राजपथ - जनपथ
कोयला तस्करी का आरोप गलत नहीं है...
खदान से कोयला तस्करी का वीडियो वायरल कर पूर्व आईएएस ओपी चौधरी फंस गए हैं। प्रारंभिक जांच के बाद वीडियो के फर्जी पाए जाने पर कोरबा पुलिस ने चौधरी के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया है। चौधरी की पहली प्रतिक्रिया आई, कि वीडियो पहले से वायरल था, जिसे उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट किया। यानी एक बात तो साफ हो गई कि चौधरी ने वीडियो की सत्यता को परखे बिना कोरबा के खदान से तस्करी होना बताया, और फिर इससे माहौल गरम हो गया।
बताते हैं कि वीडियो दो साल पुराना है, और यह धनबाद की कोयला खदान का है। जिसमें छेड़छाड़ कर कोरबा के खदान जैसा रूप देने की कोशिश की गई। लेकिन कोरबा की खदानों से 20 फीट नीचे से कोयला निकाला जाता है, और वीडियो इससे एकदम अलग है। खैर, पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, वास्तविकता सामने आएगी।
दूसरी तरफ, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, और पार्टी के बड़े नेताओं का साथ मिलने के बाद ओपी चौधरी के हौसले बुलंद हैं। रमन सिंह, धरमलाल कौशिक सहित कुछ अन्य नेताओं ने चौधरी के समर्थन में ट्वीट कर भूपेश सरकार की खिंचाई की है। पार्टी के उन नेताओं ने भी ओपी चौधरी के समर्थन में ट्वीट किया है कि जो कि चौधरी को नापसंद करते हैं।
कोयला खदानों से तस्करी आम है। इसको लेकर कई सालों से सदन से बाहर और भीतर मामला उठते भी रहा है। ऐसे में चौधरी कोयला तस्करी का आरोप लगा रहे हैं, तो वो गलत नहीं है। मगर यह सवाल जरूर उठ रहा है कि कोयला तस्करी साबित करने के लिए फर्जी वीडियो की जरूरत क्यों पड़ी। चाहे कुछ भी हो, चौधरी सुर्खियों में तो आ गए हैं।
राहुल ने प्रिंस की याद दिला दी
खुले बोरवेल में गिरने की पहली घटना जो देश भर में चर्चित रही, वह हरियाणा की थी। 23 जुलाई 2006 को 5 साल का प्रिंस दोस्तों के साथ खेलने के दौरान खुले बोरवेल के नीचे जा गिरा था। बोरवेल का मुंह बोरी के टुकड़े से बंधा था लेकिन वह खेल-खेल में उसके भीतर जा घुसी चुहिया को पकडऩे के दौरान फिसल कर नीचे जा गिरा। उस समय न्यूज़ चैनल का नया-नया क्रेज था। सारे चैनल बचाव कार्य की लाइव कवरेज कर रहे थे। दूरदर्शन भी पीछे नहीं था। लोग सांस बांधे घंटों टीवी पर बैठे हुए थे। कई लोगों ने खाना-पीना भी त्याग दिया। देश में जगह-जगह उसकी सलामती की प्रार्थनाएं होने लगी थी। सेना ने 50 घंटे की मशक्कत के बाद प्रिंस को बाहर निकाल लिया। एक मजदूर के बेटे प्रिंस की हिम्मत को दाद देते हुए सेलिब्रिटी और नेताओं ने उन्हें नगद राशि उपहार में भी दिए। सरकारी नौकरी का भी वादा किया गया। अब प्रिंस 21 साल का हो चुका है और हरियाणा के अपने गांव कुरुक्षेत्र जिले के गांव हल्देहाड़ी में रहता है। जो पैसे मिले थे, उससे उसका घर कच्चे की जगह पक्का हो गया, पर नौकरी नहीं मिली, बेरोजगार है। सेना में जाना चाहता है।
मालखरौदा के पिहरीद गांव में 11 साल के राहुल को लेकर भी पूरे छत्तीसगढ़ में इसी तरह लोगों की चिंता बनी हुई है। राज्य बनने के बाद किसी एक जान को बचाने के लिए अब तक का अब तक का सबसे बड़ा अभियान यहां चल रहा है।
बारिश के पहले की तैयारी
मॉनसून करीब आने पर सब अपनी-अपनी तैयारी कर रहे हैं। किसान खेतों को सुधारने, खाद की व्यवस्था में जुटा है, वह अपनी खपरैल छत सुधार रहा है। मेंटिनेंस के नाम पर बिजली कटौती हो रही है। शहरों में नालियां साफ हो रही हैं। बच्चों को 16 जून से स्कूल भेजना है, अभिभावक कॉपी, किताब और यूनिफॉर्म की व्यवस्था को लेकर चिंता में हैं। और खनिज विभाग का काम इस वक्त आंख मूंदकर बैठे रहना है। अवैध रेत खनन के चलते नदियों और पर्यावरण को हो रही गंभीर क्षति को लेकर कहीं कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जनवरी माह की एक समीक्षा बैठक में सीएम ने कहा था कि अवैध रेत खनन पर सख्ती बरतें। शिकायत मिली तो सीधे कलेक्टर, एसपी जिम्मेदार माने जायेंगे। इसके बाद प्रदेश भर में कुछ दिनों तक ताबड़तोड़ वाहनों की जब्ती की गई, जुर्माना ठोका गया। इसके रोजाना आंकड़े भी जारी किये जाते रहे। फिर सब अपने-अपने काम में पहले की तरह ही लौट आए।
सरकार ने 16 जून से रेत निकालने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश निकाला है। बारिश के चार महीने तक ये पाबंदी लागू रहेगी। पर, इस दौरान कंस्ट्रक्शन का काम तो रुकेगा नहीं। इसे देखते रेत माफिया आपूर्ति बनाए रखने के लिए दिन-रात खुदाई कर रहे हैं। नियम कायदों की कोई परवाह नहीं, कार्रवाई का खौफ भी नहीं। 2013 के गौण खनिज अधिनियम के अनुसार किसी पुल, राजमार्ग के 100 मीटर के दायरे में खनन नहीं हो सकता, किसी प्राकृतिक जल स्त्रोत, बांध या जलभराव के 50 मीटर के भीतर खुदाई नहीं हो सकती। नदी के तीन मीटर से अधिक बेड रॉक की गहराई के बाद खुदाई नहीं की जा सकती। तटों के तीन मीटर के दायरे में भी नहीं हो सकती। पर प्राय: इनमें से सभी नियमों का उल्लंघन हो रहा है। सभी बड़ी छोटी नदियों से ऐसी शिकायतें आ रही हैं। आवंटित रेत घाट से ही खुदाई करनी है, पर इसका भी पालन नहीं हो रहा है। जहां मर्जी वहां से रेत निकाली जा रही है। कलेक्टर, एसपी को जनवरी माह में दिए गए निर्देश का पालन होता नहीं दिख रहा। हो भी कैसे, रेत के कारोबार से जुड़े लोग या तो अपने इलाके के प्रभावशाली नेताओं के करीबी हैं या फिर उनका विभाग के अधिकारियों से सीधे संपर्क है। कोई भी सरकार हो, ये फलता-फूलता धंधा रहा है। बारिश से पहले निकालिए और मनमाने दाम पर बेचें।
कांग्रेस नेत्री का एक लुक..
छत्तीसगढ़ से हाल ही में राज्यसभा के लिए निर्वाचित सांसद रंजीता रंजन का एक अंदाज यह भी है। (सोशल मीडिया से)