राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कलेक्टर के जाने पर खुशियाँ !
06-Jul-2022 5:37 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कलेक्टर के जाने पर खुशियाँ !

कलेक्टर के जाने पर खुशियाँ !

पिछले दिनों डेढ़ दर्जन से अधिक कलेक्टर इधर से उधर हुए। कुछ के तबादले पर तो निराशा जताई गई, तो एक-दो ऐसे भी थे जिनके तबादले पर पीडि़त लोगों ने राहत की सांस ली, और खुशियां मनाई। इन्हीं में से एक रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह भी हैं, जिनके तबादले पर मजदूरों ने बकायदा मिठाई बांटकर अपनी खुशियों का इजहार किया। सरकार के रणनीतिकार भीम सिंह को एक बेहतर अफसर मानते रहे हैं,  लेकिन जब उनके तबादले पर खुशियां मनाने की खबरें आई, तो वे हतप्रभ रह गए।

हाल के दिनों में रायगढ़ कई मामलों में कुख्यात रहा है। प्रदेश में धान खरीदी-मिलिंग का काम बेहतर ढंग से चला। मगर रायगढ़ में धान खरीद-मिलिंग में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ। चर्चा है कि प्रशासनिक लोगों के साथ-साथ फर्जीवाड़े में शामिल लोग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए थे, इसलिए यह ज्यादा तूल पकड़ नहीं पाया। इसी तरह वैक्सीनेशन अभियान में भी गड़बड़ी पकड़ी गई थी। इस पर तत्कालीन हेल्थ सेके्रटरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में नाराजगी जताई थी।

रायगढ़ की तरह सालभर पहले गरियाबंद कलेक्टर छतर सिंह डेहरे रिटायर हुए, तो वहां के अफसर-कर्मियों ने भी इसी तरह की खुशियां मनाई थी। उन्होंने विदाई पार्टी तक नहीं दी। डेहरे को लेकर कई तरह की शिकायतें मंत्रालय तक पहुंची थी। प्रशासनिक अफसरों से अपेक्षा रहती है कि वो आम लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए पहल करे, लेकिन ऐसा नहीं होने पर लोग ताना देने से पीछे नहीं रहते हैं।

चौबेजी वैसे तो अच्छे हैं पर...

संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे को काबिल नेता माना जाता है। मगर मंत्री के तौर पर वे बाकी मंत्रियों की तुलना में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। चौबे के विभागों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आ रही है। खाद को लेकर पहले कभी इतनी समस्या नहीं रही, जितनी पिछले दो-तीन साल से हो रही है। अमानक बीज के मामले में कंपनी पर कार्रवाई की घोषणा के बावजूद भुगतान करने के मामले में विधानसभा के पिछले सत्र में विपक्षी सदस्यों ने उन्हें घेर लिया था, तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने हस्तक्षेप कर कमेटी बनाकर जांच की घोषणा कराने का आदेश दिया। यह पहला मौका था जब विधानसभा अध्यक्ष को जांच के लिए सीधे दखल देना पड़ा।

रायपुर कृषि उपज मंडी की जमीन पर जैम-ज्वेलरी पार्क योजना तैयार की गई थी, लेकिन इसमें इतना पेंच फंसा कि यह मामला खटाई में पड़ गया। कहा जा रहा है कि चौबे ने प्रकरण को ठीक से हैंडल नहीं किया। इस वजह से प्रशासनिक अड़चनें बढ़ती गई, और प्रकरण कोर्ट में चला गया। भूपेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। चौबे को लेकर एक शिकायत यह भी है कि वो रायपुर जिले के प्रभारी मंत्री हैं, लेकिन वो पिछले तीन महीने से एक भी बैठक नहीं ली। जबकि यहां नवा रायपुर से लेकर पुराने रायपुर में कई तरह की समस्याएं हैं। समस्याओं का निराकरण नहीं होगा, तो कार्यक्षमता पर सवाल उठेंगे ही।

इतना किफायती भी नहीं होगा खाना

होटलों में सर्विस टैक्स लेने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने रोक लगा दी है। वैसे अप्रैल सन् 2017 में भी इस तरह की गाइडलाइन जारी की गई थी कि उपभोक्ता चाहे तो सर्विस टैक्स दे, चाहे तो न दे। पर हर बड़ा रेस्तरां सर्विस टैक्स जोडक़र ही बिल थमाता था और लोग देते थे। अभी भी प्राधिकरण का सिर्फ दिशानिर्देश है, कानून के रूप में नहीं आया है। फिर भी अब सर्विस टैक्स जोडक़र बिल देने पर इसी आदेश के हवाले से उपभोक्ता आपत्ति कर सकता है।

दरअसल, सर्विस टैक्स न तो केंद्र सरकार के खजाने में जाता है, न ही राज्य के। नेशनल रेस्टारेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से एक बयान पहले आया था कि सर्विस टैक्स ग्राहकों को दी जाने वाली सेवा के एवज में लिया जाता है और इसका वितरण वेटर और रसोई के स्टाफ के बीच किया जाता है। यह कुछ अजीब सा तर्क था, क्योंकि जिस सब्जी, दाल, रोटी का भुगतान ग्राहक करता है, वह क्या है?

जिन होटलों की बात हो रही है, वहां शायद ही कोई मोल-भाव करता हो, बिल पर सवाल उठाता हो। ऐसे में सर्विस टैक्स नहीं भी लिया जाए तब भी कुछ बिगडऩे वाला नहीं है। लोग परिवार और दोस्तों के साथ ही ऐसे होटल में जाते हैं। जेब ढीला करने के मूड में ही पहुंचते हैं। बिल पर सरसरी नजर डालते हैं, आपत्ति नहीं करते, साथ ही वेटर को टिप भी देते हैं। सर्विस टैक्स की भरपाई रेट बढ़ा देने से भी हो जाएगी। चर्चा तो इस पर होनी चाहिए कि एक हजार रुपये से कम किराये वाले होटल रूम पर भी अब जीएसटी लागू कर दिया गया है। किफायत के साथ यात्रा पर निकलने वालों पर यह बड़ा बोझ लद गया। वैसे सर्विस टैक्स को लेकर शिकायत हो तो हेल्पलाइन नंबर 1915 याद रखिए।

ये हुई न बात..

कोरबा के नए कलेक्टर संजीव झा वहां के विधायक, प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल से मिलने उनके घर पहुंचे। मुलाकात का अंदाज कुछ ऐसा रहा कि लगा सब पटरी पर आ चुका है। पहले वाली बात गई।

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