राजपथ - जनपथ
खडग़े का करीबी कौन?
पूर्व केन्द्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खडग़े के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में राजनीतिक समीकरण में बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। खडग़े को ही छत्तीसगढ़ के सीएम के चयन के लिए पार्टी ने पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया था, और उन्होंने सभी विधायकों से अलग से चर्चा की थी। खडग़े के करीबी कौन हैं, इस पर पार्टी के अंदरखाने में चर्चा भी हो रही है।
सुनते हैं कि गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का मल्लिकार्जुन खडग़े से अच्छा तालमेल है। ताम्रध्वज को छत्तीसगढ़ में खडग़े का सबसे करीबी माना जाता है। खडग़े नेता प्रतिपक्ष थे, तब ताम्रध्वज प्रदेश से एकमात्र कांग्रेस सांसद थे। वो खडग़े की पहल पर पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। और तो और खडग़े ने दिवंगत मोतीलाल वोरा के सहयोग से सीएम पद के लिए ताम्रध्वज का नाम फाइनल करवा लिया था। ये अलग बात है कि विधायकों का समर्थन ताम्रध्वज के पक्ष में नहीं के बराबर था, और वो सीएम बनने से रह गए।
हालांकि कई नेता मानते हैं कि खडग़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से भी प्रदेश में कोई बहुत ज्यादा बदलाव होने की संभावना नहीं है। क्योंकि कोई भी अहम फैसला खडग़े, सोनिया और राहुल की सलाह से ही लेंगे। फिर भी कुछ लोगों का अंदाजा है कि ताम्रध्वज की थोड़ी बहुत पूछपरख बढ़ सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
दिल मिले, चुनाव करीब है
विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस, और भाजपा के नेता सामाजिक मंच से अपने दल को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। सिंधी काउंसिल के बैनर तले गरीबों को निशुल्क दीया, और पूजन सामग्री वितरण का कार्यक्रम रखा गया था, उसमें श्रीचंद सुंदरानी, आनंद कुकरेजा, और राम गिडलानी प्रमुख रूप से मौजूद थे।
श्रीचंद को दो दिन पहले ही भाजपा जिला अध्यक्ष पद से हटाया गया है। उनका कांग्रेस नेता आनंद कुकरेजा से छत्तीस का आंकड़ा है। कुकरेजा जिस कार्यक्रम में रहते हैं, उसमें श्रीचंद नहीं आते। मगर इस बार न सिर्फ उन्होंने कुकरेजा, और गिडलानी के साथ मंच साझा किया बल्कि काउंसिल के प्रयासों की सराहना की। इस मौके पर सदाणी दरबार के प्रमुख युधिष्ठिरलाल ने भी कांग्रेस और भाजपा नेताओं की समाजहित में एकजुटता की तारीफ की।
दूसरी तरफ, निगम-मंडलों में नियुक्तियां होनी है। राम गिडलानी, आनंद कुकरेजा सहित कई सिंधी नेताओं के नाम तय होने की भी खबर है। ऐसे में आपसी मतभेद को भुलाकर एकजुटता दिखाने में ही सबको भलाई दिख रही है। श्रीचंद से जुड़े लोग भी मान रहे हैं कि पहले सामाजिक मंच से इस तरह की ताकत दिखाते, तो समस्या नहीं आती।
इधर डॉक्टर, उधर कंवर का बयान
प्रदेश में संगठन का प्रभार, प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष के बाद अब कई जिलो के अध्यक्ष भाजपा ने बदल दिए हैं। अब भी नहीं कहा जा सकता कि अब यह आखिरी फेरबदल है और विधानसभा चुनाव तक यही टीम काम करेगी। यह सब तो ठीक है पर टिकट देने का कौन सा फॉर्मूला होगा, ये भी तय नहीं है। इधर ननकीराम कंवर कह रहे हैं कि उन्हें टिकट तो पक्के तौर पर मिलेगी ही, लड़ूंगा, या नहीं- इस पर क्या बोलूं। उन्होंने यह भी बयान दिया है कि वे सीएम पद की इच्छा रखते हैं। राजनाथ सिंह से मांगा भी था। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बयान का लोग कुछ अलग ही मतलब निकाल रहे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि शीर्ष नेता तय करेंगे विधानसभा चुनाव लड़ाएंगे या फिर केंद्र में बुलाएंगे। डॉ. सिंह को यदि विधानसभा चुनाव लड़ाया गया तो जाहिर है कि उनको सीएम का चेहरा माना जाएगा। भाजपा के केंद्रीय नेता यहां बयान दे चुके हैं कि किसी एक चेहरे को सामने रखकर पार्टी मैदान में नहीं उतरेगी। मोहन मरकाम जैसे नेता कह रहे हैं कि भाजपा के सभी सीनियर लीडर्स की टिकट कटने वाली है। उलझन तो है। पिछले कुछ वर्षों से सीएम पद की चाह रखते आए कुछ वरिष्ठों की टिकट काट दी गई और कुछ को दे दी गई तो? फिलहाल कंवर की दावेदारी तो सामने आ ही गई है।