स्थायी स्तंभ
- 4 मार्च : भारत में पहले एशियाई खेलों का आयोजन
- नयी दिल्ली, 4 मार्च। इतिहास में चार मार्च का दिन भारत में पहले एशियाई खेलों के आयोजन से जुड़ा है। 1951 में 4 से 11 मार्च के बीच नयी दिल्ली में पहले एशियाई खेलों का आयोजन किया गया था। इन खेलों में 11 एशियाई देशों के कुल 489 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। खेलों का आयोजन 1950 में किया जाने वाला था, लेकिन तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाने के कारण आयोजन का वर्ष 1951 कर दिया गया।
- पहले एशियाई खेलों में आठ खेलों की कुल 57 स्पर्धाओं को शामिल किया गया। जापान के खिलाड़ियों ने ज्यादातर स्वर्ण पदकों पर कब्जा किया और 24 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 60 पदक हासिल किए। मेजबान देश भारत ने 15 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 51 पदक जीतकर पदक तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया।
- देश दुनिया के इतिहास में 4 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1788 : कलकत्ता गजट का प्रकाशन शुरू। आज इसे गजट ऑफ गवर्नमेंट ऑफ वेस्ट बंगाल के नाम से जाना जाता है।
- 1858 : ब्रिटिश अधिकारी जे पी वॉकर तकरीबन 200 कैदियों को लेकर कलकत्ता से अंडमान और निकोबार के लिए रवाना। इन लोगों में ज्यादातर 1857 के विद्रोह के आरोपी थे।
- 1879 : लड़कियों को उच्च शिक्षा देने के लिए कलकत्ता में बेथुन कॉलेज की स्थापना। यह ब्रिटेन से बाहर पहला महिला कॉलेज था।
- 1933 : फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट ने अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला।
- 1951 : नयी दिल्ली में पहले एशियाई खेलों का आयोजन।
- 1961 : भारत के पहले विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत ने सेना के लिए अपनी सेवाएं देना शुरू किया।
- 1975 : मूक सिनेमा के बेहतरीन अभिनेता चार्ली चैपलिन को 85 वर्ष की आयु में नाइट की उपाधि प्रदान की गई। अपने अनूठे हावभाव और शारीरिक उछल कूद से कभी चेहरे पर मुस्कान तो कभी आंखों में पानी ला देने वाले ‘सर चार्ल्स’ को देर से ही सही, उनकी सशक्त अदाकारी का सम्मान मिला।
- 1980 : जिम्बाब्वे के राष्ट्रवादी नेता रॉबर्ट मुगाबे के चुनाव में भारी जीत हासिल करने के बाद वह जिम्बाब्वे के प्रथम अश्वेत प्रधानमंत्री बने।
- 2009 : राजस्थान के पोखरन से ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र के नये संस्करण का परीक्षण।
- 2022 : आस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज रोड मार्श का 74 वर्ष की आयु में निधन। (भाषा)
कांग्रेस में ब्लाइंड चाल
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा में दावेदारों की भीड़ लंबी-चौड़ी है। इसके विपरीत कांग्रेस में चुनाव लडऩे वाले दबे-छिपे बैठे हैं। कांग्रेस के एक पूर्व लोकसभा प्रत्याशी का कहना था कि जब 68 सीटें जीते थे, तब तो बड़ी मुश्किल से दो सीटें जीत सके। इस बाद स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का माहौल है। महतारी वंदन और राम मंदिर के कारण सभी वर्गों में भाजपा का प्रभाव है। ऐसे में चुनाव लडऩे का मतलब ब्लाइंड चाल जैसा है। आप पैसे खर्च करेंगे लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि पत्ता किसका खुलेगा।
गृह विभाग के ग्रह किस ओर
आईएएस या राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों धड़ाधड़ तबादला आदेश आ रहे हैं। ऐसे समय में नई पोस्टिंग के इंतजार में बैठे राज्य पुलिस सेवा के अफसर ग्रह नक्षत्रों की चाल पता लगवा रहे हैं। आईपीएस की बड़ी सूची के बाद एडिशनल एसपी और डीएसपी की सूची आनी थी। कुछ जिलों के एडिशनल एसपी का तबादला कर दिया गया है, लेकिन नई पोस्टिंग अभी तक नहीं की गई है। जो पहले से पदस्थ थे, वे बने हुए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की लिस्ट देखकर पुलिसवाले उम्मीद करते हैं, लेकिन शाम तक निराश हो जाते हैं।
ये भी खुश हैं..
बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा प्रत्याशी घोषित होने से जितने खुश भाजपा-कांग्रेस के नेता हैं उससे कहीं अधिक पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर खुश हैं। कल एक बड़े सीई. स्तर के साहब ने सार्वजनिक तो नहीं परिवार का मुंह मीठा कराया। यह इसलिए नहीं कि बृजमोहन अग्रवाल से उनकी कोई अदावत है, बल्कि इसलिए कि एक बड़ा काम हाथ से निकलने से बच गया। यही काम और बिलो, एबव परसेंटेज ही पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स की कुर्सी तय करने का सबब रहता है। जी हां, शिक्षा मंत्री रहे अग्रवाल ने अपने विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा में घोषणा की थी कि स्कूल-कॉलेज भवनों का निर्माण तेजी ले हो, इसके लिए शिक्षा विभाग में ही कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग विंग स्थापित किया जाएगा ।यानी अब पीडब्लूडी नहीं बनाएगा।
अफसर से लेकर मंत्री तक, इस घोषणा से सकते में आ गए।सही भी है, पीडब्ल्यूडी के लिए शिक्षा विभाग ही बड़ी शेयर होल्डर माना जाता है। स्कूल-कॉलेज कंस्ट्रक्शन कॉस्ट करीब पांच हजार करोड़ से अधिक का है। और परसेंटेंज का गुणा भाग कर लें तो, सर कढ़ाई में। बस फिर क्या सब मनौती मनाने लगे । ये लोग ऐसी चाल चलेंगे पता नहीं था।
किस्मत किसकी खुलेगी
भाजपा के केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ की सीटों पर गुरूवार को करीब 20 मिनट की चर्चा हो पाई। यद्यपि पीएम नरेन्द्र मोदी, और अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा समिति के सदस्यों के साथ देश के अलग-अलग राज्यों की लोकसभा सीटों पर चर्चा के लिए रात्रि 3 बजे तक मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ की बाकी सीटों के लिए तो ज्यादा कुछ बात नहीं हुई लेकिन रायपुर की सीट से सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम एकाएक सामने आ गया। बृजमोहन प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं, और पार्टी का एक खेमा उन्हें केन्द्र की राजनीति में भेजने के लिए तत्पर दिख रहा है। मगर बृजमोहन को ही तय करना है कि वो लोकसभा सदस्य बनना चाहते हैं, अथवा सरकार में मंत्री बने रहना चाहते हैं।
पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि बृजमोहन लोकसभा लड़ते हैं तो जीत उनकी सुनिश्चित है। ऐसे में उनकी जगह मंत्री पद के लिए राजेश मूणत की स्वाभाविक दावेदारी बन जाती है जो कि इन दिनों काफी मुखर हैं। मूणत संगठन के पसंदीदा भी हैं। लेकिन बृजमोहन के समर्थक नहीं चाहते कि वो केन्द्र में सक्रिय हो, और मौजूदा सांसद सुनील सोनी भी उन्हीं के करीबी हैं। यह तकरीबन तय माना जा रहा है कि बृजमोहन लोकसभा चुनाव लडऩे से मना कर देंगे, और ऐसे में संभव है कि सुनील सोनी की हमेशा की तरह आखिरी वक्त में लॉटरी खुल जाए।
भाजपा की टिकट और एनएसए
400 पार के लिए भाजपा एक एक प्रत्याशी चयन में मानो समुद्र मंथन जैसी कवायद कर रही है। नमो एप, राज्य और केंद्र की गुप्तचर एजेंसी, सर्वे एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही है। इसमें एक नया एजेंसी भी अंतिम मुहर लगाने लगाने में अहम भूमिका निभा रही है । वो है विवेकानन्द फाउंडेशन।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्रा भी इसी फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से मुक्त होने के बाद नृपेन्द्र मिश्रा अभी भी फाउंडेशन के लिए काम कर रहे हैं। चर्चा है कि राज्यों की राजनीति स्थिति की रिपोर्ट फाउंडेशन तक पहुंचती है और यहां की टीम दावेदारों की कुंडली तैयार कर मोटा भाई तक भेज रहे हैं। फाउंडेशन की मुहर लगने पर ही नाम तय होने की चर्चा है। क्या वाकई ऐसा हो रहा है, यह तो प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद ही पता चलेगा।
शनिवार को ऑफिस जाना पड़ सकता है
चर्चा है कि राज्य में शनिवार का सरकारी अवकाश बंद हो सकता है। भूपेश सरकार ने केन्द्र की तर्ज पर राज्य सरकार के दफ्तरों में अवकाश का फैसला लिया था।
केन्द्र सरकार में वैसे तो बाकी अवकाश काफी कम होता है। ऐसे में शनिवार का अवकाश जरूरी हो जाता है। मगर राज्य के तीज-त्यौहारों के मौके पर ऐच्छिक अवकाश की भरमार हो गई है। ऐसे में अब फिर से शनिवार का अवकाश बंद करने पर मंथन चल रहा है। जल्द ही सरकार इस पर कोई फैसला ले सकती है।
मेयर न सही, सभापति ही हटाओ
प्रदेश में सरकार बनने के बाद भाजपा को अनेक नगर पंचायतों और नगरपालिकाओं में तख्ता पलटने में कामयाबी मिल चुकी है लेकिन नगर-निगम अब भी बचे हुए हैं। जगदलपुर नगर-निगम की महापौर सफीरा साहू के खिलाफ कांग्रेस सरकार के दौरान 6 माह पहले अविश्वास प्रस्ताव जरूर लाया गया था लेकिन तब फ्लोर टेस्ट की नौबत नहीं आई। कांग्रेस के अधिकांश पार्षद एक दिन पहले राजधानी पहुंच गए थे और कोरम पूरा नहीं हो पाया। नियम ऐसा है कि अब अगला प्रस्ताव एक साल की अवधि पूरी होने के बाद ही आ पाएगा। इस तरह से कम से कम अगले 6 महीने तक उनकी कुर्सी सुरक्षित रहेगी। मगर, अब भाजपा पार्षदों ने सभापति कविता साहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। नगर-निगम के रोजमर्रा के कामकाज में सभापति की ज्यादा दखल नहीं होती मगर, आम सभा के दौरान सभापति की भूमिका खास बन जाती है। कांग्रेस के बहुमत वाले इस नगर-निगम में यदि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो यह भाजपा के लिए छोटी सफलता नहीं होगी। यह तभी संभव होगा जब कांग्रेस पार्षद पाला बदलेंगे। लोकसभा चुनाव के पहले लाए गए इस प्रस्ताव का असर आगे के चुनाव में भी दिखेगा। कांग्रेस के सामने भी अपने पार्षदों को एकजुट रखने की चुनौती है। परिणाम 11 मार्च को पता चलेगा, जिस दिन आमसभा बुलाई गई है।
मानसून से पहले की तैयारी
बस्तर के एक गांव की है यह तस्वीर। आदिवासी परिवार मानसून से पहले जंगल की सूखी लकड़ी और खेत की मिट्टी से अपना आशियाना दुरुस्त कर रहा है। प्रकृति और मौसम के अनुसार खुद को डालकर जीवन जीने की कला उनकी विशेषता है। शायद पिछली सरकार में प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता इस परिवार तक नहीं पहुंची। अब अगली बारिश के बाद पहुंच सकती है।
ईडी की ताजा छापेमारी
कोरबा में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने ठेकेदार जेपी अग्रवाल के यहां छापामारी की है। वे पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के रिश्तेदार बताये जाते हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के दौरान जयसिंह अग्रवाल ने डीएमएफ फंड में भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। उनकी तब के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखी गई एक लंबी चि_ी भी सार्वजनिक हो गई थी। ईडी ने अधिकारिक रूप से छापेमारी की वजह व बरामदगी के बारे में अभी कुछ नहीं बताया है, पर चर्चा है कि छापेमारी डीएमएफ में कराए गए कार्यों को लेकर ही की गई है। यह दिलचस्प है कि करीबियों को काम मिलने के बावजूद पूर्व मंत्री ने परवाह नहीं की और डीएमएफ में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया।
- 2 मार्च : ‘‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’’ सरोजिनी नायडू का निधन
- नयी दिल्ली, 2 मार्च। इतिहास में दो मार्च 1949 का दिन सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। राजनीतिक कार्यकर्ता, महिला अधिकारों की समर्थक, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू को उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के कारण ‘‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’’ कहा गया।
- 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मीं सरोजिनी के पिता अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय हैदराबाद के निजाम कॉलेज में प्रिंसिपल थे। सरोजिनी ने यूनिवर्सिटी आफ मद्रास के अलावा लंदन के किंग्स कॉलेज और उसके बाद कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की।
- उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्राविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया। उन्हें देश की पहली महिला राज्यपाल होने का भी गौरव हासिल है। उनकी लेखनी ने भी देश के बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया।
- देश-दुनिया के इतिहास में दो मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1498 : पुर्तगाल का यात्री वास्को डी गामा और उसका बेड़ा भारत की तरफ अपनी पहली यात्रा के दौरान मोजाम्बीक द्वीप पहुंचा।
- 1807 : अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पास किया, जिससे देश में गुलामों के आयात पर रोक लगा दी गई। इसे दास प्रथा की समाप्ति की दिशा में अहम कदम माना जाता है।
- 1931 : सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव का जन्म, जिन्हें सुधारों की शुरूआत के लिए जाना जाता है।
- 1969 : ब्रिटेन के सुपरसॉनिक विमान कॉनकॉर्ड ने पहली सफल उड़ान भरी। बताया गया कि विमान को 2080 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक उड़ाया जा सकता है।
- 1970 : रोडेशिया के प्रधानमंत्री इयान स्मिथ ने ब्रिटिश साम्राज्य के साथ अपना अंतिम संपर्क समाप्त करते हुए देश को गणराज्य घोषित किया।
- 1991 : श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक कार बम विस्फोट में देश के रक्षा उपमंत्री रंजन विजयरत्ने सहित कुल 19 लोगों की मौत।
- 2008 : पाकिस्तान के डेरा आदमखेल में स्थानीय आतंकवादियों के खिलाफ बल के गठन पर विचार के लिए बुलाई गई कबीलों के बुजुर्गों की बैठक में बम फटने से 42 लोगों की मौत और 58 घायल।
- 2009 : चुनाव आयोग ने 15वीं लोकसभा के चुनाव 5 चरणों में 16 अप्रैल से 13 मई के बीच कराने का ऐलान किया। (भाषा)
बस्तर सीट का गणित
कांग्रेस के दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव लडऩे से मना कर रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशियों की सूची देखकर एक-दो बड़े नेता चुनाव मैदान में उतर भी सकते हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी अभी पत्ते नहीं खोले हैं। वो बस्तर के सांसद भी हैं ऐसे में उन पर चुनाव मैदान में उतरने के लिए दबाव भी है। चर्चा है कि यदि बस्तर से भाजपा पूर्व सांसद दिनेश कश्यप को टिकट देती है, तो संभव है कि दीपक बैज चुनाव न लड़े। ऐसे में वो पूर्व मंत्री कवासी लखमा के बेटे हरीश को प्रत्याशी बनाने का समर्थन कर सकते हैं। लेकिन दिनेश की जगह भाजपा कोई नया चेहरा आगे लाती है, तो दीपक पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
कुछ इसी तरह की स्थिति पूर्व सीएम भूपेश बघेल की भी है। उनके करीबियों ने राजनांदगांव, और महासमुंद से बूथ वार आंकड़े निकलवा लिए हैं। चर्चा है कि हाईकमान से दबाव पड़ा, तो दोनों में से किसी एक सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
सरोज के विरोध का वजन नहीं
कोरबा से सरोज पांडेय की टिकट पक्की होने की खबर से भाजपा में हलचल है। मगर कई स्थानीय नेता सरोज की खिलाफत भी कर रहे हैं।
बताते हैं कि कोरबा के एक पूर्व मेयर, और पूर्व विधानसभा प्रत्याशी एक राय होकर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे, और सरोज पांडेय की दावेदारी का विरोध किया।
दोनों नेता किसी स्थानीय को ही टिकट देने पर जोर देते रहे। मगर संगठन नेताओं ने उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सरोज की धमक ऐसी है कि पार्टी संगठन उनकी बातों को नजरअंदाज नहीं करता है।
दोनों पार्टी टेंशन में
अंबिकापुर में ईडी ने बड़े ठेकेदार अशोक अग्रवाल के यहां दबिश दी, तो राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई। अशोक अग्रवाल पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के करीबी माने जाते हैं, और भगत से जुड़े लिंक की वजह से ही ईडी उनके ठिकानों पर पहुंची है।
अशोक ने कांग्रेस सरकार के बदलते ही भाजपा नेताओं के करीबी बन गए, और दो माह के भीतर ही कई विधायकों के क्षेत्र में काम भी कर रहे हैं। अब जब ईडी अशोक अग्रवाल के घर पहुंची है तो भाजपा के नेता भी टेंशन में आ गए हैं। अब आगे क्या कुछ निकलता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
सभी के इम्तिहान !
आज से विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। इसमें सफलता असफलता उनके भविष्य का लक्ष्य तय करेगी। इस बार संयोग है कि बच्चों के साथ साथ नेताओं की भी परीक्षा होनी है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने कल रात बैठक कर परीक्षार्थी तय कर दिए हैं। इस पहले पर्चे में कौन सफल हुआ कौन असफल, यह लिस्ट आने पर ही पता चलेगा। लेकिन बच्चों और नेताओं के इस संयोग पर एक सांसद के निज सहायक ने अपने वाट्सएप स्टेटस में शब्दों को बेहतर तरीके से संजोया है। ये शब्द सांसद जी के लिए है या बच्चों के लिए,यह तो वे ही बता सकते हैं लेकिन शब्द दोनों के लिए प्रेरणादायी हैं । वैसे हम आपको बता दे कि सांसद पहली परीक्षा में ही संघर्ष कर रहे हैं। नमो एप से लेकर सर्वे तक में कुछ पिछड़ रहे हैं। इतना अवश्य है कि बी फार्म मिला तो जीतेंगे ये ही । बहरहाल निज सहायक के शुभकामना शब्द पढ़े।
हसदेव पर युवा जिज्ञासा
विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता के विकास और उन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न संभागीय मुख्यालयों में युवा संसद आयोजित किए गए। करीब एक घंटे के इस कार्यक्रम में प्रश्न कल भी होता है। अंबिकापुर में संभाग स्तर की युवा संसद आयोजित की गई, जिसमें सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर और मनेंद्रगढ़ के विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें विद्यार्थियों ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में हो रही पेड़ों की कटाई और कोयला खनन की अनुमति पर बहस की। इसके पहले बिलासपुर संभाग में भी रखी गई युवा संसद में यह मुद्दा विद्यार्थियों ने जोरों से उठाया था।
यह दर्शाता है कि नव युवाओं के मन में जल जंगल जमीन और पर्यावरण पर कितनी चिंता है। आखिरकार भविष्य में होने वाले नुकसान का खामियाजा उनको ही तो भुगतना होगा।
पानी बचाने की नुस्खे
कपड़े धोने के लिए यदि वाशिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाए तो हाथ से धोने के मुकाबले बहुत अधिक पानी खर्च होता है। और यह पानी हम बर्बाद कर देते हैं। यह तस्वीर बता रही है कि कुछ लोग पानी के महत्व को समझते हैं। वाशिंग मशीन से निकलने वाले पानी को सहेजा जा रहा है ताकि उससे आंगन और बाथरूम को साफ किया जा सके।
छात्र का आत्मघाती कदम
सरगुजा के नजदीक दरिमा स्थित प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति छात्रावास के आठवीं के एक छात्र मुकेश तिर्की ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खबर यह बताई गई है कि वह छात्र पथरी की बीमारी से और दर्द सहन नहीं कर पाने के कारण उसने जान दे दी।
वजह हैरान करने वाली है और बहुत कुछ सोचने की जरूरत है। पथरी का रोग लाइलाज नहीं है। संभागीय मुख्यालय अंबिकापुर और मेडिकल कॉलेज दरिमा से काफी नजदीक है। सरकार की तमाम योजनाएं है जिसके तहत इस आदिवासी वर्ग के छात्र का इलाज मुफ्त में भी हो सकता था। क्या जिस हॉस्टल में रहता था, उसके अधीक्षक और स्कूल के प्रिंसिपल का बच्चों के साथ इतना संवाद नहीं है कि वे उनसे हालचाल पूछें, बीमारी की जानकारी लें। क्या छात्र के अभिभावक को यह जानकारी नहीं थी कि उसे सरकारी योजना का लाभ मिल सकता है और बच्चे का इलाज उस पर बिना किसी आर्थिक बोझ के हो सकता है? इन दिनों प्रशासन की गाडिय़ां गांव-गांव घूम रही है जो बता रही है कि सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे लें। मगर, इस परिवार के घर और स्कूल तक शायद वह नहीं पहुंची।
एक मार्च : अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया
नयी दिल्ली, 1 मार्च (भाषा)। अमेरिका ने एक मार्च 1954 को हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया और यह मानव इतिहास में उस समय तक का सबसे बड़ा विस्फोट था। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह हिरोशिमा को नष्ट करने वाले परमाणु बम से एक हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था।
देश-दुनिया के इतिहास में एक मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
1640 : ब्रिटेन को मद्रास में बिजनेस सेंटर बनाने की इजाजत मिली।
1775 : अंग्रेजी हुकूमत और नाना फडनवीस के बीच पुरंधर की संधि पर हस्ताक्षर।
1872 : अमेरिका में दुनिया का पहला राष्ट्रीय पार्क स्थापित किया गया। पश्चिमी अमेरिका में स्थित येलोस्टोन नेशनल पार्क को 1978 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया।
1919 : महात्मा गांधी ने रॉलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह शुरू करने की इच्छा जाहिर की।
1954 : अमेरिका ने बिकिनी द्वीप पर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। इसे मानव इतिहास का उस समय तक का सबसे शक्तिशाली विस्फोट बताया गया।
1962 : पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने नया संविधान अंगीकार करने का ऐलान किया, जिसमें देश में राष्ट्रपति के नेतृत्व वाली शासन प्रणाली की हिमायत की गई।
1969 : पहली सुपरफास्ट ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस नयी दिल्ली और कलकत्ता (अब कोलकाता) के बीच चलाई गई।
1973 : फलस्तीन के सशस्त्र समूह ब्लैक सैपटैंबर ने खारतूम में सऊदी अरब के दूतावास पर कब्जा कर लिया और वहां मौजूद राजनयिकों को बंधक बना लिया।
1994 : कनाडा के गायक जस्टिन बीबर का जन्म। बीबर ने बहुत छोटी उम्र में ही अपने गायन से दुनियाभर में अपने करोड़ों प्रशंसक बना लिए।
1998 : नौवीं पंचवर्षीय योजना का खाका जारी किया गया।
2003 : पाकिस्तान में अधिकारियों ने खालिद शेख मोहम्मद को गिरफ्तार किया, जिसे अलकायदा का शीर्ष सदस्य माना जाता था और जिसने अमेरिका पर 2001 में 11 सितंबर को हुए आतंकी हमले की योजना बनाई थी।
2006 : अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश भारत की राजकीय यात्रा पर पहुंचे।
2007 : अमूल्य नाथ शर्मा नेपाल के पहले बिशप बने।
2010 : हॉकी विश्व कप के पहले मैच में भारत ने पाकिस्तान को 4-1 से मात दी।
2010 :प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सऊदी अरब यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत व्यापार, विज्ञान-तकनीक, संस्कृति आदि क्षेत्रों में दस समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
सरोज पांडेय की सांसद निधि
पूर्व राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय ने लोकसभा चुनाव लडऩे पर खुले तौर पर कुछ नहीं कहा है। उन्होंने सब कुछ पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है। फिर भी कई लोग अंदाज लगा रहे हैं कि सरोज कोरबा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। इसकी वजह भी है। सरोज ने सालभर में सांसद निधि का काफी हिस्सा कोरबा संसदीय क्षेत्र में खर्च किया है।
सरोज दुर्ग से सांसद रही हैं। वैशाली नगर सीट से विधायक रही हैं, और दो बार दुर्ग की मेयर भी रहीं। दुर्ग में उनके समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है। मगर विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोरबा संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बनाया था। कोरबा में भाजपा को अच्छी सफलता भी मिली। ऐसे में सरोज का नाम कोरबा सीट से तय हो जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
नेताजी के भाईजी
अंबिकापुर के भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल विवादों के घेरे में आ गए हैं। विवाद की वजह यह है कि राजेश के भाई विजय अग्रवाल ने दो दिन पहले लखनपुर थाने में हंगामा किया था, और वहां के डीएसपी शुभम तिवारी को धमकी दी। विजय, कोयला चोरों पर पुलिसिया कार्रवाई से खफा थे। हंगामे के कुछ घंटे बाद डीएसपी को हटा दिया गया।
मीडिया कर्मियों ने इस पर पुलिस के आला अफसरों से सवाल किया, तो यह कहा गया कि डीएसपी शुभम तिवारी के प्रशिक्षण की अवधि खत्म हो गई है। इसलिए उन्हें बदला गया है। शुभम की साख अच्छी है, और यही वजह है कि अंबिकापुर के कई स्थानीय नेताओं ने विधायक राजेश अग्रवाल और उनके भाई की शिकायत प्रदेश संगठन में भी की है। शिकायत में यह कहा गया कि विधायक और उनके परिवार के सदस्यों के पुलिस-प्रशासन में गैर जरूरी हस्तक्षेप से सरकार की छवि खराब हो रही है। अब पार्टी संगठन क्या कुछ करती है, यह देखना है।
लौटे अफसर क्या करेंगे ?
दिल्ली डेपुटेशन से अफसर लौटने लगे हैं। डीओपीटी ने चार अफसरों को वापसी के लिए रिलीव कर दिया है। दो ने कल जॉइनिंग दे दी है । वापसी से ये लोग तो खुश हैं लेकिन दिल्ली छोड़ आने के सबब से यहां रहे लोग अधिक चिंतित हैं। और कहने भी लगे हैं, आखिर ये लोग लौट क्यों रहे हैं? बड़े साहब ने पोस्टिंग की नोट शीट तो सरकार के भेज दी है। बताया जा रहा है कि इन्हें, कुछ अतिरिक्त प्रभार वाले अफसरों को हल्का कर एडजस्ट किया जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है कि साहब, अतिरिक्त प्रभार छोडऩा नहीं चाहते। ऐसे में वापसी कर रहे लोगों को मंत्रियों से ही उम्मीद है कि दो महीने में सूट न करने वाले वर्तमानों को बदलना लें।
टूट रहे हैं तो टूटने दो..
कोरबा जिले के छुरी नगर पंचायत की कुर्सी भी कांग्रेस के हाथ से चली गई। यहां कांग्रेस के 9 पार्षद हैं। अपनी कुर्सी बचाकर रखने के लिए अध्यक्ष नीलम देवांगन को केवल 6 वोट की जरूरत थी। मगर, उनको केवल 5 वोट मिले।
सरकार बदलने के बाद प्रदेश की नगरीय निकायों में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे अविश्वास प्रस्ताव पारित हो चुके हैं, जिनमें बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस अपनी कुर्सी खो चुकी है। अविश्वास प्रस्ताव अचानक नहीं आता। इसके लिए कलेक्टर के पास आवेदन देना होता है और सभा के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दिया जाता है।
प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों की भारी-भरकम टीम है। नगर पंचायत और नगरपालिकाओं के पार्षद जमीनी कार्यकर्ता होते हैं, जो हर चुनाव में काम आते हैं। वे उनको संभाल नहीं पा रहे हैं। क्यों? सीधा जवाब हो सकता है कि जब बड़े नेता सांसद, विधायकों को टूटने से नहीं बचा पा रहे हैं तो आप हमसे उम्मीद क्यों करते हैं?
नए मंत्रियों की तारीफ
निर्धारित समय से पहले समाप्त हो जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र लंबा चला। बहुत सवाल-जवाब हुए। वरिष्ठों के अलावा नए आए मंत्रियों अरुण साव, विजय शर्मा, टंकराम वर्मा, लक्ष्मी राजवाड़े आदि ने सवालों का सामना किया। वहीं पहली बार विधायक बनी चातुरी नंद ने पुलिस जवानों की समस्या को जितनी गंभीरता से उठाया, उसने पूरे सदन का ध्यान खींचा। आखिरी दिन तो कमाल ही हो गया। इस दिन की सबसे चर्चित चर्चा वन्यजीवों की असामयिक मौत पर थी। विधायक शेषराज हरवंश ने यह सवाल उठाया। उनका मुद्दा स्पीकर डॉ. रमन सिंह को भी प्रासंगिक लगा और उन्होंने विभाग के मंत्री केदार कश्यप को कार्रवाई का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब देने वाले नए मंत्रियों की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसा लगा ही नहीं कि वे पहली बार विधानसभा आए हैं। उन्होंने बहुत अच्छी तरह तैयारी की और जवाब दिए। मगर लोकतंत्र में विपक्ष की ओर से की गई तारीफ का ज्यादा महत्व है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत की प्रतिक्रिया भी साय से मिलती-जुलती रही। उन्होंने कहा कि नए मंत्री होने के बावजूद सभी ने सवालों का अच्छे ढंग से जवाब दिया। पूरे सत्र में कटुता का कोई अवसर नहीं आया।
ऐसे वक्त में जब विधायकों के पाला बदलने से सरकारें बदल रही हैं, लोकसभा-राज्यसभा से थोक में सांसद निष्कासित कर विधेयक पारित कर दिए जाते हों, छत्तीसगढ़ ने विधायिका के महत्व का अच्छा उदाहरण पेश किया।
रात दस बजे के बाद..
धमतरी का रत्नाबांधा चौक। रात 10 बजे। एक के बाद एक महानदी से निकाली गई रेत लेकर निकलती गाडिय़ां। दो चार दस गाडिय़ों पर कार्रवाई के बाद कलेक्टर्स और खनिज अफसरों की अपनी ही पीठ थपथपाती जारी हो रही खबरों के बीच। रेत का अवैध खनन रुका नहीं है, बस सावधानी ज्यादा बरती जा रही है।
यह कैसा छापा
जब पता है जांच एजेंसी आने वाली है तो उसे छापा कैसे कहें? आबकारी में बड़ी गड़बड़ी मामले में राज्य की एक जांच एजेंसी ने ताबड़तोड़ छापेमारी की। फिर खाली हाथ लौट गई।
जब्ती के नाम पर कुछ जगह से पांच तो कुछ जगह से 15 कागज जब्त किए हैं। इसके अलावा कुछ भी जब्त नहीं कर पाए। क्योंकि जिनके यहां पडऩा था, उन्हें 3 दिन से पता था कि जांच टीम आने वाली है। अपने विभाग के ग्रुप में भी चर्चा कर रहे थे।
छापे के एक दिन पहले फिर गायब हो गए। चर्चा है कि छापे की सूचना लीक कर दी गई थी। क्योंकि जिनको जांच का जिम्मा है, वे लोग पिछली सरकार के बैठाए हुए भरोसेमंद लोग हैं। जो पांच साल से वहा जमे रहे है। ये लोग, इसीलिए महादेव सट्टा पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
- 29 फरवरी : चार साल में एक मर्तबा आने वाला खास दिन
- नयी दिल्ली, 29 फरवरी। वैसे तो साल के 365 दिन अपने आप में खास और अलहदा होते हैं, लेकिन इस मामले में 29 फरवरी की तो बात ही कुछ और है। यह दिन चार वर्ष में एक बार आता है और इसके आने से एक सामान्य सा वर्ष लीप वर्ष बन जाता है और इसके दिनों की संख्या भी बढ़कर 366 हो जाती है।
- कुछ लोगों के लिए यह दिन उदासी का सबब है क्योंकि इस दिन पैदा होने वाले लोगों को अपना जन्मदिन मनाने के लिए चार साल तक इंतजार करना पड़ता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी ऐसे ही लोगों में शुमार हैं।
- देश दुनिया के इतिहास में 29 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:- 1796 : अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन के बीच जेय संधि लागू होने से दोनों देशों के बीच दस साल तक शांतिपूर्ण व्यापार संभव हुआ।
- 1840 : आधुनिक पनडुब्बी के जनक आयरिश अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन फिलिप हॉलैंड का जन्म।
- 1896 : भारत के छठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म।
- 1940 : गॉन विद द विंड में मैमी की भूमिका के लिए, हैटी मैकडैनियल ने अकादमी पुरस्कार जीता। वह यह पुरस्कार जीतने वाली पहली अफ्रीकी अमेरिकी बनीं ।
- 1952 : पैदल चलने वालों के लिए सड़क पार करने संबंधी निर्देश पहली बार टाइम्स स्क्वेयर के 44 वीं स्ट्रीट और ब्रॉडवे में लगाए गए।
- 1960 : मोरक्को के दक्षिणी शहर अगादीर में आए भीषण भूकंप में हज़ारों लोगों की मौत। इस भूकंप की तीव्रता 6.7 आंकी गई।
- 1996 : चार साल के खूनखराबे, गोलीबारी और हमलों के बाद बोस्निया की राजधानी सरायेवो की घेराबंदी ख़त्म हो गयी।
- 2012 : दुनिया की सबसे ऊंची मीनार और दूसरी सबसे ऊंची संरचना कही गई टोक्यो स्काईट्री का निर्माण कार्य पूरा। (भाषा)
छत्तीसगढ़ में सब ठीक-ठाक?
बीते दो दिनों के भीतर विरोधी दलों को कई राज्यों में झटके लगे। झारखंड की एकमात्र कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा भाजपा में शामिल हो गईं। यूपी में समाजवादी पार्टी को झटका लगा। उसके विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी जिसके चलते राज्यसभा के उसके तीन में से दो ही उम्मीदवार चुनाव जीत पाए। हिमाचल प्रदेश में तो 9 कांग्रेस विधायकों ने पाला बदल लिया। अब वहां कांग्रेस को अपनी सरकार बचा लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में जाने की चर्चा जोर पकड़ चुकी थी, पर बाद में उन्होंने इसका खंडन कर दिया।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने इस बार सभी 11 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। पिछले दिनों यहां कांग्रेस के सदस्य, दो पूर्व विधायक विधान मिश्रा और प्रमोद शर्मा भाजपा में शामिल हो गए। शर्मा तो विधानसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस में लौटे थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में आरोप लगाया कि भाजपा उनके विधायकों को तोडऩे की कोशिश में है। उनसे वादा कर रही है कि केंद्र में सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाया जाएगा।
हर बार लोकसभा- विधानसभा चुनाव के पहले एक पार्टी से दूसरी पार्टी में सेंध लगाने का काम देखा जाता है, मगर इस बार यह धारा एक ही दिशा में बहती दिखाई दे रही है। बघेल के आरोप का भाजपा ने खंडन करते हुए कहा था कि यहां हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। पर कौन दावा कर सकता है कि चुनाव के और करीब आते-आते उथल-पुथल नहीं होगी। क्या अकेले छत्तीसगढ़ बचा रहेगा?
बिना बात के आयोग का क्या होगा?
भूपेश सरकार ने नवाचार आयोग का गठन किया था लेकिन सरकार बदलने के बाद आयोग काम करेगा अथवा नहीं, इसको लेकर संशय है।
आयोग के चेयरमैन विवेक ढांड, भूपेश सरकार के जाने के बाद भी बहुत समय तक डटे रहे, लेकिन बर्खास्तगी की खबर शुरू होने की बाद पद से इस्तीफा दे चुके हैं। वर्तमान में आयोग ने एकमात्र सदस्य रिटायर्ड पीसीसीएफ डॉ.आर.के.सिंह हैं जो कि पद पर बने हुए हैं। आयोग में सचिव ऋतु वर्मा का भी तबादला हो गया है, उनकी पोस्टिंग मंत्रालय में की गई है।
ऋतु की जगह सचिव पद पर नई पोस्टिंग नहीं हुई है। सरकार के ज्यादातर लोगों का कहना है कि आयोग की जरूरत नहीं है। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने तो आयोग के गठन से लेकर कामकाज को लेकर विधानसभा में सवाल लगाए थे। मगर इस पर चर्चा नहीं हो पाई। अब आयोग में एकाउंट ऑफिसर और दो-तीन कर्मचारी ही रह गए हैं, जो कि प्लेसमेंट एजेंसी के हैं। ऐसे में नवाचार आयोग का क्या कुछ होगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
कांग्रेस में कोई एक्शन?
विधानसभा चुनाव में बुरी हार के बाद कांग्रेस संगठन में बदलाव की तैयारी चल रही है। कई बड़े नेताओं के खिलाफ भीतरघात की शिकायत हुई थी लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हुई। अलबत्ता, कुछ जिलाध्यक्षों को बदलने पर विचार चल रहा है।
खबर है कि चुनाव के दौरान कुछ जिलाध्यक्षों की कार्यशैली को लेकर शिकायत भी हुई थी। ऐसे में संभावना है कि लोकसभा टिकट तय होने से पहले कुछ जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
कांगेर में बर्ड सर्वे
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहाड़ी मैना को संरक्षित किया गया है। यह दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, जगदलपुर, आदि के वन क्षेत्र में भी पाया जाता है। कांगेर वैली में इन दिनों बर्ड सर्वे चल रहा है, जिसमें नौ राज्यों से 100 से अधिक प्रतिभागी पहुंचे हैं।
इनमें कोलकाता, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के गिधवा परसदा वेटलैंड से भी हैं। अभ्यारण्य के अधिकरियों का दावा है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पक्षियों की अधिक प्रजातियां दिखाई देंगी, क्योंकि इस बीच उनके संरक्षण के लिए काफी काम किए गए हैं।
कलेक्टरी के रिकॉर्ड
विधानसभा सत्र के बीच सरकार ने एक छोटा सा फेरबदल किया है। इसमें बिलाईगढ़-सारंगढ़, बलौदाबाजार-भाटापारा, और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के कलेक्टर बदले गए। चर्चा है कि बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर चंदन कुमार को स्थानीय विधायक, और सरकार के मंत्री टंकराम वर्मा की सिफारिश पर बदला गया है।
विधानसभा चुनाव के वक्त ही चंदन कुमार और स्थानीय भाजपा नेताओं के बीच विवाद चल रहा था। इसको लेकर शिकवा शिकायतें भी हुई थी। चंदन कुमार को स्वास्थ्य विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है। उनकी जगह बिलाईगढ़-सारंगढ़ कलेक्टर कुमार लाल चौहान की पदस्थापना की गई है। चौहान करीब डेढ़ महीने पहले ही बिलाईगढ़-सारंगढ़ कलेक्टर बने थे।
बिलाईगढ़-सारंगढ़ में सबसे कम समय कलेक्टरी का रिकॉर्ड राहुल वेंकट के नाम पर दर्ज है। वो एक महीना ही कलेक्टर रहे थे। मगर तत्कालीन कांग्रेस विधायक से अनबन के बाद उन्हें हटा दिया गया। इससे परे आदिवासी बाहुल्य जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में लीना कमलेश मंडावी को कलेक्टर बनाया गया है।
ओम माथुर के जिम्मे बहुत कुछ
प्रदेश भाजपा के प्रभारी ओम माथुर लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में शायद ही समय दे पाएंगे। उनकी जगह सह प्रभारी नितिन नबीन ही सारा काम देखेंगे, और संगठन से जुड़े फैसले लेंगे। चर्चा है कि माथुर अपने गृह राज्य राजस्थान के अलावा अन्य राज्य भी देख रहे हैं। ऐसी चर्चा है कि माथुर को उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस पर जल्द फैसला हो सकता है।
कहा जा रहा है कि चुनाव की वजह से पार्टी के शीर्ष स्तर पर होने वाले संभावित फेरबदल के चलते माथुर बस्तर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुई क्लस्टर की बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि छत्तीसगढ़ की लोकसभा प्रत्याशी चयन में ओम माथुर की दखल रह सकती है। उन्होंने अपने सुझाव हाईकमान को दे भी दिए हैं। हाईकमान संभवत: 29 तारीख को टिकटों पर फैसला ले सकती है।
मगर दाखिला क्यों घट रहा?
बोर्ड एग्जाम में विद्यार्थियों का मानसिक दबाव कम करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। अब 10वीं, 12वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी। फेल विषयों पर दोबारा बैठने का मौका तो मिलेगा ही, छात्र श्रेणी सुधार भी कर सकेंगे। अच्छी बात यह भी है कि दोनों बार की परीक्षाओं में जो रिजल्ट सबसे अच्छा होगा, उसे ही सर्टिफिकेट के रूप में मान्यता भी दे दी जाएगी।
मगर, इस बीच एक दिलचस्प आंकड़ा भी सामने आता है, जो यह बताता है कि सीजी बोर्ड की ओर विद्यार्थियों का आकर्षण घटा है। कोविड महामारी के चलते साल 2022 में जब किसी भी विद्यार्थी को फेल नहीं किया गया था, तब रिकॉर्ड 4 लाख 61 हजार छात्र-छात्रा सीजी बोर्ड एग्जाम में शामिल हुए थे। मगर अगले साल सिर्फ 3 लाख 30 हजार सम्मिलित हुए। यह संख्या 5 साल पहले लिए गए इम्तिहान में शामिल विद्यार्थियों से भी कम है, क्योंकि तब 3 लाख 86 हजार लोगों ने परीक्षा दी थी। साल 2016 के 4 लाख 21 हजार शामिल विद्यार्थियों से तुलना करें तो यह और भी कम है। प्रदेश के कुछ प्राइवेट, पब्लिक स्कूल सीजी पैटर्न से पढ़ाई कराते हैं, मगर आम तौर पर इनमें सीबीएसई लागू है। सीजी बोर्ड सरकारी स्कूलों में ही चलता है। यह आंकड़ा भी आया है कि इस साल 2024 की परीक्षा में 10वीं और 12वीं बोर्ड मिलाकर परीक्षा में 50 हजार विद्यार्थी पिछले साल के मुकाबले कम बैठेंगे।
इन आंकड़ों से दो बातों का अनुमान लगाया जा सकता है। या तो बोर्ड तक पहुंचने वाले बच्चों की संख्या ही घट रही है, या फिर वे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
परीक्षा पर चर्चा जैसी कोई सभा छत्तीसगढ़ में भी हो तो वजह साफ हो।
कोयला खदान में हुई मौतें
बीते दिनों जब झारखंड में न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी की चोरी से कोयला निकालने वालों के साथ तस्वीर आई थी। तब देश में चर्चा हुई कोयला खदानों के आसपास के गांवों में व्याप्त गरीबी और मजबूरी की। अनेक लोगों ने आलोचना भी की कि कांग्रेस सरकार के दौरान ही तो सबसे बड़ा कोयला घोटाला हुआ, अब राहुल सहानुभूति प्रकट कर रहे हैं। मगर, कोयला चोरी एक स्याह सच है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दौरान एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ था, जो कुसमुंडा का बताया जा रहा था, पर बाद में जांच के बाद दावा किया गया कि वह यहां का नहीं है, झारखंड का ही है। मगर छत्तीसगढ़ की खदानों में चोरी और मौतों पर प्राय: अफसोस नहीं जताया जाता। पिछले दिनों दीपका में कोयला निकालते पांच मजदूर मिट्टी धंसने से दब गए। उनमें से तीन की मृत्यु हो गई। उन पर चोरी का दाग था, शायद इसलिए किसी ने सहानुभूति नहीं दिखाई। इसी तरह जयनगर कॉलरी में एक युवक दब गया, जिसके शव का अब तक पता नहीं चला है। ये खदान मजदूर होते तो मुआवजा मिलता। जो लोग कोयला अपनी जान जोखिम में डालकर निकाल रहे हैं, उनके हिस्से में थोड़ी सी मजदूरी ही आती है, असली कमाई अवैध कारोबारियों के हाथ में होती है। कोयला कंपनी करोड़ों रुपए खदानों की सुरक्षा पर खर्च कर रही है। केंद्रीय सुरक्षा बल भी लगे हैं, पर न तो चोरियां रुकी, और न ही दुर्घटनाएं। यह घटनाएं यह भी बताती है कि जिन कोयला खदानों से रिकॉर्ड कमाई कंपनियों की हो रही है, उसके आसपास के गांव में रहने वालों की माली हालत कैसी है।
पुरुष को भी चाहिए मदद
पूरे छत्तीसगढ़ में इन दिनों महतारी वंदन योजना की चर्चा है। यह योजना सिर्फ निर्धारित कैटेगरी की महिलाओं के लिए है लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में एक अजीब मामला आया। एक पुरुष कमल सिंह ने इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन लगाया। कर्मचारियों ने उसका आवेदन स्वीकार भी कर लिया। वह तो कंप्यूटर था, जिसने पकड़ लिया। डाटा फीड होते ही फॉर्म रिजेक्ट हो गया। अब इस पुरुष की दलील है कि उसके घर में तो कोई महिला ही नहीं है। इसलिए उसने खुद आवेदन कर दिया।
फिलहाल तो लगता नहीं कि सरकार उसकी दलील पर कुछ करने जा रही है। पुरुषों के लिए कोई योजना शुरू होगी, तब उसे मौका जरूर मिल पाएगा।
- 27 फरवरी : गोधरा की दुखद घटना का गवाह
- नयी दिल्ली, 27 फरवरी। इतिहास में 27 फरवरी का दिन एक दुखद घटना के रूप में दर्ज है। दरअसल 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन से रवाना हुई साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी और इस भीषण अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी।
- अहमदाबाद को जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर ट्रेन रोक ली और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया। ट्रेन में सवार लोग हिंदू तीर्थयात्री थे और अयोध्या से लौट रहे थे। घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई और जान-माल का भारी नुकसान हुआ। हालात इस कदर बिगड़े कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी।
- देश-दुनिया के इतिहास में 27 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1854 : झांसी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा।
- 1879 : रूसी रसायनशास्त्री कॉन्सटैंटिन फालबर्ग ने पहले आर्टिफिशियल स्वीटनर सैकरीन की खोज की।
- 1931 : देश के महान क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस के साथ मुठभेड़ में गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में खुद को गोली मार ली।
- 1953 : अंग्रेजी भाषा को आने वाली पीढ़ियों के लिए आसान बनाने के इरादे से ब्रिटेन की संसद में ‘स्पैलिंग बिल’’ का प्रस्ताव पेश किया गया।
- 1991 : अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने फारस खाड़ी युद्ध में जीत दर्ज करने की घोषणा के साथ ही युद्धविराम का ऐलान किया। अगस्त, 1990 में इराक द्वारा कुवैत पर हमले के बाद यहां अमेरिका ने दखल दिया था।
- 1999 : नाइजीरिया में 15 साल में पहली बार असैन्य शासक चुनने के लिए मतदान। बड़ी संख्या में लोग वोट डालने पहुंचे।
- 2002 : गुजरात के अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस को भीड़ ने गोधरा स्टेशन पर आग के हवाले किया। इस घटना में 59 कार सेवकों की मौत।
- 2009 : अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऐलान किया कि इराक से अगस्त, 2010 तक तमाम लड़ाकू सेनाओं को हटा लिया जाएगा और शेष सैनिक 2011 के अंत तक स्वदेश लौट जाएंगे।
- 2010 : चिली में 8.8 की तीव्रता का भीषण भूकंप और सुनामी से तटीय इलाकों में भारी तबाही। 2010 : भारत ने आठवीं राष्ट्रमंडल निशानेबाज़ी प्रतियोगिता में 35 स्वर्ण, 25 रजत और 14 काँस्य पदकों के साथ कुल 74 पदक जीतकर पहला स्थान हासिल किया। (भाषा)
चुनाव के पहले पुलिस में तबादले
बस्तर में कुछ सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी नक्सलियों के सीधे निशाने में नहीं होते। बहुत से काम कागजों में ही हो जाते हैं। ऐसे अफसर वहीं ठिकाना बना लेते हैं, लौटना नहीं चाहते। पर पुलिस महकमे के साथ यह बात नहीं है। यहां पदस्थ जवान और अफसर अपनी मियाद पूरी कर मैदानी इलाकों में वापस आना चाहते हैं। पर बरसों गुजारिश के बाद भी उन्हें मौका नहीं मिलता। सरकार ने एक नीति भी बनाई कि 55 साल से अधिक उम्र होने पर उन्हें बस्तर रेंज के जिलों में नहीं रखा जाएगा। कई केस हाईकोर्ट भी पहुंचते रहते हैं जिनमें बस्तर से हटाने की फरियाद होती है। चुनाव एक मौसम होता है, जिसमें बाहर आने के इच्छुक पुलिसकर्मियों को मौका मिल जाता है। बीते 21 दिसंबर को चुनाव आयोग ने एक परिपत्र जारी कर प्रदेश में 3 साल से अधिक एक ही स्थान पर अथवा गृह जिले में पदस्थ पुलिस कर्मचारी, अधिकारियों के स्थानांतरण का आदेश दिया। आदेश का पालन तो हुआ लेकिन 100 से अधिक थानेदार, उप-निरीक्षक और दूसरे अधिकारी कर्मचारी ऐसे थे, जिन्हें बस्तर रेंज के ही एक स्थान से हटाकर दूसरे जिलों में भेज दिया गया। इनमें अधिकांश ने 3 साल की मियाद पूरी कर ली है। इनका कहना था कि हमें बस्तर से बाहर भेजो। मैदानी इलाके के अधिकारी-कर्मचारियों को भी यहां सेवा करने का मौका दो। अब निर्वाचन आयोग ने पीएचक्यू को फिर लिखा है कि तबादले का मतलब एक थाने से दूसरे थाने में कर देना नहीं है, बल्कि उन्हें रेंज से ही निकालिए। इसका एक मतलब यह भी है कि कोरबा, रायपुर, बिलासपुर जैसी सहूलियत वाली जगहों पर पदस्थ अधिकारियों को बस्तर भेजना होगा। स्थिति यह है कि सिफारिशों और पहुंच के चलते इन स्थानों के कई अधिकारी एक बार भी नक्सल इलाकों में नहीं गए। लोकसभा, विधानसभा चुनाव के दौरान भी वे मैदानी जिलों में घूमते रहे हैं। अब देखना यह है कि आयोग के निर्देश के बाद बस्तर पुलिस में कितना बदलाव आता है।
तालमेल से बना बजट
विष्णुदेव साय सरकार के पहले आम बजट को खूब सराहा जा रहा है। विपक्ष ने भी विरोध में ज्यादा कुछ नहीं कहा। बजट के लिए वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने वित्त सचिव अंकित आनंद के साथ आधी रात तक बैठकें करते थे। दोनों के बीच इतना बढिय़ा तालमेल रहा कि बजट बहुत अच्छे से तैयार हो पाया।
कानपुर आईआईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक अंकित अपने मातहतों पर निर्भर नहीं रहते थे, और वो मंत्री से चर्चा कर बजट प्रस्तावों का ज्यादातर हिस्सा खुद ही अपने लैपटॉप में टाइप कर लेते थे। बजट को विशेष रूप से लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया, और कड़े फैसले लेने से परहेज किया गया।
दूसरी तरफ, भूपेश सरकार के समय से राज्य पर कर्ज का बोझ काफी बढ़ा है। ऐसे में सरकार को वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी को विजनरी माना जाता है, और कलेक्टर रहते उनके द्वारा किए गए काम इसका उदाहरण भी है। अब अंकित के साथ रहने से कुछ अलग हटकर काम की उम्मीदें भी हैं। देखना है आगे क्या कुछ करते हैं।
चुनाव से पहले खर्च का मीटर
भाजपा सभी 11 सीटों को अपने कब्जे में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। पार्टी ने अभी टिकट घोषित नहीं किए हैं, लेकिन सभी लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव कार्यालय खुल गए हैं। सभी जगह प्रभारी नियुक्त कर दिए गए हैं, और कार्यालयों में कार्यकर्ताओं की भीड़ देखी जा सकती है।
सबसे बेहतर कार्यालय महासमुंद का है, जो कि पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के देखरेख में तैयार हुआ है। हालांकि कई जगहों पर खर्चे को लेकर किचकिच हो रही है। कुछ जगहों पर स्थानीय सांसद को खर्चा उठाने के लिए कहा गया है। ये अलग बात है कि उनकी टिकट अभी पक्की नहीं हुई है।
एक लोकसभा क्षेत्र में तो दो-तीन संपन्न पदाधिकारियों को कार्यालय का जिम्मा दिया गया। सांसद महोदय भी संपन्न पदाधिकारियों को देखकर खर्च को लेकर आश्वस्त भी थे। पिछले दिनों सांसद महोदय, कार्यालय पहुंचे तो पदाधिकारियों ने उनका खूब आवभगत किया। भोज भी कराया। ऐसा इंतजाम देखकर सांसद महोदय खुश भी हुए। पदाधिकारियों के काम की उन्होंने सराहना भी की। बाद में उनकी खुशी उस वक्त काफूर हो गई, जब तमाम खर्चों का बिल पहुंचा। टिकट से पहले ही खर्चों का मीटर घूमना शुरू हो गया।
दुर्ग से कौन से साहू को टिकट?
चर्चा है कि पूर्व सांसद ताम्रध्वज साहू दुर्ग सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। मगर पूर्व सीएम भूपेश बघेल की राय अलग है। वो दुर्ग से केंद्रीय जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र साहू को टिकट देने के पक्ष में हैं।
कहा जा रहा है कि ताम्रध्वज दुर्ग सीट से टिकट नहीं मिलने पर राजनांदगांव सीट का विकल्प रखा है। इसके लिए वहां के दो विधायक भोलाराम साहू, और दलेश्वर साहू के संपर्क में भी है। हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता किसी बाहरी को टिकट देने के खिलाफ हैं। विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव शहर की सीट पर गिरीश देवांगन को उतारने का खामियाजा पार्टी भुगत चुकी है। भूपेश बघेल के पूरी ताकत झोंकने के बावजूद गिरीश रिकॉर्ड वोटों से चुनाव हारे। देखना है कि ताम्रध्वज के मामले में पार्टी क्या कुछ फैसला लेती है।
उलझता जा रहा रेत का मामला
नई सरकार बनने के बाद गौण खनिज पर नई नीति बनाने की घोषणा की गई है। इसके चलते रेत घाटों की नीलामी नहीं हुई है। रेत खनन और परिवहन की क्या प्रक्रिया होगी, यह नीति आने के बाद मालूम होगा। पंचायतों को फिर से अधिकार देने की बात हो रही है। दूसरी ओर विधानसभा में सवाल उठने के बाद रेत गाडिय़ों की चेकिंग बढ़ गई है। जब खदानों की नीलामी ही नहीं हुई है तो रेत कहां से निकाले जा रहे हैं, यह कोई रहस्य की बात नहीं है। खनन अवैध रूप से हो रहा है। इस समय भवन निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। बारिश के बाद यह काम रुक जाएगा और घाट भी बंद हो जाएंगे। इसके अलावा मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता भी लग सकती है। मौजूदा स्थिति में रेत के कारोबार से जुड़े और भवन बना रहे लोग, दोनों ही चिंता में हैं।
खतरनाक मगर शर्मीला कबरबिज्जू...
कबरबिज्जू एक ऐसा जीव है जो प्राय: कब्रगाह में पाया जाता है। जमीन के भीतर रहता है, यह मुर्दों को खाता है। आवाज ऐसी होती है कि अक्सर लोग जब कब्रिस्तान के पास से गुजर रहे होते हैं तब प्रतीत होता है कि कोई इंसान शोर कर रहा है। इसके नाखून और दांत बेहद मजबूत होते हैं, जिसके चलते कठोर मिट्टी और शवों की भी चीरफाड़ कर लेता है। मगर, यह शर्मीला भी होता है। भिलाई के पास उतई में जब एक मादा और दो बच्चे दिखे तो लोगों ने वन विभाग को सूचना दी। टीम पहुंची तो मां वहां से बच निकली। वन अमले को यकीन था कि वह अपने बच्चों से मिलने फिर पहुंचेगी। और ऐसा ही हुआ। दोनों बच्चों को मां के साथ पकड़ लिया। इनको लेकर अंधविश्वास और टोने-टोटके की कथाएं चलती हैं। खुले घूमने के दौरान इन पर आफत आ सकती थी। फिलहाल मैत्री बाग में ये सुरक्षित हैं।