स्थायी स्तंभ
नई और पुरानी संसद
प्रदेश के चार भाजपा सांसद सुनील सोनी, मोहन मंडावी, गुहा राम अजगल्ले, और चुन्नीलाल साहू की भले ही टिकट कट गई, लेकिन वो कई मामलों में भाग्यशाली भी रहे। मसलन, न सिर्फ चारों सांसद बल्कि प्रदेश के बाकी सांसद भी नए और पुराने, दोनों ही संसद भवन में बैठकर सदन की कार्रवाई में हिस्सा लिया। पुराना संसद भवन अब म्यूजियम और संसद सचिवालय के रूप में उपयोग में आ रहा है। यह भवन ऐतिहासिक पलों का साक्षी रहा है, जहां पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल और बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर जैसी नामी गिरामी हस्तियां यहां कार्रवाई में हिस्सा ले चुके हैं। यह भवन अब सदन की कार्रवाई के लिए हमेशा के बंद हो चुका है।
सदन के नए भवन में शुरू हो चुकी है। लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई नए भवन में संचालित हुई। सुनील सोनी समेत बाकी सांसदों की टिकट कट गई, लेकिन उन्हें नए भवन में सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने का अवसर मिला। नए भवन में प्रवेश के लिए कुछ नियम भी बदले गए हैं। पूर्व सांसदों का स्थाई पास बना होता था, जिससे वो सेंट्रल हॉल तक जाकर मंत्रियों, सांसदों से मिल सकते थे। प्रदीप गांधी जैसे पूर्व सांसद अक्सर सेंट्रल हॉल में देखे जा सकते थे। लेकिन नए भवन में प्रवेश के लिए पूर्व सांसदों को आम लोगों की तरह पास बनाना पड़ रहा है, जो कि सिर्फ एक दिन के लिए रहता है। इससे प्रदीप गांधी जैसे कई पुराने सांसद खिन्न नजर आए।
कांग्रेस में एक और लिस्ट
कांग्रेस की लोकसभा प्रत्याशियों की सूची जल्द जारी हो सकती है। चर्चा है कि कई नामों पर सहमति तो बन गई है, लेकिन पार्टी के एक प्रमुख नेता ने अलग से सूची हाईकमान को दी है। वो प्रदेश के बाकी नेताओं के साथ स्क्रीनिंग कमेटी में अपना सुझाव नहीं देना चाहते थे, क्योंकि इससे उन्हें विवाद का अंदेशा था। देखना है कि पार्टी नई सूची पर गौर करती है अथवा नहीं।
भाजपा में जिम्मेदारी
भाजपा में चुनाव प्रबंध समिति ने एक बैठक कर सदस्यों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी है। मसलन, फिल्म कलाकार और विधायक अनुज शर्मा को प्रदेशभर में चुनाव के दौरान प्रचार के लिए कलाकारों को तैयार करने, और उनका कार्यक्रम कराने की जिम्मेदारी दी गई है। अब तक प्रदेश कार्यालय का काम नरेश गुप्ता और रजनीश शुक्ला ही संभालते थे। लेकिन अब उनके साथ अवधेश जैन को भी लगाया गया है। एयरपोर्ट पर वीआईपी विजिट के दौरान स्वागत की जिम्मेदारी प्रितेश गांधी, और आकाश विग को दी गई है। प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य संजू नारायण सिंह को प्रचार रथ के देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है। नए प्रभारी किस तरह काम करते हैं, यह देखना है।
मोदी की गारंटी, आयोग पर भरोसा
हाल के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मोदी की गारंटी के कुछ बड़े बिंदुओं पर भाजपा सरकारों को तेजी से काम करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के मतदाताओं का दो बड़ी घोषणाओं पर इंतजार खत्म होता दिखाई दे रहा है। 7 मार्च को महतारी वंदन योजना के तहत करीब 71 लाख महिलाओं के खाते में रकम पहुंचने वाली है। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होंगे। दूसरा, किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा पूरा हो रहा है। किसानों के खाते में 12 मार्च को अंतर की रकम करीब 13 हजार करोड़ रुपये डाली जाएगी।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जब बीते साल 17 नवंबर को विधानसभा के लिए मतदान होने वाले थे, उसके ठीक दो दिन पहले 15 नवंबर को प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि की रकम जारी की। कांग्रेस के जयराम रमेश ने तब सवाल उठाया था कि मतदान के दो दिन पहले क्या जानबूझकर ऐसा किया गया? यह रकम तो अक्टूबर में ही मिल जानी थी। निश्चित ही मतदान के ठीक पहले लाखों मतदाता जब वोट डालने निकले तो उन्हें एहसास रहा होगा कि उनके खाते में केंद्र सरकार ने पैसे डाले हैं।
अभी 28 फरवरी को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यवतमाल से किसान सम्मान निधि की 16वीं किश्त जारी की है। इस बार कांग्रेस ने विरोध नहीं किया। कांग्रेस या किसी भी विपक्ष के लिए ऐसे भुगतान के विरोध में बहुत आगे बढऩा मुश्किल है क्योंकि इससे वोटर नाराज होकर बोल सकते हैं- हमें फायदा मिल रहा है, इससे आपको तकलीफ हो रही है।
बीते लोकसभा चुनाव का हाल जानें तो 10 मार्च 2019 को चुनाव आयोग ने लोकसभा के लिए कार्यक्रम घोषित किया था। इसी दिन से आचार संहिता भी लग गई थी। जरूरी नहीं कि इस बार भी 10 मार्च को ही चुनाव कार्यक्रम आए, वह एक दो दिन आगे भी हो सकता है, पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
गृह मंत्री के इलाके में अपराधों का सिलसिला
हाल ही में गृह मंत्री विजय शर्मा के इलाके में जो वारदातें हुई हैं, उस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। सडक़ पर उतरकर दो-तीन प्रदर्शन कर चुके हैं। कल उनका पुतला भी फूंका गया। विधानसभा में भी सरकार को घेरा गया। कुछ दिन पहले शिक्षक कॉलोनी में घर के अंदर मां बेटी की तीन चार दिन पुरानी लाश मिली थी। उसके कातिल का पुलिस ने पता लगा लिया। कुकुदर में तीन बैगाओं की हत्या कर दी गई। पुलिस पहले उसे दुर्घटना बताती रही, बाद में 14 लोगों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। कवर्धा शहर से लगे लालपुर कला में चरवाहे साधराम यादव की हत्या की गूंज तो पूरे प्रदेश में हुई है। अब उसकी जांच एनआईए से कराने की घोषणा की गई है। कांग्रेस ने पीडि़त के परिजनों को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की है।
याद करें, करीब चार साल पहले पाटन इलाके में पांच लोगों के एक साथ शव मिले थे। अमलेश्वर में एक युवा ज्वेलर्स की लूट के लिए हत्या हुई थी। अंडा थाना इलाके में एक 11 साल के बालक की भी हत्या कर लाश बोरे में बंद कर फेंक दी गई थी। अमलेश्वर थाने के ही एक सोनकर परिवार के चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। ये सभी मामले तब एक साथ दो चार माह के भीतर हुए थे। तत्कालीन गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के खिलाफ सदन से सडक़ तक भाजपा ने मोर्चा खोला था।
गृह मंत्री पर पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था को नियंत्रण में रखने और आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। पर उनके जिले के लोग अपने यहां शांति व्यवस्था की ज्यादा उम्मीद रखते हैं। नहीं भी रखते होंगे तो विपक्ष इसकी याद जरूर दिलाता है। तब भाजपा आंदोलन कर रही थी, आज कांग्रेस कर रही है।
सतर्कता संदेश छत्तीसगढ़ी में
शासन की अधिकतर योजनाओं की राशि अब डिजिटली ट्रांसफर हो रही है। गांवों से किसान, महिलाएं अपनी रकम निकालने बैंकों में आ रही हैं। कई लोग उठाईगिरी या ठगी के शिकार भी हो रहे हैं। कोरबा पुलिस ने ग्राहकों को सतर्क करने के लिए उनकी अपनी छत्तीसगढ़ी बोली में प्रचार सामग्री तैयार कराई है। इसे बैंकों और सार्वजनिक स्थानों पर बांटा, चिपकाया जा रहा है।
चुनावी टिकिट, जितने मुँह उतनी बातें
कांग्रेस में लोकसभा प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। इन सबके बीच रायपुर लोकसभा सीट से बृजमोहन अग्रवाल को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सोशल मीडिया में कई सुझाव आए हैं। यह भी सुझाव दिया गया है कि रायपुर की सीट इंडिया गठबंधन को दे देनी चाहिए और बदले में कांग्रेस के नेता, आम आदमी पार्टी से पंजाब या फिर हरियाणा से अथवा वामपंथी गठबंधन से केरल में एक सीट छोडऩे के लिए कहा जाना चाहिए।
इसी तरह कुछ कांग्रेस नेताओं ने फेसबुक पर राजनांदगांव सीट से गिरीश देवांगन को टिकट देने की वकालत की है। यह भी नारा दिया है-राजनांदगांव की जनता कहे पुकार जीडी (गिरीश देवांगन) भईया अब की बार...। एक कांग्रेस नेता ने सहमति जताते हुए फेसबुक पर लिखा कि उन्होंने इतनी मेहनत की है, वो निकाल सकते हैं। कांग्रेस नेता हरदीप सिंह बेनीपाल ने जीडी की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए लिखा कि उनका इतना प्रभाव है कि राजनांदगांव लोकसभा से लगी हुई मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, और आंध्र की सीटें भी जीत लेंगे।
महंगे होटल में नई शिक्षा नीति
केंद्र सरकार ने तार वर्ष पहले ही एक पूरी मुकम्मल उच्च शिक्षा नीति बनाकर राज्यों को दे दी है। यह नीति छत्तीसगढ़ के भी आठ आटोनामस कालेजों में लागू हो गयी है। इसकी अच्छाई और खामियां भी दूर की जा रही हैं। इतना ही नहीं दो शिक्षा सत्रों सी परीक्षा छात्र पार कर चुके है। इसे अब सभी कॉलेजों में लागू कर वृहद रूप दिया जाना शेष है। इसके बाद भी उच्च शिक्षा विभाग और संचालनालय अभी टास्क फोर्स गठित करने, नीति के अध्ययन, सुझाव और निष्कर्षों का प्रतिवेदन देने जैसी महंगी औपचारिकताएं कर रहा है।
महंगी इसलिए कह रहे हैं कि उच्च शिक्षा संचालनालय कल बुधवार को राजधानी के फाइव स्टार होटल में ऐसे ही एक टास्क फोर्स की बैठक बैठक कर रहा है । इसमें चार दर्जन प्रोफेसर,और अन्य अधिकारी बुलाए गए है। सुबह 8 बजे से दिनभर चलने वाले इस वर्कशाप पर ब्रेक फास्ट, लंच,शाम की हाई टी ,और किराए पर करीब डेढ़ दो लाख रूपए खर्च किए जा रहे हैं। इसका निष्कर्ष तो भविष्य पर निर्भर है लेकिन इतने बड़े खर्च को लेकर उंगली उठाई जा रही है।
केवल हॉल या सभागृह के नाम पर इतना बड़ा खर्च। जबकि राजधानी के हर बड़े कॉलेज में एक एसी सभागृह उपलब्ध है। सरकारी से अधिक निजी विवि,या एनआईटी, आईआईएम, एचएनएलयू, ट्रिपल आईटी में तो और भी सुविधाजनक हॉल है। ये दूर हैं तो शहर के बीच न्यू सर्किट हाउस है। वैसे पूर्ववर्ती रमन सरकार के कार्यकाल में जीएडी का आदेश भी है कि शासकीय बैठकें महंगे होटलों के बजाए न्यू सर्किट हाउस के सभा गृह में की जाए।
400 पार के लिए दौड़
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले प्रियंका गांधी ने महिला मैराथन का आयोजन- लडक़ी हूं लड़ सकती हूं, स्लोगन के साथ किया था। पर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम नहीं आए। उसके बाद के चुनावों में इस तरह का कोई प्रयोग कांग्रेस ने नहीं किया। पर भाजपा ने अलग तरह का कार्यक्रम बनाया है। मोदी की प्रमुख गारंटी में से एक नारी वंदन योजना से जोड़ते हुए हर जिले में महिला कार्यकर्ताओं की दौड़ कराई जा रही है। यह जशपुर की तस्वीर है, जहां दौड़ के बहाने महिला मोर्चा अपने कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए रिचार्ज कर रही हैं। देशभर में ऐसे कार्यक्रम रखे जा रहे हैं।
केंद्र से राशि अब मिलती रहेगी?
हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों के राज्यांश का करीब 4900 करोड़ रुपया जारी कर दिया। कांग्रेस को पूरे पांच साल के कार्यकाल में केंद्र से शिकायत रही कि उनके हक की राशि रोक ली जाती है। पर राज्यांश राशि बिना किसी शोरगुल के राज्य के पास आ गया। कांग्रेस सरकार तब कोल रायल्टी पेनाल्टी की रुकी हुई करीब 4400 करोड़ रुपये और केंद्रीय बलों की तैनाती पर आये खर्च के करीब 12 हजार करोड़ रुपये की मांग भी करती रही, उसके रहते नहीं मिली। अब जब दोनों जगह सरकार एक ही पार्टी की है, हो सकता है कि ये बड़ी राशि भी जल्दी मिल जाएं।
भवन भी बचा, कुर्सी भी
छत्तीसगढ़ में भाजपा संगठन केंद्रीय नेतृत्व से मिले इस टास्क को भली-भांति पूरी कर रही है जिसमें कहा गया है कि दूसरे दलों के नेताओं के दरवाजे उदारता से खोल दिए जाएं। कल भी प्रदेश कार्यालय में यह सिलसिला चला जिसमें कांग्रेस व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के कई नेताओं का भाजपा में स्वागत किया गया।
बिलासपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान की निष्ठा तब भी नहीं डगमगाई थी, जब डॉ. रेणु जोगी ने जेसीसी की टिकट पर 2018 का चुनाव लड़ा। जोगी के करीबी होने के बावजूद वे साथ नहीं गए। पिछले दो चुनावों में वे टिकट की मांग करते रहे। पर, जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाकर उन्हें संतुष्ट किया गया। इस बार विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस को साथ दिया। निकट भविष्य में न कोई चुनाव होने वाला है और न ही उनके वर्तमान पद को तत्काल खतरा है, फिर उन्होंने भाजपा में जाने का फैसला क्यों लिया? दरअसल वे नहीं जाते तो दो अन्य जिला पंचायत सदस्य तो तैयार बैठे ही थे, जो साथ में शामिल हुए हैं। आने वाले दिनों में कुछ और लोग कांग्रेस छोड़ देते तो उनके बहुमत पर खतरा मंडराता और अविश्वास प्रस्ताव आ जाता। अब कम से कम उनकी कुर्सी इस सरकार में भी बची रहेगी। लेकिन उन्हें जानने वालों के बीच एक दूसरे कारण की अधिक चर्चा रही। इन दिनों कई जिलों में अवैध निर्माण पर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई चल रही है। चर्चा के मुताबिक कुछ साल पहले चौहान ने बिलासपुर में एक व्यावसायिक भवन बनवाया। नगर-निगम में कांग्रेस की सरकार के रहते ही उसके कुछ हिस्से को लेकर आपत्ति आ गई थी, जिससे वे नाराज चल रहे थे। अब वह परेशानी भी खत्म हो जाएगी।
सुनील सोनी विधायक बनेंगे
मध्यप्रदेश के दिग्गज भाजपा नेता नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल रविवार को रायपुर आए, तो सीधे बृजमोहन अग्रवाल के मौलश्री विहार स्थित निवास पहुंचे। ये तीनों नेता बृजमोहन की माता के गुजरने पर शोक प्रकट करने आए थे। इस दौरान बृजमोहन के निवास पर सांसद सुनील सोनी भी थे।
चर्चा के बीच कैलाश विजयवर्गीय की नजर सुनील सोनी पर पड़ गई। उन्होंने पूछ लिया कि तुम्हारी टिकट का क्या हो गया? सुनील सोनी ने अपनी टिकट कटने को सहज रूप में लिया, और कहा कि जब उनकी जगह बृजमोहन जी के नाम की घोषणा हुई, तो मैं यहीं (बृजमोहन निवास) था। यानी सुनील सोनी यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि बृजमोहन जी के प्रत्याशी बनने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा है।
बाद में मीडिया से चर्चा में सुनील सोनी का दर्द छलक ही पड़ा। और कह गए कि कई अधूरा काम पूरा नहीं हो पाया, इसका उन्हें अफसोस है। हालांकि उनसे जुड़े लोग उम्मीद से हैं कि बृजमोहन के चुनाव जीतने के बाद रायपुर दक्षिण सीट से सुनील सोनी प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं। क्या वाकई ऐसा होगा, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।
साहब का लोकेशन ढूंढते मंत्री
उद्योग विभाग के इन साहब से न केवल मातहत बल्कि नई सरकार के मंत्री भी हलाकान हैं। उनका आधा दिन तो साहब की पतासाजी में निकल जाता है। मंत्री जी का एक स्टाफ तो इसी काम के लिए तैनात है। उसका एक ही काम है साहब की लोकेशन से अपडेट रहना। क्योंकि साहब तीन पदों के जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। एक दफ्तर में पता लगाते हैं तो साहब दूसरे तीसरे दफ्तर में होना बताए जाते हैं। तीनों जगह न मिलने पर घर या दिल्ली टूर पर होते हैं। किसी एक दफ्तर में दो घंटे बैठ जाएं तो रिकार्ड बन जाता है उस दिन। अगस्त से संचालक हैं लेकिन ज्वाइनिंग के दिन के बाद से वहां गए ही नहीं। प्रतिनियुक्ति पर आए साहब ने एक निगम में पांच वर्ष ऐसे ही गुजार लिए। कांग्रेस सरकार में बिठाए गए ये साहब, काम भी पूर्व मंत्री के पारिवारिक ठेकों के पेंडिंग बिल निपटा रहे हैं।
सिस्टम चालू आहे
सरकार बदलने के बाद कुछ दिनों तक ऐसा लग रहा था कि शराब, जुआ-सट्टा और कबाड़ का जो सिस्टम कांग्रेस सरकार में चल रहा था, वह बंद हो जाएगा। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। कुछ दिनों तक तो थानेदार चुपचाप बैठे रहे और अपने क्षेत्र के अवैध शराब बेचने वाले, बार चलाने वालों, कबाडिय़ों को धंधा बंद रखने कहा था। कुछ दिनों बाद ही यह पूरा सिस्टम एक्टिवेट कर दिया गया है। खबर है कि शराब दुकानों में ओवररेट जारी है। कबाडिय़ों ने फिर अपना धंधा शुरू कर लिया है। मजेदार बात यह है कि ज्यादातर जिलों के नए कप्तान साहब नहीं जान पा रहे कि टीआई क्या-क्या खेल कर रहे हैं।
सात दावेदार में तीन सफल
लोकसभा चुनाव में दावेदारों की जिस तरह से चर्चा चली उससे यह लग रहा था कि भाजपा आधी सीटों पर महिलाएं उतार देगी। सरोज पांडेय से लेकर लक्ष्मी वर्मा, कमला पाटले, कमलेश जांगड़े, रंजना साहू, रूपकुमारी चौधरी, चंपा देवी पावले, लता उसेंडी जैसे दावेदार उभर रहे थे। रायपुर से लक्ष्मी वर्मा, सरोज पांडेय कोरबा से, चंपा देवी पावले कोरबा और सरगुजा से, कमला पाटले और कमलेश जांगड़े जांजगीर से तो महासमुंद से रंजना साहू और रूपकुमारी चौधरी का नाम लिया जा रहा था। इसी तरह कांकेर से लता उसेंडी का नाम चर्चा में था। बिलासपुर से जिला पंचायत सदस्य शीलू साहू को प्रमुख दावेदारों में गिना जा रहा था। लेकिन बी फार्म सरोज, कमलेश और रूपकुमारी के हाथ आया।
जल मिशन डूबा, नलों में सूखा
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में जल जीवन मिशन बुरी तरह विफल दिख रहा है। गर्मी करीब आते ही लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर लक्ष्य और कितना दूर है। जहां काम हुए हैं, वहां से भ्रष्टाचार की खबरें एक के बाद एक आ रही हैं। सरगुजा जिले में करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद लोगों को इस गर्मी में पानी के लिए तरसना पड़ेगा। भैयाथान से खबर है कि यहां टंकी का निर्माण पूरा नहीं हुआ। जब टंकी ही नहीं बनी तो बिछाई गई पाइप लाइन से पानी की सप्लाई का भी सवाल नहीं है। हालत यह है कि मिशन के इन्हीं अधूरे कामों का नाम लेकर बिगड़े हेंडपंपों को सुधारा नहीं जा रहा है। ग्रामीणों को 2-3 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। इधर डभरा में मिरौनी बैराज से कई गांवों में पानी देना था। मगर काम स्तरहीन हुआ। कुछ समय पहले ही बिछाई गई पाइपें टूट गई हैं, जिसके कारण पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। मगर ये छोटे-छोटे उदाहरण हैं। केंद्र की मदद से चल रही इस योजना के तहत घर-घर नल के जरिये साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य था। इसे पहले 2023 में पूरा किया जाना था, बाद में 2024 की डेडलाइन दी गई, मगर काम इतनी धीमी गति से चल रहा है कि अब मियाद दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी सहित अन्य भाजपा विधायकों ने कई बार सरकार को घेरा। सदन में ही मंत्री गुरु रुद्र कुमार को कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करने की घोषणा करनी पड़ी। 1000 से अधिक ठेकेदारों को नोटिस दी गई, सौ से ज्यादा अनुबंध निरस्त किए गए, जिनकी लागत 2000 करोड़ के आसपास थी। कई जगह पाइपलाइन उखाडक़र नए बनाने का निर्देश दिया गया। सौ से अधिक पानी टंकियों को गिराने का आदेश दिया गया। कई जगह टंकियों तक तैयार हैं पर बराज, बांध और नदियों से पानी लाने का काम अधूरा है।
जनवरी में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जल जीवन मिशन के कार्यों की समीक्षा दी थी, उन्होंने भी भ्रष्टाचार के मामलों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही थी। मगर उनके विभाग ने कांग्रेस शासन के दौरान राज्य सरकार को पत्र लिखकर 50 प्रतिशत कार्य पूरा होने पर सराहना भी की थी। इधर भाजपा विधायक गोमती साय के सवाल पर पिछले विधानसभा सत्र में विभाग के मंत्री अरुण साव ने बताया था कि जिले के 754 गांवों में सिर्फ 17 गांवों में 100 फीसदी काम हुआ है, बाकी जगह ‘कार्य प्रगति पर’ है।
थोड़े दिन में ही सारी सरकारी मशीनरी लोकसभा चुनाव में व्यस्त हो जाने वाली है। यह व्यस्तता मई महीने तक रहेगी। तब पेयजल संकट से प्रभावित गांवों में इस भ्रष्टाचार का असर महसूस किया जाएगा।
आईपीएस के गांव में फोर्स अकादमी
आईपीएस डॉ. लाल उमेद सिंह की पोस्टिंग जीपीएम जिले से करीब 300 किलोमीटर दूर बलरामपुर में है। मगर यहां के मझगवां में उनका घर है,जहां पले-बढ़े। यहां उन्होंने ग्रामीण बच्चों की शारीरिक और बौद्धिक गतिविधियों के लिए फोर्स अकादमी नाम से एक संस्था शुरू की है। एकेडमी के भवन का उद्घाटन पिछले सप्ताह हुआ। भवन के लिए गांव के लोगों ने जमीन उपलब्ध कराई। जिले की यह पहली फोर्स अकादमी है, जहां न केवल जीपीएम बल्कि दूसरे जिलों के बच्चे भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस समय इनकी संख्या 250 है। खेल सामग्री और कोचिंग के लिए पाठ्य सामग्री भी यहां उपलब्ध है। प्रशिक्षकों की भी व्यवस्था की गई है। मेहनत और संघर्ष से कामयाबी हासिल करने वाले कई अफसर न केवल अपनी मिट्टी से जुड़े रहने और नई पीढ़ी का भविष्य संवारने की कोशिश करते हैं।
तेंदुए कम हुए शिकार के चलते
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या घटने के बाद अब यह पता चला है कि तेंदुओं की संख्या भी कम हो रही है। सन् 2018 में प्रदेश में 852 तेंदुआ होने का पता चला था। पर 2022 की हाल में जारी की गई गणना रिपोर्ट के मुताबिक इनकी संख्या 722 रह गई है। बाघ और तेंदुआ दोनों की ही गणना नेशनल टाइगर रिजर्व अथॉरिटी कराता है। इसकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तेंदुए की वंश वृद्धि दर के अनुसार 2022 में प्राकृतिक मौतों को कम कर देने के बावजूद संख्या बढक़र 1000 हो जानी थी। ये जो 278 तेंदुए कम दिखाई दे रहे हैं उनमें से कुछ की असामयिक मौत किसी दुर्घटना की वजह से जरूर हो गई होगी लेकिन एनटीसीए का ही आकलन है कि संख्या घटने की बड़ी वजह शिकार किया जाना है। वनों को सुरक्षित रखने में बाघों की तरह तेंदुए का भी बड़ा योगदान होता है। पर इनकी संख्या घटने पर लोगों का ध्यान अधिक नहीं जाता, जितना बाघ पर जाता है। अभयारण्यों से साल में दो चार तेंदुए के शिकार के मामले पकड़े जाते हैं, पर आंकड़ों के मुताबिक हर साल 90 से अधिक तेंदुआ शिकारियों के हाथों जान गवां रहे हैं। ([email protected])
- 4 मार्च : भारत में पहले एशियाई खेलों का आयोजन
- नयी दिल्ली, 4 मार्च। इतिहास में चार मार्च का दिन भारत में पहले एशियाई खेलों के आयोजन से जुड़ा है। 1951 में 4 से 11 मार्च के बीच नयी दिल्ली में पहले एशियाई खेलों का आयोजन किया गया था। इन खेलों में 11 एशियाई देशों के कुल 489 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। खेलों का आयोजन 1950 में किया जाने वाला था, लेकिन तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाने के कारण आयोजन का वर्ष 1951 कर दिया गया।
- पहले एशियाई खेलों में आठ खेलों की कुल 57 स्पर्धाओं को शामिल किया गया। जापान के खिलाड़ियों ने ज्यादातर स्वर्ण पदकों पर कब्जा किया और 24 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 60 पदक हासिल किए। मेजबान देश भारत ने 15 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 51 पदक जीतकर पदक तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया।
- देश दुनिया के इतिहास में 4 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1788 : कलकत्ता गजट का प्रकाशन शुरू। आज इसे गजट ऑफ गवर्नमेंट ऑफ वेस्ट बंगाल के नाम से जाना जाता है।
- 1858 : ब्रिटिश अधिकारी जे पी वॉकर तकरीबन 200 कैदियों को लेकर कलकत्ता से अंडमान और निकोबार के लिए रवाना। इन लोगों में ज्यादातर 1857 के विद्रोह के आरोपी थे।
- 1879 : लड़कियों को उच्च शिक्षा देने के लिए कलकत्ता में बेथुन कॉलेज की स्थापना। यह ब्रिटेन से बाहर पहला महिला कॉलेज था।
- 1933 : फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट ने अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला।
- 1951 : नयी दिल्ली में पहले एशियाई खेलों का आयोजन।
- 1961 : भारत के पहले विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत ने सेना के लिए अपनी सेवाएं देना शुरू किया।
- 1975 : मूक सिनेमा के बेहतरीन अभिनेता चार्ली चैपलिन को 85 वर्ष की आयु में नाइट की उपाधि प्रदान की गई। अपने अनूठे हावभाव और शारीरिक उछल कूद से कभी चेहरे पर मुस्कान तो कभी आंखों में पानी ला देने वाले ‘सर चार्ल्स’ को देर से ही सही, उनकी सशक्त अदाकारी का सम्मान मिला।
- 1980 : जिम्बाब्वे के राष्ट्रवादी नेता रॉबर्ट मुगाबे के चुनाव में भारी जीत हासिल करने के बाद वह जिम्बाब्वे के प्रथम अश्वेत प्रधानमंत्री बने।
- 2009 : राजस्थान के पोखरन से ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र के नये संस्करण का परीक्षण।
- 2022 : आस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज रोड मार्श का 74 वर्ष की आयु में निधन। (भाषा)
कांग्रेस में ब्लाइंड चाल
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा में दावेदारों की भीड़ लंबी-चौड़ी है। इसके विपरीत कांग्रेस में चुनाव लडऩे वाले दबे-छिपे बैठे हैं। कांग्रेस के एक पूर्व लोकसभा प्रत्याशी का कहना था कि जब 68 सीटें जीते थे, तब तो बड़ी मुश्किल से दो सीटें जीत सके। इस बाद स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का माहौल है। महतारी वंदन और राम मंदिर के कारण सभी वर्गों में भाजपा का प्रभाव है। ऐसे में चुनाव लडऩे का मतलब ब्लाइंड चाल जैसा है। आप पैसे खर्च करेंगे लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि पत्ता किसका खुलेगा।
गृह विभाग के ग्रह किस ओर
आईएएस या राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों धड़ाधड़ तबादला आदेश आ रहे हैं। ऐसे समय में नई पोस्टिंग के इंतजार में बैठे राज्य पुलिस सेवा के अफसर ग्रह नक्षत्रों की चाल पता लगवा रहे हैं। आईपीएस की बड़ी सूची के बाद एडिशनल एसपी और डीएसपी की सूची आनी थी। कुछ जिलों के एडिशनल एसपी का तबादला कर दिया गया है, लेकिन नई पोस्टिंग अभी तक नहीं की गई है। जो पहले से पदस्थ थे, वे बने हुए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की लिस्ट देखकर पुलिसवाले उम्मीद करते हैं, लेकिन शाम तक निराश हो जाते हैं।
ये भी खुश हैं..
बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा प्रत्याशी घोषित होने से जितने खुश भाजपा-कांग्रेस के नेता हैं उससे कहीं अधिक पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर खुश हैं। कल एक बड़े सीई. स्तर के साहब ने सार्वजनिक तो नहीं परिवार का मुंह मीठा कराया। यह इसलिए नहीं कि बृजमोहन अग्रवाल से उनकी कोई अदावत है, बल्कि इसलिए कि एक बड़ा काम हाथ से निकलने से बच गया। यही काम और बिलो, एबव परसेंटेज ही पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स की कुर्सी तय करने का सबब रहता है। जी हां, शिक्षा मंत्री रहे अग्रवाल ने अपने विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा में घोषणा की थी कि स्कूल-कॉलेज भवनों का निर्माण तेजी ले हो, इसके लिए शिक्षा विभाग में ही कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग विंग स्थापित किया जाएगा ।यानी अब पीडब्लूडी नहीं बनाएगा।
अफसर से लेकर मंत्री तक, इस घोषणा से सकते में आ गए।सही भी है, पीडब्ल्यूडी के लिए शिक्षा विभाग ही बड़ी शेयर होल्डर माना जाता है। स्कूल-कॉलेज कंस्ट्रक्शन कॉस्ट करीब पांच हजार करोड़ से अधिक का है। और परसेंटेंज का गुणा भाग कर लें तो, सर कढ़ाई में। बस फिर क्या सब मनौती मनाने लगे । ये लोग ऐसी चाल चलेंगे पता नहीं था।
किस्मत किसकी खुलेगी
भाजपा के केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ की सीटों पर गुरूवार को करीब 20 मिनट की चर्चा हो पाई। यद्यपि पीएम नरेन्द्र मोदी, और अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा समिति के सदस्यों के साथ देश के अलग-अलग राज्यों की लोकसभा सीटों पर चर्चा के लिए रात्रि 3 बजे तक मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ की बाकी सीटों के लिए तो ज्यादा कुछ बात नहीं हुई लेकिन रायपुर की सीट से सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम एकाएक सामने आ गया। बृजमोहन प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं, और पार्टी का एक खेमा उन्हें केन्द्र की राजनीति में भेजने के लिए तत्पर दिख रहा है। मगर बृजमोहन को ही तय करना है कि वो लोकसभा सदस्य बनना चाहते हैं, अथवा सरकार में मंत्री बने रहना चाहते हैं।
पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि बृजमोहन लोकसभा लड़ते हैं तो जीत उनकी सुनिश्चित है। ऐसे में उनकी जगह मंत्री पद के लिए राजेश मूणत की स्वाभाविक दावेदारी बन जाती है जो कि इन दिनों काफी मुखर हैं। मूणत संगठन के पसंदीदा भी हैं। लेकिन बृजमोहन के समर्थक नहीं चाहते कि वो केन्द्र में सक्रिय हो, और मौजूदा सांसद सुनील सोनी भी उन्हीं के करीबी हैं। यह तकरीबन तय माना जा रहा है कि बृजमोहन लोकसभा चुनाव लडऩे से मना कर देंगे, और ऐसे में संभव है कि सुनील सोनी की हमेशा की तरह आखिरी वक्त में लॉटरी खुल जाए।
भाजपा की टिकट और एनएसए
400 पार के लिए भाजपा एक एक प्रत्याशी चयन में मानो समुद्र मंथन जैसी कवायद कर रही है। नमो एप, राज्य और केंद्र की गुप्तचर एजेंसी, सर्वे एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही है। इसमें एक नया एजेंसी भी अंतिम मुहर लगाने लगाने में अहम भूमिका निभा रही है । वो है विवेकानन्द फाउंडेशन।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्रा भी इसी फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से मुक्त होने के बाद नृपेन्द्र मिश्रा अभी भी फाउंडेशन के लिए काम कर रहे हैं। चर्चा है कि राज्यों की राजनीति स्थिति की रिपोर्ट फाउंडेशन तक पहुंचती है और यहां की टीम दावेदारों की कुंडली तैयार कर मोटा भाई तक भेज रहे हैं। फाउंडेशन की मुहर लगने पर ही नाम तय होने की चर्चा है। क्या वाकई ऐसा हो रहा है, यह तो प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद ही पता चलेगा।
शनिवार को ऑफिस जाना पड़ सकता है
चर्चा है कि राज्य में शनिवार का सरकारी अवकाश बंद हो सकता है। भूपेश सरकार ने केन्द्र की तर्ज पर राज्य सरकार के दफ्तरों में अवकाश का फैसला लिया था।
केन्द्र सरकार में वैसे तो बाकी अवकाश काफी कम होता है। ऐसे में शनिवार का अवकाश जरूरी हो जाता है। मगर राज्य के तीज-त्यौहारों के मौके पर ऐच्छिक अवकाश की भरमार हो गई है। ऐसे में अब फिर से शनिवार का अवकाश बंद करने पर मंथन चल रहा है। जल्द ही सरकार इस पर कोई फैसला ले सकती है।
मेयर न सही, सभापति ही हटाओ
प्रदेश में सरकार बनने के बाद भाजपा को अनेक नगर पंचायतों और नगरपालिकाओं में तख्ता पलटने में कामयाबी मिल चुकी है लेकिन नगर-निगम अब भी बचे हुए हैं। जगदलपुर नगर-निगम की महापौर सफीरा साहू के खिलाफ कांग्रेस सरकार के दौरान 6 माह पहले अविश्वास प्रस्ताव जरूर लाया गया था लेकिन तब फ्लोर टेस्ट की नौबत नहीं आई। कांग्रेस के अधिकांश पार्षद एक दिन पहले राजधानी पहुंच गए थे और कोरम पूरा नहीं हो पाया। नियम ऐसा है कि अब अगला प्रस्ताव एक साल की अवधि पूरी होने के बाद ही आ पाएगा। इस तरह से कम से कम अगले 6 महीने तक उनकी कुर्सी सुरक्षित रहेगी। मगर, अब भाजपा पार्षदों ने सभापति कविता साहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। नगर-निगम के रोजमर्रा के कामकाज में सभापति की ज्यादा दखल नहीं होती मगर, आम सभा के दौरान सभापति की भूमिका खास बन जाती है। कांग्रेस के बहुमत वाले इस नगर-निगम में यदि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो यह भाजपा के लिए छोटी सफलता नहीं होगी। यह तभी संभव होगा जब कांग्रेस पार्षद पाला बदलेंगे। लोकसभा चुनाव के पहले लाए गए इस प्रस्ताव का असर आगे के चुनाव में भी दिखेगा। कांग्रेस के सामने भी अपने पार्षदों को एकजुट रखने की चुनौती है। परिणाम 11 मार्च को पता चलेगा, जिस दिन आमसभा बुलाई गई है।
मानसून से पहले की तैयारी
बस्तर के एक गांव की है यह तस्वीर। आदिवासी परिवार मानसून से पहले जंगल की सूखी लकड़ी और खेत की मिट्टी से अपना आशियाना दुरुस्त कर रहा है। प्रकृति और मौसम के अनुसार खुद को डालकर जीवन जीने की कला उनकी विशेषता है। शायद पिछली सरकार में प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता इस परिवार तक नहीं पहुंची। अब अगली बारिश के बाद पहुंच सकती है।
ईडी की ताजा छापेमारी
कोरबा में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने ठेकेदार जेपी अग्रवाल के यहां छापामारी की है। वे पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के रिश्तेदार बताये जाते हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के दौरान जयसिंह अग्रवाल ने डीएमएफ फंड में भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। उनकी तब के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखी गई एक लंबी चि_ी भी सार्वजनिक हो गई थी। ईडी ने अधिकारिक रूप से छापेमारी की वजह व बरामदगी के बारे में अभी कुछ नहीं बताया है, पर चर्चा है कि छापेमारी डीएमएफ में कराए गए कार्यों को लेकर ही की गई है। यह दिलचस्प है कि करीबियों को काम मिलने के बावजूद पूर्व मंत्री ने परवाह नहीं की और डीएमएफ में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया।
- 2 मार्च : ‘‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’’ सरोजिनी नायडू का निधन
- नयी दिल्ली, 2 मार्च। इतिहास में दो मार्च 1949 का दिन सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। राजनीतिक कार्यकर्ता, महिला अधिकारों की समर्थक, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू को उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के कारण ‘‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’’ कहा गया।
- 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मीं सरोजिनी के पिता अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय हैदराबाद के निजाम कॉलेज में प्रिंसिपल थे। सरोजिनी ने यूनिवर्सिटी आफ मद्रास के अलावा लंदन के किंग्स कॉलेज और उसके बाद कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की।
- उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्राविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया। उन्हें देश की पहली महिला राज्यपाल होने का भी गौरव हासिल है। उनकी लेखनी ने भी देश के बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया।
- देश-दुनिया के इतिहास में दो मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1498 : पुर्तगाल का यात्री वास्को डी गामा और उसका बेड़ा भारत की तरफ अपनी पहली यात्रा के दौरान मोजाम्बीक द्वीप पहुंचा।
- 1807 : अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पास किया, जिससे देश में गुलामों के आयात पर रोक लगा दी गई। इसे दास प्रथा की समाप्ति की दिशा में अहम कदम माना जाता है।
- 1931 : सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव का जन्म, जिन्हें सुधारों की शुरूआत के लिए जाना जाता है।
- 1969 : ब्रिटेन के सुपरसॉनिक विमान कॉनकॉर्ड ने पहली सफल उड़ान भरी। बताया गया कि विमान को 2080 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक उड़ाया जा सकता है।
- 1970 : रोडेशिया के प्रधानमंत्री इयान स्मिथ ने ब्रिटिश साम्राज्य के साथ अपना अंतिम संपर्क समाप्त करते हुए देश को गणराज्य घोषित किया।
- 1991 : श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक कार बम विस्फोट में देश के रक्षा उपमंत्री रंजन विजयरत्ने सहित कुल 19 लोगों की मौत।
- 2008 : पाकिस्तान के डेरा आदमखेल में स्थानीय आतंकवादियों के खिलाफ बल के गठन पर विचार के लिए बुलाई गई कबीलों के बुजुर्गों की बैठक में बम फटने से 42 लोगों की मौत और 58 घायल।
- 2009 : चुनाव आयोग ने 15वीं लोकसभा के चुनाव 5 चरणों में 16 अप्रैल से 13 मई के बीच कराने का ऐलान किया। (भाषा)
बस्तर सीट का गणित
कांग्रेस के दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव लडऩे से मना कर रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशियों की सूची देखकर एक-दो बड़े नेता चुनाव मैदान में उतर भी सकते हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी अभी पत्ते नहीं खोले हैं। वो बस्तर के सांसद भी हैं ऐसे में उन पर चुनाव मैदान में उतरने के लिए दबाव भी है। चर्चा है कि यदि बस्तर से भाजपा पूर्व सांसद दिनेश कश्यप को टिकट देती है, तो संभव है कि दीपक बैज चुनाव न लड़े। ऐसे में वो पूर्व मंत्री कवासी लखमा के बेटे हरीश को प्रत्याशी बनाने का समर्थन कर सकते हैं। लेकिन दिनेश की जगह भाजपा कोई नया चेहरा आगे लाती है, तो दीपक पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
कुछ इसी तरह की स्थिति पूर्व सीएम भूपेश बघेल की भी है। उनके करीबियों ने राजनांदगांव, और महासमुंद से बूथ वार आंकड़े निकलवा लिए हैं। चर्चा है कि हाईकमान से दबाव पड़ा, तो दोनों में से किसी एक सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
सरोज के विरोध का वजन नहीं
कोरबा से सरोज पांडेय की टिकट पक्की होने की खबर से भाजपा में हलचल है। मगर कई स्थानीय नेता सरोज की खिलाफत भी कर रहे हैं।
बताते हैं कि कोरबा के एक पूर्व मेयर, और पूर्व विधानसभा प्रत्याशी एक राय होकर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे, और सरोज पांडेय की दावेदारी का विरोध किया।
दोनों नेता किसी स्थानीय को ही टिकट देने पर जोर देते रहे। मगर संगठन नेताओं ने उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सरोज की धमक ऐसी है कि पार्टी संगठन उनकी बातों को नजरअंदाज नहीं करता है।
दोनों पार्टी टेंशन में
अंबिकापुर में ईडी ने बड़े ठेकेदार अशोक अग्रवाल के यहां दबिश दी, तो राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई। अशोक अग्रवाल पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के करीबी माने जाते हैं, और भगत से जुड़े लिंक की वजह से ही ईडी उनके ठिकानों पर पहुंची है।
अशोक ने कांग्रेस सरकार के बदलते ही भाजपा नेताओं के करीबी बन गए, और दो माह के भीतर ही कई विधायकों के क्षेत्र में काम भी कर रहे हैं। अब जब ईडी अशोक अग्रवाल के घर पहुंची है तो भाजपा के नेता भी टेंशन में आ गए हैं। अब आगे क्या कुछ निकलता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
सभी के इम्तिहान !
आज से विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। इसमें सफलता असफलता उनके भविष्य का लक्ष्य तय करेगी। इस बार संयोग है कि बच्चों के साथ साथ नेताओं की भी परीक्षा होनी है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने कल रात बैठक कर परीक्षार्थी तय कर दिए हैं। इस पहले पर्चे में कौन सफल हुआ कौन असफल, यह लिस्ट आने पर ही पता चलेगा। लेकिन बच्चों और नेताओं के इस संयोग पर एक सांसद के निज सहायक ने अपने वाट्सएप स्टेटस में शब्दों को बेहतर तरीके से संजोया है। ये शब्द सांसद जी के लिए है या बच्चों के लिए,यह तो वे ही बता सकते हैं लेकिन शब्द दोनों के लिए प्रेरणादायी हैं । वैसे हम आपको बता दे कि सांसद पहली परीक्षा में ही संघर्ष कर रहे हैं। नमो एप से लेकर सर्वे तक में कुछ पिछड़ रहे हैं। इतना अवश्य है कि बी फार्म मिला तो जीतेंगे ये ही । बहरहाल निज सहायक के शुभकामना शब्द पढ़े।
हसदेव पर युवा जिज्ञासा
विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता के विकास और उन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न संभागीय मुख्यालयों में युवा संसद आयोजित किए गए। करीब एक घंटे के इस कार्यक्रम में प्रश्न कल भी होता है। अंबिकापुर में संभाग स्तर की युवा संसद आयोजित की गई, जिसमें सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर और मनेंद्रगढ़ के विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें विद्यार्थियों ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में हो रही पेड़ों की कटाई और कोयला खनन की अनुमति पर बहस की। इसके पहले बिलासपुर संभाग में भी रखी गई युवा संसद में यह मुद्दा विद्यार्थियों ने जोरों से उठाया था।
यह दर्शाता है कि नव युवाओं के मन में जल जंगल जमीन और पर्यावरण पर कितनी चिंता है। आखिरकार भविष्य में होने वाले नुकसान का खामियाजा उनको ही तो भुगतना होगा।
पानी बचाने की नुस्खे
कपड़े धोने के लिए यदि वाशिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाए तो हाथ से धोने के मुकाबले बहुत अधिक पानी खर्च होता है। और यह पानी हम बर्बाद कर देते हैं। यह तस्वीर बता रही है कि कुछ लोग पानी के महत्व को समझते हैं। वाशिंग मशीन से निकलने वाले पानी को सहेजा जा रहा है ताकि उससे आंगन और बाथरूम को साफ किया जा सके।
छात्र का आत्मघाती कदम
सरगुजा के नजदीक दरिमा स्थित प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति छात्रावास के आठवीं के एक छात्र मुकेश तिर्की ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खबर यह बताई गई है कि वह छात्र पथरी की बीमारी से और दर्द सहन नहीं कर पाने के कारण उसने जान दे दी।
वजह हैरान करने वाली है और बहुत कुछ सोचने की जरूरत है। पथरी का रोग लाइलाज नहीं है। संभागीय मुख्यालय अंबिकापुर और मेडिकल कॉलेज दरिमा से काफी नजदीक है। सरकार की तमाम योजनाएं है जिसके तहत इस आदिवासी वर्ग के छात्र का इलाज मुफ्त में भी हो सकता था। क्या जिस हॉस्टल में रहता था, उसके अधीक्षक और स्कूल के प्रिंसिपल का बच्चों के साथ इतना संवाद नहीं है कि वे उनसे हालचाल पूछें, बीमारी की जानकारी लें। क्या छात्र के अभिभावक को यह जानकारी नहीं थी कि उसे सरकारी योजना का लाभ मिल सकता है और बच्चे का इलाज उस पर बिना किसी आर्थिक बोझ के हो सकता है? इन दिनों प्रशासन की गाडिय़ां गांव-गांव घूम रही है जो बता रही है कि सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे लें। मगर, इस परिवार के घर और स्कूल तक शायद वह नहीं पहुंची।
एक मार्च : अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया
नयी दिल्ली, 1 मार्च (भाषा)। अमेरिका ने एक मार्च 1954 को हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया और यह मानव इतिहास में उस समय तक का सबसे बड़ा विस्फोट था। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह हिरोशिमा को नष्ट करने वाले परमाणु बम से एक हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था।
देश-दुनिया के इतिहास में एक मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
1640 : ब्रिटेन को मद्रास में बिजनेस सेंटर बनाने की इजाजत मिली।
1775 : अंग्रेजी हुकूमत और नाना फडनवीस के बीच पुरंधर की संधि पर हस्ताक्षर।
1872 : अमेरिका में दुनिया का पहला राष्ट्रीय पार्क स्थापित किया गया। पश्चिमी अमेरिका में स्थित येलोस्टोन नेशनल पार्क को 1978 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया।
1919 : महात्मा गांधी ने रॉलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू करने की इच्छा जाहिर की।
1954 : अमेरिका ने बिकिनी द्वीप पर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। इसे मानव इतिहास का उस समय तक का सबसे शक्तिशाली विस्फोट बताया गया।
1962 : पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने नया संविधान अंगीकार करने का ऐलान किया, जिसमें देश में राष्ट्रपति के नेतृत्व वाली शासन प्रणाली की हिमायत की गई।
1969 : पहली सुपरफास्ट ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस नयी दिल्ली और कलकत्ता (अब कोलकाता) के बीच चलाई गई।
1973 : फलस्तीन के सशस्त्र समूह ब्लैक सैपटैंबर ने खारतूम में सऊदी अरब के दूतावास पर कब्जा कर लिया और वहां मौजूद राजनयिकों को बंधक बना लिया।
1994 : कनाडा के गायक जस्टिन बीबर का जन्म। बीबर ने बहुत छोटी उम्र में ही अपने गायन से दुनियाभर में अपने करोड़ों प्रशंसक बना लिए।
1998 : नौवीं पंचवर्षीय योजना का खाका जारी किया गया।
2003 : पाकिस्तान में अधिकारियों ने खालिद शेख मोहम्मद को गिरफ्तार किया, जिसे अलकायदा का शीर्ष सदस्य माना जाता था और जिसने अमेरिका पर 2001 में 11 सितंबर को हुए आतंकी हमले की योजना बनाई थी।
2006 : अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश भारत की राजकीय यात्रा पर पहुंचे।
2007 : अमूल्य नाथ शर्मा नेपाल के पहले बिशप बने।
2010 : हॉकी विश्व कप के पहले मैच में भारत ने पाकिस्तान को 4-1 से मात दी।
2010 :प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सऊदी अरब यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत व्यापार, विज्ञान-तकनीक, संस्कृति आदि क्षेत्रों में दस समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
सरोज पांडेय की सांसद निधि
पूर्व राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय ने लोकसभा चुनाव लडऩे पर खुले तौर पर कुछ नहीं कहा है। उन्होंने सब कुछ पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है। फिर भी कई लोग अंदाज लगा रहे हैं कि सरोज कोरबा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। इसकी वजह भी है। सरोज ने सालभर में सांसद निधि का काफी हिस्सा कोरबा संसदीय क्षेत्र में खर्च किया है।
सरोज दुर्ग से सांसद रही हैं। वैशाली नगर सीट से विधायक रही हैं, और दो बार दुर्ग की मेयर भी रहीं। दुर्ग में उनके समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है। मगर विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोरबा संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बनाया था। कोरबा में भाजपा को अच्छी सफलता भी मिली। ऐसे में सरोज का नाम कोरबा सीट से तय हो जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
नेताजी के भाईजी
अंबिकापुर के भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल विवादों के घेरे में आ गए हैं। विवाद की वजह यह है कि राजेश के भाई विजय अग्रवाल ने दो दिन पहले लखनपुर थाने में हंगामा किया था, और वहां के डीएसपी शुभम तिवारी को धमकी दी। विजय, कोयला चोरों पर पुलिसिया कार्रवाई से खफा थे। हंगामे के कुछ घंटे बाद डीएसपी को हटा दिया गया।
मीडिया कर्मियों ने इस पर पुलिस के आला अफसरों से सवाल किया, तो यह कहा गया कि डीएसपी शुभम तिवारी के प्रशिक्षण की अवधि खत्म हो गई है। इसलिए उन्हें बदला गया है। शुभम की साख अच्छी है, और यही वजह है कि अंबिकापुर के कई स्थानीय नेताओं ने विधायक राजेश अग्रवाल और उनके भाई की शिकायत प्रदेश संगठन में भी की है। शिकायत में यह कहा गया कि विधायक और उनके परिवार के सदस्यों के पुलिस-प्रशासन में गैर जरूरी हस्तक्षेप से सरकार की छवि खराब हो रही है। अब पार्टी संगठन क्या कुछ करती है, यह देखना है।
लौटे अफसर क्या करेंगे ?
दिल्ली डेपुटेशन से अफसर लौटने लगे हैं। डीओपीटी ने चार अफसरों को वापसी के लिए रिलीव कर दिया है। दो ने कल जॉइनिंग दे दी है । वापसी से ये लोग तो खुश हैं लेकिन दिल्ली छोड़ आने के सबब से यहां रहे लोग अधिक चिंतित हैं। और कहने भी लगे हैं, आखिर ये लोग लौट क्यों रहे हैं? बड़े साहब ने पोस्टिंग की नोट शीट तो सरकार के भेज दी है। बताया जा रहा है कि इन्हें, कुछ अतिरिक्त प्रभार वाले अफसरों को हल्का कर एडजस्ट किया जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है कि साहब, अतिरिक्त प्रभार छोडऩा नहीं चाहते। ऐसे में वापसी कर रहे लोगों को मंत्रियों से ही उम्मीद है कि दो महीने में सूट न करने वाले वर्तमानों को बदलना लें।
टूट रहे हैं तो टूटने दो..
कोरबा जिले के छुरी नगर पंचायत की कुर्सी भी कांग्रेस के हाथ से चली गई। यहां कांग्रेस के 9 पार्षद हैं। अपनी कुर्सी बचाकर रखने के लिए अध्यक्ष नीलम देवांगन को केवल 6 वोट की जरूरत थी। मगर, उनको केवल 5 वोट मिले।
सरकार बदलने के बाद प्रदेश की नगरीय निकायों में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे अविश्वास प्रस्ताव पारित हो चुके हैं, जिनमें बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस अपनी कुर्सी खो चुकी है। अविश्वास प्रस्ताव अचानक नहीं आता। इसके लिए कलेक्टर के पास आवेदन देना होता है और सभा के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दिया जाता है।
प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों की भारी-भरकम टीम है। नगर पंचायत और नगरपालिकाओं के पार्षद जमीनी कार्यकर्ता होते हैं, जो हर चुनाव में काम आते हैं। वे उनको संभाल नहीं पा रहे हैं। क्यों? सीधा जवाब हो सकता है कि जब बड़े नेता सांसद, विधायकों को टूटने से नहीं बचा पा रहे हैं तो आप हमसे उम्मीद क्यों करते हैं?
नए मंत्रियों की तारीफ
निर्धारित समय से पहले समाप्त हो जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र लंबा चला। बहुत सवाल-जवाब हुए। वरिष्ठों के अलावा नए आए मंत्रियों अरुण साव, विजय शर्मा, टंकराम वर्मा, लक्ष्मी राजवाड़े आदि ने सवालों का सामना किया। वहीं पहली बार विधायक बनी चातुरी नंद ने पुलिस जवानों की समस्या को जितनी गंभीरता से उठाया, उसने पूरे सदन का ध्यान खींचा। आखिरी दिन तो कमाल ही हो गया। इस दिन की सबसे चर्चित चर्चा वन्यजीवों की असामयिक मौत पर थी। विधायक शेषराज हरवंश ने यह सवाल उठाया। उनका मुद्दा स्पीकर डॉ. रमन सिंह को भी प्रासंगिक लगा और उन्होंने विभाग के मंत्री केदार कश्यप को कार्रवाई का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब देने वाले नए मंत्रियों की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसा लगा ही नहीं कि वे पहली बार विधानसभा आए हैं। उन्होंने बहुत अच्छी तरह तैयारी की और जवाब दिए। मगर लोकतंत्र में विपक्ष की ओर से की गई तारीफ का ज्यादा महत्व है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत की प्रतिक्रिया भी साय से मिलती-जुलती रही। उन्होंने कहा कि नए मंत्री होने के बावजूद सभी ने सवालों का अच्छे ढंग से जवाब दिया। पूरे सत्र में कटुता का कोई अवसर नहीं आया।
ऐसे वक्त में जब विधायकों के पाला बदलने से सरकारें बदल रही हैं, लोकसभा-राज्यसभा से थोक में सांसद निष्कासित कर विधेयक पारित कर दिए जाते हों, छत्तीसगढ़ ने विधायिका के महत्व का अच्छा उदाहरण पेश किया।
रात दस बजे के बाद..
धमतरी का रत्नाबांधा चौक। रात 10 बजे। एक के बाद एक महानदी से निकाली गई रेत लेकर निकलती गाडिय़ां। दो चार दस गाडिय़ों पर कार्रवाई के बाद कलेक्टर्स और खनिज अफसरों की अपनी ही पीठ थपथपाती जारी हो रही खबरों के बीच। रेत का अवैध खनन रुका नहीं है, बस सावधानी ज्यादा बरती जा रही है।
यह कैसा छापा
जब पता है जांच एजेंसी आने वाली है तो उसे छापा कैसे कहें? आबकारी में बड़ी गड़बड़ी मामले में राज्य की एक जांच एजेंसी ने ताबड़तोड़ छापेमारी की। फिर खाली हाथ लौट गई।
जब्ती के नाम पर कुछ जगह से पांच तो कुछ जगह से 15 कागज जब्त किए हैं। इसके अलावा कुछ भी जब्त नहीं कर पाए। क्योंकि जिनके यहां पडऩा था, उन्हें 3 दिन से पता था कि जांच टीम आने वाली है। अपने विभाग के ग्रुप में भी चर्चा कर रहे थे।
छापे के एक दिन पहले फिर गायब हो गए। चर्चा है कि छापे की सूचना लीक कर दी गई थी। क्योंकि जिनको जांच का जिम्मा है, वे लोग पिछली सरकार के बैठाए हुए भरोसेमंद लोग हैं। जो पांच साल से वहा जमे रहे है। ये लोग, इसीलिए महादेव सट्टा पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
- 29 फरवरी : चार साल में एक मर्तबा आने वाला खास दिन
- नयी दिल्ली, 29 फरवरी। वैसे तो साल के 365 दिन अपने आप में खास और अलहदा होते हैं, लेकिन इस मामले में 29 फरवरी की तो बात ही कुछ और है। यह दिन चार वर्ष में एक बार आता है और इसके आने से एक सामान्य सा वर्ष लीप वर्ष बन जाता है और इसके दिनों की संख्या भी बढ़कर 366 हो जाती है।
- कुछ लोगों के लिए यह दिन उदासी का सबब है क्योंकि इस दिन पैदा होने वाले लोगों को अपना जन्मदिन मनाने के लिए चार साल तक इंतजार करना पड़ता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी ऐसे ही लोगों में शुमार हैं।
- देश दुनिया के इतिहास में 29 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:- 1796 : अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन के बीच जेय संधि लागू होने से दोनों देशों के बीच दस साल तक शांतिपूर्ण व्यापार संभव हुआ।
- 1840 : आधुनिक पनडुब्बी के जनक आयरिश अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन फिलिप हॉलैंड का जन्म।
- 1896 : भारत के छठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म।
- 1940 : गॉन विद द विंड में मैमी की भूमिका के लिए, हैटी मैकडैनियल ने अकादमी पुरस्कार जीता। वह यह पुरस्कार जीतने वाली पहली अफ्रीकी अमेरिकी बनीं ।
- 1952 : पैदल चलने वालों के लिए सड़क पार करने संबंधी निर्देश पहली बार टाइम्स स्क्वेयर के 44 वीं स्ट्रीट और ब्रॉडवे में लगाए गए।
- 1960 : मोरक्को के दक्षिणी शहर अगादीर में आए भीषण भूकंप में हज़ारों लोगों की मौत। इस भूकंप की तीव्रता 6.7 आंकी गई।
- 1996 : चार साल के खूनखराबे, गोलीबारी और हमलों के बाद बोस्निया की राजधानी सरायेवो की घेराबंदी ख़त्म हो गयी।
- 2012 : दुनिया की सबसे ऊंची मीनार और दूसरी सबसे ऊंची संरचना कही गई टोक्यो स्काईट्री का निर्माण कार्य पूरा। (भाषा)
छत्तीसगढ़ में सब ठीक-ठाक?
बीते दो दिनों के भीतर विरोधी दलों को कई राज्यों में झटके लगे। झारखंड की एकमात्र कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा भाजपा में शामिल हो गईं। यूपी में समाजवादी पार्टी को झटका लगा। उसके विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी जिसके चलते राज्यसभा के उसके तीन में से दो ही उम्मीदवार चुनाव जीत पाए। हिमाचल प्रदेश में तो 9 कांग्रेस विधायकों ने पाला बदल लिया। अब वहां कांग्रेस को अपनी सरकार बचा लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में जाने की चर्चा जोर पकड़ चुकी थी, पर बाद में उन्होंने इसका खंडन कर दिया।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने इस बार सभी 11 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। पिछले दिनों यहां कांग्रेस के सदस्य, दो पूर्व विधायक विधान मिश्रा और प्रमोद शर्मा भाजपा में शामिल हो गए। शर्मा तो विधानसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस में लौटे थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में आरोप लगाया कि भाजपा उनके विधायकों को तोडऩे की कोशिश में है। उनसे वादा कर रही है कि केंद्र में सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाया जाएगा।
हर बार लोकसभा- विधानसभा चुनाव के पहले एक पार्टी से दूसरी पार्टी में सेंध लगाने का काम देखा जाता है, मगर इस बार यह धारा एक ही दिशा में बहती दिखाई दे रही है। बघेल के आरोप का भाजपा ने खंडन करते हुए कहा था कि यहां हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। पर कौन दावा कर सकता है कि चुनाव के और करीब आते-आते उथल-पुथल नहीं होगी। क्या अकेले छत्तीसगढ़ बचा रहेगा?
बिना बात के आयोग का क्या होगा?
भूपेश सरकार ने नवाचार आयोग का गठन किया था लेकिन सरकार बदलने के बाद आयोग काम करेगा अथवा नहीं, इसको लेकर संशय है।
आयोग के चेयरमैन विवेक ढांड, भूपेश सरकार के जाने के बाद भी बहुत समय तक डटे रहे, लेकिन बर्खास्तगी की खबर शुरू होने की बाद पद से इस्तीफा दे चुके हैं। वर्तमान में आयोग ने एकमात्र सदस्य रिटायर्ड पीसीसीएफ डॉ.आर.के.सिंह हैं जो कि पद पर बने हुए हैं। आयोग में सचिव ऋतु वर्मा का भी तबादला हो गया है, उनकी पोस्टिंग मंत्रालय में की गई है।
ऋतु की जगह सचिव पद पर नई पोस्टिंग नहीं हुई है। सरकार के ज्यादातर लोगों का कहना है कि आयोग की जरूरत नहीं है। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने तो आयोग के गठन से लेकर कामकाज को लेकर विधानसभा में सवाल लगाए थे। मगर इस पर चर्चा नहीं हो पाई। अब आयोग में एकाउंट ऑफिसर और दो-तीन कर्मचारी ही रह गए हैं, जो कि प्लेसमेंट एजेंसी के हैं। ऐसे में नवाचार आयोग का क्या कुछ होगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
कांग्रेस में कोई एक्शन?
विधानसभा चुनाव में बुरी हार के बाद कांग्रेस संगठन में बदलाव की तैयारी चल रही है। कई बड़े नेताओं के खिलाफ भीतरघात की शिकायत हुई थी लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हुई। अलबत्ता, कुछ जिलाध्यक्षों को बदलने पर विचार चल रहा है।
खबर है कि चुनाव के दौरान कुछ जिलाध्यक्षों की कार्यशैली को लेकर शिकायत भी हुई थी। ऐसे में संभावना है कि लोकसभा टिकट तय होने से पहले कुछ जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
कांगेर में बर्ड सर्वे
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहाड़ी मैना को संरक्षित किया गया है। यह दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, जगदलपुर, आदि के वन क्षेत्र में भी पाया जाता है। कांगेर वैली में इन दिनों बर्ड सर्वे चल रहा है, जिसमें नौ राज्यों से 100 से अधिक प्रतिभागी पहुंचे हैं।
इनमें कोलकाता, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के गिधवा परसदा वेटलैंड से भी हैं। अभ्यारण्य के अधिकरियों का दावा है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पक्षियों की अधिक प्रजातियां दिखाई देंगी, क्योंकि इस बीच उनके संरक्षण के लिए काफी काम किए गए हैं।