राजपथ - जनपथ
दो कलेक्टरों के नाम पर ठगी
फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर पैसे मांगने के केस बढ़ते जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कई पुलिस अधिकारी इसका शिकार हो चुके हैं। इस बार एक साथ दो जिलों के कलेक्टरों के नाम पर प्रोफाइल बनाए गए हैं। सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार और बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के नाम। पर ये प्रोफाइल फेसबुक नहीं, वाट्सएप पर बनाए गए हैं। जो नंबर दिए गए हैं, वे अफसरों के हैं नहीं। लोग कलेक्टर समझकर चैट करते हैं और सामने वाला कुछ देर बाद पैसे की जरूरत बताने लगता है। दोनों कलेक्टरों ने खास तौर पर, एक मोबाइल नंबर को लेकर सावधान किया है। पुलिस इस नंबर को रखने वाले की तलाश रही है। जब आईएएस, आईपीएस का नाम इस्तेमाल करके फर्जीवाड़ा हो, तो ठगों के दुस्साहस का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ऐसे मेहरबान होंगे इंद्रदेव?
बलरामपुर जिले के कुछ गांवों में इन दिनों महिलाएं बर्तन लेकर घर-घर जा रही हैं। लोग उन्हें चना, चावल और पानी दान कर रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में अभी तक ठीक बारिश हो चुकी है। बस्तर में तो बाढ़ भी आई। पर 7-8 जिलों में पानी कम गिरा है। इनमें उत्तरी छत्तीसगढ़ का बलरामपुर जिला भी है। पूरे सरगुजा संभाग में सिंचाई सुविधा प्रदेश के 38 के मुकाबले काफी कम, 11 प्रतिशत है। बलरामपुर जिले में फसल वर्षा पर ही निर्भर है। इस बार कम पानी गिरने के कारण धान के पौधे झुलसने लगे हैं। इस हालत में छोटे किसानों को भय है कि खाने लायक अनाज भी पैदा होगा या उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा? ज्यादा रकबा वालों की चिंता है कि वे बैंक और साहूकार का कर्ज कैसे चुकाएंगे, जो उन्होंने फसल के लिए ले रखा है। इन सबके चलते पैदा हुए भय ने लोगों को टोटके या कहें अंधविश्वास की तरफ धकेल दिया है। यह बरसों से होता आ रहा है। लोग यज्ञ हवन कर, मेंढक-मेंढकी की शादी रचाकर भी उम्मीद रखते हैं कि इंद्रदेव प्रसन्न होंगे और बारिश होगी। पर, वास्तविकता यही है कि दुनिया सहित देशभर में पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता जा रहा है। कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा के हालात पहले से कहीं ज्यादा दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस विधायक को भाजपा की बधाई
छत्तीसगढ़ से दो कांग्रेस विधायकों ने विपक्ष के उम्मीदवार की जगह राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया। तुरंत बाद खबर तैरने लगी कि दोनों क्रास वोटिंग करने वाले विधायक आदिवासी वर्ग से हैं। इधर, पत्थलगांव विधायक रामपुकार सिंह को भाजपा के पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर धन्यवाद दे दिया। कहा- आपने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और पार्टी लाइन से बाहर जाकर वोट डाला।
विधायक रामपुकार सिंह ने तुरंत पत्रकारों से बात की और साफ किया कि मैंने पार्टी के निर्देश के मुताबिक यशवंत सिन्हा को ही वोट डाला। प्रतिक्रिया आते ही भाजपा फिर हमला करने में लग गई। देखा, विधायक ने प्रथम आदिवासी महिला प्रत्याशी को खुद आदिवासी होते हुए भी वोट नहीं दिया। 8 बार के विधायक रामपुकार सिंह की अपने समाज में बड़ी पकड़ है। वे तो नंदकुमार साय के परिवार के लोगों को भी स्थानीय चुनावों में पराजित कर चुके हैं। अब उन्हें लग रहा होगा कि भाजपा ने उसका मुंह खुलवा कर अगले चुनाव में उनके वोटों पर सेंध मारने के लिए कोई दांव तो नहीं खेला है?