स्थायी स्तंभ
- 1509 - भारत में दीव (गोआ, दमन और दीव) के पास पुर्तग़ाल व तुर्की के बीच युद्ध हुआ।
- 1892 - रशिया ने कैलिफ़ोर्निया में फऱ ट्रेडिंग कॉलोनी की स्थापना की।
- 1901 - क्वीन विक्टोरिया का अंतिम संस्कार हुआ।
- 1920 -फ्रांस ने मैमेल पर कब्ज़ा किया।
- 1922 - जेम्स जॉयस का लिखा उपन्यास यूलिसिस पहली बार प्रकाशित किया गया।
- 1990 - अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस पर 30 वर्ष पूर्व लगा प्रतिबंध हटाया गया।
- 1992 - अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश एवं रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन द्वारा शीत युद्ध की समाप्ति की घोषणा।
- 2001 - भारतीय नौसेना के सी किंग हेलिकाप्टरों के लिए अमेरिकी कलपुर्जों की बिक्री को अनुमति।
- 2004 - स्विस टेनिस प्लेयर रोजर फेडरर 237 हफ्तों तक लगातार पहली रैकिंग पर रहे। यह एक रिकार्ड है।
- 2008- राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कर्नाटक की पहली लक्जरी ट्रेन गोल्डन चैरियट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार सिख विवाह अधिनियम अध्यादेश लागू हुआ।
- 1889 - भारत की एक प्रख्यात गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और एक सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमारी अमृत कौर का जन्म हुआ।
- 1960 - हिन्दी साहित्य के एक महान उपन्यासकार चतुरसेन शास्त्री का निधन हुआ।
- 1978 - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मलयाली भाषा के एक प्रसिद्ध साहित्यकार गोविंद शंकर कुरुप का निधन हुआ।
- 1947 -एड्विन एच. लैन्ड ने आप्टिकल सोसाइटी आफ अमेरिका के एक सम्मेलन में झटपट फोटोग्राफी के अपने आविष्कार को प्रदर्शित किया।
- 1962 -चार सौ बरसों के अंतराल के बाद पहली बार सौरमंडल के नौ में से आठ ग्रह एक पंक्ति में आए।
- 1841- स्विस भौतिकशास्त्री और लिम्नोलॉजी (झीलों का अध्ययन) के संस्थापक फ्रास्वां-अल्फॉन्स फॉरेल का जन्म हुआ, जिन्हें घनत्व धाराओं की खोज का श्रेय जाता है। ये ऊंची पहाड़ी की झीलों में हिमानियों से व्युतपन्न ठंडे तापमान वाली धाराओं के प्रवेष के कारण बनती हैं। (निधन- 7 अगस्त 1912)
- 1802- फ्रांसीसी कृषि-रसायनज्ञ ज्यां बैप्टिस्ट बॉसिनगॉल्ट का जन्म हुआ, जिन्होंने जैविक नाइट्रोजन चक्र का पता लगाया। पहले वे एक खान अभियंता (माइन इंजीनियर) थे। उन्होंने खनिज शास्त्र, ज्वालामुखीय गैसों, भूकम्प आदि विभिन्न विषयों पर लिखा। (निधन- 12 मई 1887)
- 1980- अमेरिकी जैवरसायनज्ञ विलियम एच. स्टेन का निधन हुआ, जो स्टैनफोर्ड मूर तथा क्रिश्चियन बी. एन्फिन्सैन के साथ अग्नाशय (पैंक्रियाज़) के एन्ज़ाइम पर अनुसंधान कार्य के लिए 1972 में रसायनशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के सहविजेता थे। (जन्म-25 जून 1911)
- 1998- अमेरिकी मनोवैज्ञानिक रेमण्ड बर्नार्ड कैटेल का निधन हुआ, जिन्होंने संज्ञानात्मक क्षमताओं, व्यक्तित्व तथा प्रेरणाओं के व्यक्तिगत अंतर पर अनुसंधान किया। उन्होंने मनोविज्ञान के अध्ययन को और उद्देश्यात्मक तथा परिमाणात्मक बनाने के लिए मनोविज्ञान के अध्ययन में गणितीय तकनीक अपनायी। (जन्म-20 मार्च 1905)
ऑनलाइन चुनौती
ऑनलाइन क्लास लेने में कोताही बरतने पर दर्जनभर कॉलेज शिक्षकों को नोटिस थमा दिया गया है। कुछ जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास लेना भी चुनौतीपूर्ण है। कई जगहों पर तो विद्यार्थियों का आचरण ऐसा रहता है कि शिक्षक तंग आ जाते हैं। पिछले दिनों एक इंजीनियरिंग कॉलेज में ऑनलाइन क्लास के दौरान एक छात्र का सवाल था कि मैडम, आपके टूथपेस्ट में नमक है? ज्यादातर जगहों पर ऑनलाइन क्लास में इसी तरह हंसी-मजाक की खबरें आती हैं। ऑनलाइन क्लास में शरारती विद्यार्थियों को दण्ड भी नहीं दिया जा सकता है। इसका वे भरपूर फायदा उठाते हैं। कुल मिलाकर ऑनलाइन क्लासेस शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
ऑनलाईन कक्षाओं का एक अभूतपूर्व बोझ उन कॉलेज प्राध्यापकों पर भी पड़ रहा है जिन्होंने कम्प्यूटर पर अधिक काम नहीं किया है, या जिन्हें ऑनलाईन काम का अधिक तजुर्बा नहीं है। उन्हें पहले तो कम्प्यूटर और ऑनलाईन का काम खुद सीखना पड़ रहा है, और फिर कॉलेज के छात्र-छात्राओं को सिखाना पड़ रहा है। जो गरीब बच्चे हैं उनके सामने स्मार्टफोन न होने की भी समस्या है। कई गरीब परिवारों में दो-चार लोगों के बीच एक स्मार्टफोन है, और अलग-अलग समय पर लोग जरूरत के मुताबिक उसका इस्तेमाल करते हैं, और जरूरी नहीं है कि छात्र-छात्राओं की ऑनलाईन क्लास के वक्त परिवार में फोन उनके पास हो।
कम्प्यूटर और ऑनलाईन के हिसाब से लेक्चर तैयार करने का जो नया बोझ कॉलेज प्राध्यापकों पर आया है उससे उनकी उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित हुई है। उनका खासा समय सीखने और पॉवर पाईंट प्रजेंटेशन जैसे कामों में जा रहा है। सरकार ने आमतौर पर यह काम 20 हजार रूपए महीने के कोई संविदा कम्प्यूटर कर्मचारी कर सकते थे, इस काम में दो लाख रूपए महीने तनख्वाह वाले प्राध्यापकों को झोंका गया है जिन्हें वक्त भी दस गुना लग रहा है। दरअसल राज्य सरकार ने काम को डिजिटल और ऑनलाईन, वर्क फ्रॉम होम, और कम्प्यूटरीकरण की तैयारी भी नहीं की, और प्राध्यापक तबका तो आरामतलब और बेजुबान रहता है।
राज्य सरकार को कम से कम एक कमेटी ऐसी बनानी चाहिए जो कि अगले किसी लॉकडाऊन के वक्त, या बिना लॉकडाऊन के भी काम को कम्प्यूटर और ऑनलाईन करने का ढांचा विकसित कर सके। ऐसा न होने पर सरकार की उत्पादकता बुरी तरह गिर गई है और किसी को इसकी खास परवाह भी नहीं है। और तो और कॉलेजों में तेज रफ्तार इंटरनेट तक नहीं लग पाए हैं, और प्राध्यापक अपने-अपने इंतजाम से काम चला रहे हैं।
बंद कमरे की बात का राज !
सीएम भूपेश बघेल ने अपने कांकेर प्रवास के दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे नरेश ठाकुर से बंद कमरे में करीब 1 घंटे चर्चा की। नरेश उन चुनींदा नेताओं में हैं, जिन्हें राहुल गांधी व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। वे एआईसीसी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में नरेश के साथ गुफ्तगू की पार्टी हल्कों में जमकर चर्चा है।
सुनते हैं कि नरेश से सीएम ने कांकेर की राजनीतिक गतिविधियों पर चर्चा हुई है। कांकेर जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां की चारों विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास है। इससे पहले भी कांकेर में अंतागढ़ को छोडक़र बाकी सीटें कांग्रेस के पास थीं। नगरीय निकाय और पंचायतों में भी कांग्रेस का कब्जा है। इन सबके बावजूद सरकार आने के बाद स्थानीय नेता आपस में टकरा रहे हैं।
एक खदान के ट्रांसपोटेशन के काम को लेकर भी स्थानीय प्रभावशाली नेताओं में काफी खींचतान हुई थी। बाद में शीर्ष स्तर पर हस्तक्षेप के बाद मामला निपट पाया। खैर, सीएम ने तमाम विषयों पर नरेश से चर्चा की है। इस मुलाकात के बाद नरेश ठाकुर को निगम-मंडल में जगह मिलने की चर्चा है।
कॉलेजों पर नैक की नकेल
ये अलग बात है कि दुनिया के 100 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में अपने देश का कहीं जिक्र नहीं है फिर भी यूजीसी कुछ कोशिशें करती रहती हैं। कॉलेजों की परफार्मेंस तय करने के लिये उसने नैक केलकुलेशन टीम बना रखी है। अनुदान इसी ग्रेडेशन से होना है।
कॉलेजों के लिये नई गाइडलाइन यह तय की गई है कि जिनका भी नंबर 2.5 से नीचे आयेगा उसकी मान्यता खत्म कर दी जायेगी। इस घेरे में केवल निजी महाविद्यालय नहीं बल्कि सरकारी भी आयेंगे। मापदंडों में कॉलेज और शिक्षकों के बीच का अनुपात, परीक्षा परिणाम, शोध और उनकी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली शाबाशी, सब शामिल हैं। एक और बात कि कॉलेजों में भूतपूर्व छात्रों का संगठन यानि एल्यूमिनाई का गठन भी करना है। आपने जिस कॉलेज में पढ़ा हो और एल्यूमनाई का सदस्य बनने के लिये फोन नहीं आया हो तो समझ लीजिये कि पढऩे लिखने के बाद आपने क्या तरक्की वह आपके कॉलेज में पता नहीं है।
पुलिस में तृतीय लिंग की भर्ती
कोई घृणा की वजह से तो कोई भयभीत होने के कारण इनके आसपास कोई फटकना नहीं चाहता। यह जानते हुए भी ये सब हमारी ही तरह प्रकृति की कृतियां हैं। मांगलिक कार्यक्रमों में तो इनकी मौजूदगी बहुत जरूरी लगती है। नवजातों के आशीर्वाद के लिये, दिवाली के उजाले के लिये इनकी तलाश होती है, पर समाज पीछे ही इन्हें रखता आया है। पर धीरे-धीरे मानसिकता कितनी बदल सकती है यह किन्नरों ने अपनी काबिलियत साबित करके बताया। खाकी वर्दी पहनने के लिये इन्होंने रायपुर की पुलिस भर्ती में कूद की, दौड़ लगाई। सुप्रीम कोर्ट तक इन्होंने लड़ाई लड़ी तब जाकर उन्हें सरकारी सेवाओं में, खासकर पुलिस भर्ती में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला। आने वाले दिनों में इनमें से कुछ पुलिस वर्दी में दिखेंगे। अपराधियों की हालत इन्हें ड्यूटी करते हुए देखकर पतली हो जायेगी, यह कहना जरूरी नहीं।
- 1835 - ईस्ट इंडिया कम्पनी ने दार्जिलिंग को सिक्किम को पट्टे पर लिया। मॉरीशस में गुलामी प्रथा का समापन हुआ।
- 1855 - ईस्ट इंडिया रेलवे का विधिवत उद्घाटन हुआ।
- 1884 - डाक बीमा योजना लागू हुई। ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी का पहला वॉल्यूम ए टू आंट का प्रकाशन।
- 1924 - यू.एस.एस.आर. ने यूनाइटेड किंगडम को मान्यता प्रदान की। ब्रिटेन ने सोवियत संघ को मान्यता प्रदान की।
- 1949 - प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया का अधिग्रहण कर लिया।
- 1958 - मिस्र और सीरिया को यूनाइटेड अरब रिपब्लिक में मिला दिया गया, जो कि 1961 तक बना रहा।
- 1951-पहली बार किसी टेलीविजन स्टेशन द्वारा नाभिकीय परीक्षण का सार्वजनिक प्रसारण किया गया। इस घटना को परीक्षण स्थल नेवाडा से 300 किलोमीटर दूर माउण्ट विल्सन से रिकॉर्ड किया गया था।
- 1972- हॉलेट पिकार्ड कम्पनी नें पहला साइंटफिक कैल्कुलेटर बनाया था।
- 1964 - भारत में यूनिट ट्रस्ट की स्थापना हुई।
- 1972 - भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विमान पतनन प्राधिकरण का गठन हुआ।
- 1976 - राष्ट्रीय संवाद समिति समाचार का गठन हुआ।
- 1977 - भारतीय तट रक्षक बल का गठन हुआ। भारत के पहले राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली की स्थापना।
- 1985 - मोहम्मद अजहरूद्दीन ने कानपुर में शतक बनाकर लगातार तीन टेस्टों में शतक का विश्व रिकार्ड बनाया।
- 1992 - केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली को नया नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली दिया गया।
- 2003 - अंतरिक्ष से वापिस लौटते वक्त हुई कोलम्बिया यान दुर्घटना में भारत की कल्पना चावला सहित सात अंतरिक्ष यात्री मारे गये।
- 1917 - प्रसिद्ध अभिनेता और दूरदर्शन कलाकार ए. के. हंगल का जन्म हुआ।
- 1859-मेक्सिको के भू-गर्भशास्त्री एवं शासकीय अधिकारी अलफांसो कासो वाय एन्ड्राडे का जन्म हुआ, जिन्होंने ओक्साका संस्कृति की खोज की। उन्हें मोंटे अलबान में मकबरा के उत्खनन के लिए अधिक जाना जाता है। इस खुदाई में सोने और अन्य धातुओं से निर्मित सामग्री मिलीं जिन्हें ओक्साका के संग्रहालय में रखा गया है। (निधन- 30 मार्च 1970)
- 1976- जर्मन भौतिक विज्ञानी वर्नर हाइजेनवर्ग का निधन हुआ, थे। उन्होंने आव्यूह के द्वारा क्वाण्टम यांत्रिकी को प्रदर्शित करने का तरीका बताया जिसके लिए उन्हें 1932 में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला। प्रसिद्ध अनिश्चितता सिद्धांत उन्होंने सन् 1927 में प्रतिपादित किया था। (जन्म 5 दिसम्बर 1901)
- 1981-अमेरिका के वायुयान डिजाइनर डोनॉल्ड (विल्स) डगलस का निधन हुआ, थे। इनकी कम्पनी सेना तथा नागरिक उड्डयन के लिए वायुयान का निर्माण करती थी। (जन्म 6 अप्रैल 1892)
- महत्वपूर्ण दिवस- तटरक्षक दिवस, वन अग्नि सुरक्षा दिवस (सप्ताह)।
सरगुजा को तंत्र-मंत्र से पहचान दिलाते नेता
वैज्ञानिक सोच को बढ़ाना संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है। पर सरगुजा में कुछ अनोखा ही काम हो रहा है। सार्वजनिक मंचों पर अवैज्ञानिक तर्कों को बढ़ावा देने वाली बातें कही जा रही है। रामानुजगंज के विधायक बृहस्पति सिंह ने तो अपने विरोधी दल के नेता राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम पर तो गंभीर आरोप लगा दिये हैं। उन्होंने अपने इलाके की एक सभा में आरोप लगाया कि नेताम ने उनकी सडक़ दुर्घटना में असमय मौत के लिये यज्ञ कराया है। यज्ञ में धूप, घी, जौ का हवन होता है पर नेताम ने मिर्च का हवन दिया और बकरों की बलि दी। सिंह ने अपने भाषण में आगे कहा कि इस बलि और हवन से उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि क्षेत्र की जनता चाहती है कि वे उनके बीच सेवा करते रहें। हाल ही में बृहस्पति सिंह तब चर्चा में आये थे, जब उन्होंने कलेक्टर, एसडीएम को गायब बताते हुए उनकी सूचना देने वाले को 1100 रुपये इनाम देने की घोषणा कर दी थी। बहरहाल, नेताम तक जब यह बात पहुंची तो उन्होंने खंडन किया। कहा-हजारों लोगों ने पूर्णाहुति दी है, तंत्र किया कोई गोपनीय आयोजन नहीं था। भगवान विधायक को सद्बुद्धि दे।
कम्बल वाले बाबा एक समय भाजपा नेताओं के चहेते बने हुए थे। इन बाबा का एक ऑडियो भी वायरल हुआ जिसमें वे चिंतामणि महराज पर भाजपा में शामिल होने के लिये दबाव डालते हुए पाये गये थे। और, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का एक वीडियो तो पिछले दिसम्बर माह में ही वायरल हुआ जिसमें सूरजपुर इलाके के एक कार्यक्रम में ‘मन्नत’ पूरी होने पर 101 बकरों की बलि देने की बात करते हुए दिखे। सोचना होगा कि यहां के नेता सरगुजा को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं या पीछे।
पुलिस की मुस्तैदी को सलाम
जय स्तंभ चौक पर शनिवार को यह गाड़ी खड़ी हुई मिली। गाड़ी पुलिस की है पर शायद यातायात नियमों को यहां तोड़ा गया। इसलिये चक्के पर ट्रैफिक वालों ने ताला जड़ दिया गया। वैसे भी इस समय यातायात मास चल रहा है। रूल यानि रूल, कोई अपना-पराया थोड़े ही देखता है। पता नहीं चालान किसकी जेब से कटा।
(पत्रकार-अवधेश मिश्रा ट्विटर पेज से)
जीपीएम जिले का छोटा सा गांव बना खास
गौरेला, पेन्ड्रा और मरवाही को जिला बनाने के लिये नागरिकों ने कई वर्षों तक एक साथ और अलग-अलग भी आंदोलन किया लेकिन निजी पहचान को लेकर प्रत्येक इलाके, खासकर गौरेला और पेन्ड्रा के लोगों के बीच बड़ी सजगता है। इसके चलते उनके बीच विवाद भी होते रहे हैं। मरवाही इन स्थानों से दूर है लेकिन उसकी एक पहचान विधानसभा मुख्यालय की है। जिला मुख्यालय के बारे में तो उसे सोचा नहीं गया। पहचान का मुद्दा इतना बड़ा था कि जिले का एक शब्द वाला नाम भी कोई नहीं सुझा सका। लम्बा नाम लेने के बजाय अब इसे लोग जीपीएम कहने लगे हैं। यहां तक कि सरकारी दस्तावेजों, पत्राचारों में इसी नाम का इस्तेमाल होने लगा है।
जिला बनने के बाद तात्कालिक व्यवस्था के तहत गौरेला के गुरुकुल में कलेक्टोरेट शुरू कर दिया गया, लेकिन अब इसके परे एक पूरी तरह सुविधाजनक कम्पोजिट बिल्डिंग बनाने की तैयारी की जा रही है। अधिकारियों के पास गौरेला के बगल में एक खाली जगह थी लेकिन उसके लिये बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की जरूरत थी।
अब जो जगह बताई जा रही है वह रेलवे स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर कोदवाही ग्राम को सोचा गया है। यह न तो गौरेला में है न ही पेन्ड्रा में। यह मरवाही इलाके का गांव है। लोग हैरान है कि इस जगह में क्या खासियत है। खाली जगह स्टेशन से पांच सात किलोमीटर दूर भी तो मिल सकती है। पर कुछ मायनों में यह खास है। एक तो गौरेला और पेन्ड्रा के बीच किसे चुनें यह मुद्दा टल गया। फिर मरवाही इलाके में ही मौजूदा विधायक डॉ. के. के.ध्रुव को जबरदस्त बढ़त मिली और विधायक बनने से पहले भी वे इसी क्षेत्र में डॉक्टर के रूप में सक्रिय रहे। मौजूदा मुख्यालय पेन्ड्रारोड तो कोटा विधानसभा का क्षेत्र है। वैसे यह बताना ही काफी होगा कि नई जगह कोरबा संसदीय सीट का हिस्सा है।
सरकारी इरादा पूरा करता धंधा!
जब देश की सरकार पत्रकार की ट्वीट को लेकर उसे देश का गद्दार साबित करने में लगी है, तो जाहिर है कि उसकी जिम्मेदारी की कहीं न कहीं अनदेखी तो होगी ही। आज सोशल मीडिया ऐसी खुली पोस्ट से भरा हुआ है जिसका न्यौता लोगों को भेजा जा रहा है कि वे आकर सेक्स का धंधा शुरू कर सकते हैं। अभी इस अखबार के संपादक को फेसबुक पर एक दोस्ती का न्यौता मिला, और वह पूरा पेज ही सेक्स के रोजगार में लगने के लिए न्यौते का है। गरीब और मध्यम वर्ग की कल्पनाओं को पूरा करते हुए कॉलबॉय बनने वालों को उनके इलाके की बड़े घरों की महिलाओं के सेक्स का भी वादा किया जा रहा है। अब जब तक हिन्दुस्तान में सेक्स का रोजगार गैरकानूनी कारोबार है, तब तक तो सरकार झांसे के ऐसे सोशल मीडिया-ईश्तहारों पर रोक लगा ही सकती है। लेकिन इन लोगों को देशद्रोही करार देने से भी कोई फायदा तो है नहीं, उतनी देर में दो और पत्रकार अंदर किए जा सकते हैं। और फिर सेक्स का धंधा अगर सच में रोजगार दिला सकता है, तो इससे बेरोजगारी कम करने का सरकारी इरादा भी तो पूरा होता है!
आपकी हर जानकारी बाजार में!
अभी लोगों को वॉट्सऐप पर डेटा बेचे जा रहे हैं। जिस तरह कोई भी दूसरा सामान बेचा जाता है, ठीक उसी तरह लोगों की खरीद-बिक्री की जानकारी, उनके भुगतान की जानकारी, उनके सोशल मीडिया इस्तेमाल की जानकारी फोन नंबरों सहित बेची जा रही है। अभी बहुत से लोगों को जो ऑफर मिला है वह दो करोड़ हिन्दुस्तानियों की जानकारी का है। इसमें बुक माई शो वेबसाईट के 42 लाख ग्राहक, पेटीएम के 50 लाख ग्राहक, नेटफ्लिक्स के 18 लाख ग्राहक, जोमैटो के 12 लाख ग्राहक, यूट्यूब चैनल इस्तेमाल करने वाले 35 लाख लोग, इंस्टाग्राम इस्तेमाल करने वाले 45 लाख लोग और फोन-पे इस्तेमाल करने वाले 20 लाख लोगों का सारा डेटा ढाई हजार रूपए से कम पर बेचा जा रहा है। ऑनलाईन कुछ भी करने वाले लोग यह देख लें कि उनका तौलिया कभी भी पल भर में उतर सकता है।
- 1561 - मुग़ल बादशाह अकबर के संरक्षक बैरम खां की गुजरात के पाटण में हत्या कर दी गई।
- 1599 -भारत में ब्रिटेन की पहली ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई।
- 1850 -चीन में ताए पींगहा नाम से सबसे बड़ा जनान्दोलन आरंभ हुआ। ताए पींगहा चीनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ जनता का संकल्प होता है। यह जनान्दोलन ग्रामीणों की कठिनाइयों और समाज में फैली दरिद्रता का परिणाम था और यह दरिद्रता विदेशी साम्राज्यवाद और मंचू वंश की सरकार की अयोग्यता के चलते ख़तरनाक सीमा तक बढ़ गयी थी। यह जनान्दोलन मंचू सरकार का तख्ता पलटने के प्रयास में आरंभ हुआ।
- 1865 - अमेरिका में दासता उन्मूलन संबंधी 13वां संशोधन विधेयक स्वीकृत हुआ।
- 1915 - प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस के खिलाफ ज़हरीली गैस का इस्तेमाल किया।
- 1958 -अमेरिका ने अपना पहला उपग्रह एक्सप्लोरर प्रथम सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
- 1963 - मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया।
- 1985 - दलबदल निरोधक संबंधी 52वें संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने भी मंजूरी दी।
- 1992 - 28 देशों द्वारा क्रोएशिया एवं स्लोवानिया को मान्यता; न्यूयार्क में सुरक्षा परिषद का पहला शिखर सम्मेलन।
- 1995 - इस्रायल एवं जार्डन के मध्य हुई शांति संधि के परिणामस्वरूप इस्रायल ने अधिकृत सीमावर्ती क्षेत्र जार्डन के सुपुर्द किया।
- 2000 - हवाला केस के सभी आरोपी बरी।
- 2007 - भारतीय स्टील कम्पनी टाटा, एंग्लो डच इस्पात कम्पनी कोरस के अधिग्रहण के बाद विश्व की पांचवीं बड़ी कम्पनी बनी।
- 2004- सुर सम्राज्ञी सुरैया का मुंबई में निधन।
- 1881- अमेरिकी रसायनज्ञ इरविंग लैंगम्यूर का जन्म हुआ, जिन्होंने ठोस और तरल दोनों पृष्ठ पर आणविक झिल्लियों पर किए। इस अध्ययन से कोलाइड तथा जैवरसायन में शोध के नए क्षेत्र खुले। उन्हें 1932 का रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला। (निधन-16 अगस्त 1957)
- 1841- अमेरिकी पहेली निर्माता सैम्युअल लॉयड का जन्म हुआ जिन्होंने गणित से सम्बन्धित पहेलियों और कई माथापच्चियों के निर्माण के लिए जाने जाते हैं। इनका सबसे मशहूर पज़ल 14-15 पज़ल था जो 1878 में बनाया गया था।(निधन-10 अप्रैल 1911)
- 1995- अमेरिकी गणितज्ञ जॉर्ज रॉबर्ट स्टिबिट्ज का निधन हुआ जिन्होंने कई लोगों द्वारा आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटर के जनक के रूप में जाने जाते हैं। सन् 1937 में उन्होंने बेल लैबोरेटरी में रिले, क्षणप्रभा (फ्लैशलाइट) और धातु-पट्टी आदि पर आधारित एक डिजिटल उपकरण का निर्माण किया जिसे उन्होंने मॉडल के कहा। (जन्म 30 अप्रैल 1904)
- 1920- जर्मन वनस्पति विज्ञानी विल्हेल्म फेफर का निधन हुआ जिन्होंने परासरणिक दाब (ऑस्मोटिक प्रेशर) पर किए गए उनके कार्यों ने पादप-शरीरक्रिया विज्ञान का अग्रणी बना दिया। वर्ष 1877 में इन्होंने परासरण के अध्ययन के लिए एक अद्र्धपारगम्य झिल्ली का निर्माण किया। (जन्म 9 मार्च 1945)।
मंदिर के लिए शहर से ज्यादा गांवों में
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर चंदा हो रहा है। भाजपा चंदा एकत्र करने के लिए अभियान चला रही है। चर्चा है कि पार्टी नेताओं में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल चंदा जुटाने में सबसे आगे रहे हैं। बृजमोहन ने पिछले दिनों चंदा एकत्र करने के लिए अपने निवास पर रात्रि भोज का आयोजन किया था।
बृजमोहन की पार्टी में विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय विशेष तौर पर मौजूद थे। पार्टी में उद्योगपति कमल सारडा, राजेश अग्रवाल, बड़े ज्वेलरी कारोबारी और सिंचाई-पीडब्ल्यूडी के बड़े ठेकेदार मौजूद थे। सुनते हैं कि मंदिर निर्माण के लिए कारोबारियों ने उदारतापूर्वक सहयोग किया।
चर्चा है कि पार्टी में ही करीब एक करोड़ एकत्र कर लिए गए। वैसे केन्द्र सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए दान पर 50 फीसदी आयकर छूट दे दी है। इस वजह से भी बड़े कारोबारी सहयोग में पीछे नहीं हट रहे हैं। एक मंदिर के कोषाध्यक्ष ने तो 51 लाख रूपए दान किए।
चेम्बर के एक पूर्व अध्यक्ष ने अपने साथियों के साथ मिलकर 11 लाख एकत्र कर दिए हैं। ये बात अलग है कि कुछ से ज्यादा सहयोग की अपेक्षा थी, लेकिन वे उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। एक उद्योगपति से 51 लाख की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने 21 लाख से ज्यादा सहयोग करने में असमर्थता जता दी है। उन्हें मनाने की कोशिशें चल रही हैं। चंदा जुटाने के अभियान में लगे नेताओं का मानना है कि शहर से ज्यादा गांवों में मंदिर निर्माण के लिए सहयोग मिल रहा है। गांव के लोग बिना मांगे सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। भाजपा के लोगों को इस अभियान से बड़े राजनीतिक फायदे की भी उम्मीद नजर आ रही है।
आगे भी जारी रहेगा
विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर के लिए चंदा जुटाने के अभियान से 14 करोड़ परिवारों को जोडऩे की रणनीति बनाई है। करीब साढ़े 4 करोड़ परिवारों से 10 रूपए सहयोग राशि ली जाएगी। इसके बाद साढ़े 4 करोड़ लोगों से सौ रूपए से एक हजार तक राशि ली जाएगी। करीब 20 लाख लोग ऐसे होंगे, जो कि एक करोड़ तक सहयोग राशि देंगे।
छत्तीसगढ़ से ही 51 करोड़ रूपए जुटाने का लक्ष्य है। बृजमोहन की पार्टी में विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय की तारीफों के पुल बांधते हुए अजय चंद्राकर ने कहा कि चंपत रायजी पिछले 29 साल से राम मंदिर निर्माण के अभियान में लगे हैं। राम मंदिर का काम पूरा होने के बाद वे मथुरा-काशी के अभियान में जुट जाएंगे। यानी सहयोग राशि जुटाने का अभियान आगे भी जारी रहेगा।
छत्तीसगढ़ी बोलने पर सजा?
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने, प्रायमरी स्कूल में पढ़ाई का माध्यम बनाने जैसी मांगे भाषा को लेकर आंदोलन करने वालों ने कई बार मांग उठाई। विधानसभा में कभी-कभी छत्तीसगढ़ी में चर्चा, वक्तव्य देकर हमारे जनप्रतिनिधि भी चर्चा में आते रहते हैं। सरकारी दफ्तरों में आवेदन छत्तीसगढ़ी में स्वीकार करने का आदेश हो चुका है, अधिकारियों को छत्तीसगढ़ी सीखने के लिये सर्कुलर भी निकलता आया है। पर अब तक छत्तीसगढ़ी जहां थी, राज्य बनने के बाद उससे बहुत आगे बढ़ी नहीं।
नेताओं की पब्लिक मीटिंग को छोड़ दें तो, अब भी छत्तीसगढ़ी जानने वाले बहुत से लोग इसे बोलना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं और जो समझते हैं वे भी नहीं समझ पाने का अभिनय करते हैं। शायद ऐसा ही कुछ कांकेर के एक नर्सिंग कॉलेज में हो रहा है। जैसी खबर है, प्राचार्य छात्र-छात्राओं के लिये सजा तय कर देते हैं यदि वे उन्हें छत्तीसगढ़ी में बात करते हुए मिल जाती हैं। छात्र-छात्राओं ने आठ किलोमीटर पैदल चलकर बकायदा कांकेर आकर कलेक्टर से इसकी शिकायत की है। प्रताडि़त करने के कुछ और भी आरोप उन्होंने प्राचार्य पर लगाये हैं और उन्हें हटाने की मांग की है। देखें, शिकायतों की जांच और कार्रवाई क्या होती है।
और कितना जटिल होगा जीएसटी?
गुड्स एंड सर्विस टैक्स, जीएसटी को जितना आसान बताया गया था व्यापारियों और टैक्स सलाहकारों को इसमें उतनी ही ज्यादा जटिलता महसूस हो रही है। जीएसटी कैसे काम करेगा, इसकी फाइल कैसे दाखिल करनी है, इस पर सम्बन्धित विभागों के अधिकारी हर दो चार महीने में कार्यशाला रखते हैं पर उसके बाद फिर नियम बदल जाते हैं। इससे परेशान टैक्स सलाहकार अब आंदोलन पर उतर आये हैं। आल इंडिया एसोसिएशन के आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी ये सडक़ों पर निकले। सांसदों, विधायकों को भी ज्ञापन-आवेदन दिये। आंदोलन में व्यापारी भी साथ थे।
इनका कहना है कि ऐसे कानून का क्या फायदा? न तो सरकार को ज्यादा कलेक्शन बढ़ रहा है, न ही टैक्स चोरियां और फर्जी कंपनियों से कारोबार रुक रहा है। जीएसटी सर्वर भी धीमे काम करता है। इससे ज्यादा जल्दी तो कागज पेन से काम हो जाता था। व्यापारी और टैक्स सलाहकार क्या, खुद अधिकारी भी इसके नियम कायदे समझ नहीं पा रहे हैं, फिर भी चल रहा है। उन्होंने आंदोलन के लिये यह वक्त इसलिये चुना है ताकि बजट में वित्त मंत्री कुछ लचीला रुख अपनायें और इस बाबत कोई घोषणा करें। पर उन्हें डर भी है। हर बदलाव पहले भी टैक्स और रिटर्न क्लेम आसान करने के नाम पर किया गया लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
कानूनी पेचीदगी और नये अफसर
राज्य प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा के अधिकारियों को प्रोबेशन के समय निचले स्तर से लेकर ऊपर तक के विभागीय कामकाज के तरीके बताये जाते हैं। कुछ दिनों तक वे नीचे के दफ्तरों का प्रभार संभालते हैं, पर ऐसा लगता है कि यह काफी नहीं है। शिक्षण प्रशिक्षण युवा अधिकारियों को कुछ ज्यादा मिलना चाहिये।
हाल ही में दो महिला पुलिस अधिकारियों ने गलतियां की। एक मामले में तो हाईकोर्ट में पेश होना पड़ा। दूसरे मामले ने तूल नहीं पकड़ा, बच गईं। धोखाधड़ी के एक मामले में हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिया था कि पीडि़त व्यक्ति का बयान लिया जाये और कोर्ट के सामने पेश किया जाये। हाईकोर्ट में शासन का प्रतिनिधि सीधे सरकार का पक्ष या दस्तावेज पेश नहीं करता। उसे महाधिवक्ता कार्यालय के रास्ते से जाना होता है, पर जांजगीर पुलिस ने इस मामले में पीडि़त का बयान, हलफनामा के साथ सीधे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के पास भेज दिया। हाईकोर्ट ने एसपी को हाजिर होने का फरमान जारी कर दिया। एसपी ने हाईकोर्ट पहुंचकर गलती मानी और बताया कि यह एडिशनल एसपी की वजह से हुई।
दूसरा मामला उज्ज्वला होम बिलासपुर का है। सीएसपी ने पीडि़त युवतियों का खुद ही बयान ले लिया और वीडियो रिकॉर्डिंग कर संतुष्ट हो गईं। पुलिस की फजीहत तब हुई जब दूसरे दिन युवतियों ने मीडिया के सामने आकर उज्ज्वला के संचालकों पर दुष्कर्म, यौन दुर्व्यवहार और नशीली दवा देने का आरोप लगाया। अगले दिन जब यह खबर प्रमुखता से अखबारों में आई तो आनन-फानन में पुलिस को इन युवतियों का मजिस्टीरिअल बयान दर्ज कराना पड़ा। वहां भी युवतियों ने मीडिया में कही गई बातें दुहराईं । कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस को उज्ज्वला होम के संचालक को तथा अगले दिन वहां की तीन महिला कर्मचारियों को गिरफ्तार करना पड़ा। पुलिस पर आरोप भी लगे वह उज्ज्वला होम के संचालकों को बचा रही है। शायद पहले ही बयान दर्ज करने में मजिस्ट्रेट की मदद ले ली जाती तो यह नौबत नहीं आती।
लाखों पौधे कहां लगे, जवाब नहीं
राज्य सरकार हो या केन्द्र सरकार के उपक्रम। हरियाली के नाम पर फर्जीवाड़ा आम बात है। कुछ साल पहले एक अध्ययन में दावा किया गया था कि यदि छत्तीसगढ़ में जितने पौधे सरकारी अभियानों के तहत लगाने का दावा अब तक किया गया है उनमें से 20 फीसदी भी पेड़ बच जाते तो आज छत्तीसगढ़ में कोई खाली जमीन बचती ही नहीं। पिछली सरकार में एक जिले के कलेक्टर ने 50 लाख पौधे लगाने का अभियान चलाया। डीएमएफ फंड का इसके लिये खूब इस्तेमाल किया गया। उससे और पीछे जायें तो उदाहरण एक करोड़ से ऊपर पौधों का भी मिल जायेगा। खनन क्षेत्रों में पौधे उजाडऩे के बाद उससे दस गुना अधिक पौधे लगाने की बात की जाती है, पर वे सिर्फ कम्पनियों के दफ्तर के आसपास और उनके कैम्पस, कॉलोनियों में दिखाई पड़ते हैं। धुआं उगलने वाले संयंत्रों को भी बाध्यता है कि वे पौधे लगाने के आंकड़ों को दुरुस्त रखें। इसीलिये एनटीपीसी सीपत के अधिकारियों ने एक पत्रकार वार्ता ली पर्यावरण संरक्षण के लिये 10 लाख पौधे लगाने का दावा किया और अपनी उपलब्धि की तरह पेश किया। पत्रकारों ने सवाल किया कि वे 10 लाख पौधे कहां लगे हैं, हम देखना चाहेंगे। हड़बड़ाये अधिकारियों ने कहा कि हमने सिर्फ तीन लाख लगाये, बाकी सात लाख लगाने के लिये रकम राज्य सरकार को दी। अब दूसरा सवाल उठा कि चलिये आपने जो तीन लाख लगाये वे कहां हैं बता दीजिये, जाहिर है, जवाब कुछ नहीं मिला।
- 1522 - ल्यूबेक और डेनमार्क के बीच युद्ध।
- 1649 - इंग्लैंड के सम्राट चाल्र्स प्रथम को फ़ांसी दी गई।
- 1902 - चीन और कोरिया की स्वतंत्रता के बारे में ब्रिटेन और जापान के बीच पहली आंग्ल-जापानी संधि पर लंदन में हस्ताक्षर हुए।
- 1903 - लॉर्ड कजऱ्न ने मेटकाफ़ हॉल में इंपीरियल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया।
- 1911 - कैनेडियन नेवल सर्विस का नाम बदलकर रॉयल कैनेडियन नेवी किया गया।
- 1933 - एडॉल्फ़ हिटलर ने आधिकारिक रूप से जर्मनी के चांसलर की कमान सम्भाली।
- 1948 - महात्मा गांधी की हत्या हुई।
- 1957 - राष्ट्र संघ ने दक्षिण अफ्रीका को अपनी नस्ल भेदी नीति पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।
- 1965- इसी दिन हज़ारों की संख्या में ब्रिटेन के लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री सर विंस्टन चर्चिल को अंतिम विदाई दी थी। राजकीय सम्मान के बाद चर्चिल का इसी दिन अंतिम संस्कार किया गया। चर्चिल को दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद वो लगभग कोमा की स्थिति चले गए थे जिससे वे कभी नहीं निकल पाए। चौबीस जनवरी को उनका देहांत हो गया। वे 90 साल के थे।
- 1972 - पाकिस्तान ने राष्ट्रमंडल से अपना नाम वापस लिया। आज ही के दिन साल 1972 में ब्रितानी सेना को प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ पर गोलियां चलानी पड़ी थी जिसमें 13 नागरिकों की मौत हो गई थी। गोलीबारी तब शुरू हुई जब नागरिक अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे लोग परेड और मार्च पर लगे प्रतिबंध को ख़ारिज करते हुए पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड तक पहुंच गए।
- 1979 - रोडेशिया में नया संविधान बना, जिसमें अश्वेतों को सत्ता में भागीदारी का अधिकार मिला।
- 1991- आज ही के दिन साल 1991 में इराक़ी सेना ने सउदी अरब की सीमा के नज़दीक एक शहर पर नियंत्रण कर लिया था। अमरीका के नेतृत्व में सहयोगी देशों की सेना ने अल-ख़ाफज़़ी पर नियंत्रण के लिए कम से कम 24 इराक़ी टैंकों को बर्बाद कर दिया। इस हमले में 12 अमरीकी सैनिकों की मौत हो गई थी।
- 1997 - सैंतालिस वर्षों बाद महात्मा गांधी की अस्थियां संगम में विसर्जित।
- 2008 - चेन्नई की एक विशेष अदालत ने बहुचर्चित स्टाम्प घोटाले के मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम तेलगी को 10 साल की सज़ा सुनाई।
- 1890 - हिन्दी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ।
- 1913 - प्रसिद्ध भारतीय महिला चित्रकार अमृता शेरगिल का जन्म हुआ।
- 1968 - हिन्दी साहित्यकार माखन लाल चतुर्वेदी का निधन हुआ।
- 1737- इटली के भौतिकशास्त्री और गणितज्ञ लूईची गैलवानी का बोलोनिया नगर में जन्म हुआ। उन्होंने ऑपरेशन के संबंध में अपने व्यापक अध्ययन और शोधकार्य से बहुत ख्याति प्राप्त की। इसी प्रकार उन्होंने पता लगाया कि सजीवों के शरीर में बिजली होती है। 61 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।
- महत्वपूर्ण दिवस- शहीद दिवस,कुष्ठ निवारण दिवस,सर्वोदय दिवस
विद्या भैया की चर्चा...
सीएम भूपेश बघेल ने पिछले दिनों दिवंगत विद्याचरण शुक्ल चौक का लोकार्पण किया। इस मौके पर वक्ताओं ने इस दिग्गज राजनेता को याद किया। कार्यक्रम में शुक्ल के भतीजे अमितेश शुक्ल को भी सम्मानित किया गया। अमितेश, दिवंगत शुक्ल बंधुओं के इकलौते राजनीतिक वारिस हैं। ऐसे में उन्हें सम्मानित करना गलत भी नहीं था। ये अलग बात है कि निजी चर्चाओं में अमितेश अपने चाचा को भला-बुरा कहने से नहीं चूकते थे। ये बात कांग्रेस के नेता भली-भांति जानते हैं।
खैर, अमितेश के बोलने की बारी आई, तो उन्होंने बताया कि कैसे चाचा के सानिध्य में अपने राजनीति कैरियर की शुरूआत की, और आगे बढ़े। इसके बाद तो सत्यनारायण शर्मा ने अमितेश को यह कहकर खुश कर दिया कि अमितेश, विद्या भईया के कान में जो कुछ भी कह देते थे, वे तुरंत मान लेते थे। और जब नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया की बारी आई, तो अपने उद्बोधन में सामने बैठे राजेंद्र तिवारी और सुभाष धुप्पड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अमितेश नहीं, ये सामने बैठे लोग भईया के कान फूंकते थे। इस पर जमकर ठहाके लगे।देखना है आगे होता है क्या
देखना है आगे होता है क्या
प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हुई, तो मंत्रालय में एक अफसर के कमरे में आईएएस अफसरों का जमावड़ा रहता था। अफसर के दाऊजी से अच्छे संबंध रहे हैं। दाऊजी एक बार जेल में थे, तो अफसर चुपके से उनसे मिल आए थे। वैसे अफसर के पिछली सरकार के प्रभावशाली नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। स्वाभाविक है कि यह सब जानने वाले लोग काफी दिनों तक अफसर के पावरफुल होने की प्रत्याशा में आगे-पीछे होते रहे। मगर अफसर के दिन नहीं फिरे। और जब अफसर ने मंत्रालय से बाहर बेहतर पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाया, तो बस्तर संभाग में पोस्टिंग हो गई। यानी आसमान से गिरे, खजूर में अटके वाली कहावत चरितार्थ हो गई। अब कुछ सामाजिक और राजनीतिक लोगों ने अफसर के लिए पैरवी की है। देखना है आगे होता है क्या।
हरकत औलाद की, गाली माँ को!
हिंदुस्तान की सार्वजनिक जगहों पर लोगों का जो अश्लील प्रदर्शन देखने मिलता है उसका नतीजा है कि देश भर की दीवारों पर इस किस्म की चेतावनी लिखी दिखती है। सडक़ों पर गाडिय़ां चलाने वाले लोग जिस तरह दरवाजे खोल कर पान या तंबाकू की पीक उगलते हैं वह देखना भी भयानक नजारा है. किसी और देश के पर्यटक अगर इसे देखें तो उन्हें लगेगा कि कोई खून की उल्टी कर रहा है और वह एंबुलेंस बुलाने की कोशिश करेंगे। लोग सार्वजनिक जगहों पर कोशिश करके भी पेशाब निकालने में लगे रहते हैं, और अगर उन्हें मुंह में पीक ना भी बने तो भी उन्हें हीन भावना होने लगती है कि सार्वजनिक जगह पर इतनी देर से थूका नहीं है पता नहीं इस जगह पर उनका कब्जा अभी कायम है या नहीं। बिलासपुर के फोटोग्राफर सत्यप्रकाश पांडे ने ये तस्वीरें खींची हैं ।
हिसाब तो मिलना ही चाहिये...
राममंदिर के लिये चंदे की बात अलग है। लोगों में होड़ लगी हुई है। तस्वीरें खिंचाकर लोग बता रहे हैं कितना चंदा दिया। इससे प्रभावित दूसरे लोग भी बढ़-चढक़र रसीद कटवा रहे हैं। कीर्तन, भजन के साथ चंदे की टोली निकल रही है। जिस बड़े पैमाने पर चंदे के लिये टीमें निकली हुई हैं, कांग्रेस ने कई सवाल किये हैं। वह विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा बरसों पहले इसी नाम से लिये गये करोड़ों रुपये के चंदे का हिसाब जानना चाह रही है। साथ ही यह भी पूछा है कि किस-किस को चंदा लेने के लिये अधिकृत किया गया है।
बिलासपुर में हू-ब-हू रसीद छपवाकर एक महिला नेत्री द्वारा चंदा मांगने की शिकायत तो थाने में भी हो चुकी है और निचली अदालत से उसकी जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी। एक मामला तो पकड़ में आ गया लेकिन क्या पता गांव-गांव में चंदे के लिये निकलने वाली टोलियों में और भी कुछ मामले सामने आ जायें। कांग्रेस का सवाल शायद इसी वजह से है कि बहुत से लोग धोखे का शिकार हो सकते हैं। इसीलिये कांग्रेस सरकार ने अब सीधे ट्रस्ट को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है कि चंदा लेने के लिये अधिकृत आखिर कौन है? अपने छत्तीसगढ़ के विधायक अमितेश शुक्ल और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सही तरीका निकाला, सीधे राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को ऑनलाइन रकम भेजी।
गरीब बेटियों को ऐसे शादी कराई मंत्री ने
दूरस्थ बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में हुए सामूहिक विवाह में मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम आशीर्वाद तो देकर आ गये पर इन नव दम्पतियों के साथ जो बर्ताव किया गया उसे गंभीरता से नहीं लिया। पेन्डारी गांव में गरीब परिवारों के 85 जोड़ों का विवाह हुआ। विवाह की रस्म पूरी हुई उसके बाद इन जोड़ों के लिये उपहार दिया गया। टूटी अलमारी, पेटियां उनके हिस्से में आईं। अतिथियों व नव दम्पतियों के लिये बैठने की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई। भोजन इधर-उधर जगह बनाकर करना पड़ा। लोग पानी के लिये भी तरसे। महिला बाल विकास विभाग के इस आयोजन में बजट की कमी पड़ गई या कोई और बात थी, यह तो पता नहीं पर जब पंचायत प्रतिनिधियों ने इस बात की शिकायत मंत्रीजी से की तो उन्होंने भी कह दिया- जो है, सब आपके सामने है। अब ऐसा कहकर उन्होंने जिम्मेदारी किसके ऊपर डाली, उन्हें ही पता होगा।