राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बंगले बेचने के दिन..
20-Jun-2022 6:25 PM
	 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बंगले बेचने के दिन..

बंगले बेचने के दिन..

दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव का मौलश्री विहार स्थित बंगला बिक गया है। बंगले के खरीददार कोई और नहीं, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे हैं। ईमानदारी के पर्याय रहे रामचंद्र सिंहदेव ने बंगला 15 साल पहले खरीदा था। मौलश्री विहार में जनप्रतिनिधियों को हाऊसिंग बोर्ड ने बंगला बनाकर दिया था। चौबे, दिवंगत वित्त मंत्री के न सिर्फ पड़ोसी थे, बल्कि वो सिंहदेव के काफी भी करीब थे।

सिंहदेव ने बाकी जन प्रतिनिधियों की तरह बंगले में कोई नया कंस्ट्रक्शन नहीं कराया था। सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद वहां शिफ्ट हो गए थे। उनके गुजरने के बाद सिंहदेव का बंगला तकरीबन खंडहर हो चुका था, और यह उनकी भतीजी विधायक अंबिका सिंहदेव के आधिपत्य में था। अंबिका ने बिना ज्यादा मोल-भाव के चौबेजी को बंगला बेच दिया। चर्चा है कि चौबेजी ने इसके लिए करीब 45 लाख रुपए लोन लिए हैं, और बंगले की कीमत भी इसके आसपास बताई जा रही है।

दूसरी तरफ, पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने भी मौलश्री विहार स्थित अपना बंगला बेच दिया है। मूणतजी ने पड़ोस की दिवंगत नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा की जमीन भी खरीद ली थी, और नया स्वरूप दिया था। मूणत का बंगला पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के बंगले के सामने ही है। उन्होंने शहर से दूर होने के कारण मौलश्री विहार का बंगला बेचा है।  मूणत जी अब वे अपने विधानसभा क्षेत्र रायपुर पश्चिम के बीचों-बीच स्थित चौबे कॉलोनी में मकान लेकर शिफ्ट हो रहे हैं।

हवा से हल्के सांसद

वैसे तो प्रदेश में सरोज पाण्डेय को मिलाकर भाजपा के 11 सांसद हैं। इनमें से रेणुका सिंह केन्द्रीय मंत्री हैं। लेकिन सरोज को छोड़ दें, तो बाकी सांसदों की दिल्ली दरबार में कोई पकड़ नहीं दिखती है। पार्टी के सीनियर विधायकों की स्थिति सांसदों से बेहतर है। न सिर्फ दिल्ली बल्कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के सांसदों का भी यही हाल है।

मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव चल रहे हैं, और वहां सबसे ज्यादा करीब साढ़े 5 लाख वोटों से जीतकर इंदौर के सांसद बने शंकर लालवानी का हाल यह है कि वो इंदौर नगर निगम के 90 वार्डों में से सिर्फ अपने मोहल्ले से ही टिकट दिला पाए। बाकी वार्डों में कैलाश विजयवर्गीय, या उनके करीबी लोगों के समर्थकों को प्रत्याशी बनाया गया है।

लालवानी ने दिल्ली दरबार में गुहार लगाई, तो उन्हें स्थानीय नेताओं से बात करनेे के लिए कह दिया गया। लालवानी से थोड़ी बेहतर स्थिति छत्तीसगढ़ के सांसद सुनील सोनी, और विजय बघेल की मानी जा सकती है, जिनकी संगठन में ज्यादा पकड़ भले ही न हो, लेकिन बीरगांव, और भिलाई-चरौदा निकाय में कुछ समर्थकों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे।

अपनी हैसियत ध्यान में रखें

इन दिनों टेक्नालॉजी इतनी आगे बढ़ गई है कि लोग वॉट्सऐप पर एक-दूसरे से बात करते हुए किसी सामान का जिक्र करें, तो वॉट्सऐप के मालिक की दूसरी कंपनी फेसबुक के पेज पर उसी का इश्तहार देखने मिलने लगता है। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि वे फोन पर भी किसी से बातचीत में किसी सामान का जिक्र करते हैं, तो उन्हें कम्प्यूटर पर उसी सामान के इश्तहार दिखने लगते हैं।

अब इस अखबारनवीस को चार दिन सर्दी-बुखार हो गया, तो उसे वॉट्सऐप पर यह संदेश आ गया कि उसे घर से काम करने लायक छांटा गया है, और अब वह बीस हजार रूपए प्रतिदिन के काम के लिए नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकता है।

अब घरेलू बुखार की भी खबर अगर इंटरनेट पर धोखा देने वाले और जालसाजों को मिलने लगी है, तो लोग इससे बचकर कहां जाएं? फिलहाल तो जिन लोगों को ऐसे संदेश मिल रहे हैं, वे सावधान रहें, अभी बीस हजार रूपए रोज घर बैठे पाने की हैसियत इस देश के एक फीसदी लोगों की भी नहीं है, लाख में से एक की भी नहीं है, इसलिए जालसाजी का शिकार न बनें, अपनी हैसियत ध्यान में रखें, और दो-चार सौ रूपए रोज के अपने मौजूदा काम को लात न मारें।

नक्सल मुक्त कोंडागांव में हत्या...

केंद्र सरकार ने इसी साल अप्रैल महीने में बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले को नक्सल मुक्त घोषित किया था। इसके पीछे वजह यह थी कि 2022 के बीते 5 महीनों में एक भी नक्सल हमला नहीं हुआ। सन 2021 में जरूर कुछ छोटी घटनाएं सामने आई थी। जिले के प्रत्येक गांव तक पुलिस और प्रशासन की पहुंच हो चुकी है। मोबाइल टावरों का जाल कुछ इस तरह से फैला दिया गया है कि नक्सली मूवमेंट की जानकारी को पुलिस तक पहुंचाने के लिए किसी को सामने आने की जरूरत नहीं पड़ती।

पर अभी दो दिन पहले ही मर्दापाल इलाके में एक ग्रामीण की नक्सलियों ने हत्या कर दी। उस पर मुखबिरी का संदेह था।

केंद्र सरकार ने सन् 2017 में एक लेफ्ट विंग एक्सटेंशन (एलडब्ल्यूई) योजना शुरू की, जिसके तहत देशभर के ऐसे जिलों को चिंहित कर नक्सल मुक्त घोषित करना है,जहां विकास कार्यों और प्रशासन की पहुंच के चलते नक्सलियों के पैर उखड़ रहे हैं। लेकिन यह अजीब बात कही जा सकती है कि जैसे ही कोई इलाका नक्सलमुक्त घोषित किया जाता है, वहां पर सडक़, स्कूल, पुल-पुलिया के लिए दिया जाने वाला विशेष अनुदान बंद कर दिया जाता है। यह राशि करोड़ों रुपये की होती है। बहुत से लोगों का मानना है कि नक्सली गतिविधियों के कम हो जाने से तुरंत या कुछ महीनों में यह धारणा बनाना सही नहीं है कि नक्सली वहां से पलायन कर गए। मौके का इंतजार कर वे फिर पुलिस या सरकार के विरुद्ध अपनी गतिविधियों को संचालित कर सकते हैं, जैसा मर्दापाल में हुआ। ऐसी स्थितियों में तत्काल ईडब्ल्यूआई योजना के तहत मिलने वाली विशेष सहायता बंद कर दी जाए, यह भी ठीक नहीं। नक्सल गतिविधि कम होती है तो स्कूल, अस्पताल, सडक़ पुल-पुलिया, संचार के बचे कामों को और तेजी से चलाकर आगे की घटनाओं को रोका जा सकता है। 

बिना मरहम दर्द दूर करने का तरीका

देश में कुछ दिन पहले तक पेट्रोल-डीजल के दाम बढऩे पर तूफान मचा था। अब वह बात गए दिनों की हो चुकी। चर्चा का विषय इसकी कीमत से शिफ्ट होकर उपलब्धता की ओर चली गई है। लोग घर से निकलते हुए मना रहे हैं कि रास्ते में पेट्रोल-डीजल मिल जाए, पंप ड्राई न मिले।

बीते कुछ महीनों से कोरोना का संक्रमण होने के बावजूद रेलवे ने दुबारा रियायती टिकट का नियम लागू नहीं किया और न ही जनरल डिब्बों में कम खर्च में सफर की सुविधा दी। छोटे स्टेशनों पर स्टापेज बंद कर दिया। इसे लेकर लोग भारी परेशान थे, आंदोलन कर रहे थे। लोग रियायती टिकट और एमएसटी को बंद करने का विरोध दर्ज करा ही रहे थे कि अचानक दर्जनों यात्री ट्रेनों का परिचालन पावर संयंत्रों को कोयले की तेज सप्लाई के नाम पर बंद कर दिया गया। लोग कुछ राहत पाने की उम्मीद में बैठे ही थे कि अब ट्रेनों का विलंब से चलना एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ गई। लोग यह मना रहे हैं कि जितनी भी ट्रेनेंचल रही हैं, कम से कम वे तो समय से चलें।

हाल में बेरोजगारी को लेकर आंकड़े आए थे, जिसमें यह पता चला कि कई राज्यों की स्थिति भयावह है। लोग लाखों रिक्त पदों पर भर्ती की मांग कर रहे थे। यूपी बिहार में कुछ ही महीने पहले आंदोलन भी हुए, पर इस बीच केंद्र सरकार बेरोजगारी दूर करने की अग्निपथ स्कीम लेकर आ गई। सेना में चार साल की भर्ती का स्कीम ला दिया। देश के दस से अधिक राज्यों में युवाओं ने इसके खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और विपक्ष ने भारत बंद का आह्वान किया।

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