स्थायी स्तंभ
राहुल और प्रदीप चौबे
राहुल गांधी अपने बयानों को लेकर कई तरह के विवादों में पड़ रहे हैं। अभी उन्होंने ऐश्वर्या राय का जिक्र करते हुए कई ऐसे बयान दिए हैं जिन पर उनके खिलाफ जुर्म दर्ज हो सकता है। किसी महिला का अपमानजनक तरीके से जिक्र करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कई बार लिखा है।
अभी कुछ समय पहले राहुल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्म की जाति को लेकर तथ्यों के खिलाफ एक बयान दिया था, जिसका खंडन तो हुआ है लेकिन अभी तक कोई मामला-मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। उस बयान के समय छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप चौबे ने फेसबुक पर लिखा था- राहुलजी के छत्तीसगढ़ दौरे का भाषण कौन तैयार करता है? छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री की जाति का जिक्र करते हुए उन्हें मालूम होना चाहिए कि धर्म और जाति के मामले बड़े नाजुक होते हैं, सार्वजनिक भाषण में ऊंचे पद पर बैठे किसी व्यक्ति की जाति पर की गई टिप्पणी का बड़ा व्यापक असर होता है।
प्रदीप चौबेजी ने आगे लिखा था- कि देश की राजनीति में महंगाई, बेरोजगारी, देश की सुरक्षा, आर्थिक स्थिति, गरीबी, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत समस्याओं को छोड़ प्रधानमंत्री की जाति पर टिप्पणी करना बिल्कुल भी सही नहीं है। इसका राजनीतिक रूप से छत्तीसगढ़ में कितना नफा-नुकसान होगा इसका अंदाज लगाना भी समझ से परे है।
प्रदीप चौबे प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री रहे रविन्द्र चौबे के बड़े भाई भी हैं, और अपनी समाजवादी पृष्ठभूमि की वजह से वे वैचारिक रूप से परिपक्व नेता हैं। लेकिन आज कांग्रेस में चापलूसों की भीड़ में समझदारी की बात कौन आगे बढ़ाए?
साहेब ऐसा कह गए !!
भाजपा के छोटे-बड़े नेता, नवप्रवेशी नेताओं को लेकर सशंकित हैं। न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में दूसरे दलों से नेताओं की भाजपा में शामिल होने की होड़ मची है। भाजपा के पुराने नेताओं को लगता है कि दूसरे दलों से आए नेताओं की वजह से उनका महत्व कम हो जाएगा। मगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बातों ही बातों में उनकी चिंता का निवारण कर दिया।
शाह कोंडागांव में बस्तर क्लस्टर की बैठक में आए तो काफी खुश थे। इसकी वजह भी थी कि विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन राज्य बनने के बाद से अब तक सबसे बेहतर रहा है। बैठक में शाह ने नवप्रवेशी नेताओं का जिक्र किए बिना हास-परिहास में कह गए कि आप लोगों को 30-35 साल में क्या मिल गया, जो नए आए लोगों को मिल जाएगा। शाह की इस टिप्पणी की पार्टी के भीतर काफी चर्चा रही।
वक्त अच्छा-बुरा हर कि़स्म का
साहब की विदाई क्या हुई मातहत उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का बखान करने लग जाते हैं। कहा भी गया है न कि उगते सूर्य की ही पूजा होती है। सो नए साहब का चालीसा पढऩे में ही भव सागर पार लगेगा। ऐसे ही मातहत, साहब के बारे में कहने लगे हैं कि कितने अच्छे थे साहब रम-व्हिस्की में काम कर देते थे। और डिमांड पूरी करने पर साहब कह देते थे कि मैं तो मजाक कर रहा था। ये तो हुई बात व्यक्तित्व की। कृतित्व की करें तो मातहतों के लिए कर्टसी चाय कॉफी बंद करा दिया था। भवन के वाउचर पर बंगले में आधा दर्जन चपरासी नौकर में तैनात थे। पोर्च में तीन से चार सरकारी गाडिय़ाँ थी। अब भविष्य ईओडब्लू और सीबीआई के हाथों में हैं।
अंडा चिकन का शाकाहारी ठेला
इस बुद्धिमान ठेले वाले को पता है कि शुद्ध शाकाहारी नाम जोड़ देने से दुकान चल निकलती है, फिर वह अंडा, चिकन, मटन भी बेच सकता है। वैसे ही जैसे हाइवे में कई फैमिली ढाबे दिखते हैं, पर फैमिलियर नहीं होते। तस्वीर पटना की है।
पीएससी के गलत जवाब
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने सरकार बदलने के बाद पहली प्रारंभिक परीक्षा ली। उसके मॉडल आंसर जारी करने के बाद यह साफ हो गया कि अभी गड़बड़झाला खत्म नहीं हुआ है। इसके कम से कम तीन सवालों के जवाब पीएससी ने गलत बता दिए। जैसे छत्तीसगढ़ से कितने राज्यों की सीमा जुड़ती है। सही उत्तर 7 है, पर जवाब तय किया गया छह। लिंगानुपात में कोंडागांव सबसे बेहतर स्थिति में है, जबकि जवाब दिया गया कांकेर जिला। सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का मुख्य विधिक सलाहकार कौन होता है, यह बताया गया सॉलिसिटर जनरल को, लेकिन सही जवाब है अटॉर्नी जनरल।
इसके अलावा कुछ सवालों का एक जवाब नहीं हो सकता। जैसे लोक-संस्कृति में विवाह के मंडप के लिए कौन सी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। जवाब में महुआ को सही बताया गया है लेकिन इसका जवाब सरई भी हो सकता है। यह जरूर है कि मॉडल आंसर पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 27 फरवरी तक का समय दिया गया है लेकिन यह प्रश्न खड़ा होता है कि प्रश्न पत्र तैयार करने वाले विशेषज्ञों की वह कौन सी टीम है जो इन साधारण से सवालों का गलत जवाब बता रही है।
धर्मांतरण के खिलाफ कानून
छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक धर्मांतरण को लेकर आ सकता है। जैसी चर्चा है इसमें प्रावधान किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्म बदलना चाहता है तो उसे कम से कम 60 दिन पहले कलेक्ट्रेट में खुद हाजिर होकर आवेदन देना होगा। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति,जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तित कराने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है। केस गैर जमानती चलेगा और सेशन कोर्ट में सुना जाएगा। जबरन धर्म परिवर्तन से पीडि़त को 5 लाख रुपये तक मुआवजा मिल सकता है। जबरन धर्मांतरण की शिकायत व्यक्ति खुद या उसका रक्त संबंधी या गोद लिया हुआ व्यक्ति भी कर सकता है।
धर्मांतरण पर कानून
बनाने का अधिकार राज्य का है। सबसे पहले ओडिशा में सन् 1967 में बना। उसके बाद 2017 में झारखंड में। अभी अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्यप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड में ये कानून लगा है। प्रावधान लगभग छत्तीसगढ़ के मसौदे की तरह हैं।
छत्तीसगढ़ में यह मामला हिंदू-मुस्लिम से अलग है। हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में शामिल हो जाने का है। जनगणना के आंकड़ों से भी ईसाई धर्म मानने वालों की संख्या बढऩे की पुष्टि हो चुकी है। उत्तर छत्तीसगढ़ और बस्तर के कई इलाकों में दशकों से धर्मांतरण हो रहा है। मैदानी छत्तीसगढ़ में भी अनुसूचित जाति-जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग के लोग इससे प्रभावित हैं। कानून बन जाने से संभव है कि प्रलोभन या दबाव की वजह से धर्म परिवर्तन की घटनाएं कम हो जाएं मगर असल समस्या इन तबकों में स्वास्थ्य और शिक्षा का नहीं पहुंच पाना है। धर्मांतरण विरोधी कानून में इसका कोई समाधान है या नहीं, यह विधेयक आने पर ही मालूम होगा। ([email protected])
अमित अग्रवाल, और बाकी अफसर
छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अफसर अमित अग्रवाल केन्द्र सरकार में सचिव पद के लिए सूचीबद्ध हो गए हैं। अमित वर्तमान में यूआईएडीआई के सीईओ हैं। प्रशासनिक हल्कों में यह चर्चा रही कि अमित, सीएस अमिताभ जैन के रिटायर होने के बाद उत्तराधिकारी हो सकते हैं। जैन अगले साल रिटायर होंगे।
अमित अग्रवाल की वापसी के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब कहा जा रहा है कि सचिव बनने के बाद शायद ही वो यहां आएँ । बताते हैं कि केन्द्र सरकार में अमित के विभागीय मंत्री अश्वनी वैष्णव भी उन्हें छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। अश्वनी खुद 94 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं। आईएएस में अमित, अश्वनी से एक साल सीनियर हैं। सचिव पद पर सूचीबद्ध होने के बाद अमित को केन्द्र में कोई और अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
दूसरी तरफ, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे एसीएस रिचा शर्मा, प्रमुख सचिव सोनमणि वोरा, और सचिव मुकेश बंसल की भी जल्द पोस्टिंग हो सकती है। इन अफसरों की पोस्टिंग से प्रशासन में सुधार की गुंजाइश दिख रही है। देखना है आगे क्या होता है।
राजधानी की टिकट का पेंच
प्रदेश की लोकसभा सीटों के लिए भाजपा प्रत्याशियों की एक सूची हफ्तेभर में आ सकती है। चर्चा है कि मौजूदा सांसदों में विजय बघेल, और सुनील सोनी को फिर टिकट मिल सकती है। हालांकि कई नेता सुनील की जगह लेने के लिए प्रयासरत हैं।
पार्टी टिकट को लेकर कई प्रयोग कर चुकी है। ऐसे में सुनील सोनी के विरोधी नेता उम्मीद से हैं। कुछ लोगों का अंदाजा है कि रायपुर में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस की पसंद को भी ध्यान में रखा जा सकता है। खुद बैस के भतीजे ओंकार बैस, और नाती अनिमेश कश्यप (बॉबी) भी टिकट के दौड़़ में हैं। वरिष्ठ नेता अशोक बजाज भी रायपुर से टिकट चाहते हैं, लेकिन उन्हें रायपुर लोकसभा का संयोजक बनाकर पार्टी ने एक तरह से उनकी दावेदारी खत्म कर दी है। बाकी दावेदारों का क्या होता है, यह तो सूची जारी होने के बाद ही साफ होगा।
कौन निकालेगा अब रेत से तेल?
विधानसभा में कई सदस्यों ने प्रदेशभर में रेत के धंधे में ताकतवर लोगों का कब्जा होने और इन्हें खनिज विभाग का संरक्षण होने का आरोप लगाया। रेत से जुड़े कारोबार को सत्ता से जुड़े लोगों का संरक्षण कोई नई बात नहीं है। दूसरे राज्यों में भी। अपने यहां भी पिछली कांग्रेस सरकार में भी और उसके पहले की सरकारों में भी। पिछली सरकार में कम से कम दो विधायकों शकुंतला साहू और छन्नी साहू का अपने समर्थकों के लिए अधिकारियों से भिड़ जाने का मामला तो चर्चा में आया ही था। मगर, अब जब सत्ता बदल गई है तो फिर कांग्रेस से जुड़े लोग कारोबार में क्यों हावी रहें? वैसे पक्ष-विपक्ष दोनों ने ही रेत को लेकर सरकार पर सवाल किए थे। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने सदन में घोषणा की कि 15-20 दिन अवैध परिवहन के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान चलाया जाएगा। अलग से आदेश की जरूरत नहीं थी। सदन में घोषणा होते ही खनिज विभाग सक्रिय हो गया। कई जिलों से खबरें हैं कि अवैध रेत खनन पर कार्रवाईयां शुरू हो गई हैं। इसकी वजह से रेत के दाम आसमान पहुंच गए हैं। परिवहन करने वाले छापेमारी और चेकिंग का हवाला दे रहे हैं। लगे हाथ मुरुम और गिट्टी के सप्लायरों ने भी कीमत बढ़ा दी है। ग्राहकों को सप्लायर भरोसा दिलासा दे रहे हैं कि दो चार हफ्ते में सब ठीक हो जाएगा। अब देखना है कि अवैध खनन पर रोक लगेगी या फिर ऐसा करने की ताकत एक हाथ से दूसरे हाथ में शिफ्ट हो जाएगी।
सीमेंट सरिया ने सुकून दिया
मकान दुकान बनाने वालों का बजट रेत पर छापामारी ने जरूर बिगाड़ दिया है लेकिन सीमेंट और सरिया के दाम गिरने से थोड़ी राहत मिली है। सीमेंट सिंडिकेट ने सीजन देखकर बैग के दाम बढ़ाने की कोशिश की लेकिन उठाव के संकेत नहीं मिले। इसलिए दाम गिरते गए, गिरते गए। अभी ठीक-ठाक कंपनी की सीमेंट 270-275 रुपये तक आ गई है। यही दाम लगभग लगभग दो साल पहले था। सरिया भी 50 से 55 हजार रुपये टन तक उतर आया है। बीच में इसके दाम 80 हजार रुपये तक चले गए थे। सीमेंट और सरिया उत्पादकों को हो सकता है इस समय कम मार्जिन मिल रहा हो, पर अभी पूरा सीजन बाकी है। आगे भरपाई का रास्ता निकल सकता है।
सुंदर लिखावट, समस्या गंभीर
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। ऐसे में यह पत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर के एक छात्र की अर्जी है। आकर्षक लिखावट और व्याकरण की त्रुटियां भी नहीं के बराबर। मगर, इसमें इस छात्र ने जो समस्या बताई है वह बेहद गंभीर है। छात्र ने कलेक्टर को लिखा है कि छिन्दावाड़ा के आदर्श आवासीय विद्यालय में बच्चों को खान-पान की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा कई महीनों से चल रहा है।
नक्सल इलाकों में करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। पर, क्या वहां पढऩे वाले बच्चों को ठीक खाना मिल जाए, इसकी तरफ अफसरों और जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है?
23 फरवरी : हिंदी सिने जगत की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में शुमार मधुबाला की पुण्यतिथि
नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा)। किसी खूबसूरत चेहरे को देखते ही बेसाख्ता मुंह से निकल पड़ता है कि इसे ऊपर वाले ने फुर्सत में बनाया है। हिंदी फिल्मों की सबसे हसीन अदाकारा मधुबाला के बारे में बेशक यह बात कही जा सकती है। मधुबाला ने हर तरह की फिल्मों में अपनी खूबसूरती और अदाकारी का जलवा बिखेरा। फिर चाहे वह मुगलिया सजधज वाली ‘मुगले आजम’ हो या फिर किशोर कुमार और बंधुओं के हास्य से भरी ‘चलती का नाम गाड़ी’, मधुबाला के दिलकश और शोख अंदाज ने इन्हें यादगार बना दिया।
मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को हुआ था और उन्हें उनकी खूबसूरती के चलते ‘वीनस ऑफ हिंदी सिनेमा’ कहा गया। फिल्मी दुनिया में मधुबाला का सफर बहुत छोटा रहा और उन्होंने मात्र 36 साल की उम्र में 23 फरवरी 1969 को दम तोड़ दिया।
देश दुनिया के इतिहास में 23 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
1768 : कर्नल स्मिथ ने हैदराबाद के निजाम के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत निजाम ने ब्रिटिश हुकूमत का आधिपत्य स्वीकार कर लिया।
1886 : अमेरिका के आविष्कारक और रसायनशास्त्री मार्टिन हेल ने अल्युमिनियम की खोज की।
1945 : अमेरिका ने जापान के कब्जे वाले टापू ईवो जीमा पर अपना परचम फहराया। इस टापू की स्थिति सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण थी।
1952 : कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम पारित।
1969 : हिंदी सिनेमा की मशहूर और खूबसूरत अदाकारा मधुबाला का निधन।
1981 : स्पेन में दक्षिणपंथी सेना ने सरकार का तख्तापलट दिया, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई।
2004 : हिन्दी फ़िल्मों के प्रतिभाशाली अभिनेता, पटकथा-लेखक, निर्माता, निर्देशक और संपादक विजय आनन्द का निधन। उनकी फिल्म ‘गाइड’ को भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में शुमार किया जाता है।
2006 : भारत ने पाकिस्तान को सर्वाधिक तरजीह प्राप्त राष्ट्र का दर्जा देने की सिफारिश मंजूर कर ली।
2009 : फ़िल्मों और टेलीविज़न कार्यक्रमों में धूम्रपान के दृश्य दिखाने पर लगा प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया।
2010 : कतर ने भारत के मशहूर चित्रकार एम.एफ. हुसैन को अपने देश की नागरिकता दी।
2020 : अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने एक महत्वपूर्ण आदेश में म्यांमा से रोहिंग्या आबादी को सुरक्षा देने को कहा।
2020 : ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने ब्रिटिश सरकार के ब्रेक्जिट कानून को मंजूरी दी।
स्काईवॉक और अंडरग्राउंड नाली
राज्य के दो बड़े शहरों की दो बड़ी परियोजनाएं अरबों रुपये फूंकने के बाद भी अधूरी है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दो तत्कालीन मंत्रियों के ये ड्रीम प्रोजेक्ट थे। दोनों ने ही वादा किया था कि भाजपा की सरकार दोबारा बनी तो अधूरा काम पूरा कराया जाएगा, मगर अभी हालात बदले हुए से हैं।
बात रायपुर के स्काई वॉक और बिलासपुर के अंडरग्राउंड सीवरेज परियोजना की है। स्काईवॉक पर करीब 45 करोड़ रुपये तो सीवरेज पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सन् 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इन दोनों योजनाओं में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था। मगर, कांग्रेस की सरकार पूरे पांच साल रही, किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। बिलासपुर की सीवरेज परियोजना पर तो हाईकोर्ट ने कुछ आईएएस अधिकारियों सहित 13 अफसरों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया था। मगर सरकार बदलने के बाद भी किसी का बाल बांका नहीं हुआ। पूरे पांच साल कांग्रेस विचार करती रही कि रायपुर का स्काई वाक पूरा किया जाए, या ढहा दिया जाए। मुद्दा सुलगा हुआ था तो सरकार का कार्यकाल खत्म होने के आखिरी साल में एसीबी को भ्रष्टाचार के जांच की जिम्मेदारी दी गई। अभी कुछ दिन पहले विधानसभा में यह जवाब आ गया है कि किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, कोई भ्रष्टाचार नहीं पाया गया है, जांच की फाइल कुछ दिन पहले बंद कर दी गई है।
रायपुर में लोक निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने और बिलासपुर में नगरीय प्रशासन विभाग के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने अपनी चुनावी सभाओं में बार-बार कहा कि वे अपनी इन दोनों परियोजनाओं को सरकार बनने के बाद तत्काल पूरा कराएंगे। स्काई वाक के संबंध में विधानसभा में मूणत के ही सवाल पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया था कि एक समिति ने स्काई वाक को पूरा करने की सिफारिश की है। इधर अग्रवाल ने भी कहा था कि 6 माह के भीतर शहर की जनता सीवरेज प्रोजेक्ट को चालू देखेगी।
दोनों नेताओं ने इन योजनाओं को शुरू करने का का श्रेय खुद लिया था। अब सरकार बन गई तो योजना पूरी कराना भी उनकी प्रतिष्ठा का सवाल है। मगर, कौन जानता था कि सरकार बनेगी तो दोनों को मंत्रिमंडल में मौका नहीं मिलेगा। ऐसा होता तो वैसा हो जाता।
श्रमिक बस्तियों से ठेके की दूरी
स्कूल, अस्पताल व धार्मिक स्थलों से शराब दुकानों की दूरी पहले 50 मीटर थी अब विधानसभा में की गई घोषणा के मुताबिक यह दूरी कम से कम 100 मीटर कर दी जाएगी। ऐसा हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर किया जा रहा है। मगर, एक बड़ा फैसला और लिया गया है कि श्रमिक बस्ती और अनुसूचित जाति के 100 से ज्यादा घर हों तो वहां पर भी दुकान नहीं खोली जाएगी। अक्सर देखा गया है कि संभ्रांत कॉलोनियों, पूजा स्थलों और स्कूलों के पास दुकान खोलने के बाद आंदोलन शुरू हो जाता है। इन का प्रशासन पर दबाव होता है तो दुकान खिसकाकर निचली बस्तियों में ही ले जाई जाती है। रोज कमाने-खाने वाले मजदूर परिवारों में इतनी ताकत या हैसियत नहीं होती कि इसके खिलाफ आंदोलन करने के लिए सडक़ पर आ जाएं। यदि प्रदेश में गिनती की जाए तो आधी दुकानें ऐसी बस्तियों के आसपास नजर आएंगीं। इन बस्तियों से लगी शराब दुकानें पारिवारिक कलह कई गुना बढ़ा देती हैं। बच्चों और महिलाओं की स्थिति दयनीय हो जाती है। कई घरेलू अपराध इसी वातावरण के कारण बढ़ जाते हैं। क्या इन शराब दुकानों को हटाने के सरकार के फैसले को प्रशासन कितने प्रभावी तरीके से अमल में ला सकेगा? ऐसी बस्तियों में देशी शराब के कोचिये फलते फूलते हैं, जिनके बारे में पुलिस और आबकारी दोनों को पता होता है। शराब की दुकान दूर होने से कोचियों की ज्यादा कमाई के रास्ते भी खुलने की आशंका है।
5 किलो मुफ्त चावल के लिए
विधानसभा में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने जानकारी दी कि बीते कुछ महीनों के भीतर प्रदेश के 33 जिलों में 8 लाख 90 हजार 660 लोगों के नाम राशन कार्ड से हटाए गए हैं। इनमें से कई राशन कार्ड स्थायी रूप से निवास नहीं करने, त्रुटि पूर्ण आधार नंबर होने अथवा मृत्यु के कारण रद्द किए गए लेकिन ज्यादातर लोगों ने खुद ही नाम कटवाए। इस बात पर चकित हुआ जा सकता है कि लोगों ने अपने नाम क्यों कटवाए? विधानसभा में कारण पर चर्चा तो नहीं हुई लेकिन जो निकलकर जानकारी आ रही है उसके मुताबिक इसकी वजह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाला 5 किलो मुफ्त चावल है। विधानसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि योजना आने वाले पांच साल तक चलेगी। इधर छत्तीसगढ़ सरकार ने राशन कार्डों के नवीनीकरण का अभियान शुरू किया है। जिन लोगों ने नाम अलग करवाए हैं उन्हें उम्मीद है कि परिवार से अलग हो जाने के चलते उनके नाम से नया राशन कार्ड बन जाएगा। बड़ी संख्या में नाम कटवाने से यह पता चलता है कि बीपीएल परिवारों के लिए 5 किलो मुफ्त राशन कितना महत्व रखता है।
इतनी बड़ी जल की रानी
कबीरधाम जिले के सरोधा जलाशय में जाल बिछाए मछुआरे अचानक घबरा गए जब उन्हें लगा कि कोई ऐसी भारी चीज फंस गई है, जिसे वे पूरी जोर-आजमाइश के बाद भी बाहर खींच नहीं पा रहे हैं। अनिष्ट की आशंका भी हुई। पर जब कई लोगों ने मिलकर जाल बाहर निकाला तो उसमें यह भारी भरकम मछली फंसी मिली। दावा है कि किसी जलाशय से इतनी भारी मछली प्रदेश में अब तक नहीं पकड़ी गई। 5 फीट लंबी बीटकार प्रजाति की इस मछली का वजन 80 किलो निकला, 24 हजार में इसकी बिक्री हुई।
अयोध्या जाएं न जाएं ..
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खडग़े सहित अन्य कांग्रेस नेता शामिल नहीं हुए थे। निमंत्रण ‘ससम्मान’ ठुकरा दिया गया था। उन्होंने इसे भाजपा का स्टंट बताया। कांग्रेस के कई नेताओं ने इस फैसले को गलत बताया। एक नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम को तो पार्टी ने बाहर भी कर दिया। अभी इधर छत्तीसगढ़ में कैबिनेट ने अयोध्या धाम जाने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव ने कांग्रेसियों को भी चलने का निमंत्रण दिया है। अभी तक कांग्रेस की ओर से निमंत्रण न तो ठुकराया गया है न ही स्वीकार किया गया है। शायद आकलन किया जा रहा है कि निमंत्रण राजनीतिक है या सरकारी।
चिटफंड की चीटिंग रुकी नहीं...
कलेक्टर-एसपी सरकार की प्राथमिकता को समझते हुए उनके निर्देशों को ही अमली जामा पहनाने के लिए काम करते हैं। सन् 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चिटफंड कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया था, डायरेक्टरों की गिरफ्तारी और डूबी रकम वसूल करने का सिलसिला चलाया गया था। मगर इसी दौरान ठगी की नई दुकान-बाजार खुल गए जिसे लेकर प्रशासन चौकन्ना नहीं रहा। सरगुजा जिले में एक फर्जी कंपनी 600 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बन चुकी है। ज्यादातर शिकार लोग बेरोजगार युवक युवतियां हैं। कंपनी ने दर्जनों लोगों को नौकरी पर रखा। उनको लोगों से 70-70 हजार रुपए डिपॉजिट करने के काम में लगाया गया। लोगों ने जमीन बेचकर, लोन लेकर पैसे दिए। डेढ़ 2 साल से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा था। कई गुना बढ़ाकर रकम लौटाने और विदेशों की सैर कराने का झांसा दिया गया था।
राज्य में चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम हजारों करोड़ और लूटे लोगों की संख्या लाखों लोगों में है। सितंबर 2023 तक इनमें से सिर्फ 38 करोड रुपए लौटाए जा सके। उसके बाद प्रशासन और सरकार चुनाव की तैयारी में लग गई। अब सरकार बदलने के बाद रुपए लौटाने की कोशिशों पर भी विराम लग गया है। मगर इतनी उम्मीद तो की जा सकती है कि नए धंधे शुरू न हों, जैसा सरगुजा से सामने आया है।
कांग्रेस में हलचल ही नहीं...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ की सभी 90 सीटों की जनता को 24 फरवरी को वर्चुअल संबोधित करेंगे। इसके पहले 22 फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जांजगीर में आमसभा लेंगे। प्रदेश में ऐतिहासिक बहुमत के बाद भी जांजगीर की किसी भी विधानसभा सीट से भाजपा को इस बार जीत नहीं मिल पाई। इसलिए शाह का कार्यक्रम यहां रखना महत्वपूर्ण हो गया है। भाजपा की ओर से खबर आ चुकी है कि फरवरी के अंतिम सप्ताह तक कम से कम पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी।
दूसरी तरफ राहुल गांधी की न्याय यात्रा के बाद भी कांग्रेस में गर्मजोशी दिखाई नहीं दे रही है। विधानसभा चुनाव में जहां एक-एक सीट पर 50-50 लोग अर्जी लेकर खड़े थे तो लोकसभा के लिए दावेदार सामने भी नहीं आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले प्रभारी महासचिव के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे थे। अब के चुनाव में सचिन पायलट औपचारिक एक दौरा करके दोबारा नहीं लौटे हैं। भाजपा ने इस बार 11 में से एक भी सीट नहीं छोडऩे का लक्ष्य रखा है। क्या इस दावे को कांग्रेस ने बहुत गंभीरता से ले लिया है?
बांस-पत्तों का बर्तन
बस्तर में जनजातीय समुदाय की हर जरूरत प्रकृति से पूरी हो जाती है। बर्तन भी बांस और पत्तों से बना लेते हैं। कारीगरी ऐसी कि रस युक्त दाल या सब्जी को भी इसमें रखा जा सकता है। केंद्र सरकार की एक योजना है, एक जिला, एक उत्पाद। इस योजना में किसी जिले के विशिष्ट पहचान को दर्शाने वाले प्रोडक्ट को प्रमोट किया जाता है। रेलवे स्टेशनों में इसके स्टाल नजर आते हैं। बांस के ये बर्तन इस योजना में शामिल नहीं है।
- 20 फरवरी : कंप्यूटर से रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली की शुरुआत
- नयी दिल्ली, 20 फरवरी। कंप्यूटर को मानव इतिहास के चंद सबसे महत्वपूर्ण अविष्कारों में शुमार किया जाता है। इसके होने से आंकड़ों का संकलन और संचालन बड़ी सहजता से हो जाता है। भारतीय रेलवे ने 20 फरवरी 1986 को कंप्यूटर से रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली की शुरूआत की थी।
- बीस फरवरी की तारीख भारत के इतिहास में एक और कारण से भी महत्वपूर्ण है। दरअसल वह 20 फरवरी 1947 का दिन था, जब ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत को 30 जून, 1948 तक ब्रिटेन की गुलामी से आजाद करने की घोषणा की थी। हालांकि, बदलते घटनाक्रम के बीच भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र कर दिया गया।
- देश-दुनिया के इतिहास में 20 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1835: कलकत्ता मेडिकल कॉलेज आधिकारिक तौर पर खुला।
- 1846 : अंग्रेजों ने लाहौर पर कब्जा कर लिया।
- 1847 : रॉयल कलकत्ता टर्फ क्लब की स्थापना।
- 1848 : अमृत बाजार पत्रिका ने बांग्ला भाषा में अपना पहला साप्ताहिक पत्र प्रकाशित किया।
- 1935 : कैरोलाइन मिकेल्सन ने अंटार्कटिका पर कदम रखा। पृथ्वी के उस दुर्गम छोर पर पहुंचने वाली वह पहली महिला बनीं।
- 1947 : ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत को आजादी देने का ऐतिहासिक ऐलान किया। उनका कहना था कि ब्रिटेन 30 जून, 1948 से पहले भारत को मुक्त कर देगा।
- 1950 : देश के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई और राष्ट्रवादी नेता शरत चंद्र बोस का निधन।
- 1987 : मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ का क्रमश: 23वां और 24वां राज्य घोषित किया गया।
- 2009 : संयुक्त राष्ट्र ने 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। (भाषा)
जिला छुआ भी नहीं गया
कवर्धा एक ऐसा जिला है जहां सरकार बदलने के बाद शीर्ष अफसर बदले नहीं गए हैं। खास बात यह है कि कलेक्टर जनमेजय महोबे, एसपी अभिषेक पल्लव, डीएफओ चूड़ामणि सिंह, और जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल की पोस्टिंग भूपेश सरकार ने की थी। तब से अब तक ये सभी बने हुए हैं।
भाजपा की सरकार आई, तो ज्यादातर जिलों के कलेक्टर, एसपी, और अन्य प्रमुख पदों पर बैठे अफसर बदल चुके हैं, लेकिन चारों को बदला नहीं गया है। कलेक्टर मोहबे और डीएफओ चूड़ामणि सिंह को तो दो साल से अधिक हो गए हैं। डीएफओ के खिलाफ भाजपा ने चुनाव से पहले शिकायत भी की थी, लेकिन पार्टी की सरकार बनने के बाद उन्हें भी बदला नहीं गया है।
बताते हैं कि ये अफसर चुनाव के दौरान पूरी तरह निष्पक्ष रहे, और बिना किसी के दबाव में आए काम करते रहे। यही वजह है कि सत्ता परिवर्तन होने पर भी इन सभी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
एक बैच के पड़ोसी
दुर्ग संभाग के तीन जिले दुर्ग, राजनांदगांव, और कवर्धा में एसपी के पद पर एक ही बैच के अफसर काबिज हैं। दिलचस्प बात यह है कि आईपीएस के 2013 बैच के ये तीनों अफसर एक-दूसरे के जिले में काम कर चुके हैं। मसलन, दुर्ग एसपी जितेन्द्र शुक्ला, राजनांदगांव एसपी रह चुके हैं।
शुक्ला की साख अच्छी है, और राजनांदगांव में बहुत कम समय में अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। वो बिना किसी दबाव में आए काम करने के लिए जाने जाते हैं। उनके बैचमेट राजनांदगांव एसपी मोहित गर्ग पहले कवर्धा एसपी रह चुके हैं। मोहित बलरामपुर एसपी रह चुके हैं। उस समय उनकी स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह से ठन गई थी। इसके बाद उनका तबादला हुआ था। इसी बैच के कवर्धा एसपी अभिषेक पल्लव पहले दुर्ग एसपी रह चुके हैं। वो कई तरह की चर्चाओं में रहे, लेकिन वो गृहमंत्री विजय शर्मा के गृह जिले कवर्धा की कमान संभाले हुए हैं।
इतना बड़ा अफसर
तेईस जनवरी को आदेश के एक माह बाद भी आईएएस अफसर पुष्पा साहू माशिमं के सचिव का काम शुरू नहीं कर पाई हैं। आदेश जारी होने, नए अफसर की ज्वाइनिंग के बाद भी माशिमं के प्रोफेसर सचिव ने कार्यभार नहीं दिया है और परीक्षा जैसा गोपनीय कार्य कर रहे हैं। इस पर आईएएस अध्यक्ष भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं । यानी एसीएस स्तर के अध्यक्ष से बड़े हो गए हैं, प्रोफेसर सचिव । दस दिन बाद परीक्षाएं शुरू होनी हैं। ऐसे में परंपरा अनुसार प्रश्न पत्र लीक,नंबर बढ़ाने की कवायद, फेल को पूरक और पूरक को पास करने जैसे तरह तरह के उपक्रम शुरू होने की चर्चाएं मंडल के मातहत करने लगे हैं । यह भी कहा जा रहा है कि पिछली सरकार को जब प्रोफेसर साहब ने सेट कर लिया था । और तो और, इन पर उंगली उठाने वाली सभी समितियों को इन्होंने भंग भी कर दिया है। इसलिए कहा जा रहा है कि आईएएस से बड़े होते हैं प्रोफेसर।
गौ माताओं को चारे का इंतजार
छत्तीसगढ़ की सियासत में पिछली सरकार की गौठान योजना हावी रही। कांग्रेस के पूरे शासनकाल के दौरान भाजपा ने विधानसभा और उसके बाहर गौठान और गोबर खरीदी में घोटाले को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया था। तब बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया कि जितना बजट खर्च किया गया, उसके अनुसार एक गाय पर खर्च 39.80 लाख तक खर्च हुआ। मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि समितियों से 246 करोड़ का गोबर खरीदा गया लेकिन सरकार ने बेचा सिर्फ 17 करोड़ का। तत्कालीन विधायक सौरभ सिंह ने सवाल किया कि बाकी 229 करोड़ का गोबर कहां गया?
भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान गौशालाओं में गायों की मौत की कई घटनाएं सामने आई थीं। इनके संचालक भाजपा कार्यकर्ता थे, यह भी बात सामने आई थी। एक चर्चित मामला अगस्त 2017 का था, जिसमें भाजपा नेता हरीश वर्मा की गौशालाओं में 300 गायों की मौत हुई थी। अनुदान के नाम पर अलग-अलग चरणों में तीन गौशालाओं को 165 करोड़ रुपये का फंड मिला था। खुद गौसेवा आयोग ने तब एफआईआर कराई थी।
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जगह-जगह से खबरें आ रही हैं कि वहां काम कर रही स्व-सहायता समूहों का काम ठप हो गया है। गौठानों में चारा भी नहीं है, गायों की स्थिति बदहाल है। एक खबर रायगढ़ से है कि यहां नगर-निगम द्वारा संचालित आदर्श गौठान में मौजूद करीब 150 गाय चारे के अभाव में कमजोर हो चुके हैं, मरणासन्न स्थिति में हैं। कई की मौत हो चुकी है। नगर-निगम के अधिकारी साफ कर रहे हैं कि चारे के लिए बजट नहीं है।
कुछ दिन पहले राजधानी के पास कुम्हारी में गौ तस्करी का मामला पकड़ा गया। कंटेनर में 80 गाय ले जाए जा रहे थे, इनमें से 13 गायों की मौत हो चुकी थी। कांग्रेस ने विधानसभा में इस मामले को उठाया और आरोप लगाया कि कांग्रेस की गौठान योजना की आलोचना करने वाली भाजपा सरकार गायों के प्रति संवेदनहीन है।
पिछले महीने जनवरी में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कोरबा प्रवास के दौरान कहा था कि गौठान बंद नहीं होंगे। इनमें गायों को चारा-पानी देने के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है। गौठान से सार्वजनिक उपक्रमों को जोड़ा जाएगा और ये ग्रामीणों के उत्थान का मार्ग बनेंगे। मगर यह कौन सा मॉडल होगा, कैसे संचालन होगा, यह गौठान चलाने वाली किसी समिति के सामने अब तक साफ नहीं है। फिलहाल सोसायटी से जुड़े लोग हाथ बांधकर बैठे हैं और गायों को चारा-पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।
रिश्वत की सबसे छोटी रकम...
महतारी वंदन योजना के फॉर्म को प्रमाणित करने के लिए रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होने के बाद रिसाली नगर निगम के वार्ड 15 की कांग्रेस पार्षद ईश्वरी साहू को एमआईसी से हटा दिया गया है। वे महिला बाल विकास विभाग की प्रभारी थीं। भाजपा पार्षद इस मामले में और आगे ले जा चुके हैं। उन्होंने नगर निगम आयुक्त से पार्षद की बर्खास्तगी की मांग की है। पार्षद यह कहते हुए पाई गईं कि सुबह से शाम तक वह परिश्रम करती हैं तो 20-20 रुपये लेकर क्या गलत कर रही हैं। यही बात चौंकाने की है कि पद तो जनसेवा का है लेकिन वह मेहनत के बदले मेहनताना की अपेक्षा रखती हैं। फॉर्म पर दस्तखत लेने वाले ज्यादातर लोग गरीब तबके के होंगे, फिर भी 20 रुपये इतनी छोटी राशि से उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा। उनकी आर्थिक स्थिति को समझते हुए ही शायद पार्षद ने दस्तखत की दर इतनी कम रखी। ऐसे कई वार्ड हैं जिनमें चुनाव जीतने के लिए लाखों रुपये खर्च होना आम बात है। इस राशि से तो शायद रोज के चाय-पानी का जेब खर्च भी पूरा न हो। मगर, बात सामने आ गई और सवाल नैतिकता का खड़ा हो गया। कहावत है, पकड़ा गया तो..., नहीं तो साहूकार। ([email protected])
कलेक्टर की फर्जी प्रोफाइल
सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़ा करने वालों ने इस बार मुंगेली कलेक्टर राहुल देव को निशाना बनाया। उनकी फेसबुक प्रोफाइल से एक फोटो और डिटेल निकालकर ठगों ने एक फर्जी पेज बना लिया। इस फर्जी पेज में उनके पारिवारिक फोटो, सार्वजनिक कार्यक्रमों की तस्वीर, सब अपलोड किए गए। कलेक्टर के फेसबुक मित्रों को मेसैंजर से मेसैज भेजकर रुपयों की मांग की जाने लगी। किसी परिचित ने कलेक्टर से पूछा कि क्या आप फेसबुक पर मेसैज भेजकर पैसे मांग रहे हैं? कलेक्टर हैरान रह गए। उन्होंने फिलहाल अपने असली फेसबुक पेज को लॉक कर दिया है। पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी गई है। मगर, प्राय: ऐसी करतूत करने वाले जल्दी पकड़ में आते नहीं हैं। पिछली कुछ घटनाओं से तो यही लगता है। आप भी सतर्क रहिये। यदि कोई आईएएस, आईपीएस या और कोई अफसर किसी सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये रकम मांग रहा हो तो मानकर चलें कि यह काम फर्जी आईडी बनाकर कोई ठग ही कर रहा है।
चावल घोटाला घटकर एक तिहाई
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राशन के वितरण में गड़बड़ी का खुलासा पिछले साल कैग की रिपोर्ट में किया गया था। इसमें 600 करोड़ रुपये के घोटाले का आकलन किया गया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस लेकर मामले को सबसे पहले उठाया और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। इसके बाद धरमलाल कौशिक सहित कई भाजपा विधायकों ने विधानसभा में सवाल भी किए। तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने भी माना कि गड़बड़ी हुई है। जांच कराई जा रही है। फरवरी 2023 में मामला उठा था, मार्च 2023 तक राशन दुकानों का सत्यापन पूरा करने की बात थी। पर हुआ नहीं। अलबत्ता कई दुकानों को निलंबित करने और एफआईआर की कार्रवाई हुई। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इस बार विधानसभा में यह मामला फिर उठा। तब सदस्यों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि आसंदी के निर्देश के बाद भी जांच नहीं हुई। मगर, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने सवालों के जवाब में बताया कि गड़बड़ी 216 करोड़ की हुई है। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधायकों की समिति मामले की जांच करेगी।
यहां पर सवाल यह उठ रहा है कि जब कैग की रिपोर्ट में गड़बड़ी 600 करोड़ की बताई गई तो यह गड़बड़ी घटकर 216 करोड़ की कैसे हो गई। क्या राशन दुकानों में स्टॉक फिर से वापस लाकर रख दिया गया? यह सवाल हमारा नहीं है- छत्तीसगढ़ खाद्य अधिकारी कर्मचारी संघ का है। संघ का कहना है कि कागजों में लीपापोती कर घोटाले को दबाने की कोशिश की जा रही है। उनकी मांग यह भी है कि यदि सचमुच बिना भेदभाव जांच होनी है तो केवल राशन दुकानदारों की गर्दन नहीं पकड़ी जाए बल्कि उस दौरान पदस्थ सभी संचालकों से भी पूछताछ की जानी चाहिए।
एक साथ दिखे कई वनभैंसा
छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसा की संख्या लगातार घट रही है। कृत्रिम गर्भाधान के जरिये इनकी संख्या बढ़ाने की कोशिश भी सफल नहीं हुई। ऐसे में नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में करीब 15 वनभैंसों के होने की पुष्टि हुई है। वन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरों में कुछ कैद भी हुए हैं। इतनी संख्या में भैंसों की मौजूदगी पाकर वन विभाग ने इनकी जिओ मैपिंग कराने का निर्णय लिया है ताकि इनके ठिकानों की सटीक जानकारी रखी जा सके। इंद्रावती रिजर्व के अलावा उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व ही दूसरा वन क्षेत्र है, जहां वनभैंसों के होने की पुष्टि अब तक हुई है।
- 18 फरवरी : प्लूटो की खोज का दिन
- नयी दिल्ली, 18 फरवरी। हर दिन कुछ नया करने और कुछ अनोखा खोजने के इच्छुक लोगों की दुनिया में कमी नहीं है। 18 फरवरी 1930 को ऐसे ही एक जिज्ञासु अमेरिकी वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबा ने एक बौने ग्रह की खोज की थी। पहले इसे ग्रह मान लिया गया था, लेकिन बाद में इसे ग्रहों के परिवार से बाहर कर दिया गया।
- इस ग्रह का नाम रखने के लिए सुझाव मांगे गए तो 11वीं में पढ़ने वाली एक लड़की ने इसे प्लूटो नाम दिया। उसका कहना था कि रोम में अँधेरे के देवता को प्लूटो कहते हैं और इस ग्रह पर भी हमेशा अँधेरा रहता है, इसलिए इसका नाम प्लूटो रखा जाए। प्लूटो को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 248 साल लग जाते हैं।
- देश दुनिया के इतिहास में 18 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1836 : भारत के महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस उर्फ गदाधर चटर्जी का पश्चिम बंगाल के हुगली में जन्म।
- 1905 : शामजी कृष्णवर्मा ने लंदन में इंडिया होमरूल सोसायटी की स्थापना की।
- 1911 : डाक पहुँचाने के लिए पहली बार विमान का इस्तेमाल किया गया। एयर मेल की पहली आधिकारिक उड़ान इलाहाबाद में हुई और इसमें कुल 6500 पत्र नैनी ले जाए गए।
- 1930 : प्लूटो की खोज आज ही के दिन क्लाइड टॉमबा द्वारा की गई। इसे लंबे वक्त तक हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रह माना गया, लेकिन बाद में इससे ग्रह का दर्जा वापस ले लिया गया। 1965 : चीन द्वारा पाकिस्तान को 60 करोड़ डॉलर का ब्याजमुक्त कर्ज देने के समझौते पर दोनो देशों के प्रतिनिधियों ने कराची में दस्तख्त किए।
- 1979 : सहारा रेगिस्तान में हिमपात की अनूठी घटना हुई। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था और इसके बाद भी अब तक ऐसा फिर कभी नहीं हुआ।
- 1998 : सी. सुब्रह्मणयम को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। वह 1964 से 1966 के बीच भारत के कृषि मंत्री रहे। हरित क्रांति में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
- 2007 : दिल्ली से लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट से 68 लोगों की मौत।
- 2008 : पाकिस्तान में बरसों के सैनिक शासन के बाद हुए चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की 120 सीट पर जीत। नवाज शरीफ की पार्टी को 90 और निवर्तमान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की पार्टी को 51 सीटें मिलीं।
- 2014 : आंध्र प्रदेश का विभाजन करके तेलंगाना के रूप में देश के 29वें राज्य की स्थापना का प्रस्ताव लोकसभा में पारित।
- 2014 : यूक्रेन की राजधानी कीव में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में कम से कम 76 लोगों की मौत और सैंकड़ों लोग घायल। (भाषा)