राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पढ़ाई से दूर हजारों बच्चे...
23-Aug-2022 6:37 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पढ़ाई से दूर हजारों बच्चे...

पढ़ाई से दूर हजारों बच्चे...    

 सरसरी नजर से हाल का यह आंकड़ा अच्छा दिखता है कि शाला छोडऩे वाले 94 प्रतिशत बच्चों को वापस पढ़ाई की ओर खींच लाया गया है। पर दूसरा पहलू यह भी है कि 6 प्रतिशत बच्चे अब पढ़ाई से दूर हो चुके। उनका बचपन किसी और काम में गुजर रहा है। कोविड संक्रमण के दौर में स्कूलों के बंद होने के कारण बहुत से बच्चों को पढ़ाई बंद करनी पड़ी। पूरे प्रदेश में छोटे बजट पर चलने वाले दर्जनों निजी स्कूल भी बंद हो गए जो दोबारा नहीं खुले। माओवाद प्रभावित बस्तर की रिपोर्ट है कि पिछले 3 साल में 40 हजार बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी। इनमें 9वीं, 10वीं की पढ़ाई अधूरी छोडऩे वाले भी हैं। ये आने वाले दिनों के युवा बेरोजगार होंगे। माओ हिंसा से बस्तर को मुक्त कराने के अभियान पर इसका क्या असर होने वाला है, सुरक्षा कमान संभाल रहे अधिकारियों को इसकी फिक्र जरूर होगी। यूनिफाइड ड्रिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑफ एजुकेशन (यूडीआईएसई) की सन् 2020-21 की रिपोर्ट है कि पूरे देश में अनुसूचित जाति के 15.3 और जनजाति वर्ग के 29,9 प्रतिशत बच्चे कोरोना के दिनों में पढ़ाई बंद होने के बाद वापस स्कूल नहीं लौटे। छत्तीसगढ़ में इन दोनों ही वर्गों की बड़ी संख्या है। इधर, सन् 2020 में समग्र शिक्षा नीति के तहत छत्तीसगढ़ ने संकल्प लिया है कि आने वाले दस साल में यानि 2030 तक ड्रॉप आउट प्रतिशत को शून्य किया जाएगा। पर, इन आंकड़ों से ऐसा तो लगता नहीं है कि उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोई बड़ी कोशिश हो रही है।

जनसुनवाई रुकने का श्रेय किसे?

जशपुर के बगीचा ब्लॉक में बॉक्साइट खनन के लिए सितंबर में तय पर्यावरणीय जनसुनवाई स्थगित कर दी गई। इसका श्रेय किसे दिया जाना चाहिए? संसदीय सचिव यूडी मिंज ने मुख्यमंत्री से बात की और अधिकारियों को उन्होंने इसके बारे में निर्देश जारी कर दिया।

जशपुर प्रदेश के दूसरे आदिवासी बाहुल्य जिलों से इस मामले में भिन्न है कि यहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उद्योगों और विकास कार्यों का चौतरफा विरोध हो जाता है। सहमति नहीं बनने के कारण यहां रेल लाइन भी नहीं आ सकी, जबकि रांची ज्यादा दूर नहीं है। पहले आम लोगों का विरोध शुरू होता है फिर मंच, राजनीतिक दल सुर मिलाते हैं। भाजपा ने जब इस बॉक्साइट के विरोध में बीते दिनों प्रेस कांफ्रेंस ली तो कांग्रेस विधायकों की तरफ से भी बयान आ गया कि स्थानीय लोगों के हित के खिलाफ कोई काम सरकार नहीं करेगी। स्थानीय आदिवासियों का संगठन व पूर्व मंत्री गणेश राम भगत का जनजाति सुरक्षा मंच भी विरोध में उठ गया। ऐसे में भाजपा सांसद गोमती साय का यह कहना काफी हद तक सही है कि जन-सुनवाई टलने का श्रेय कांग्रेस को नहीं, जनता को जाता है। पर मिंज की ओर से सामने लाया गया यह तथ्य भी गौर करने के लायक है कि बॉक्साइट खनन की लीज देने की प्रक्रिया भाजपा के शासनकाल में सन् 2006 में शुरू की गई थी। ऐसे में यह साफ नहीं हो रहा है कि जनसुनवाई लीज आवंटन के 15-16 साल बाद सुनवाई कैसे शुरू होने जा रही थी।

बारिश से बचने की जुगत..

इन दिनों छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिले बारिश से सराबोर हैं। रेनकोट पहनने, उतारने, सुखाने के अपने झंझट हैं। इसलिये जशपुर में एक शख्स ने अपनी स्कूटर में यह खास छतरी लगाई है। वैसे पीछे बैठने में पुरुषों को कुछ दिक्कत हो सकती है कि दूसरी टांग किधर से डालें।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news