राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक कॉल, और सब कुछ खत्म
30-Sep-2022 3:02 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक कॉल, और सब कुछ खत्म

एक कॉल, और सब कुछ खत्म

छत्तीसगढ़ में अभी सतह के ठीक नीचे एक भूचाल से आया हुआ है। एक बदनाम धंधे से जुड़े हुए कई कारोबारी टेलीफोन कॉल की रिकॉर्डिंग जिस तरह सामने आई है, उसने सत्ता से जुड़े बहुत से लोगों को बेचैन, बेदखल, और बेसाख कर दिया है। शायद ऐसे ही वक्त के लिए बड़े-बूढ़े कहते हैं सामान सौ बरस का, पल की खबर नहीं...!
ऐसी टेलीफोन कॉल रिकॉर्डिंग से यह तो साबित हुआ ही है कि फोन पर कोई भी बातचीत अब सुरक्षित नहीं है, खासकर किसी को धमकाना तो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है, और बड़े-बड़े दावे करना भी। जिन्हें धमकाया जाता है, और चुनौती दी जाती है कि इन बातों को रिकॉर्ड करना है तो कर लें, तो फिर धमकी पाने वाले लोगों का तो यह नैतिक और मौलिक अधिकार हो जाता है कि वे इस सलाह को पूरा करके दिखाएं। नतीजा यह हुआ है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता के इर्द-गिर्द के समीकरण पिछले दस दिनों में बड़े चरमरा गए हैं, और कई दूसरे लोगों ने इससे नसीहत भी पा ली है। सयाने लोगों का यह कहना रहता ही है कि समझदार वे हैं जो दूसरों को लगी ठोकर से समझ लें। अब छत्तीसगढ़ में कम से कम कुछ ऐसे लोगों का बड़बोलापन तो कम होगा जो सोते-जागते कहते थे कि उनके कहे हुए को सीएम का कहा माना जाए। अब ऐसे लोगों की जुबान को भी लकवा मार गया है। इसके साथ-साथ लोगों को टेलीफोन कॉल रिकॉर्डिंग की अहमियत भी समझ आ गई है कि वह जानलेवा साबित हो सकती है, एक बार फिर सिमकार्ड के बजाय वॉट्सऐप पर बात करना बेहतर समझा जाने लगा है कि उसकी बातचीत रिकॉर्ड नहीं होती है, हालांकि यह अपने आपमें एक किस्म का धोखा है, और एक दूसरे फोन की मदद से वॉट्सऐप कॉल की ऐसी रिकॉर्डिंग तो की ही जा सकती है जिससे राजनीति और सरकार के स्तर पर कुछ साबित किया जा सके, फिर चाहे यह अदालती सुबूत के दर्जे की भले ही न हो।

पोस्टर बताते हैं कि निशाना कहाँ

विधानसभा चुनाव में सालभर बाकी रह गए हैं। अगर आपको पता नहीं है कि विशेषकर रायपुर दक्षिण सीट से कांग्रेस से कौन-कौन दावेदार हैं, तो दुर्गा पंडालों के आसपास के बैनर-पोस्टर, और होर्डिंग्स पर नजर डाल लीजिए, इससे कुछ अंदाजा तो लग ही जाएगा।
रायपुर की चार सीटों में से दक्षिण की सीट को काफी प्रतिष्ठापूर्ण माना जाता है। यहां से विधायक बृजमोहन अग्रवाल को अब तक कोई नहीं हरा पाया है। बृजमोहन के लिए सुविधाजनक स्थिति यह रही है कि हर बार कांग्रेस ने उनके खिलाफ नया कैंडिटेड उतारा है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कन्हैया अग्रवाल को टिकट दी थी, जो कि कांग्रेस की तूफानी लहर में भी नहीं जीत पाए। बृजमोहन तो कन्हैया के नाम की घोषणा के बाद ज्यादातर समय दूसरी सीटों के प्रचार में लगे रहे। खैर, इस बार भी कांग्रेस से नया प्रत्याशी आने की प्रबल संभावना दिख रही है।
दुर्गा पंडालों से अंदाज लग रहा है कि मेयर एजाज ढेबर, प्रमोद दुबे भी दक्षिण से दावेदार हो सकते हैं। इनसे परे भवन, अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल के चेयरमैन सन्नी अग्रवाल की सक्रियता की खूब चर्चा है। सन्नी के दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पोस्टर लगे हैं। सुनते हैं कि सन्नी ने दक्षिण विधानसभा के पांचों ब्लॉक प्रमुखों की प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से मुलाकात करा चुके हैं।
सन्नी अग्रवाल, रायपुर दक्षिण के विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा मजदूर कार्ड, और अन्य योजनाओं के जरिए श्रमिक वर्ग को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए माहौल बना रहे हैं। कुछ समय पहले सन्नी पार्टी से निलंबित भी हुए थे, लेकिन उनकी वापसी भी हो गई। अब जिस अंदाज में उनका प्रचार चल रहा है, उससे बाकी दावेदारों में बेचैनी है।

मुट्ठी में ताकत दुनिया भर की

मोबाइल फोन से की गई मामूली रिकॉर्डिंग भी कितनी खतरनाक हो सकती है इसकी एक मिसाल बिहार से सामने आई जहां पर सीनियर आईएएस अफसर हरजोत कौर अपने एक लापरवाह बयान की वजह से सरकारी जांच में घिर गई हैं। वे राजधानी पटना में छात्राओं की बुनियादी जरूरतों के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मंच पर थीं, और मामूली आर्थिक हैसियत की दिख रही छात्राओं ने उनसे यह पूछा कि क्या सरकार उन्हें 20-30 रूपये के सेनेटरी पैड नहीं दे सकती? यह पूरा कार्यक्रम ही लड़कियों के सशक्तिकरण पर था, और यह महिला अफसर महिला एवं बाल विकास विभाग ही देख रही थी। इस सवाल पर भडक़ते हुए इसने लड़कियों को फटकारते हुए कहा कि आज सेनेटरी पैड मुफ्त मांगे जा रहे हैं, और बाद में परिवार नियोजन की बात आएगी तो कंडोम भी मुफ्त देना पड़ेगा। इस महिला आईएएस ने और भी अधिक गैरजिम्मेदारी से लड़कियों को फटकारा, और जब इसकी रिकॉर्डिंग सामने आई, तो अब वह खुद कटघरे में है, और मुख्यमंत्री ने अपनी निगरानी में जांच और कार्रवाई की बात कही है।
इस अखबार में पहले भी कई बार यह वकालत की गई है कि लोगों को सार्वजनिक जगहों पर गलत कामों की, या गलत बातों की रिकॉर्डिंग जरूर करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में अभी ऐसी ही टेलीफोन कॉल रिकॉर्डिंग से एक हंगामा मचा हुआ है, और बिहार का यह मामला उसके बाद सामने आया है। लोगों को अपनी मु_ी में ताकत के बारे में अहसास रहना चाहिए।

अपने-अपने रावण..

राम तो सबके हैं, पर रावण दहन की जगह सिर्फ मेरी है, यह बताने का काम राजनीति में ही मुमकिन है। बीते साल बीटीआई ग्राउंड रायपुर में दशहरा मनाने लिए कांग्रेस, भाजपा दोनों अड़े रहे तो अजीब स्थिति बन गई थी। दो-दो रावण आधे-आधे घंटे के अंतराल में जलाए गए। दोनों ही दलों के समर्थकों ने भीड़ जुटाई और स्थिति यह बन गई कि घंटों सडक़ जाम में लोग फंस गए। इस बार  ऐसी स्थिति न बने इसके लिए प्रशासन को चतुराई दिखाने की जररूत है। भाजपा नेताओं की सांस्कृतिक समिति ने तो 10 दिन पहले चक्काजाम कर दिया था। दावा था कि वे 74 साल से यहां रावण जलाते आ रहे हैं। पिछले साल डॉ. रमन सिंह ने यहां रावण दहन किया था। दूसरे खेमे का कहना है कि यह धोतरे परिवार का आयोजन है। पिछले 22 सालों से हो रहा है। कुछ लोग चंदे के लिए इस आयोजन पर कब्जा करना चाहते हैं। पिछले साल अमितेश शुक्ल ने भी यहां रावण जलाया। दशहरा जनता और कार्यकर्ताओं में अपनी पकड़ मजबूत करने का एक बड़ा जरिया है, इसलिए इस मौके को कोई भी गंवाना नहीं चाहता। वैसे रावण दहन की लड़ाई अगले साल की ज्यादा तीखी और दिलचस्प हो सकती है, क्योंकि इसकी तारीख विधानसभा चुनाव से करीब दो माह पहले पड़ेगी।

पेपर लीक और एनएएस रिपोर्ट

स्कूली शिक्षा के मामले में छत्तीसगढ़ की गिरावट पर पिछले मई माह में तब चर्चा हुई थी, जब नेशनल एचीवमेंट सर्वे 2021 की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कक्षावार और विषयवार स्थिति को भी दर्शाया गया है। ऐसे भी कई विषय हैं जिनमें हमारा प्रदेश राष्ट्रीय औसत से भी काफी नीचे है। जैसे तीसरी कक्षा में राष्ट्रीय औसत 62 प्रतिशत अचीवमेंट का है, छत्तीसगढ़ में यह 51 प्रतिशत ही है। आठवीं कक्षा में तो चार विषय हिंदी, गणित, सामाजिक अध्ययन और विज्ञान सभी में उपलब्धि राष्ट्रीय औसत से नीचे है। इन विषयों का क्रमवार राष्ट्रीय औसत 53, 36, 39 तथा 39 प्रतिशत है। प्रदेश में यह इसी क्रम में 50, 30, 36 और 36 है। दसवीं कक्षा में अंग्रेजी का राष्ट्रीय औसत 43 प्रतिशत है जबकि यह छत्तीसगढ़ में 36 ही है। विचारणीय यह भी है कि इसके पहले सन् 2020 की एनएएस रिपोर्ट थी, उसके अनुसार हमारा प्रदेश 18वें स्थान पर था। इस बार उतरकर 30वें नंबर पर पहुंच चुका है।

क्या इस रिपोर्ट के बाद कोई शिक्षण और पाठ्यक्रम और आकलन के स्तर पर कुछ सुधार दिखाई दे रहा है? इस संदर्भ में एक ताजा उदाहरण दिया जा सकता है। तिमाही के केंद्रीकृत प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर लीक हो गए और अब शिक्षक उन्हें ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न लिखकर देंगे।  [email protected]

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