राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : हो सकता है कि...
20-Sep-2022 4:18 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : हो सकता है कि...

हो सकता है कि...

प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधियों के लिए पहली बार एआईसीसी ने परिचय पत्र जारी किया है। मगर एक-दो लोग ऐसे भी थे जिनका परिचय पत्र तो जारी हो गया, लेकिन प्रतिनिधि नहीं बन पाए। अंतिम समय में उनका नाम कट गया।
सुनते हैं कि संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला के साथ भी ऐसा ही हुआ। एआईसीसी के उनके अपने संपर्क सूत्रों ने परिचय पत्र वाट्सएप कर भेज दिया था, लेकिन वो प्रतिनिधि नहीं बन पाए। उनका नाम कट गया।
चर्चा है कि शुक्ला की कार्यशैली से संगठन-सीएम, दोनों ही संतुष्ट नहीं हैं। यही वजह है कि उन्हें किसी ने प्रतिनिधि बनाने में रूचि नहीं ली। जबकि उनके पूर्ववर्ती शैलेष नितिन त्रिवेदी बिना किसी सिफारिश के अपने गृह जिले बलौदाबाजार-भाटापारा से प्रतिनिधि बनाए गए।

हालांकि अब कुछ प्रमुख नेताओं को को-ऑप्शन के जरिए प्रतिनिधि बनाए जाने की चर्चा चल रही है। इसमें कई विधायक, और अन्य नेता शामिल हैं। हो सकता है कि सुशील, और बाकियों को मौका मिल जाए।

टेंट लगाने का भी बड़ा काम...

आखिरकार केके पीपरी पीडब्ल्यूडी के ईएनसी बनने में कामयाब रहे। पीपरी सबसे सीनियर थे, लेकिन उनसे काफी जूनियर विजय भतप्रहरी ईएनसी पद पर काबिज थे। उन्हें खस्ताहाल सडक़ों की मरम्मत की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं करने पर ईएनसी पद से हटा दिया गया है।

पद से हटने के बाद विजय भतप्रहरी को लेकर कई रोचक जानकारी आ रही है। वो न सिर्फ ईएनसी के प्रभार पर थे बल्कि प्रभारी चीफ इंजीनियर भी थे। विजय भतप्रहरी का मुल पद एसई है। मगर अपने अपार संपर्कों की वजह से निर्माण विभाग के कर्ता धर्ता बन गए थे।

सुनते हैं कि भतप्रहरी को हटाने के पीछे सिर्फ खराब सडक़ ही वजह नहीं है। चर्चा यह भी है कि पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर भी उन्हें नापसंद करते थे, और एक से अधिक बार उन्हें हटाने की नोटशीट भी चला चुके थे। निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की शिकायतें तो आम है, लेकिन एक और शिकायत चर्चा में है।

कहा जा रहा है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सरकारी कार्यक्रम हो रहे हैं। इसमें टेंट लगाने का भी बड़ा काम है, और यह सब पीडब्यूडी के जिम्मे रहता है। पिछली सरकार में भी टेंट कारोबारी काफी सक्रिय थे, और उनमें आपस में प्रतिस्पर्धा के चलते शिकवा शिकायतें होती रहती थी। अभी भी इसको लेकर खींचतान चल रही है। हल्ला है कि भतप्रहरी को हटाने के पीछे इन शिकायतों का भी बड़ा रोल रहा है।

पंजाब सीएम और छत्तीसगढ़

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के बारे में दारूखोरी की खबरें आना ही बंद नहीं होता। उनके वीडियो भी आते ही रहते हैं जिनमें वे हाल के दिनों में, या कुछ अरसा पहले तक लडख़ड़ाते और गिरते-पड़ते दिखते थे। अभी जर्मनी की खबरें हैं कि वे एक विमान से इसलिए उतार दिए गए कि वे नशे में धुत्त थे, और चल भी नहीं पा रहे थे। अब यह बात सच है या नहीं यह तो नहीं मालूम लेकिन वे जर्मनी में अभी पंजाब के लिए पूंजी निवेश जुटाने गए थे, और इस दौरान वे वहां पर म्युनिख में दुनिया का सबसे बड़ा पीने का कारोबारी जलसा ड्रिंकटेक-2022 भी देखने गए थे। हफ्ते भर के लिए दुनिया भर से लोग इस ट्रेडफेयर में आते हैं, और पीने की हर तरह की चीजों के कारोबार और कारखानों को देखते हैं, सीखते हैं, और कारोबारी समझौते करते हैं। अब यह कार्यक्रम तो पटियाला पैग से भी बड़ा होता है, इसलिए अगर वहां गए हुए भगवंत मान प्लेन में चढऩे की हालत में भी नहीं रह गए थे, तो इसमें हैरानी की बात नहीं है।

लेकिन भगवंत मान की चर्चा सुनकर छत्तीसगढ़ में भी राजनीति के लोग मजा ले रहे हैं कि किस पार्टी के कौन से नेता को इस ट्रेडफेयर में भेजा गया होता तो उनका क्या हाल होता। छत्तीसगढ़ में इक्का-दुक्का ही ऐसे नेता हैं जो अपने पीने की बात को खुलकर मंजूर करते हैं, और इनमें एक आदिवासी नेता भी हैं, और अपने सरल आदिवासी मिजाज के मुताबिक वे पीने की बात मंजूर भी कर लेते हैं। इसी चर्चा के दौरान कल किसी ने इस राज्य में एक मंत्री को याद किया जिनके पैर विधानसभा के भीतर भी लंच के बाद के समय लडख़ड़ाते रहते थे। शराब पीते बहुत से लोग हैं, पीने की बात मंजूर कम लोग करते हैं।

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