राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चढ़ावे से परेशान
12-Jul-2022 5:32 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चढ़ावे से परेशान

चढ़ावे से परेशान

सरकार के एक बोर्ड में करीब आधा दर्जन इंजीनियर प्रमोशन पाने के बाद पोस्टिंग के लिए यहां-वहां मत्था टेक रहे हैं। पहले प्रमोशन के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े, और प्रमोशन हुआ तो छह माह बाद भी पोस्टिंग ऑर्डर नहीं निकला।

चर्चा है कि इंजीनियरों ने प्रमोशन-पोस्टिंग के लिए एक राय होकर चढ़ावा चढ़ाया था। निर्माण कार्य तो बंद था इसलिए चढ़ावे के लिए कर्ज लेना पड़ा। अब पोस्टिंग के लिए अलग से चढ़ावे की डिमांड आ गई है। इससे इंजीनियर परेशान हैं।

खाली कुर्सी से भी फर्क नहीं

रेरा के सदस्य एनके असवाल का कार्यकाल खत्म होने के बाद नई नियुक्ति नहीं हुई है। पहले रेरा चेयरमैन विवेक ढांड ने सरकार को चि_ी लिखकर रेरा सदस्य की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया था, लेकिन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। चूंकि अब रेरा में बहुत ज्यादा प्रकरण नहीं है, इसलिए एक और सदस्य की नियुक्ति की तत्काल कोई संभावना नहीं दिख रही है।

बताते हैं कि असवाल करीब एक साल व्यक्तिगत कारणों से दफ्तर नहीं आ पाए थे। बावजूद इसके रेरा के काम में कोई अवरोध नहीं आया। चेयरमैन ढांड और सदस्य आरके टम्टा मिलकर नियमित प्रकरणों की सुनवाई करते रहे हैं। कहा जा रहा है कि सौ के आसपास ही प्रकरण बचे हैं, ऐसे में और सदस्य की नियुक्ति जरूरत भी नहीं रह गई है।

कोयला, और कोयला, मुनाफा और मुनाफा

रेलवे को सर्वाधिक कमाई देने वाले बिलासपुर जोन में 72 घंटे से ज्यादा वक्त गुजारने के बावजूद बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) विनय त्रिपाठी मीडिया और जनप्रतिनिधियों से भागते रहे। बिलासपुर मुख्यालय है और यहां चूंकि उनकी अधिकारियों के साथ बैठक भी तय थी तो यहां के सांसद, विधायक किसी तरह मिलने में कामयाब हो गए। पर, यहां सामान्य शिष्टाचार का पालन नहीं किया गया और उनके साथ बैठकर इत्मीनान से बात कराना यहां के अधिकारियों ने और खुद चेयरमैन ने जरूरी नहीं समझा। जबकि यहां अफसरों के साथ डिनर, लंच में काफी रुपये और वक्त खर्च किया गया। बिलासपुर जिले के सांसद और दोनों कांग्रेस विधायक ज्ञापन देकर, अपनी बात रखने में कामयाब हो गए। पर, कोरबा में तो बहुत बुरा हुआ। विधायक और पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर, चेंबर के पदाधिकारी और कोरबा विकास समिति ने मिलने का वक्त मांगा। नहीं मिला तो विरोध में लाल-काला झंडा लेकर उस पटरी पर बैठ गए, जहां से बोर्ड चेयरमैन की आलीशान सैलून गुजरने वाली थी। आरपीएफ जवानों ने डीआरएम को आगे  किया, उन्होंने गेवरा हाउस में मुलाकात कराने का आश्वासन देकर पटरी से हटाया। कंवर और समिति के सदस्य गेवरा हाउस पहुंच गए। दो घंटे तक बोर्ड चेयरमैन की प्रतीक्षा करते रहे लेकिन धोखा हो गया। चेयरमैन गेवरा हाउस पहुंचे ही नहीं, स्पेशल सैलून छोडक़र, निरीक्षण करने के नाम पर दूसरी स्पेशल ट्रेन में बिना मिले बिलासपुर बढ़ गए। तस्वीर में दिखाई दे रहा है कि वे कितनी हड़बड़ी में यहां से निकल रहे हैं।

जिनसे वे बचे  वे उसी कोरबा जिले के जनप्रतिनिधि हैं जहां एशिया का सबसे बड़ा गेवरा कोयला खदान है। रेलवे को अगर रिकार्ड मुनाफा होता है तो कोरबा जिले का उसमें बड़ा योगदान है। फिर कंवर तो उसी पार्टी के विधायक हैं, जिसकी केंद्र में सरकार है। उनको केंद्र के किसी अधिकारी से मिलने के लिए धरना देने की नौबत आए, हद है!

रेलवे की सर्विस किसी उद्योगपति की प्राइवेट कंपनी तो है नहीं, यह केंद्र सरकार का उपक्रम है। फिर भी पूरे दौरे में सीआरबी का रुख ऐसा रहा कि वे किसी जनप्रतिनिधि को सुनने के लिए राजी नहीं हैं। वे सिर्फ कोयले के लदान और परिवहन को समझने और ज्यादा मुनाफे की चिंता लेकर आए हैं।

चर्चा यह भी है कि रेलवे जोन के अधिकारी भी यही चाहते थे कि जनता के नुमाइंदे चेयरमैन से दूर-दूर रहें ताकि कोई उनके तौर-तरीकों पर ही सवाल खड़े न कर दें।

इसके पहले के कई रेलवे बोर्ड चेयरमैन आए, उन्होंने मीडिया के लिए अलग से वक्त तय किया। प्रेस-कांफ्रेंस होती रही, पर बाद में रेलवे का मीडिया विभाग अभ्यस्त हो गया। वह अब जान चुका है कि सवाल-जवाब से पैदा होने वाली असहज स्थिति से बचना ही बेहतर है। ज्यादातर अख़बार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उनके प्रेस नोट को बिना प्रश्नचिन्ह लगाए, जैसा है- वैसा ले लेते हैं और उनको यही चाहिए।

सब मालूम था सीआरबी को?

चेयरमैन, रेलवे बोर्ड से सबसे पहले संसदीय सचिव व कांग्रेस विधायक रश्मि सिंह ने मुलाकात की। बिलासपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले कमोबेश सभी जनप्रतिनिधि साथ थे। मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष आदि। सांसद अरुण साव भी मिले तो उनके साथ बीजेपी विधायक थे। सब ने जब समस्याएं, जरूरतों की तरफ ध्यान खींचा तो लग रहा था कि चेयरमैन को सब पहले से मालूम है। स्थानीय अधिकारियों ने शायद बता दिया था कि क्या बात होने वाली है। रश्मि सिंह ने छोटे स्टेशनों पर स्टापेज बंद करने और ट्रेनों को रद्द करने से हो रही दिक्कत की तरफ ध्यान खींचा। कहा कि इससे छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। सांसद ने इंटरसिटी एक्सप्रेस, बुधवारी के व्यापारियों और आवागमन की सुविधाओं की बात की। चेयरमैन किसी भी सवाल पर चौंके नहीं, जैसा उन्हें सब पहले से पता है। उन्होंने सिर्फ आश्वासन दिया कि देखते हैं, करते हैं, जरूर इधर ध्यान देंगे, परीक्षण कराएंगे।

बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय कुछ अलग मिजाज से मिले। उन्हें यह आश्वासन मिल गया कि 16 जुलाई से रद्द ट्रेनों को बहाल किया जा रहा है। कुछ ट्रेनों को 11 जुलाई से शुरू कर रेलवे ने इसका संकेत दे दिया है। उम्मीद करनी चाहिए कि चेयरमैन अपनी बात पर कायम रहेंगे।

रेड विशेषज्ञ इंकम टैक्स इंस्पेक्टर..

इन दिनों हो रही आयकर छापों की चर्चा के बीच एक इंस्पेक्टर ने अपनी कमाई का अचूक नुस्खा शेयर किया। उसने बताया कि इसमें कोई जोखिम नहीं और वसूली भी पक्की है, बस थोड़ा रिसर्च करना पड़ता है। किसी बिजनेसमैन का रिसर्च करने के बाद उसे फोन लगाते हैं। कहते हैं- आपके पास इतने करोड़ की आमदनी का कोई हिसाब नहीं मिल रहा है। इन्वेस्टिगेशन टीम के टारगेट में हो, सब माल इधर-उधर कर दो, छापा पडऩे वाला है। यह कीमती जानकारी दी है, इसलिए मुझे मेरा हिस्सा पहुंचा दो। घबराया बिजनेसमैन माल समेटकर किसी ठिकाने में छिपा देता है। इंस्पेक्टर को भी उसका हिस्सा मिल जाता है, लेकिन छापा पड़ता नहीं। बिजनेसमैन फोन लगाकर इंस्पेक्टर को शिकायत करता है, आपने नाहक परेशान किया। छापा तो पड़ा नहीं। अब इंस्पेक्टर उसके सिर पर सवार हो जाता है। अरे, मैंने गुनाह कर दिया क्या, जो छापे को रुकवा दिया। इन्वेस्टिगेशन टीम तक बात कानों-कान पहुंचा दी थी कि तुमको खबर हो गई है, रेड मारने में कुछ नहीं मिलेगा। अब रेड नहीं चाहते हो तो कुछ रकम और भेजो, वरना तैयार रहो।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news