राजपथ - जनपथ
प्रीतेश गांधी का खंडन
इस कॉलम में तीन अगस्त के अंक में ‘स्वागत में भी साजिश’ शीर्षक से भाजपा के एयरपोर्ट के एक स्वागत कार्यक्रम के बारे में लिखा गया था। इसमें यह लिखा गया था कि जब भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी रायपुर एयरपोर्ट पहुंचे तो कुछ लोगों ने यह कोशिश की कि वे ज्यादा लोगों से न मिल पाएं। इन्हीं में से एक प्रीतेश गांधी ने एयरपोर्ट पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके एंट्री टिकट का काऊंटर ही दो घंटे के लिए बंद करवा दिया। भाजपा नेताओं के मुताबिक प्रीतेश गांधी इंदौर एयरपोर्ट सलाहकार समिति के सदस्य हैं। भाजपा नेताओं के वॉट्सऐप ग्रुप में इस बारे में बड़ी नाराजगी से की गई बहुत सी पोस्ट इस अखबार को देखने मिली थी, और उसी आधार पर यह लिखा गया था।
इस बारे में प्रीतेश गांधी की ओर से कहा गया है कि यह असत्य और निराधार जानकारी है और इससे उनके मान-सम्मान को आघात पहुंचा है।
उनके खिलाफ आरोपों वाले बहुत से वॉट्सऐप संदेश इस अखबार को भी मिले हैं, लेकिन हम यहां प्रीतेश गांधी का पक्ष भी छाप रहे हैं, जिन्होंने इन सारे आरोपों को झूठ और द्वेषपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि उनके बारे में लिखी गई बातें सच नहीं है। इस प्रकाशन से अगर उनके सम्मान को कोई ठेस पहुंची है, तो उसका हमें खेद है। -संपादक
खेती की बढ़ती लागत पर क्या?
केंद्र सरकार ने अल्पावधि के लिए दिए जाने वाले किसान क्रेडिट कार्ड के ऋण में 1.5 प्रतिशत की और छूट देने की घोषणा की है। पहले से ही 7 प्रतिशत के ऋण पर तीन फीसदी की छूट रही है। किसानों को 4 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना होता था। पर यह फसल की तैयारी से लेकर उपज आने तक की अवधि के लिए ही होती है। अब चार फीसदी की जगह 2.5 प्रतिशत ब्याज के दर से कर्ज का भुगतान करना होगा। पर इन वर्षों में खेती की लागत बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। डीजल और खाद-बीज के दाम से किसान हलकान हैं। प्रति एकड़ ट्रैक्टर से जोताई का दर तीन सालों के भीतर लगभग दो गुना हो चुका है। खेती के उपकरणों पर भी जीएसटी लग रहा है, कीमत तो बढ़ी हुई है ही। मोदी सरकार ने ही वायदा किया था कि सन् 2022 तक किसानों की आमदनी दो गुनी कर दी जाएगी। अब इस पर कोई बात होती नहीं। छत्तीसगढ़ की प्रमुख फसल धान पर अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि मिलती है। यदि यह प्रदेश सरकार बंद कर दे तो वे नुकसान और कर्ज में डूब जाएंगे। क्या कोई ऐसी कोशिश हो रही है कि किसान रियायत, राहत के बगैर खेती को मुनाफे में बदल सकें?
राजीव गांधी, कान्हा और कानून...
तब छत्तीसगढ़ संयुक्त मध्यप्रदेश का हिस्सा था। वन्यजीवों से लगाव के कारण पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कान्हा नेशनल पार्क का भ्रमण करने गए। जब वे हाथी पर बैठे तो राजीव गांधी के सुरक्षा कर्मी भी गन लेकर साथ हो लिए। उस समय पार्क के प्रबंधन ने उन्हें रोक दिया। कहा- नेशनल पार्क में आप हमारी सुरक्षा में है। आपके गनर वन्यप्राणियों के स्वभाव से परिचित नहीं हैं, न ही वन्यप्राणी उनको जानते। आप अपने सुरक्षा कर्मियों को हटा दीजिए। स्व. राजीव गांधी ने ऐसा ही किया। क्या आज कोई पार्क प्रबंधन बड़े लीडर्स के पहुंचने पर ऐसी बात कह सकता है? और सुरक्षा कर्मी उनका कायदा कानून मानेंगे? विजिटर बुक में स्व. गांधी ने लिखा आनंददायक रही, कान्हा की यात्रा। सोन कुत्ता नहीं दिखा। फिर आऊँगा।
पहली परीक्षा 24 अगस्त को
एक सप्ताह के भीतर ही दोनों प्रमुख पदों नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव कर भारतीय जनता पार्टी ने 24 अगस्त को सीएम हाउस के घेराव का कार्यक्रम बना लिया है। हालांकि यह कार्यक्रम युवा मोर्चा की अगुवाई में है, जिसमें मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या भी आ रहे हैं, फिर भी नारायण चंदेल और अरुण साव के लिए यह पहला आंदोलन बहुत मायने रखता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की जिन्हें इस फेरबदल के बाद किनारे किया गया, उनकी इस घेराव में कितनी दिलचस्पी है-यह भी दिखाई देगी। सीएम हाउस के आसपास वैसे भी धारा 144 लागू रहती है। प्रदेशभर में कलेक्टरों को पहले से निर्देश है कि कोई भी धरना प्रदर्शन करना हो तो पहले अनुमति लें। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भी तो भरना है, इसलिए बीजेपी को तमाम अवरोधों के बावजूद अपनी ताकत का प्रदर्शन करना भी है।