राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब ईडी का सामना किस तरह...
11-Oct-2022 4:41 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब ईडी का सामना किस तरह...

अब ईडी का सामना किस तरह...

राज्य के ताकतवर आईएएस अफसरों, और कोयला कारोबारियों के यहां ईडी जांच के लिए पहुंची, तो ज्यादातर लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ। सीएम तो खुले तौर पर कह चुके थे कि आईटी के बाद ईडी भी जांच के लिए आ सकती है। और जब ईडी की टीम सोमवार को रायपुर पहुंची, तो प्रकरण से जुड़े सभी लोगों को खबर भी हो गई। ईडी आगे  क्या कार्रवाई करती है, इस पर निगाहें टिकी हुई हैं।
हल्ला है कि जिन अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है उनमें से एक के यहां जांच-पड़ताल, और कार्रवाई करवाने में सरकार के ही एक-दो लोगों का अहम योगदान है। चर्चा है कि ऊंचे ओहदे पर बैठे एक नेता ने अफसर के खिलाफ काफी कुछ दस्तावेज जांच एजेंसियों तक भिजवाए थे। इस तरह एजेंसियों के पास काफी कुछ हाथ लग गया था। अब अफसर ईडी का सामना किस तरह करते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

कमजोर को नहीं सताना चाहिए

ईडी के जांच के घेरे में आई महिला अफसर से मातहत काफी परेशान रहे हैं। महिला अफसर जिस बोर्ड में थी वहां एक साथ 43 लोगों की नौकरी से निकाल दिया था। प्लेसमेंट एजेंसी के ये बर्खास्त कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खाते रहे। हालांकि बाद में कुछ लोगों को वापस भी ले लिया गया, लेकिन ज्यादातर अभी भी बाहर ही हैं। ये सभी आज भी महिला अफसर को कोसते मिल जाते हैं।

इसी बोर्ड में पिछली सरकार में प्रताडि़त रहे एक निलंबित अफसर की बहाली के लिए हाईकोर्ट ने भी आदेश दिए थे। कोर्ट-कचहरी के चक्कर में अपना बहुत कुछ गंवा चुके इस अफसर ने अपनी बहाली के लिए काफी गुहार भी लगाई। मगर महिला आईएएस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद निलंबित अफसर कोर्ट के आदेश की अवमानना को लेकर अपील भी कर रहे थे कि कोरोना की चपेट में आ गए, और कुछ दिन बाद मृत्यु भी हो गई। अब ईडी की कार्रवाई चल रही है, तो महिला आईएएस से प्रताडि़त लोग नया-नया किस्सा साझा कर रहे हैं।

कहावत भी है कि गरीब की हाय, सरबस खाय। यानी कमजोर को नहीं सताना चाहिए, उस की हाय व्यक्ति को बर्बाद कर देती है।

टमाटर से लाल जशपुर

जशपुर जिले के पत्थलगांव, फरसाबहार, कांसाबेल, दुलदुला आदि ब्लॉक में इस बार टमाटर की भरपूर खेती हुई है। अक्टूबर की शुरूआत से यह बाजार में आ चुका है जो दिसंबर बाद तक जारी रहेगा। अनुमान लगाया गया है कि अभी जिले से हर दिन करीब एक करोड़ रुपये का टमाटर व्यापारी लेकर दूसरे राज्यों, शहरों में बेच रहे हैं। दिसंबर तक यह बिक्री रोजाना दो करोड़ तक पहुंच जाएगी, जैसा पिछले साल हुआ था। इसे ओडिशा, झारखंड, बिहार, यूपी और महाराष्ट्र के व्यापारी खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं। पर कई बार फसल पक जाती है और मांग घट जाती है। राज्य के ही धमधा जैसे जिलों से भी भरपूर आपूर्ति होने लगती है। ऐसी स्थिति में किसान लागत नहीं निकाल पाते। सन् 2015 और 2016 में किसानों को एनएच पर टमाटर फेंकना पड़ा था क्योंकि कोई एक रुपये में भी इसे खरीदने के लिए तैयार नहीं था। लुड़ेग में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई थी, पर कुछ समय चलने के बाद वह बंद हो चुकी है।

लिसिप्रिया के हसदेव से जुडऩे की चिंता

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहीं लिसिप्रिया हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़ गई हैं। एक तबका इससे परेशान है। शायद उन्हें लगता है कि इस मुद्दे पर अब देश और देश से बाहर लोग ज्यादा बात करने, विरोध के स्वर उठाने लगेंगे। 15 अक्टूबर को लिसिप्रिया बिलासपुर में एक प्रदर्शन रैली में शामिल होने जा रही हैं।  पिछले साल की एक खबर को शेयर किया जा रहा है कि लुसिप्रिया के पिता अवैध उगाही के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे। लिसिप्रिया फेक एक्टिविस्ट हैं उन्हें बिलासपुर नहीं आना चाहिए। लिसिप्रिया 11 साल की बच्ची है, शायद उनके खिलाफ बताने के लिए कुछ नहीं मिला।

अफसर बदले पर चोरी नहीं रुकी

कोरबा के हसदेव नदी से जब रेत की अवैध निकासी की शिकायतें बढ़ी तो खनिज विभाग के ऊपर से नीचे तक के सारे अधिकारी बदल दिए गए। यह संदेश दिया गया कि अब खनन पर रोक लग जाएगी। पर अधिकारियों के आने-जाने से सिस्टम तो बदल जाता नहीं। जब सीएम ने कहा था कि कलेक्टर-एसपी अवैध रेत खनन के लिए सीधे जिम्मेदार होंगे, तब कुछ दिनों तक रेत गाडिय़ों की जब्ती की मुहिम चली। पर अब फिर से गाडिय़ों की बेरोकटोक आवाजाही होने लगी है। इतना हुआ है कि दिन में कम लोडेड गाडिय़ां दिन में कम, रात में ज्यादा दिखाई देती है। पानी होने के कारण अभी रेत घाटों को बंद कर दिया गया है पर उत्खनन रोकने के लिए जो नाके लगाए गए हैं वे इतने कमजोर हैं कि कोई भी-कभी भी उठाकर गाडिय़ों को पार कर ले जाता है। इतना सब है फिर भी रेत के दाम गिर नहीं रहे हैं। खनन में लगे लोगों का कहना है कि अवैध निकासी ज्यादा ऊपरी खर्चा रहा है।

लोगों में इन दिनों क्लोज सर्किट कैमरे को लेकर जागरूकता बहुत अधिक हो गयी है। अब अगर मूत्रालय के भीतर भी लोग कैमरे की नजरों में रहेंगे, तो फारिग कैसे होंगे? एक पत्रकार पुष्य मित्र ने इस तस्वीर को पोस्ट किया है।

[email protected]

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news