राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बड़ी शादी में बड़े-बड़े छोटे...
09-Oct-2022 4:52 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बड़ी शादी में बड़े-बड़े छोटे...

बड़ी शादी में बड़े-बड़े छोटे...

छत्तीसगढ़ सरकार के एक सबसे ताकतवर अफसर, अनिल टुटेजा की बेटी की शादी थी, तो जाहिर था कि सभी लोग इक_े होंगे। कलेक्टर और एसपी की कांफ्रेंस भी इसी दिन मुख्यमंत्री ने रायपुर में रखी थी, और नतीजा यह था कि हर जिले के कलेक्टर-एसपी, और हर इलाके के कमिश्नर-आईजी इसमें आए हुए थे। विपक्ष के नेताओं की भी भारी भीड़ इस शादी में थी। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ-साथ राज्य के हर ताकतवर की वहां मौजूदगी से बड़े-बड़े लोगों का कद छोटा हो गया था। समारोह के गेट पर ही डीजीपी अशोक जुनेजा का ड्राइवर उनकी कार खड़ी रखना चाहता था, लेकिन पार्किंग का इंतजाम करने वाली निजी एजेंसी के कर्मचारी ने वहां से कार हटाने को कहा। पुलिस का ड्राइवर कहते रह गया कि कार डीजीपी साहब की है, लेकिन एजेंसी के कर्मचारी ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की, और कार वहां से हटवाकर ही दम लिया। उसका भी तर्क सही था कि जब राज्यपाल आने वाली हैं, तो वह डीजीपी की गाड़ी किस तरह गेट पर रूकने दे सकता है। दरअसल बड़े लोगों को अपनी गाड़ी पोर्च में लगवाने की आदत रहती है जो कि सिर्फ गाड़ी रूकने के लिए बनी हुई जगह रहती है, बाद में तो पार्किंग की जगह पर ही गाड़ी लगनी चाहिए। लेकिन सरकारी इमारतों में इमारत के सबसे बड़े नेता या अफसर की गाड़ी पोर्च में ही रास्ता रोकते हुए लगाई जाती है। वह आदत शादी-ब्याह के मौकों पर भी बड़े लोगों के ड्राइवरों में बनी रहती है।

मुंह खुला का खुला रह गया

दिल्ली के पूरे इलाके को एनसीआर कहा जाता है, नेशनल कैपिटल रीजन, यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र। खुद एनसीआर के इलाके में लोग इसके अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग नामों से बुलाते हैं, बाकी देश के लिए ये सारे शहर दिल्ली ही कहलाते हैं। कल रात अफसरों के एक जमावड़े में यह बहस चल निकली कि छत्तीसगढ़ के किस-किस अफसर ने दिल्ली में बड़े-बड़े मकान खरीदे हुए हैं? किसी ने एक अफसर का नाम कहा तो दूसरे ने कहा कि दिल्ली में उस अफसर का कोई मकान नहीं है। बताने वाले ने भी सही कहा, और बचाने वाले ने भी, क्योंकि मकान एनसीआर में तो है, लेकिन दिल्ली में नहीं है। दोस्त और शुभचिंतक हों तो ऐसे, जो कि किसी भी विवाद में अपने लोगों को बचाने की कोशिश करें। अब इसी बहस में लोगों ने एक रिटायर्ड जज के एनसीआर में उतने ही करोड़ के मकान की जानकारी दी, जितने करोड़ का मकान एक अफसर का वहां पर बताया जा रहा था। अब इतने बड़े-बड़े आंकड़ों को सुनकर कुछ लोगों का मुंह खुला का खुला रह गया।

आजकल क्या रेट है, नक्शा-सीमांकन का?

नैतिकता और ईमानदारी पर यकीन रखने वाले बिलासपुर के एक व्यवसायी ने राजस्व विभाग से जुड़ा अपना बुरा अनुभव फेसबुक पर शेयर किया। इसमें उन्होंने बताया कि उनकी जमीन नाप से कम दिखाई दे रही थी तो सुधार के लिए पटवारी, तहसीलदार के दफ्तर में भारी परेशानी हुई। आखिर जमीन का सौदा कराने के लिए उतावले एक दलाल ने अपनी ओर से पटवारी को रिश्वत देकर काम कराया। इसके बाद उनकी पोस्ट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। हर किसी का मानना है कि रेवन्यू में कोई काम बिना लेन-देन नहीं होता। लोगों ने लिखा-रेट लिस्ट बना हुआ है, आपका काम सस्ते में हो गया। किसी सरकार में यह नहीं रुका है, कलेक्टर भी इनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते, आदि..आदि। इसी में दुर्ग के एक शख्स ने लिखा हैं कि सन् 2005 में वहां की मेयर के बाबू को उन्होंने नक्शा पास कराने के लिए 17 हजार रुपये दिए, इसके बावजूद कि उसके पारिवारिक संबंध थे। 22 साल पुरानी इस घटना को लेकर लोगों ने लिखा- आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, जो इतनी छोटी रकम के लेन-देन के बारे में इतने दिन बाद दुनिया को बता देंगे। आज नक्शा पास कराके देखिए, क्या रेट है पता चल जाएगा। वह बाबू कितना अच्छा था, जिसने इतना कम लिया। [email protected]

 

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