राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : डायरेक्टर की मेज से बोली!
13-Oct-2022 4:58 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : डायरेक्टर की मेज से बोली!

डायरेक्टर की मेज से बोली!

छत्तीसगढ़ में अभी चल रहे ईडी के छापे मोटेतौर पर माइनिंग के एक-दो से लेकर दस नंबर तक के धंधों पर हैं। ऐसे में एक जानकार ने डायरेक्टर माइनिंग के टेबिल पर हुई एक दिलचस्प आंखों देखी घटना सुनाई। अभी छापों के घेरे में इस कुर्सी पर रहे दो डायरेक्टर हैं, इनमें से एक के वक्त प्रदेश की एक आयरन ओर खदान की नीलामी हुई थी। नीलामी ऑनलाईन होनी थी, और डायरेक्टर अपने कम्प्यूटर पर आ रही बोलियां देख रहे थे, उन्हें लगाने वाले लोगों के नाम भी देख रहे थे। बोली लगाने वाला एक व्यक्ति उनके साथ बैठा हुआ था, जो उस खदान के लिए खुद भी बोली लगा रहा था, और इस बात से भी परेशान था कि बोली बढ़ती जा रही थी। वहीं से वह बोली लगाने वाले दूसरे लोगों को टेलीफोन पर धमकाते भी जा रहा था, उन्हें रोकने के रास्ते भी निकालते चल रहा था, और डायरेक्टर भी बोली आगे बढऩे से रोक रहे थे। अब ऑनलाईन बोली को सीधे-सीधे तो नहीं रोका जा सकता था, लेकिन जो लोग रेट बढ़ा रहे थे, उन्हें तरह-तरह से ‘समझाईश’ दी जा रही थी, ताकि डायरेक्टर के पसंदीदा, और बगलगीर को वह खदान महंगी न पड़े। प्रदेश में कुछ अफसरों का यह भी मानना है कि अपने स्तर पर भ्रष्टाचार के ऐसे तरीके निकालने वाले लोगों की गंदगी कुछ छंट जाए, तो भी प्रदेश का भला होगा।

रेत से तेल निकालता जोड़ा

आईएएस जोड़ा बड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा एक जोड़ा एक वक्त इस प्रदेश में दो जिलों में काबिज था। एक जिले में कुछ लाख रूपये लेकर रेत की खदान का अनुबंध कलेक्टर ने कर दिया था। इसके कुछ महीने बाद दूसरे जिले में इस जोड़े की दूसरी कलेक्टर ने रेत से तेल निकालते हुए दुगुनी वसूली करके अनुबंध किया। जाहिर है कि घर पर रात में या दो-चार दिनों में हिसाब-किताब की बात हुई होगी, और जब बीवी ने बताया होगा कि उसने तो एक खदान की इतनी वसूली की है, तो उसकी धिक्कार पाकर अगले दिन अपने दफ्तर में कलेक्टर ने रेत खदान चलाने वाले को बुलाया, और कहा कि उस दूसरे जिले में उसने अनुबंध के लिए इतना भुगतान किया है, और यहां पर कम दिया है? इसके बाद बीवी के जिले जितने रेट की बकाया वसूली की गई, और उसके बाद ही रेत की अगली गाड़ी निकल सकी।

अफसरों को सजा से, लोगों को मजा

छत्तीसगढ़ में आईएएस और दूसरे अफसरों पर जैसा बड़ा खतरा अभी मंडरा रहा है, वैसा किसी ने कभी देखा-सुना नहीं था। आज तो जिसे जो अफसर नापसंद है, उसके बारे में आसानी से वे कह सकते हैं कि फलां अफसर की भी गिरफ्तारी होने वाली है। राज्य के इतिहास में कई चीजें पहली बार हो रही हैं। एक आईएएस जोड़ा पूरे का पूरा भ्रष्टाचार की जांच के घेरे में हैं, दोनों के दोनों निशाने पर हैं, एक डायरेक्टर माइनिंग रह चुका है, और दूसरे को देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादक जिले की कलेक्टरी मिल चुकी है। माइनिंग के प्रदेश दफ्तर और सबसे बड़े खनिज जिले, दोनों का काम जब एक ही जोड़े को मिल जाए, तो क्या-क्या नहीं हो सकता है? इससे प्रदेश के कुछेक ईमानदार अफसरों के बीच निराशा है कि आईएएस सर्विस की ऐसी बदनामी कभी नहीं हुई थी। हालांकि किसी भी सर्विस के अफसरों ने ऊंचे दर्जे के संगठित भ्रष्टाचार की यह कोई अनोखी और अभूतपूर्व बात नहीं है, पहले भी ऐसा होते आया है, लेकिन पहली बार जांच इस हद तक पहुंची है।

एक आईएएस अफसर और उसकी गैरअफसर बीवी के मिलेजुले वसूली-तंत्र की खबरें भी अधिकतर लोगों को हक्का-बक्का कर रही हैं कि अफसर ने किस तरह घर में ही रिकवरी एजेंट बना रखा था, और अब सारे टेलीफोन मैसेज के साथ ईडी के हाथ सुबूत लगे हैं। यह मौका मीडिया या मीडिया नाम से काम करने वाले लोगों के लिए भी मत चूको चौहान किस्म का है, और वे भी अपनी सारी नीयत खबर की शक्ल में लिख रहे हैं, और लोग मजे लेकर पढ़ रहे हैं। जिस तरह इन साहबों के निजी काम करने वाले करीबी सरकारी कर्मचारी भी मजे लेकर इसकी चर्चा कर रहे हैं, उससे जाहिर है कि अफसरों की बेलगाम बददिमागी से वे हर किसी की सहानुभूति खो चुके हैं, और आज उनकी गिरफ्तारियों पर भी लोगों को मजा छोड़ कुछ नहीं आ रहा।

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