इसका दूसरा पहलू भी है। ट्रैक्टर रैली में यातायात नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी। कई गाडिय़ों से नंबर प्लेट गायब थे, लोग लटके और लदे हुए थे। जिस गाड़ी को कलेक्टर चला रहे थे, उसमें भी नंबर नजर नहीं आ रहा था। उनकी निगाह में आना था, इसलिये ट्रैक्टर और ट्राली के बीच अधिकारी ऐसे लटके थे, जैसा ओवरलोड टैक्सी में दिखता है। ट्राली की हालत भी कंडम थी। पीछे जो ट्रैक्टर लगे थे, उनमें से भी कई के नंबर प्लेट गायब थे।
छत्तीसगढ़ में कंडम गाडिय़ों और माल वाहक गाडिय़ों में सवारी ढोने के कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं। बलौदाबाजार जिले में भी भीषण दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हाल ही में इससे लगे जिले दुर्ग में एक खटारा बस के खदान में गिरने से 12 मौतें हो गईं। कलेक्टर ने मतदाताओं को तो जागरूक किया लेकिन उन लोगों को शह भी दे दी, जो नियमों को तोडक़र सडक़ पर मालवाहक डंपर, ट्रैक्टर दौड़ाते और जानलेवा हादसों को अंजाम देते हैं। ([email protected])
नए कष्ट खड़े कर दिए
छत्तीसगढ़ में मां बमलेश्वरी के श्रद्धालुओं के लिए डोंगरगढ़ जाना किसी संजीवनी पहाड़ पर जाने से कम नहीं रह गया है। यह भी सच है कि कई कष्ट झेलने के बाद ही मां दर्शन देती है। लेकिन यहां तो कष्ट प्रशासन ने खड़े किए हैं। वह भी दो दो। पहला यह कि कुम्हारी के पास रोड ओवर ब्रिज को बंद कर रास्ता घुमावदार कर लंबा कर दिया गया है। और पहले डोंगरगढ़ में कई ट्रेनों के स्टापेज देकर उतने ही रद्द भी कर दिए गए । एनएच ने रोड मेंटेनेंस तो रेलवे ने आरओबी में गर्डर लांच करने के लिए । यह सब कुछ अष्टमी नवमी तक। यही वे पवित्र दिन होते हैं जो हवनादि के आयोजन के लिए निर्धारित हैं।
आत्मानंद स्कूल कॉलेजों का क्या होगा?
छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद भाजपा के मंत्रियों ने कहा कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूलों में कई खामियां हैं। इन्हें दूर किया जाएगा और संचालन के लिए नई पॉलिसी बनाई जाएगी। पर बड़ी गारंटियों पर काम कर रही सरकार लोकसभा चुनाव घोषित पहले कोई फैसला नहीं कर पाई। अब प्रदेश के स्कूलों का नया सत्र शुरू होने वाला है। इधर जून के पहले सप्ताह तक आचार संहिता लागू रहेगी। अगले सत्र में इन स्कूलों का स्वरूप क्या होगा, इस पर छात्र और अभिभावक असमंजस में हैं। कुछ प्रतिनियुक्तियां थीं, पर संविदा शिक्षकों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका रहेगा। इधर दूसरे बाकी स्कूलों में नए सत्र के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पिछली कांग्रेस सरकार की यह एक महत्वाकांक्षी योजना थी। इनके प्राइवेट पब्लिक स्कूलों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर दाखिले की होड़ मची रही। हालांकि सरकार के आखिरी साल में निर्माण कार्य, खरीदी और नियुक्ति में भ्रष्टाचार की बात उठने लगी। भाजपा ने सरकार में आने के बाद इनकी जांच की घोषणा की। स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सत्र के तीन चार माह बाद भी नहीं की गई। इससे छात्रों का मोहभंग होने लगा। इसकी बढ़ती मांग को देखकर उत्साहित पिछली सरकार ने योजना का विस्तार कर दिया और हर जिले में उत्कृष्ट कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी। इनका हाल स्कूलों से भी बुरा रहा। स्कूल और कॉलेज की संरचना में बड़ा अंतर है। साइंस क्लास तो शुरू कर दिए गए पर लैब नहीं खुले। दो चार प्राध्यापक ही नियुक्त किए जा सके। साफ दिखाई दे रहा था कि कॉलेजों की घोषणा बिना सर्वे विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई है। इसका नतीजा यह निकला कि अधिकांश कॉलेजों में सीट ही नहीं भरे। महासमुंद, रायगढ़ जैसे कई शहरों के आत्मानंद कॉलेजों में दाखिला 100 से ऊपर नहीं पहुंचा जबकि यहां सीटें 270 हैं। इन अतिथि प्राध्यापकों की भी नियुक्ति चालू सत्र में ही समाप्त हो जाने वाली है। चुनाव निपटने के तुरंत बाद कोई फैसला नहीं लिया गया तो इन उत्कृष्ट स्कूल और उत्कृष्ट कॉलेजों के छात्रों का एक सत्र खराब हो सकता है। ऊपर से भाजपा ने सरकार बनते ही घोषणा कर दी है कि प्रदेश के 25 हजार स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम बनाया जाएगा। अभी यही मालूम नहीं है कि पहले से चल रही स्कूलों और कॉलेजों का क्या होगा?
दर्शनार्थी प्लेटफॉर्म पर
इस वर्ष फिर माल परिवहन का रिकार्ड तोडऩे वाली रेलवे ने नवरात्रि पर डोंगरगढ़ में एक्सप्रेस ट्रेनों को रोकने की घोषणा की, तब यह नहीं बताया कि दर्शनार्थियों को वह कितनी देर से पहुंचाएगी और दर्शन करने के बाद अगली ट्रेन के लिए कितना इंतजार कराएगी। स्टेशन के दोनों ओर पटरियों पर मालगाड़ी और बीच में प्लेटफॉर्म पर यात्री ट्रेन के इंतजार में बैठे बमलेश्वरी दर्शन करके लौटे लोग। जिस वक्त यह तस्वीर ली गई, स्टेशन के सूचना पटल पर बताया जा रहा था कि बिलासपुर इतवारी इंटरसिटी 4 घंटे, रायगढ़ गोंडवाना 3 घंटे 10 मिनट और आजाद हिंद एक्सप्रेस 5 घंटे 30 मिनट देरी से चल रही है। ([email protected])
- 13 अप्रैल : जलियांवाला बाग की दुखद घटना का साक्षी
- नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा)। देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। वह वर्ष 1919 का 13 अप्रैल का दिन था, जब जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज हुक्मरान ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। पंजाब के अमृतसर जिले में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे में अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई बहुत सी औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गईं। निकास का रास्ता संकरा होने के कारण बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए।
- एक अन्य घटना की बात करें तो खालसा पंथ की नींव भी 13 अप्रैल के दिन ही रखी गई थी। 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
- उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में इसी दिन फसल पकने की खुशी में बैसाखी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
- देश दुनिया के इतिहास में 13 अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1699 : सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की। हर साल इसी दिन बैसाखी का त्यौहार बनाया जाता है।
- 1919 : अंग्रेज सैनिको ने जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण सभा कर रहे निहत्थे भारतीयों पर गोली चला कर सैकड़ों की जान ले ही। इस दौरान हज़ारों लोग घायल हुए। इस घटना ने देश के स्वतंत्रता संग्राम का रूख मोड़ दिया।
- 1960: फ्रांस ने सहारा मरूस्थल में परमाणु बम का परीक्षण किया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना।
- 1973 : अपने सरल व्यक्तित्व और सशक्त अभिनय से हिंदी सिनेमा में एक अहम मुकाम रखने वाले अभिनेता बलराज साहनी का निधन।
- 1980: अमेरिका ने मास्को में हो रहे ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का बहिष्कार किया।
- 1984 : भारतीय क्रिकेट टीम ने शारजाह में पाकिस्तान को 58 रन से हराकर पहली बार एशिया कप जीता।
- 1997 : अमेरिका के युवा गोल्फ खिलाड़ी एल्ड्रिक टाइगर वुड्स ने 21 साल की उम्र में यूएस मास्टर्स चैंपियनशिप जीतकर सबसे कम उम्र में यह खिताबी विजय दर्ज की।
- 2004 : वेस्ट इंडीज के धाकड़ बल्लेबाज ब्रायन लारा ने एंटीगुआ में इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए 400 रन की ऐतिहासिक पारी खेली।
- 2005 : भारत के विश्वनाथन आनंद ने चौथी बार विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम किया।
- 2007 : भारत और रूस के कूटनीतिक संबंधों को 60 साल पूरे हुए।
- 2013- पाकिस्तान के पेशावर में एक बस में धमाके से आठ लोगों की मौत।
सत्ता बाजार और सट्टा बाजार
लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित होंगे। इससे पहले सट्टा बाजार में केंद्र में सरकार बनाने को लेकर भाव खुल चुके हैं। चर्चा है कि फलौदी सट्टा बाजार में अकेले भाजपा को 316 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। यानी इससे कम सीट पर भाव लगाने पर दोगुनी रकम मिलेगी।
कहा जा रहा है कि अभी राज्यों की सीटों पर भाव नहीं लग रहा है। वैसे सटोरिए फिलहाल छत्तीसगढ़ की सभी सीट भाजपा की झोली में जाने का अनुमान लगा रहे हैं। बाजार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हफ्तेभर के भीतर राज्यवार सीटों पर भाव लगेंगे।
हालांकि सट्टा बाजार का अनुमान विधानसभा चुनाव में गलत साबित हुआ था। सट्टा बाजार ने कांग्रेस को बढ़त मिलने का अनुमान लगाया था। जबकि भाजपा को विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी जीत मिली है। लोकसभा चुनाव में क्या कुछ होता है, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।
एक फंदे से निकले, दूसरे में फँसे
चर्चा है कि ईडी ही नहीं एसीबी के छापे भी लीक हो रहे हैं। एसीबी ने शराब घोटाला केस में 21 ठिकानों पर छापेमारी की, और मुख्य आरोपी एपी त्रिपाठी को बिहार से गिरफ्तार कर लिया। जो ईडी के इसी केस में जमानत पर थे। एसीबी ने त्रिपाठी के अलावा अनवर ढेबर, और अरविन्द सिंह को भी गिरफ्तार किया है। मगर कांग्रेस नेता पप्पू बंसल के यहां छापेमारी की खूब चर्चा हो रही है।
दिलचस्प बात यह है कि पप्पू बंसल के यहां सालभर पहले ईडी ने छापेमारी की थी। तब भी पप्पू बंसल घर पर नहीं थे। और गुरुवार को एसीबी ने पप्पू बंसल के भिलाई-3 निवास पर दबिश दी, तब भी वो घर पर नहीं मिले। सुनते हैं कि पप्पू बंसल बुधवार की रात घर पर ही थे। इसके बाद कहीं चले गए। एसीबी ने कई जगह पूछताछ की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद पप्पू बंसल के घर को सील कर दिया गया है। चर्चा है कि एसीबी के छापे की खबर पप्पू बंसल को पहले ही मिल गई थी। अब आगे क्या होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
कवासी का हाल
बस्तर में पीएम की सभा के बाद भाजपा के पक्ष में माहौल बना है। कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा ने सीमावर्ती इलाकों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का सोचना है कि यदि जगदलपुर, नारायणपुर और कोंडागांव से कांग्रेस पिछड़ती भी है, तो इसकी भरपाई बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा आदि क्षेत्रों से हो जाए।
बीजापुर में प्रचार के लिए तेलंगाना सरकार के मंत्री भी आए हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। इसके अलावा सुकमा में भी बड़ी बढ़त की उम्मीद पाले हुए हैं। मगर भाजपा इन तीनों क्षेत्रों में भी प्रचार में कांग्रेस से कम नहीं है। सुकमा में तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कभी बढ़त नहीं मिली है। खुद कवासी विधानसभा चुनाव तो जीत गए थे, लोकसभा उप चुनाव में अपने क्षेत्र से पिछड़ गए थे। अब इस बार क्या रहता है यह तो नतीजे आने के बाद पता चलेगा।
रामनवमी और चुनावी जुलूस
देश की 102 सीटों पर पहले चरण में लोकसभा चुनाव हो रहा है, जिनमें तमिलनाडु, उत्तराखंड और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों की असम छोडक़र लगभग सारी सीटें, राजस्थान की 12 सीटें, मध्यप्रदेश के मंडला इलाके की सीटें और छत्तीसगढ़ की केवल एक बस्तर सीट शामिल है। यह संयोग है कि चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ही रामनवमी है। रामनवमी पर शहरों-गावों में शोभायात्रा और जुलूस निकाले जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से यह परम्परा और व्यापक होती गई है। एक ही समय में रामनवमी का जुलूस निकलेगा और चुनाव अभियान की रैलियां, सभाएं होगी। चुनाव प्रचार को शाम 5 बजे तक ही छूट मिलती है, पर रामनवमी का चुनाव से कोई सीधा संबंध है नहीं। एक राजनीतिक कार्यक्रम है तो दूसरा धार्मिक। पर मुमकिन है कि दोनों कई जगह एक दूसरे से मिल जाएं। निर्वाचन प्रेक्षकों को नजर रखनी पड़ेगी कि धार्मिक जुलूस का चुनाव के लिए इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है। पुलिस के सामने भी कानून-व्यवस्था को संभालने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। कांग्रेस भाजपा दोनों ही कोशिश कर सकती हैं कि रामनवमी के लिए निकली भीड़ का रुख अपनी ओर करें। अनुमान लगाएं, फायदा किसे मिलेगा?
बीजेपी का मीडिया मैनेजमेंट
लोकसभा चुनाव में भाजपा पूरी तैयारी से उतरी है। संगठन के कई लोग प्रबंधन में लगे हैं, जिनकी विपक्ष की हर एक गतिविधि पर पैनी नजर है और फील्ड पर काम करने वालों को तुरंत निर्देश जारी कर दिया जाता है और एक जैसी प्रतिक्रिया पूरे प्रदेश में एक साथ दी जाती है। बस्तर के कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा का कथित बयान कवासी जीतेगा, मोदी मरेगा, जैसे ही सामने आया सोशल मीडिया पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया शुरू कर दी। इतना ही नहीं गुरुवार को प्रदेश के सभी अधिकांश जिला मुख्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेता या विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस लेकर बयान की निंदा की। ऐसा ही तब देखने मिला जब राजनांदगांव में डॉ. चरण दास महंत ने मोदी का सिर फोडऩे की बात कही थी। दो चार घंटे के भीतर ही सोशल मीडिया पर मंत्री, विधायकों, पदाधिकारियों के अपलोड हो गए। महंत कह रहे थे तिल का ताड़ बना दिया, उधर भाजपा की ओर से निर्वाचन आयोग में उसी दिन शिकायत भी हो गई। दूसरी तरफ ऐसे मामलों में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत रूप से प्रतिक्रिया दे रहे हैं या राजीव भवन से वक्तव्य जारी कर रहे हैं। मीडिया के जरिये चौतरफा हमले में वह कमजोर दिखाई दे रही है।
चंदिया के घड़े छाए...
बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग पर चंदियारोड एक छोटा सा स्टेशन है। इसी स्टेशन से उतरकर चंदिया कस्बे में पहुंचा जा सकता है। यहां की सुराही और घड़े बहुत प्रसिद्ध हैं। इन दिनों रायपुर, बिलासपुर सहित कई शहरों में चंदिया से कुम्हारों की टोली ट्रकों में मिट्टी के आकर्षक बर्तन लेकर पहुंचे हैं। वे बताते हैं कि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी उनके मिट्टी के बर्तनों की मांग है। चंदिया क्षेत्र के सैकड़ों परिवार इसी व्यवसाय से जुड़े हैं। जो कुम्हार परिवार यहां मटके लेकर आये हैं, उनमें से ज्यादातर लोग इसे खुद नहीं बनाते, बल्कि सिर्फ वहां से लाकर इन्हें बेचते हैं। इनका कहना है कि चंदिया की मिट्टी में खासियत ही कुछ ऐसी है कि इसके ग्राहक दूर-दूर तक मिल जाते हैं। पिछले कुछ दिनों से गर्मी कम होने से उनकी बिक्री घट गई है पर उन्हें मालूम है कि आगे गर्मी के काफी दिन बचे हैं। हर साल की तरह इस साल भी पूरा माल बेचकर ही जाएंगे।
- 12 अप्रैल : पोलियो की दवा के ईजाद का दिन
- नयी दिल्ली, 12 अप्रैल। साल का 102वां दिन 12 अप्रैल कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है। डाक्टर जोनास साल्क ने 12 अप्रैल 1955 को पोलियो से बचाव की दवा ईजाद की थी। एक समय यह बीमारी सारी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी और डाक्टर साल्क ने इसके रोकथाम की दवा ईजाद करके मानव जाति को इस घातक बीमारी से लड़ने का हथियार दिया था। इस दिन की एक और बड़ी घटना की बात करें तो यूरी गैगरीन पहले अंतरिक्ष यात्री के तौर पर आज ही के दिन अंतरिक्ष की अनजान अथाह दूरियां नापने निकले थे।
- इसके अलावा भारत के संदर्भ में भी इस दिन का महत्व है। 1978 को 12 अप्रैल के दिन भारत की पहली डबल डेकर रेलगाड़ी बम्बई के विक्टोरिया टर्मिनल से पुणे के लिए अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई थी।
- देश दुनिया के इतिहास में आज की तारीख पर दर्ज कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1801 : विलियम कैरी को फोर्ट विलियम कॉलेज आफ कलकत्ता में बांग्ला भाषा का प्रोफेसर नियुक्त किया गया।
- 1861: अमेरिका में गृह युद्ध की शुरूआत। दक्षिण के ग्यारह राज्यों ने जैफ़रसन डेविस के नेतृत्व में अमरीका से अलग परिसंघ बनाने की घोषणा के साथ आज़ादी की लड़ाई छेड़ दी।
- 1885: मोहनजोदड़ो की खोज करने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार राखलदास बनर्जी का जन्म।
- 1927: ब्रिटिश कैबिनेट ने महिलाओं को वोटिंग अधिकार देने का समर्थन किया।
- 1945: अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट का रहस्यमय परिस्थितियों में निधन।
- 1946 : सीरिया पर फ्रांस का कब्जा समाप्त।
- 1955 : डाक्टर जोनास साल्क ने पोलियो की दवा ईजाद करने का ऐलान किया।
- 1961: सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में अपना वर्चस्व कायम करते हुए यूरी गैगरीन को अंतरिक्ष में भेजा। वह अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले मानव थे। मेजर यूरी ने बैंकनूर अंतरिक्ष केंद्र से वोस्टॉक नामक अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी। उस वक्त उनकी उम्र 27 साल थी।
- 1973: सूडान ने अपना संविधान बनाया।
- 1975: अमेरिका ने कंबोडिया में अपनी हार स्वीकार कर ली। कंबोडिया के गृह युद्ध में पांच साल तक हस्तक्षेप करने के बाद अमेरिका ने अपने आपको लड़ाई से अलग कर लिया।
- 1978 : भारत की पहली डबल डेकर रेलगाड़ी बम्बई के विक्टोरिया टर्मिनल से पुणे के लिए अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई।
- 1981: अमेरिकी अंतरिक्ष यान कोलंबिया पहली बार प्रक्षेपित किया गया।
- 2007: पाकिस्तान ने ईरान गैस पाइनलाइन पर भारत को मंजूरी दी।
- 2020 : देश में कोरोना वायरस के पुष्ट मामलों की संख्या नौ हजार के करीब हो गई। भाषा
आरक्षण की जरूरत
राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पांडे ने फेसबुक पर लिखा कि जिस रफ्तार से कांग्रेसियों का भाजपा में प्रवेश हो रहा है, जल्दी ही भाजपाई अपनी ही पार्टी में अल्पसंख्यक हो जाएंगे। गुजरात में तो मूल भाजपाईयों ने पार्टी में अपने लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग रख दी है। कहां तो कांग्रेस मुक्त भारत बना रहे थे, बन गई कांग्रेस युक्त भाजपा।
वीरेन्द्र पांडे से भाजपा के कई नेता सहमत दिख रहे हैं। कई कांग्रेस नेताओं ने पिछले दिनों भाजपा में शामिल हुए थे उस पर भाजपा के नेता अपने वॉट्सऐप ग्रुप में तीखी प्रतिक्रिया जता रहे हैं। एक-दो ने तो कांग्रेस नेताओं के भाजपा प्रवेश पर हताशा जाहिर करते हुए लिखा कि भाजपा में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की कोई औकात नहीं रह गई है। चुनाव चल रहा है इसलिए पार्टी के रणनीतिकार इन सब पर ज्यादा चर्चा नहीं कर रहे हैं। लेकिन चुनाव निपटने के बाद दलबदलुओं को महत्व मिला, तो कलह उभरकर सामने आ सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
नाम टेलीग्राम जैसा...
छत्तीसगढ़ के पहले विश्वविद्यालय, रविशंकर विश्वविद्यालय का नाम बाद में अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के नाम पर दुरूस्त किया गया, और विवि का नाम पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय किया गया। नाम कुछ लंबा हो गया, और विश्वविद्यालय के प्रवेशद्वार पर जब इस नाम को लिखे देखें, तो इसके शब्दों के बीच किसी तरह की कोई जगह नहीं छूटी है, और हिन्दुस्तानी नाम न जानने वाले लोग यह भी नहीं समझ सकते कि कौन सा शब्द कहां खत्म हो रहा है। अक्षर चाहे कुछ छोटे हो जाते, शब्द तो अलग-अलग रखने ही चाहिए थे। वैसे टेलीग्राम के जमाने में ऐसे शब्द से बचत हो सकती थी, और कुछ होशियार लोग बचत के ऐसे कुछ तरीके ढूंढ भी लेते थे।
अमित शाह की भारी डिमांड
भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस के नेताओं की लाईन है। तकरीबन सभी जिलों से विशेषकर कांग्रेस के असंतुष्ट नेता, भाजपा में आने के लिए प्रयासरत हैं। इन्हीं में से रायपुर के कांग्रेस के एक बागी नेता से भाजपा प्रवेश को लेकर पूछताछ की गई, तो उसने शर्त रख दी कि वो भाजपा में शामिल होना चाहते हैं लेकिन सदस्यता सिर्फ अमित शाह के सामने लेंगे। शाह से परे कई और भाजपा के राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। मगर दल बदलने के लिए अमित शाह के मंच को बेहतर मान रहे हैं। दल बदलने वाले नेताओं का सोचना है कि अमित शाह के सामने प्रवेश से भाजपा में पूछ-परख रहेगी। मगर वाकई ऐसा होगा यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।
चीतल और लंगूर की दोस्ती
टाइगर जंगल का राजा है तो चीतल जंगल की शोभा। नर के सींग होते है, मादा के नहीं। ये लंगूर के दोस्त हैं, पर हिंसक जीव इसकी जान के दुश्मन।
बारनवापारा अभयारण में सोसर याने मानव निर्मित जल कुड़ में नटखट लंगूर और चीतल एक दूसरे को छेड़ते, पानी के लिए भिड़ते दिखे। इसका एक वीडियो वहां के गाइड चैनसिंह ने बनाया जिसे वन्यजीव प्रेमी प्राण चड्ढा ने सोशल मीडिया पर साझा किया है।
वे बताते हैं कि टाइगर या लैपर्ड की उपस्थिति की जानकारी यह अलार्म काल से देते हैं।
खतरे में चीतल ऐसी छलांग मारते दौड़ते हैं, जैसे हवा में उड़ रहे हों। नर चीतल दो पांव से खड़े होकर पेड़ से पत्ती या फल तोड़ कर खाते दिखते हैं।
मेटिंग के दौरान नर चीतल का रंग गहरा हो जाता है और इनके झुंड बड़े हो जाते हैं। तब नर चीतल मादा के लिए लड़ पड़ते हैं। ऐसे वक्त आपस में सींग फंस गए तो छोटे हिंसक जीव दोनों का शिकार भी बन सकते हैं।
चिंतामणि महाराज की चिंता
कांग्रेस, और भाजपा प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिए हैं। इन सबके बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। सरगुजा में तो भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के खिलाफ 16 बिन्दुओं पर आरोप पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिससे माहौल गरमा गया है। दिलचस्प बात यह है कि आरोप पत्र, बलरामपुर-रामानुजगंज जिला भाजपा अध्यक्ष के नाम से जारी किया गया है। भाजपा प्रत्याशी पर जो आरोप लगाए गए हैं, उस पर नजर डालें तो पहली नजर में किसी जानकार व्यक्ति द्वारा काफी मेहनत कर तैयार किया गया प्रतीत होता है। चिंतामणि महाराज के विरोधी न सिर्फ कांग्रेस में बल्कि भाजपा में भी हैं। ये अलग बात है कि जिनके नाम से आरोप पत्र जारी किया गया है, वो चिंतामणि महाराज के समर्थक हैं। उन्होंने बाकायदा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। फिर भी सोशल मीडिया पर जारी आरोप पत्र की काफी चर्चा हो रही है।
तेंदूपत्ता और वोट
पहले और दूसरे चरण की कुल 4 सीटों पर तेन्दूपत्ता संग्राहकों की भूमिका काफी अहम होगी। भूपेश सरकार तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि दे रही थी, लेकिन विष्णु देव साय सरकार ने बढ़ाकर 55 सौ रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया।
बस्तर के अलावा दूसरे चरण की 3 सीट कांकेर, राजनांदगांव, और महासमुंद में अच्छा खासा तेन्दूपत्ता संग्रहण होता है। भाजपा के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि तेन्दूपत्ता संग्राहक आदिवासी परिवारों का उन्हें भरपूर समर्थन मिलेगा। कांग्रेस के लोग भी तेन्दूपत्ता संग्राहक और फड़ मुशियों से समर्थन मांग रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि भूपेश राज में सबसे ज्यादा तेन्दूपत्ता संग्राहकों को फायदा पहुंचा था। दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में तेन्दूपत्ता संग्राहकों के समर्थन की वजह से ही कांग्रेस को जीत मिली थी। मगर विधानसभा आम चुनाव में अपेक्षाकृत समर्थन नहीं मिला। अब लोकसभा चुनाव में क्या होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
पानी की गारंटी कौन देगा?
चुनाव का बहिष्कार करने वाला प्रत्येक आह्वान माओवादियों की तरह अलोकतांत्रिक नहीं होता, बल्कि जनप्रतिनिधियों और सरकार से नाराजगी की प्रतिक्रिया होती है। प्रदेश में जगह-जगह से मतदाताओं की चेतावनी आ रही है कि उनकी समस्याएं दूर नहीं हुई तो वह चुनाव बहिष्कार करेंगे। एमसीबी जिले के गेल्हा पानी गांव को चिरमिरी नगर निगम में शामिल कर लिया गया है। वे स्थानीय प्रशासन, नेताओं से नाराज हैं। उनका कहना है कि पानी बिजली की मूलभूत समस्या से जूझ रहे हैं, मगर विधायक और मंत्री इसे दूर नहीं करते, सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने के लिए आ जाते हैं। कानून व्यवस्था दुरुस्त नहीं रखने के चलते हुए वे पुलिस से भी नाराज चल रहे हैं। गेल्हापानी में बाकायदा मतदान बहिष्कार के पोस्टर जगह-जगह चिपका दिए गए हैं। राजनांदगांव के हालाडुला के ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और जल संकट दूर नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। यहां जल स्तर भी काफी गिर गया है। बिगड़े हैंडपंपों को शिकायत के बावजूद भी सुधारा नहीं जा रहा है। जांजगीर चांपा के गोवाबंद गांव में सोलर पैनल खराब हो जाने के कारण पानी का पंप नहीं चलता है, जिससे ग्रामीण जल संकट से जूझ रहे हैं। पंप चालू नहीं होने पर ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।
सबसे गंभीर वाकया जगदलपुर जिले के आखिरी छोर पर बसे गांव चांदामेटा का है। यहां पहली बार सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के बीच बीते विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्र बनाया गया। आजादी के बाद पहली बार लोग अपने ही गांव के स्कूल में वोट डाल पाए। यहां पर भी मतदान बहिष्कार का ऐलान कर दिया गया है। लोगों को पीने का पानी गड्ढों से निकालना पड़ रहा है। यह पानी इतना गंदा है कि सुविधा पसंद लोग शायद इससे नहाना भी पसंद ना करें।
दूसरे जिलों से भी इसी तरह की खबरें हैं। चुनाव की वजह से यह बात बाहर निकाल कर आ रही है छत्तीसगढ़ के गांवों में पीने और निस्तार के लिए पानी की कितनी दिक्कत लोगों को हो रही है। मान मनौव्वल करके या थोड़ा बहुत तत्कालिक इंतजाम करके शायद इन्हें बहिष्कार से रोक लिया जाए, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं कि चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि और प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकालेंगे। बीते विधानसभा चुनाव में तो जबरदस्ती वोट डलवाने से नाराज बिल्हा क्षेत्र के बोदरी नगर पंचायत के ग्रामीणों ने पटवारी को बंधक भी बना लिया था। सडक़ नहीं बनने के कारण उन्होंने चुनाव बहिष्कार किया था।
10 अप्रैल : अपनी पहली और अंतिम यात्रा पर निकला अभागा टाइटैनिक
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा)। ‘‘कभी न डूब सकने वाले’’ पोत के रूप में प्रचारित किए गए टाइटैनिक जहाज का 10 अप्रैल से गहरा नाता है। यह बदकिस्मत जहाज 10 अप्रैल के दिन ही ब्रिटेन के साउथहैंपटन बंदरगाह से अपनी पहली और अंतिम यात्रा पर रवाना हुआ था। वैसे टाइटैनिक जहाज का जिक्र आते ही इससे जुड़ी दुर्घटना के तमाम मंजर आंखों के सामने से गुजर जाते हैं।
वैसे यह भी हकीकत है कि जहाज कब बना, किसने बनाया, यह कब अपनी यात्रा पर निकला यह सब तथ्य 1997 में आई फिल्म टाइटैनिक ने धुंधले कर दिए और याद रह गई जेम्स कैमरन की यह शानदार फिल्म, विशाल जहाज के डेक पर बांहें फैलाए खड़े लियोनार्डो डी कैप्रियो और केट विंस्लेट, नीले हीरे वाली माला और पानी का रौद्र रूप।
देश दुनिया के इतिहास में 10 अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
1847: पुलित्जर पुरस्कारों के प्रणेता अमेरिकी पत्रकार एवं प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर का जन्म।
1875 : स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना की।
1894: भारतीय उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला का जन्म।
1912: टाइटैनिक ब्रिटेन के साउथहैंपटन बंदरगाह से अपनी पहली और आखिरी यात्रा पर रवाना हुआ।
1916: पहले गोल्फ टूर्नामेंट का प्रोफेशनल तरीके से आयोजन।
1930: पहली बार सिंथेटिक रबर का उत्पादन।
1972: ईरान में भूकंप से करीब 5 हजार लोगों की मौत।
1972 : जैविक हथियारों के विकास, उत्पादन और भंडारण पर जैविक हथियार संधि के जरिए रोक लगा दी गई। इसपर 150 से ज्यादा देशों ने हस्ताक्षर किए।
1973 : पाकिस्तान ने संविधान में संशोधन कर जुल्फिकार अली भुट्टो को राष्ट्रपति के स्थान पर प्रधानमंत्री बनाया।
1988 : पाकिस्तान के रावलपिंडी और इस्लामाबाद के बीच घनी आबादी वाले एक इलाके में सेना के शस्त्र भंडार में आग लगने से जान माल का भारी नुकसान। कम से कम 90 लोगों की मौत। एक हजार से ज्यादा घायल।
1982 : भारत के बहुउद्देशीय उपग्रह इनसेट- 1 ए का सफल प्रक्षेपण।
1995: भारत रत्न से सम्मानित भारत के पांचवें प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का निधन।
2001 : नीदरलैंड ने एक विधेयक को मंजूरी देकर इच्छा मृत्यु को मंजूरी दी। इस तरह का कानून बनाने वाला वह दुनिया का पहला देश बना।
2002 : 15 साल में पहली बार लिट्टे सुप्रीमो वी. प्रभाकरन ने प्रेस कांफ्रेस में भाग लिया।
2010: पोलैंड वायुसेना का टू-154एम विमान रूस के स्मोलेंस्क के पास दुर्घटनाग्रस्त। पोलैंड के राष्ट्रपति लेच केजिस्की, उनकी पत्नी और दर्जनों अन्य वरिष्ठ अधिकारियों व गणमान्य व्यक्तियों समेत 96 लोगों की मौत।
2016: केरल के पुत्तिंगल मंदिर में आग लगने से 100 से अधिक लोगों की मौत। 300 से अधिक लोग घायल हुए।
बस्तर के बाद, सरगुजा और...
आरएसएस ने बस्तर की दोनों सीटों के बाद सरगुजा, और रायगढ़ में अपनी ताकत झोंकने की रणनीति बनाई है। आरएसएस से जुड़े लोगों का कहना है कि पीएम की सभा के बाद बस्तर और कांकेर में मुफीद माहौल बन गया है। इन दोनों सीटों पर पहले और दूसरे चरण में मतदान होगा। सरगुजा, और रायगढ़ में तीसरे चरण यानी 7 मई को मतदान होगा।
तीसरे चरण की सीटों के लिए आरएसएस ने रणनीति बनाई है। आरएसएस के मध्य भारत प्रमुख अभयराम 13 अप्रैल को अंबिकापुर पहुंच रहे हैं। इसके बाद वो रायगढ़ भी जाएंगे। सरगुजा के भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के लिए आरएसएस के कार्यकर्ता प्रचार में जुट गए हैं। जबकि रायगढ़ से प्रत्याशी राधेश्याम राठिया तो आरएसएस से जुड़े धर्म जागरण मंच के पदाधिकारी हैं। ऐसे में दोनों सीटों पर अपनी ताकत झोंक रही है।
आरएसएस की पहल पर जशपुर के मतांतरित आदिवासियों को अपने पाले में करने के लिए लूंड्रा के विधायक प्रबोध मिंज को रायगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। प्रबोध मिंज, सीएम के साथ 3 सभाएं भी ले चुके हैं। कुल मिलाकर आरएसएस ने अपने जिन सहयोगियों को अडक़र टिकट दिलवाया है उसे जिताने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इसमें कितनी सफलता मिलती है, यह देखना है।
चंद्राकर जुटे हैं
पीएम नरेंद्र मोदी ने नारायणपुर के आमाबेल की सभा खत्म होने के बाद पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को काफी महत्व दिया। भीड़ के लिहाज से सभा काफी सफल थी और चंद्राकर बस्तर क्लस्टर के प्रभारी हैं, इसलिए सफल कार्यक्रम का श्रेय कुछ हद तक अजय चंद्राकर को भी जाता है।
पीएम ने अपने उद्बोधन के बाद सीएम, और दोनों डिप्टी सीएम से चर्चा के बीच अजय को बुलवाया और उनका हाथ पकड़ा। पीएम ने अजय से क्लस्टर का हालचाल भी लिया। बस्तर क्लस्टर में बस्तर, कांकेर के अलावा महासमुंद को भी शामिल किया गया है। यानी अजय चंद्राकर तीनों लोकसभा के प्रभारी हैं।
सीनियर होने के बावजूद अजय चंद्राकर को कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई। बावजूद इसके वो तीनों सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि तीनों सीटों पर पार्टी की स्थिति काफी मजबूत है। ऐसे में नतीजे अनुकूल आए, तो अजय का कद बढऩा स्वाभाविक है। वैसे भी कैबिनेट में जगह खाली है। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि चुनाव के बाद कैबिनेट विस्तार में अजय चंद्राकर को जगह मिल सकती है। देखना आगे क्या होता है।
नाराज कांग्रेसियों की अब पूछ-परख
कई दर्जन प्रदेश पदाधिकारियों, जिला पंचायत और नगर निगमों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया तब कांग्रेस संगठन का ध्यान डैमेज कंट्रोल की तरफ गया है। उस दिन कांग्रेस सावधान नहीं हुई थी, जब भाजपा ने दूसरे दलों से आने वाले हर किसी का स्वागत करने का ऐलान किया। एक दावा यह है कि जितना मुमकिन था, दूसरे दलों को भाजपा तोड़ चुकी। अब वे ही बचे हैं जो मौसम का मिजाज देखकर खुद ही उतावले हैं। दूसरा दावा यह है कि अब भी कुछ चौंकाने वाले नाम
बाकी हैं।
ऐसे मुश्किल वक्त में कांग्रेस ने 14 वरिष्ठ नेताओं की एक संवाद एवं संपर्क समिति बनाई है। इस समिति का गठन इशारा करता है कि लोकसभा चुनाव चल रहे होने के बावजूद कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं के साथ संपर्क-संवाद नहीं है। जिलों में बैठे अध्यक्ष, महामंत्री और थोक में बैठे पदाधिकारियों को भी पार्टी छोडऩे का इरादा रखने वालों की भनक नहीं लग रही। ऐसा भी हुआ कि पार्टी बदलने के एक दिन पहले तक वे कांग्रेस की सभा, बैठकों में दिख रहे थे।
कांग्रेस के जिन निर्वाचित पंचायत, नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों को अपनी कुर्सी बचाने की परवाह थी, वे तो भाजपा में चले गए। इनका चयन ऐसे दूसरे दावेदारों को किनारे करके किया गया था, जिनकी अब भी कांग्रेस में निष्ठा बनी हुई है। ज्यादातर लोगों को कांग्रेस शासनकाल में हुई मनमानी, दो चार लोगों के बीच केंद्रित सत्ता की ताकत को लेकर रही है। पांच साल पद मिले नहीं। अब सरकार रही नहीं, विधानसभा की टिकट बंटी, परिणाम आ गए, लोकसभा की भी बंट चुकी। अब नाराज कार्यकर्ताओं को देने के लिए कांग्रेस नेतृत्व के पास कुछ नहीं है, केवल आश्वासन के।
बस्तर सीट का पहला वोट
पहले चरण में छत्तीसगढ़ की केवल एक बस्तर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को वोटिंग होने जा रही है। कल से मतदान दलों ने ऐसे मतदाताओं के घर पहुंचना शुरू कर दिया, जो दिव्यांग हैं अथवा उनकी उम्र 85 वर्ष या उससे अधिक है। जगदलपुर की ऐसी ही एक दिव्यांग मतदाता खुशबू जॉनसन ने इस टीम के घर पहुंचने पर अपना वोट डाल दिया है।
जोगी जाति नहीं पदनाम...
बस्तर के जिस आदिवासी गांव आमाबाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा हुई वहां और आसपास के गांवों में निवास करने वाले करीब 800 लोग ऐसे हैं जिनका सरनेम जोगी है। सरनेम से भ्रम हो सकता है पर, ये असल सरल आदिवासी हैं। मगर आदिवासियों के अधिकार से वंचित हैं। इसके पीछे 110 साल पहले की गई पुरानी गड़बड़ी है। प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की रस्म इनके बिना पूरी नहीं होती। महल के आदेश पर परंपरा चली आ रही है कि मंदिर में कलश स्थापना के दौरान इस समाज का एक युवक जगदलपुर के सिरहासार भवन में निर्जल उपवास शुरू करता है, जो पूरे नौ दिन चलता है। मान्यता है कि इस तप से बस्तर दशहरा निर्विघ्न संपन्न हो जाता है। ये मूल रूप से आदिवासी हल्बा जाति के हैं, लेकिन इनकी साधना के महत्व को देखते हुए राजपरिवार ने इन्हें जोगी की पदवी दी। और जब दस्तावेजों में जाति लिखने की बारी आई तो अंग्रेजों ने हल्बा की जगह पर जोगी लिख दिया। चूंकि, अनुसूचित जनजाति की सूची में जोगी सरनेम है ही नहीं। इसलिए दशकों बीत जाने के बावजूद इन्हें आदिवासियों को मिलने वाला कोई लाभ नहीं मिलता। इस बीच कांग्रेस भाजपा की कितनी ही सरकारें बन चुकी और उतर गईं। वे लगातार मांग करते रहे, किसी ने नहीं सुना। जब मोदी कल उनके गांव में पहुंचे तो समाज के दो सदस्य डमरू नाग और रघुनाथ नाग को मोदी से मिलवाया गया। उन्होंने अपनी समस्या बताई। मोदी ने आश्वस्त किया है। अब इन 800 की जनसंख्या वाले जोगी परिवारों को उम्मीद है कि चुनाव के बाद उनकी वर्षों पुरानी दिक्कत दूर हो जाएगी और वे अपनी आदिवासी पहचान दस्तावेजों में दर्ज करा सकेंगे।
- 9 अप्रैल : अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना अनशन समाप्त किया
- नयी दिल्ली, 9 अप्रैल। आज के दिन का राजधानी में हुए एक चर्चित अनशन से गहरा नाता है, जिसने दिल्ली की सियासत की हवा ही बदल दी। सामाजिक कार्यकर्ता और देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की अलख जगाने वाले अन्ना हजारे ने 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में धुआंधार तरीके से अनशन किया और 9 अप्रैल को अपने इस अनशन का समापन किया। उनके इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि कभी उनके सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के तख्तो ताज तक पहुंचने का रास्ता इसी आंदोलन से निकला था।
- यह दिन दुनिया की एक और बड़ी घटना का भी गवाह है। वर्ष 2003 का वह मंजर बहुत से लोगों को याद होगा, जब इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन के शासन का अंत हुआ था और लोगों ने बगदाद के फिरदौस चौराहे पर लगी सद्दाम की मूर्ति को गिरा डाला था। इतिहास में वह घटना भी नौ अप्रैल की तारीख में दर्ज है।
- देश दुनिया के इतिहास में नौ अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है-
- 1669 : मुगल बादशाह औरंगजेब ने सभी हिन्दू स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया।
- 1860 : पहली बार मनुष्य की आवाज रिकार्ड की गई ।
- 1965 : कच्छ के रण में भारत पाक में युद्ध छिड़ा।
- 1988 : अमेरिका ने पनामा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये।
- 2001 : अमेरिकी एयरलाइंस ने ट्रांस वर्ल्ड एयरलाइंस का औपचारिक रूप से अधिग्रहण किया और वह उस समय दुनिया की सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई।
- 2002 : बहरीन में निगम चुनाव में महिलाओं को हिस्सा लेने की अनुमति मिली।
- 2003 : इराक को सद्दाम की तानाशाही से मुक्ति मिली।
- 2005 : प्रिंस चार्ल्स ने कैमिला से विवाह किया।
- 2010 : श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम एलायंस ने 225 सीटों वाली संसद में 117 सीटें जीतीं।
- 2011 : सरकार द्वारा लोकपाल कानून बनाने की मांग मान लेने के बाद अन्ना हजारे ने 95 घंटे से जारी अपना आमरण अनशन समाप्त कर दिया।
- 2020 : देश में कोरोना वायरस से 169 लोगों की मौत, संक्रमितों की संख्या 5,865 पर पहुंची। पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 591 मामले सामने आए और 20 लोगों की मौत हुई। (भाषा)
सिंहदेव चुने गए
सरगुजा राजघराने के मुखिया और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव राजकुमार कॉलेज के निर्विरोध चेयरमैन चुने गए। रविवार को कॉलेज प्रबंध समिति के सदस्य ओडिशा, छत्तीसगढ़, और झारखंड के पूर्व राजाओं की बैठक में बकायदा चुनाव हुआ। सिंहदेव पांच साल के लिए चेयरमैन चुने गए।
सिंहदेव इससे पहले कॉलेज के प्रेसिडेंट के पद पर थे। ओडिशा के बारम्बरा राजघराने के मुखिया त्रिविक्रमचंद्र देव कॉलेज प्रबंध समिति के प्रेसिडेंट चुने गए। दोनों शीर्ष पदाधिकारी बाकी कमेटी के पदाधिकारियों का मनोनयन करेंगे।
सिंहदेव अपने पारिवारिक सदस्य के ईलाज के लिए मुंबई में थे। रविवार को रायपुर पहुंचे, और फिर कॉलेज के चुनाव में हिस्सा लेने के बाद अंबिकापुर के लिए रवाना हो गए। सिंहदेव की गैर मौजूदगी की वजह से सरगुजा से कांग्रेस प्रत्याशी शशि सिंह का प्रचार जोर नहीं पकड़ नहीं पा रहा था।
सिंहदेव अंबिकापुर पहुंचते ही कांग्रेस प्रत्याशी, और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की। उनके समर्थकों का मानना है कि सिंहदेव के प्रचार में जुटने से सरगुजा संभाग की सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा। क्या वाकई ऐसा होगा यह देखना है।
सम्मेलन से गायब पदाधिकारी
अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार में लगाए रखने के लिए भाजपा इन दिनों जगह-जगह कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है। इससे पता चल रहा है कि कौन-कौन बाहर निकल रहे हैं और काम कर रहे हैं। सम्मेलन में नहीं पहुंचने वाले नजर आ रहे हैं और उसे नोट भी किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और प्रत्याशी चिंतामणि महाराज की उपस्थिति में कल बलरामपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ठीक-ठाक नहीं दिखी तो जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश जायसवाल की नाराजगी फूट पड़ी। मंच से ही उन्होंने कहा कि कई जिम्मेदार पदाधिकारी आज दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐसे होगा तो चुनाव कैसे लड़ा जाएगा?
जिला अध्यक्ष की नाराजगी स्वाभाविक थी। भाजपा अनुशासित लोगों की पार्टी है। एक-एक पद नाप-तौल कर दिए जाते हैं। यह सब कांग्रेस में होता है जहां जिला और प्रदेश अधिकारी बैठकों से गायब भी रहें तो कोई सवाल नहीं पूछा जाता। हो सकता है गायब रहे भाजपा पदाधिकारी मैदान पर काम कर रहे हों, पर कार्यकर्ता सम्मेलनों, बैठकों से ऊब गए हों। मंत्री जायसवाल का भाषण चल रहा था तो बहुत सी कुर्सियां खाली हो गई। पूछा गया तो कार्यकर्ता बोले- आंधी पानी का मौसम है। खुली जगह पर सम्मेलन रख दिया गया है।
मगर, आयोजकों को ही पता है कि निर्वाचन कार्यालय में हिसाब देना पड़ता है। पंडाल लगाकर सभा करने और बिना लगाए सभा करने में खर्च का बड़ा अंतर आ जाता है।
वैसे बीते दिनों बिलासपुर में भी कार्यकर्ता मंत्री दयालदास बघेल का भाषण सुनने के बजाय कुर्सियां छोडक़र चले गए थे। बात यह थी कि लंच की टेबल सज चुकी थी और भाषणों का सिलसिला खत्म ही नहीं हो रहा था।
लखमा का लाग लपेट
बस्तर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा चुनाव की लड़ाई को खूब इंजॉय कर रहे हैं और करा भी रहे हैं। उन्होंने टिकट मांगी थी बेटे हरीश के लिए, हाईकमान ने उन्हें ही पकड़ा दी। इसकी तुलना उन्होंने यह कहकर की कि वे अपने बेटे के लिए दुल्हन खोजने गए थे, मुझे ही थमा दिया गया। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा दारू पैसा बांटने वालों से ले लो, और चार जून को नतीजा आने पर खूब नाच-नाच कर पियो। दारू मिल जाने के बाद 4 जून तक संभाल रखने का संयम?
अब एक और वीडियो वायरल हो रहा है जिसे जगदलपुर सीट के चिंगपाल ग्राम का बताया जा रहा है। अपने हल्बी भाषण वे अपनी पार्टी के लोगों का नाम ले लेकर बता रहे हैं कि किस किस ने क्या किया। यह भी कह रहे हैं कांग्रेस विधानसभा में हारने वाली नहीं थी, कांग्रेसियों ने ही रहा दिया। बीजेपी में हराने का दम नहीं था। चुनाव प्रचार जब चरम पर हो तो ऐसा आरोप पार्टी के वोटों को एकजुट करने में मदद करेगा या नहीं, यह लखमा ही बता सकते हैं। प्रचार में भाजपा आगे भले ही हो, चर्चा में लखमा पीछे नहीं हैं।
बहाव के खिलाफ तैरते विकास
रायपुर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय के प्रचार के तौर तरीकों ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। वो भाटापारा गए, तो ट्रेन में लोगों से आशीर्वाद मांगा, और गांवों में बैलगाड़ी से घर-घर दस्तक दे रहे हैं।
विकास उपाध्याय गांवों में जमीन पर साथियों के साथ रात्रि विश्राम कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भाटापारा को छोडक़र बाकी सीटों पर कांग्रेस की बुरी हार हुई है। खुद विकास भी चुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के ताकतवर नेता बृजमोहन अग्रवाल से है। जिनसे पार पाना विकास के लिए बेहद कठिन है।
फिर भी विकास मेहनत में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। उनके सहयोगी गांव-गांव में नारी न्याय योजना का फार्म भी भरवा रहे हैं। फार्म लेकर भी कई लोग सवाल-जवाब कर रहे हैं। एक-दो जगहों से तो एडवांस की मांग भी आ गई है। जिसे सुनकर कार्यकर्ता आगे बढ़ गए।
दुर्घटना तो टल गई मगर...
कोरबा में मंगलवार को हिंदू नववर्ष पर एक शोभायात्रा निकाली जानी है। इसकी भव्य तैयारियां की गई है। सीतामणि से ट्रांसपोर्टनगर जाने वाली सडक़ पर अंडरपास जैसा लुक देते हुए एक विशाल पंडाल इस मौके पर आयोजकों ने तैयार किया था। पर रविवार को आई आंधी-पानी में टूटकर यह पुल के ऊपर गिर गया। पंडाल के गिरने से किसी राहगीर को चोट नहीं आई। इसके पीछे वहां तैनात एक यातायात सिपाही की मुस्तैदी थी। जैसे ही उसने देखा कि आंधी के चलते पंडाल हिलने लगा है, उसने खतरा मोल लिया और दोनों ओर सीटी लेकर दौड़ लगाते हुए ट्रैफिक रोक दी। उसने थाने में फोन करके और सिपाही बुलाए। जो पंडाल गिरने से पहले दोनों ओर खड़े हो गए। सडक़ खाली हो गई और थोड़ी देर में ही पंडाल जमींदोज हो गया। आम दिनों में भी व्यस्त रहने वाली इस सडक़ पर आवाजाही तीन घंटे तक ठप रही, जिससे जाम लग गया। यातायात में असुविधा पंडाल लगने के बाद से ही हो रही थी। प्राय: देखा गया है कि इस तरह की जुलूस रैलियों में प्रशासन सुरक्षा मानकों की अनदेखी करता है। कई बार आयोजक अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझते और लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है।