राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा में असल बदलाव बाकी...
04-Sep-2022 5:41 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा में असल बदलाव बाकी...

भाजपा में असल बदलाव बाकी...

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की 9 सितंबर को रायपुर में होने वाली सभा हाशिये पर रखे गए कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं बल्कि वर्षों से स्थापित, जमे नेताओं के लिए भी खास है। वह इसलिए कि इसके तुरंत बाद पार्टी के संगठनात्मक ढाचे में प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव बदलाव करेंगे। कहा जा रहा है कि इसमें कुछ पुराने चेहरे तो होंगे पर ज्यादातर ऐसे लोग होंगे जिनकी उम्र 50-55 से अधिक न हो। ऐसा इसलिए ताकि साव की टीम ऐसे लोगों की बने जिनके साथ काम करने में वे सहज महसूस करें। नड्डा की सभा में 50 हजार लोगों को लाने की तैयारी है। वैसे तो शक्ति प्रदर्शन कांग्रेस में होता रहा है, पर जिस बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है उसे देखते हुए टिकट के कई दावेदार अपने-अपने क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रायपुर लेकर आने के लिए मेहनत कर रहे हैं। जानकारी मिली है कि नड्डा के दौरे के ठीक बाद साव प्रदेश के दौरे पर निकलेंगे और इसी दौरान संगठन के लिए नाम भी लिखते चलेंगे। इसमें अनुमोदन की प्रक्रिया भी होगी। दरअसल, छत्तीसगढ़ यही टीम विधानसभा चुनाव में फ्रंट पर काम करेगी।

सभी नए जिले दूसरे राज्यों से सटे...

पिछले दो दिनों के भीतर प्रदेश में जिन तीन जिलों का उद्घाटन हुआ है वे सभी किसी न किसी पड़ोसी राज्य की सीमा से जुड़ी हैं। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के लांजी इलाके से मध्यप्रदेश का बालाघाट जिला शुरू हो जाता है।

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की सीमा समाप्त होते ही ओडिशा का बरगढ़ जिला शुरू होता है। मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिला महाराष्ट्र की सीमा पर समाप्त होता है। इन तीनों जिलों के कई ब्लॉक जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर तक की दूरी पर हैं। चाहे इन जिलों का निर्माण राजनीतिक नफे-नुकसान को देखकर किया गया हो लेकिन यह एक जरूरी मांग थी, जो बहुत देर बाद पूरी हुई। 

मौत के बाद गौमाता की दयनीय दशा...

छत्तीसगढ़ के राजमार्गों में लगातार भारी वाहनों की चपेट में आकर गायों की मौत हो रही है। शायद ही प्रदेश का कोई महत्वपूर्ण हाईवे हो, जहां ऐसी दुर्घटना नहीं हो रही हैं। जगह-जगह बनाए गए गौठानों में इनके लिए जगह नहीं है क्योंकि ज्यादातर में तो गांव के मवेशियों के लिए ही पर्याप्त चारा-पानी नहीं है। भाजपा के कार्यकाल में भी गौशाला और सडक़ों पर गायों ने लगातार जान गंवाई है। अब कांग्रेस सरकार को भाजपा इसी मुद्दे पर घेर रही है। भाजपा नेता राम विचार नेताम ने एक ट्वीट कर कहा है कि किसी भारी वाहन से कुचलकर रतनपुर-बिलासपुर हाईवे में 15 गायों की जान चली गई। छत्तीसगढ़ सरकार उच्चस्तरीय जांच करे। सुरक्षित गोदाम का दम भरने वाली भूपेश सरकार की घोर संवेदनशीलता, क्रूरता को यह दर्शाता है।

वैसे रतनपुर मार्ग पर ऐसी कोई एफआईआर पुलिस में दर्ज नहीं है। अलग से मालूम किया गया। नेताम कह रहे हैं तो भाजपा कार्यकर्ताओं को सामने आकर रिपोर्ट लिखानी थी। 15 गायों को ट्वीट करने से तो न्याय नहीं मिल सकता। यह जरूर है कि इस मार्ग पर आये दिन ट्रकों, ट्रेलर, हाईवा की चपेट में आकर गायों की मौत हो रही है। पहले से भी बुरा हाल यह है कि मृत गायों के मामले में संवेदनशीलता खत्म हो रही है। पुलिस ऐसे मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने से कतराती है। घायल गायों को सडक़ों पर ही तड़पते हुए छोड़ दिया जाता है, मरने के बाद लाश वहीं सड़ती रहती है। पुलिस इसलिये बचती है क्योंकि उसे घायल गाय को ढोकर पशु चिकित्सालय पहुंचाना होगा। मौत हो गई तो उसका पोस्टमार्टम कराना होगा। फिर उस अज्ञात भारी वाहन चालक को तलाश करने की खानापूर्ति करनी होगी। एफआईआर ज्यादा दर्ज हुई तो सरकार घिरेगी। पहले गायों के शव से चमड़ा निकालकर इस व्यवसाय में लगे लोग बेचा करते थे, लेकिन अब दंगा-फसाद, मारपीट के डर से यह काम बंद कर दिया गया है। वे चमड़ा, हड्डी निकालकर ले जाते दिखें तो क्या पता उनकी ही जान आफत में पड़ जाए।

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