स्थायी स्तंभ
- 1871-पोर्टलैण्ड सीमेन्ट के लिए डेविड ओलिवर सेलर को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- 2001 - अमेरिका ने लादेन के बाद कश्मीरी आतंकवादियों से निपटने का भारत को आश्वासन दिया।
- 2002 - फ्रांस ने ईराक पर एकतरफ़ा कार्रवाई का विरोध किया।
- 2004 - अमेरिका ने असैनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए भारत को तकनीक देने का निर्णय किया।
- 2007 - वियतनाम के दक्षिणी शहर कैनथो में एक निर्माणाधीन पुल के ध्वस्त हो जाने से 62 श्रमिकों की मृत्यु हो गई।
- 2009 - पूजाश्री वेंकटेश ने रश्मि चक्रवर्ती को हराकर आईटीएफ महिला टेनिस टूर्नामेंट का खिताब जीता। पंकज आडवाणी 76वीं नेशनल विलियर्ड्स और स्नूकर चैम्पियनशिप में विलियड्र्स चैम्पियन बने।
- 1923 - फि़ल्म अभिनेता और निर्माता देव आनंद का जन्म हुआ।
- 1932 - भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म हुआ।
- 1886 - ब्रिटेन के शरीर क्रिया विज्ञानी और जैव भौतिकशास्त्री आर्किबैल्ड विवियन हिल का जन्म हुआ, जिन्होंने मोटो मेयेरहॉफ के साथ 1922 में मांसपेशियों में ऊष्मा के उत्पादन के बारे में बताने के लिए चिकित्सा अथवा शरीरक्रियाविज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन- 1977)
- 1784 -नॉर्वे के खगोलशास्त्री और भौतिकशास्त्री क्रिस्टोफर हैन्सटीन का जन्म हुआ, जो भू-चुम्बकत्व पर अनुसंधान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने चुम्बकीय झुकाव का मानचित्र प्रकाशित किया। (निधन-15 अप्रैल 1873)
- 1902 -जीन्स कपड़े के आविष्कारक तथा निर्माता लैवाइ स्ट्रॉस का निधन हुआ। इनका जन्म बावेरिया में हुआ था और ये एक दजऱ्ी के रूप में प्रशिक्षित हुए। सन् 1850 में ये सैन फ्रांसिस्को गए, वहां उनका इरादा तम्बू तथा गाडिय़ों के खोल तैयार करना था। पर बजाय इसके वे बाज़ार में अपने साथ लाए मोटे कैनवास से पतलून तैयार करने लगे जो अधेड़ उम्र के लोगों में अत्यधिक प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद उन्होंने एक कम्पनी खोली जिसमें पतलून के आकार और गुणवत्ता को और विकसित किया गया और नीले डेनिम कपड़े का इस्तेमाल किया जाने लगा जिसे फ्रांस में जीन्स कहा जाता था। आज की आधुनिक जीन्स की शुरुआत यहीं से हुई। (जन्म 26 फरवरी 1829)
- 1982- जर्मन-अमेरिकी अभियंता पॉल कॉल्समैन का निधन हुआ, जिन्होंने 1928 में विश्व के पहले शुद्ध दाबमापी आल्टीमीटर का निर्माण किया जो उड़ान में सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। (जन्म 22 फरवरी 1900)।
- 2011 -वर्ष 2004 में नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली अफ्रीकी महिला वंगरी मथाई का निधन हुआ, जो कीनिया में ग्रीन बेल्ट आंदोलन की संस्थापक थीं। वे महिला अधिकारों के लिए लडऩे वाली प्रसिद्ध केन्याई राजनितिज्ञ और समाजसेवी थीं। वे 2002 में सांसद बनी और कीनिया की सरकार में मंत्री भी रहीं।
होशियारी खुद के ही काम न आई...
सरकार के बुद्धिमान लोग कई बार चूक कर जाते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। मध्यप्रदेश के रेरा चेयरमैन एंटनी डिसा को लीजिए, वे शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल में सीएस रहे। चौहान ने रिटायर होने के बाद उन्हें रेरा चेयरमैन की जिम्मेदारी दी। मगर एंटनी डिसा कमलनाथ के करीबी बने रहे। कमलनाथ के इलाके छिंदवाड़ा के कलेक्टर रहने के साथ-साथ उनके केन्द्रीय मंत्री रहते पीएस भी थे। शिवराज सिंह चौहान से भी एंटनी डिसा की अच्छी ट्यूनिंग रही।
सुनते हैं कि कमलनाथ सीएम बने तो एंटनी डिसा उनके अघोषित सलाहकार रहे। परदे के आगे से वे रेरा चलाते थे, और परदे के पीछे से सरकार। कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान में तनातनी चल रही है। कमलनाथ के करीबियों पर शिवराज सिंह सरकार की तिरछी निगाह रही है। चूंकि एंटनी डिसा के नियुक्ति आदेश में कार्यकाल का स्पष्ट उल्लेख नहीं था। लिहाजा इस सरकार को मौका मिल गया और आज ही उनके कार्यकाल को खत्म कर पदमुक्त कर दिया गया।
कुछ इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी हो चुका है। यहां भी सहकारिता आयोग के चेयरमैन गणेशशंकर मिश्रा का भी कार्यकाल सीमित कर भूपेश सरकार ने उन्हें पद से बेदखल कर दिया था, चूंकि सहकारिता आयोग के चेयरमैन के कार्यकाल की अवधि तय नहीं थी। गणेशशंकर मिश्रा, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के करीबी माने जाते रहे हैं। ऐेसे में मिश्रा को हटना ही था। उनसे चूक यह हुई कि पिछली सरकार में पॉवरफुल रहते हुए भी अपने कार्यकाल की अवधि निश्चित नहीं करा पाए।
दरअसल जब सत्ता की ताकत रहती है, तो उसका नशा मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के गांजे से भी अधिक असरदार होता है. मध्यप्रदेश में भी, और छत्तीसगढ़ में भी।
मरवाही की तकदीर में क्या लिखा है?
मरवाही उप-चुनाव के ऐलान के ठीक पहले जारी हुए राजभवन के एक पत्र ने राज्य-शासन को चिंता में डाल दिया है। मरवाही को नगर पंचायत का दर्जा देने के बीते माह की गई घोषणा पर उन्होंने आपत्ति जताई है और आगे की कार्रवाई रोकने कहा है। पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों पर फैसले राज्यपाल की सहमति के बिना नहीं हो सकते। बाकी मामलों में उन्हें मंत्रिपरिषद् के प्रस्तावों के अनुसार जरूर चलना पड़ता है पर इन क्षेत्रों की ग्राम-सभाओं, नगर पंचायतों यहां लागू होने वाले कानूनों के मामलों में कुछ अतिरिक्त अधिकार होते हैं। अब चूंकि चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई है, मरवाही नगर पंचायत में वैसे भी चुनाव खत्म होते तक कोई नया काम नहीं हो सकता। मरवाही को नगर पंचायत का दर्जा देना एक राजनैतिक फैसला होगा पर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की स्थिति कुछ हटकर है। गौरेला-पेन्ड्रा मरवाही के मुकाबले अधिक विकसित क्षेत्र तो है ही, बल्कि ट्रेन रूट से भी जुड़ा है। जिला बनने से पहले ही यहां एडीएम, एएसपी की अलग नियुक्ति होती रही है। मरवाही अलग-अलग थलग है। नया जिला बन जाने के बाद भी। अब भी मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगने वाले कई गावों के लिये इसका जिला मुख्यालय 70-80 किलोमीटर दूर है। इस लिहाज से मरवाही में यातायात, शिक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य सभी तरह की सुविधायें बढऩी चाहिये। वरना इस छोर पर रहने वालों को नये जिले का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पायेगा। यह सब ग्राम पंचायत बनाये रखते हो सकता है या नहीं, यह एक सवाल सामने है। बहुत सी ग्राम पंचायतों को इसी आश्वासन के साथ नगर पंचायत का दर्जा प्रदेश में दिया गया कि वहां सुविधायें बढ़ेंगी विकास होगा, पर ऐसा हुआ नहीं। बल्कि वे शासन की कई योजनाओं के फायदे से वंचित हो गये जो गांवों को मिलते थे। जिले के संतुलित विकास के लिये मरवाही को भी ध्यान में रखना होगा। कानूनी पक्ष क्या कहता है, 29 सितम्बर को राज्यपाल के समक्ष अधिकारी क्या तर्क रखते हैं, फिर निर्णय क्या होगा, इस पर मरवाही के विकास की दिशा तय होगी।
अब कहां गये सामाजिक संगठन..
जिन दिनों कोरोना महामारी ने प्रकोप दिखाना शुरू किया था अनेक धार्मिक, सामाजिक संगठन उदारता के साथ सामने आये थे। अगर ये नहीं होते तो हजारों किलोमीटर दूर से घर लौटने वाले मजदूरों की हालत और खराब हो जाती। लम्बे लॉकडाउन में भूख से तडफ़ते लोगों को खाना, कपड़े, जूते नहीं मिलते। यह काम पीपीई किट बांटने सार्वजनिक स्थलों पर ऑटोमैटिक सैनेटाइजर लगाने, सैनेटाइजर और मास्क बांटने तक बीते माह तक चला। इस बीच जगह जगह तालियों और फूलों से डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मचारियों, पुलिस जवानों का अभिनंदन भी किया गया। पर अब सब रुक सा गया है। कोविड-19 महामारी की व्यवस्था में 16-18 घंटे ड्यूटी कर रहे एक डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर इसी को लेकर तल्खी जताई है। उन्होंने लिखा गया कहां गये, वे क्लब वाले, सद्भावना वाले अब तो हमें उनकी ज्यादा जरूरत है। इधर पुलिस भी बता रही है कि जो सोशल वर्कर, छात्र और युवा संगठन हमारे काम में हाथ बंटाने आते थे उनकी संख्या घटकर आधी रह गई है। ये सब हुआ क्यों? समाजसेवा के काम में फुर्ती और उतनी ही फुर्ती से अख़बारों में तस्वीरें भेजने वाले एक सज्जन का कहना है कि अब कोरोना की असली मार हो रही है। उस वक्त ऐसा लगा कि कुछ दिनों की आंधी है गुजर जायेगी। हमारे काम धंधे पर भी असर होने लगा है, पहले तो हाथ खुले रखते थे। अब समझ में आ रहा है पहले अपना ही घर संभाल लो। दरियादिली आखिर कितनी लम्बी चले?
- 1878-वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. चाल्र्स ड्राइस्डेल ने ब्रेटन में दी टाइम्स अखबार में पहली बार तम्बाकू के खिलाफ चेतावनी प्रकाशित कराई।
- 1974- वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐरोज़ोल्स स्प्रे डब्बों से निकलने वाली फ्रियॉन गैस ओज़ोन परत के क्षय के लिए उत्तरदायी है।
- 1999 - आठवें सैफ खेलों का काठमांडू में उद्घाटन।
- 2000 - यमन में रिफ्ट वैली बुखार से 211 लोग मरे, सिडनी ओलंपिक में 400 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक माइकल जॉनसन तथा केथीफ्रीमेन ने जीता।
- 2001 - सऊदी अरब ने तालिबान मिलिशिया से संबंध तोड़ा।
- 2003 - गयूम ने मालदीव के राष्ट्रपति का चुनाव छठी बार जीता।
- 2006 - पाकिस्तान के 60 वर्ष के इतिहास में पहली बार सिंध के थारपाकर जि़ले के निवासी हिन्दू युवक दानेश को पाक सेना में शामिल किया गया। यमन के निवर्तमान राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह एक बार फिर देश के राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित। अंतरिक्ष की सैर पर निकली ईरान की पहली महिला अनुशेह अंसारी ने देश के इतिहास में नया अध्याय रचा। दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की मांग।
- 2007 - पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस (डेमोक्रेटिक) पार्टी का कांग्रेस में विलय हुआ।
- 2009 - भारतीय प्रवर्तन निदेशालय ने लगभग पांच हज़ार करोड़ रुपये के हवाला नेटवर्क का भण्डाफोड़ किया।
- 1916 - महान चिंतक और संगठक दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ।
- 2010 - वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार कन्हैया लाल नंदन का निधन हुआ।
- 1866 -अमेरिकी जन्तुविज्ञानी तथा नोबेल पुरस्कार विजेता थॉमस हन्ट मॉर्गन का जन्म हुआ, जिन्होंने मेण्डल के नियमों को विकसित करने में योगदान दिया और फलमक्खी (ड्रोसोफिला मैलनोगास्टर) पर कार्य किया। (निधन-4 दिसम्बर 1945)
- 1725 - वैज्ञानिक निकोलस जोजफ़ क्यूनट का जन्म हुआ जिन्हें ईंधन द्वारा चालित दुनिया के पहले वाहन के निर्माण के लिए जाना जाता है। यह भाप से चलने वाली बड़ी तथा भारी-सी ट्राइसायकिल थी। (निधन-2 अक्टूबर 1804)
- 1985-अमेरिकी जैव रसायनज्ञ विलियम कमिंग रोज़ का निधन हुआ, जिन्होंने खाने में अमीनो अम्ल के महत्व का पता लगाया और इनकी दैनिक न्यूनतम मात्रा का पता लगाया। सन् 1936 में इन्होंने दुग्ध प्रोटीन कैसीन से थ्रियोनाइन नामक अमीनो अम्ल का पता लगाया। (जन्म 4 अप्रैल 1887)
- 1898-जर्मन खदानविज्ञानी तथा धातुकर्म विशेषज्ञ हीरोनायमस थ्योडर रिक्टर का निधन हुआ, जिन्होंने सन् 1863 में इंडियम तत्व की खोज की। (जन्म 21 नवम्बर 1824)
- 1294 -ब्रिटेन के दार्शनिक और रसायनशास्त्री रोजर बेकन का निधन हुआ। उनका जन्म 1214 ईसवी को हुआ था। उन्हें हेब्रू ग्रीक और अरबी भाषा का पूरा ज्ञान था। साथ ही उन्हें प्राकृतिक ज्ञानों से विशेष लगाव था। रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उन्होंने पुस्तकें कुछ लिखीं।
- महत्वपूर्ण दिवस
- सामाजिक न्याय दिवस
- विश्व हृदय दिवस
फिर खबरों में, नफ़ा होगा, या नुकसान ?
सोशल मीडिया पर बिना प्रमाण के व्यक्तिगत आरोप लगाना कभी-कभी भारी पड़ सकता है। ऐसे ही आरोप लगाने पर मेयर एजाज ढेबर और सभापति प्रमोद दुबे, भाजपा के प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी। अभी तक तो पुलिसिया कार्रवाई हुई नहीं है, लेकिन देर सवेर प्रकरण तूल पकड़ सकता है। उत्साही गौरीशंकर श्रीवास ने फेसबुक पर अपने पोस्ट में लिखा कि सैनिटाइजर छिडक़ाव के नाम पर करोड़ों रूपए फूंक दिया गया। इसका नतीजा सब भुगत रहे हैं।
उन्होंने सभापति पर आरोप मढ़ा कि इस पानी छिडक़ाव में अपने घर की बस (शारदा ट्रेवल्स) को लगाकर लाखों रूपए का बिल वसूल लिया। भाजपा प्रवक्ता का आरोप है, तो जबाव देना ही था। एजाज और प्रमोद दुबे, दोनों ही इस फेसबुक पोस्ट को लेकर एसएसपी से शिकायत कर आए। सुनते हैं कि जिस शारदा ट्रेवल्स की बस का जिक्र भाजपा प्रवक्ता ने फेसबुक पोस्ट में किया है, दरअसल वह सारडा एनर्जी की फायरब्रिगेड थी। सारडा ग्रुप से सैनिटाइजर छिडक़ाव के लिए गाड़ी मांगी थी। इसके लिए सारडा ग्रुप को कोई भुगतान भी नहीं हुआ। अब व्यक्तिगत आरोप लगा दिए हैं, तो प्रवक्ता को जवाब तो देना होगा।
वैसे भी यात्री बस का उपयोग सैनिटाइजर का छिडक़ाव के लिए होने की बात कुछ अटपटी लगती है। इससे पहले भी इसी तरह प्रवीण सोमानी अपहरण कांड पर पोस्ट कर गौरीशंकर श्रीवास सुर्खियों में आ गए थे। उन्होंने लिखा था कि प्रवीण सोमानी को चार करोड़ रूपए देकर छुड़ाया गया है। बाद में पुलिस ने नोटिस देकर प्रमाण मांगे, तो श्रीवास फंस गए और किसी तरह माफी मांगकर अपने को बचाया था।
इस बार अपने आरोपों पर गौरीशंकर श्रीवास को तुरंत कोई नुकसान नहीं होना है, लेकिन मेयर-सभापति उनके खिलाफ शिकायत लेकर गए हैं, तो उल्टे प्रचार पा गए। जिसकी चाह हर नेता को रहती है। प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी गठन होना है। संभव है कि उल्टे-सीधे आरोप लगाकर चर्चा में रहने वाले नेताओं को जगह भी मिल जाए।
कल टीवी पर किसानों का चक्काजाम या दीपिका ?
25 सितम्बर को देशभर के अनेक किसान संगठन लोकसभा और फिर उसके बाद ध्वनिमत से राज्यसभा में पारित कृषि विधेयक के विरोध में चक्काजाम, प्रदर्शन करने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के अनेक किसान संगठनों और सभी वामपंथी दलों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है। कांग्रेस भी इस बिल के विरोध में है। राज्यसभा में जिस तरह से यह बिल ध्वनिमत से पारित किया गया उसे अलोकतांत्रिक तरीका बताते हुए कार्रवाई का बहिष्कार भी कर दिया। एनडीए सरकार ने इसका फायदा यह लिया कि दो दिन में रिकॉर्ड 15 विधयेक पारित हो गये। छत्तीसगढ़ में अमूमन उग्र किसान आंदोलन बहुत कम हुए हैं। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी में किसान ज्यादा मुखर हैं। वहां प्रदर्शन जबरदस्त हो सकता है। पर आपको यह सब टीवी पर कितना दिखेगा? आखिर विपक्ष के बहिष्कार को भी आप कितना देख पाये? दो माह से तो सुशांत राजपूत-रिया चक्रवर्ती ने सारी जगह घेर रखी है। न्यूज चैनलों के हिसाब से देखें तो कल किसान आंदोलन से भी एक बड़ा मसला है। एनसीबी के सामने बॉलीवुड एक्टर दीपिका पादुकोण को पेश होना है। फिर 26 को श्रद्धा कपूर को बुलाया गया है। तो तैयार रहिये..अगले खुलासे को जानने के लिये। किसान के लिए किस मूर्ख चैनल पर जगह होगी? चैनल भी क्या किसान की तरह भूखा मरेगा?
कोरोना के खतरे से बेपरवाह एक जिला
अब जब प्रदेश का हर जिला कोरोना से आक्रांत होता जा रहा है, कलेक्टरों ने अपने-अपने जिलों में बारी-बारी लॉकडाउन दुबारा शुरू किया है। दो चार दिन के आगे-पीछे अमूमन हर जिला लॉकडाउन के घेरे में आ गया है। छोटे-छोटे जिले भी खतरा कम करने के लिये ऐसे कदम उठा रहे हैं। पर गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिला इन सबसे अलग है। एक बार वहां लॉकडाउन तब हुआ था, जब गिन-चुने केस थे और मौत केवल एक हुई थी। अब रोजाना पॉजिटिव केस मिल रहे हैं। इसी महीने पांच लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 400 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इसके बावजूद यहां लॉकडाउन को लेकर अफसरों के बीच कोई राय नहीं बनी है। हो भी कैसे, उप-चुनाव जो होने जा रहा है। हर दिन यहां नेताओं का काफिला और उसके पीछे समर्थकों की भीड़ निकल रही है। लॉकडाउन हुआ तो फिर चुनावी तैयारी कैसे होगी? इस बेपरवाही की कीमत जिले के आम लोगों को कहीं चुकाना न पड़ जाये। पता लगे कि चुनाव निपटने तक यहां आने-जाने वाला नेताओं का रेला कोरोना-वितरण केंद्र बन जायेगा !
लॉकडाउन के पहले मुनाफाखोरी
कोरोना महामारी से निपटने के लिये बारी-बारी छत्तीसगढ़ के प्राय: सभी शहरों, कस्बों में लॉकडाउन किया जा रहा है। तकनीकी तौर पर यह लॉकडाउन नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को कंटेनमेन्ट जोन घोषित किया जाना हुआ। केन्द्र सरकार के अनेक दिशानिर्देशों में यह भी है कि लॉकडॉउन केन्द्र की मंजूरी के बगैर नहीं किया जाना है और किया गया तो कम से कम 72 घंटे पहले इसकी सूचना सार्वजनिक करनी होगी। अब चूंकि तकनीकी रूप से लॉकडाउन है ही नहीं इसलिये अधिकारियों ने 72 घंटे पहले घोषणा करने की तकलीफ नहीं उठाई। कई जगह 48 घंटे तो कहीं कहीं 36 घंटे पहले ही पता चला कि हफ्ते, दस दिन के लिये सब कुछ बंद किया जाना है। लोग खासकर किराना सामान और सब्जियों को लेकर चिंता में पड़ गये। हर जगह से ख़बर आई कि बाज़ार में भीड़ टूट पड़ी। सब्जियां दुगने दाम पर बिकीं। हर एक जगह प्रशासन ने इस मनमानी से आंखें मूंद रखी थी, मानो उनकी जवाबदारी तो लॉकडाउन के बाद शुरू होती है। अब शिकायत भी कौन करे, लोग तो लॉकडाउन लागू होने के कारण घरों में कैद हैं और फिर क्या शिकायत करने से कुछ हो जायेगा?
फिर कई लोगों का यह भी कहना है कि सब्जीवाले अगर कुछ अधिक कमा भी ले रहे हैं, तो अगले कई दिन की कमाई तो खत्म ही है. लोग लॉक डाउन के बाद एक हफ्ते की सब्जी तो लोग अगले दिनों में खाएंगे नहीं।
- 1855 -क्लाउड बरनार्ड ने यकृत में ग्लाइकोजन के भण्डारण की खोज की।
- 1909-थॉमस एम. फ्लैहेर्टी ने क्रॉसिंग सिग्नल के लिए पेटेंट प्राप्त किया।
- 1939 -जर्मनी के बम्बार विमानों ने हॉलैंड की राजधानी वॉरसा पर आक्रमण आरंभ किया। द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में होने वाली यह बम्बारी तीन दिनों तक जारी रही। इस बम्बारी के बाद वॉरसा की जनता ने 11 दिनों तक कड़ा संघर्ष किया किंतु अंतत: उसे जर्मनी की सेना के सामने हथियार डालना पड़ा। हिटलर ने नाज़ी सेना के कमांडरों को आदेश दिया था कि जिस प्रकार से भी संभव हो, इस शहर पर क़ब्ज़ा करें। वॉरसा नगर पर बमबारी में कम से कम 15 हज़ार लोग मारे गये थे।
- 1996 - व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर होने शुरू, सं.रा. अमेरिका संधि पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश बना।
- 2003 - फ्रांस के राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया।
- 2005 - आई.ए.ई.ए. ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे को सुरक्षा परिषद को सौंपने का निर्णय लिया।
- 2007 - म्यांमार की सैन्य सरकार के खिलाफ राजधानी यांगून में एक लाख से अधिक लोग सडक़ों पर उतरे। चीन और नेपाल ने दूर संचार के क्षेत्र में एक अहम् अनुबंध पर हस्ताक्षर किया।
- 2008 - भारतीय क्रिकेटर कपिल देव को थलसेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने एक समारोह में प्रादेशिक सेना में लेफ़्िटनेंट कर्नल की मानद पदवी प्रदान की। मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में नालिनी और दो अन्य दोषियों की समय पूर्व रिहाई सम्बन्धी याचिका खारिज की।
- 2009 - देश के पहले चन्द्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी खोज निकाला।
- 1950 - भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी मोहिन्दर अमरनाथ का जन्म हुआ।
- 2006 -दक्षिण भारतीय अभिनेत्री व मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मिनी का निधन हुआ, जो नृत्य की महान रोशनी (नृत्यापेरोली) के नाम से मशहूर थीं।
- 1905-स्पैनिश-अमेरिकी जैव रसायनज्ञ तथा अणु जीव वैज्ञानिक सेवेरो ओकोआ डी अल्बॉर्नोज़ का जन्म हुआ, जिन्हें जीवाणुओं में राइबोन्यूक्लिक अम्ल को संश्लेषित करने वाले एन्ज़ाइम की खोज के लिए 1959 में नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-1 नवम्बर 1993)
- 1870 -फ्रांसीसी इंजीनियर रसायनज्ञ और नियॉन लाइट के आविष्कारक जॉर्ज क्लाउडे का पेरिस में जन्म हुआ। क्लाउड पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सीलबंद नियॉन ट्यूब में विद्युत आवेश प्रविष्ट कराया तथा 1902 में नियॉन प्रकाश लैम्प की खोज की। (निधन-23 मई 1960)
- 1904-डेनमार्क के चिकित्सक, आधुनिक फोटोथेरेपी के संस्थापक नील्स फिन्सेन का निधन हुआ, जिन्हें सन् 1903 में चिकित्सा/शरीरक्रियाविज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला। (जन्म 15 दिसम्बर 1860)
- महत्वपूर्ण दिवस
- विश्व बधिर दिवस
राजिमवाले बरकरार...
स्वास्थ्य महकमे में डॉ. श्रीकांत राजिमवाले कई अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वे छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी, मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार के साथ-साथ डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के नोडल अधिकारी भी हैं। वैसे तो वे पिछली सरकार के लोगों के करीबी रहे हैं, और एक के बाद एक उन्हें अहम जिम्मेदारी मिलती रही। मगर सरकार बदलते ही उन्होंने थोड़े ही समय में नए लोगों के साथ तालमेल बिठा लिया।
ऐसे समय में जब विश्वविद्यालयों और अन्य अहम जगहों पर आरएसएस और पिछली सरकार से जुड़े लोगों को चुन-चुन कर हटाया गया, डॉ. राजिमवाले का बाल भी बांका नहीं हुआ। ऐसा नहीं है कि डॉ. राजिमवाले के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। कुछ लोगों ने उनके खिलाफ काफी कुछ इक_ा कर सरकार के प्रभावशाली लोगों तक पहुंचाया भी है। मगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सुनते हैं कि डॉ. राजिमवाले के पक्ष में दो प्रभावशाली नेता भी आगे आ गए हैं। यही वजह है कि उन्हें हटाना तो दूर, उनके खिलाफ शिकायतों की जांच तक शुरू नहीं हो पा रही है। कहावत है कि बचाने वाला मारने वाले से बड़ा होता है। डॉ. राजिमवाले के प्रकरण में तो यही दिख रहा है।
पार्टी के भीतर हलचल
भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा जल्द ही हो सकती है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, सौदान सिंह और पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की सलाह से सूची तैयार कर दिल्ली में डटे हुए हैं। राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष की आपत्ति के बाद कुछ नामों में हेरफेर कर नए नाम जोड़े गए हैं। संतोष चाहते थे कि हारे हुए लोगों को संगठन में अहम दायित्व न दिया जाए, मगर ऐसा नहीं हो पाया। सुनते हैं कि विधानसभा चुनाव में हारे कुछ लोगों को पद मिल रहा है, उनमें से पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी का नाम प्रमुख है।
चौधरी को पहले युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन अब उन्हें शिवरतन शर्मा की जगह प्रदेश का मुख्य प्रवक्ता बनाए जाने की चर्चा है। सूची तो अब तक जारी नहीं हुई है, लेकिन मात्र उड़ती खबर से पार्टी दूसरे खेमे में नाराजगी बढ़ गई है। सौदान सिंह के करीबी लोग यह प्रचारित कर रहे हैं कि उनका सूची से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन अंदर की खबर यह है कि वे बिहार चुनाव में व्यस्तता के बाद भी सूची पर पूरी निगाह रखे हुए हैं। और उनकी कोशिश है कि जल्द से जल्द सूची जारी हो जाए।
दूसरी तरफ, पार्टी के एक बड़े आदिवासी नेता कुछ लोगों के बीच यह कहते सुने गए कि विष्णुदेव साय की जगह नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है। उनकी बात सुनकर लोग चकित थे, क्योंकि साय को प्रदेश अध्यक्ष बने चार महीने भी नहीं हुए हैं। मगर आदिवासी नेता ने बताया कि केन्द्र सरकार अभी तक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति नहीं कर पाई है। विष्णुदेव साय भी इस पद की दौड़ में हैं। चर्चा है कि केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी विष्णुदेव साय का नाम आगे बढ़ाया है। वाकई ऐसा होगा, यह कहना कठिन है। मगर इसको लेकर पार्टी के भीतर हलचल है।
मरवाही में कांग्रेस का चार गुना जोर..
मरवाही उप-चुनाव को कांग्रेस ने किस सीमा तक प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है वह प्रभारियों की नियुक्ति से मालूम होता है। आम तौर पर एक विधानसभा में एक ही प्रभारी होते हैं। यहां चार-चार प्रभारी बना दिये गये हैं जिनमें से दो तो विधायक भी हैं। कैडर वाले दलों की तरह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। दर्जन भर मंत्री, सांसद, अधिकारी वहां दौरा कर चुके, करते आ रहे हैं। प्रदेश स्तर के कई पदाधिकारियों ने स्थायी डेरा बना रखा है। रोज कोई न कोई उद्घाटन, शिलान्यास हो रहा है। मुख्यमंत्री ने करीब डेढ़ सौ करोड़ की नई-पुरानी योजनाओं की ऑनलाइन शुरूआत की। दो राय नहीं कि गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही को जिला बनाने की घोषणा करना मौजूदा सरकार का एक ईमानदारी भरा फैसला था। ताकतवर प्रतिनिधियों के रहते, 15 साल की भाजपा सरकार रहते हुए यह नहीं हो पाया। नये जिले की जरूरतें भी बहुत सी हैं तो इन उद्घाटन, शिलान्यासों को जरूरी माना जा सकता है पर इसमें चुनाव का एंगल तो छिपा हुआ है ही। मरवाही का अतीत बताता है कि अब तक हुए सभी चुनावों के नतीजों में प्रत्याशी के व्यक्तित्व को उन्होंने दल से ऊपर रखा। यदि कांग्रेस ने बाजी मारी तो पहला मौका हो सकता है जब यहां की जनता ने व्यक्ति से ज्यादा संगठन को महत्व देना तय किया है।
भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस ने विपक्ष में रहते तो संगठित पार्टी की तरह काम किया ही था, अब तो पार्टी के साथ सरकार की ताकत भी है।
दूसरे सबसे बड़े शहर की त्रासदी
छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर के खाते में विकास के सारे अध्याय अधूरे ही लिखे हुए हैं। लगभग 30 साल पहले यहां से वायुदूत सेवा चलती थी। किसी वजह से बंद हो गई। अब कई सालों से यहां हवाई सेवा के लिये आंदोलन चल रहा है। दर्जनों बार हाईकोर्ट की फटकार, दो सौ से ज्यादा संगठनों के आंदोलन के बाद भी अब तक यहां से उड़ानें शुरू नहीं हुई हैं। देखते ही देखते बस्तर से भी हवाई सेवा शुरू हो गई। बीते दिनों जब केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बिलासपुर-भोपाल के बीच हवाई सेवा शुरू करने के फैसले के बारे में ट्वीट किया तो क्या कांग्रेस, क्या भाजपाई सब अपनी पीठ खुद ही थपथपाने लगे थे। जमीनी हक़ीकत देखने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। हवाईअड्डे के लिये जरूरी निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहे हैं। रफ़्तार यही रही तो आने वाले 6 माह तक भी काम पूरा नहीं होना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां के लिये जो राशि मांगी गई थी वह मंजूर तो कर दी, पर काम समय पर हो यह देखना तो स्थानीय नेतृत्व का काम है। अंडरग्राउन्ड सीवरेज पर 450 करोड़ रुपये फूंक दिये गये, काम अधूरा। रायपुर बिलासपुर नेशनल हाईवे पर टोल टैक्स वसूली शुरू हो गई पर काम बाकी। फ्लाईओवर के एक काम को 18 माह में पूरा होना था, तीन साल हो गये पूरा नहीं। अमृत मिशन से पेयजल सुविधा मिलनी थी, अधूरी। 18 पानी टंकियों से भी तीसरे माले तक पानी पहुंचाने की योजना थी, लाखों रुपये बहे काम आधा-अधूरा। बिलासपुरवासियों को स्व. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, स्व. बीआर यादव जैसे नेता याद आते हैं जिन्होंने यहां के विकास के लिये परिणाम मिलने वाले काम किये।
- 1846-जर्मन खगोलशास्त्री जोहान जी.गैले ने नेप्च्यून की खोज की।
- 1879-रिचर्ड एस. रोड्स ने आडियोफोन का आविष्कार किया जो सुनने का पहला उपकरण था।
- 1992 - यूगोस्लाविया का संयुक्त राष्ट्र संघ से निष्कासन।
- 1995 - ताबा (मिस्र) में इस्रायल एवं फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन के मध्य पश्चिमी तट में फिलीस्तीनी स्वशासन के संबंध में समझौता।
- 2000 - सिडनी ओलम्पिक में संयुक्त राज्य अमेरिका की धाविका मैरियन जोन्स ने 100 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक जीता।
- 2001 - ब्रिटिश और तालिबान सेना के बीच गोलाबारी, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत व पाकिस्तान पर से प्रतिबंध हटाये।
- 2003 - भूटान में लोकतांत्रिक संविधान का मसौदा तैयार।
- 2009 - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय उपग्रह ओशन सैट-2 समेत सात उपग्रह कक्षा में स्थापित किए।
- 1932 - सउदी अरब देश की स्थापना हुई।
- 1860- जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक आर्थर शोपनहावर का निधन हुआ।
- 1991 - कई अरमीनिया ने पूर्व सोवियत संघ से अपनी स्वाधीनता की घोषणा की ।
- 1908 - हिन्दी जगत सुप्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म हुआ।
- 1863 - स्विट्जऱलैण्ड में जन्मे फ्रांसीसी जीवाणु विज्ञानी ऐलेक्ज़ेन्ड्रे यर्सिन का जन्म हुआ, जिन्होंने प्लेग के बैसिलस पैस्ट्यूरेला पेस्टिस को ढूंढ़ निकाला। (निधन-1 मार्च 1943)
- 1861- जर्मन इंजीनियर और उद्योगपति रॉबर्ट बॉश का जन्म हुआ, जिन्हें वाहनों के स्पार्क प्लग तथा चुम्बकों के आविष्कार के लिए जाना जाता है। (निधन- 9 मार्च 1942)
- 1929 - आस्ट्रिया के रसायनज्ञ रिचर्ड जि़ग्मॉन्डी का निधन हुआ, जिन्हें कोलाइड विलयन का विषमांगी प्रकृति बताने के लिए सन् 1925 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला। इन्होंने अपने अनुसंधान के लिए अल्ट्रामाइक्रोस्कोप का आविष्कार किया। (जन्म 1 अप्रैल 1865)
- 1882 -जर्मन रसायनज्ञ फ्रैड्रिक व्होलर का निधन हुआ, जिन्होंने वैनेडियम तत्व की खोज की। इन्होंने पहले चिकित्सा का अध्ययन किया, फिर उसके बाद उन्होंने खनन विज्ञान का अध्ययन किया। (जन्म 31 जुलाई 1800)
- 1860 -जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक आर्थर शोपनहावर का निधन हुआ। वे वर्ष 1788 ईसवी में पैदा हुए थे। वे गोएटे और हेगल जैसे दर्शनशास्त्रियों के काल के दार्शनिक थे। दार्शनिकों में वे अफ़लातून और कैंन्ट से विशोष रुप से प्रभावित थे। विश्व संकल्प और प्रदर्शन उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में हैं।