राजपथ - जनपथ
5 ही चालू हुई, बंद 77 का क्या होगा?
16 जुलाई की तारीख निकल गई और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी के त्रिपाठी का आश्वासन सही साबित नहीं हुआ। जन-प्रतिनिधियों को उन्होंने आश्वस्त किया था कि इसी तारीख से रद्द ट्रेनों को फिर से चालू कर दिया जाएगा, पर ऐसा हुआ नहीं। रेलवे की घोषणा के मुताबिक आज से कोरबा, बिलासपुर, रायपुर और इतवारी के लिए कुल पांच पैसेंजर ट्रेनों को चालू किया जा रहा है। मोटा हिसाब यह है कि करीब 77 ट्रेनों को अब भी पटरी पर नहीं लाया गया है। इनमें बड़ी संख्या पैसेंजर ट्रेनों की है। कल ही इस बात की तरफ ध्यान गया था कि दिल्ली के लिए सरगुजा से सीधी सुपर फास्ट तो शुरू हुई है, पर यहां से रद्द की गई पांच पैसेंजर ट्रेनों को अब तक चालू नहीं किया गया है। मुंबई-हावड़ा-कटनी रूट के कई ज्यादातर पैसेंजर ट्रेन अभी भी बंद हैं। सांसद, विधायकों ने सीआरबी से छोटे स्टेशनों में भी ठहराव देने की मांग रखी थी, उस पर भी लोगों को फैसले का इंतजार है। वैसे, बताया जा रहा है कि यात्री ट्रेनों को शुरू करने के पीछे जनप्रतिनिधियों का दबाव नहीं, गर्मी के बाद कोयले की खपत में कमी आने की वजह से है।
सुहाना धोखा
कर्ज की अर्जी मंजूर होने का यह सुहाना संदेश मोबाइल पर आया है, अब दिक्कत यही है कि इस अखबारनवीस ने ऐसी कोई अर्जी दी नहीं थी। ऐसे संदेशों पर क्लिक करते ही फोन के हैक हो जाने का पूरा खतरा रहता है। इसलिए तरह-तरह के ईनाम, महंगे मेहनताने या तनख्वाह वाली नौकरियों, या कर्ज मंजूर होने के संदेशों को खोलने के पहले कई बार सोच लें। लोगों के फोन और कम्प्यूटर पर घुसपैठ करने के लिए ऐसे कई स्पाइवेयर और वायरस मौजूद हैं। लोगों को याद रखना चाहिए कि जो बात जितनी अधिक सुहानी लग रही है, उसके झूठे होने का खतरा उतना ही बड़ा रहता है।
फंड पर केंद्रीय नियंत्रण....
केंद्रीय ग्रामीण विकास व समाज कल्याण मंत्री गिरिराज सिंह ने तीन दिन के कोरबा प्रवास के दौरान सबसे ज्यादा खोज-खबर गौठान योजना की ली। समीक्षा बैठक में जिला पंचायत सीईओ के स्पष्टीकरण से मंत्री संतुष्ट नहीं थे। सीईओ बता रहे थे कि यह पंचायतों का अधिकार है कि वह सीधे अपने एकाउंट में आई रकम को खर्च कर सकती है। इसे वे प्रस्ताव पारित कर गौठान जैसे कामों में लगा भी सकते हैं। मंत्री का यह भी सवाल था कि जब गौठानों में इतनी ज्यादा रकम लगाई जा रही है तो सडक़ों पर मवेशी क्यों घूम रहे हैं? वैसे भाजपा शासित यूपी और मध्यप्रदेश में भी मवेशियों के खुले घूमने के कारण किसानों की फसल बर्बाद होती है। यूपी में तो यह बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना हुआ था। यह इतना गंभीर मसला था कि प्रधानमंत्री मोदी को भी जनसभाओं में इस पर ठोस नीति बनाने की घोषणा करनी पड़ी। अब वहां छत्तीसगढ़ की तरह ही मेगा शेल्टर और गौ अभयारण्य बनाने की घोषणा की गई है। यही नहीं, वहां तो डीएम को आवारा पशुओं को पकडऩे के काम में लगाया गया है। याद होगा कि जब मनरेगा के मद से धान खरीदी केंद्रों में शेड बनाए जा रहे थे, तब उस पर केंद्र ने प्रतिबंध लगा दिया। 11 लाख प्रधानमंत्री आवास के लिए स्वीकृत केंद्र की राशि वापस जा चुकी है, क्योंकि राज्य ने मैचिंग ग्रांट नहीं दिया।
राज्य का केंद्र से टकराव इस बात का है कि जब 40 प्रतिशत राशि उसे लगानी पड़ रही है तो नाम प्रधानमंत्री का क्यों। केंद्र से आने वाली राशि को राज्य सरकार यहां की जरूरतों के हिसाब से खर्च करना चाहती है, पर केंद्र की बंदिशों ने ऐसा करने से रोक दिया है। डीएमएफ का मामला भी है। राज्य सरकार ने जिला न्यास समिति में प्रभारी मंत्रियों को अध्यक्ष बनाया था, केंद्र ने ऐसा करने से रोक दिया। अब कलेक्टर के हाथ में फंड है। मंत्री इसके चलते कितने लाचार हैं, यह कोरबा में कुछ दिनों पहले दिख ही गया था।
कोरबा में गिरिराज सिंह ने एक कहावत सुनाई- माल महाराज का, होली खेलै मिर्जा। यानि पैसा केंद्र का, फायदा उठा रही राज्य सरकार। मसला यही है कि राज्यों में खर्च होने वाली राशि का श्रेय केंद्र को कैसे मिले।
उफनते नाले के बीच करतब
यह कोई कसरत नहीं है, पर कसरत से कम जोखिम भरा नहीं है। बल्कि उससे अधिक है। बस्तर के कई गांव हाल की बारिश के कारण मुख्य मार्गों से कट गए हैं। यह महिला उफनते नाले पर बांस की बनी अस्थायी पुलिया को पार कर रही है।