राजपथ - जनपथ
ऐसी रौनक, हौसले का सुबूत!
भारतीय जनता पार्टी का रायपुर का प्रदेश कार्यालय तो शहर सीमा के तकरीबन बाहर है इसलिए पार्टी की तमाम हलचल पुराने प्रदेश कार्यालय, और वर्तमान जिला कार्यालय में ही होते दिखती है। इस कार्यालय को जो रोजाना देखते हैं, उनका अनुभव है कि पिछले कुछ महीनों से यहां आने-जाने वाले लोग दर्जनों गुना हो चुके हैं, आसपास पार्किंग की जगह मिलना मुश्किल हो जाता है, लगातार लोगों का आना-जाना चलते रहता है, और एक बड़े उत्साह का माहौल भाजपा में बना हुआ है। अब प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने से यह हुआ है या बहुत से दूसरे पदाधिकारियों के भी बदलने से ऐसा हुआ है, यह बात तो भाजपा के लोग बेहतर जानेंगे, लेकिन किसी पार्टी के दफ्तर में ऐसी रौनक पार्टी में उत्साह का एक पुख्ता सुबूत है। न तो भाजपा दफ्तर में रोज कोई बड़े नेता आ रहे हैं, न ही रोज कोई कार्यक्रम हो रहा है, फिर भी रेला लगा हुआ है। अब देखते हैं चुनाव तक इसमें से कितनी रौनक बरकरार रहती है। ऐसा भी नहीं कि अभी तुरंत कोई म्युनिसिपल चुनाव होने हैं, और वार्ड मेम्बर की टिकट पाने के हजारों उम्मीदवार यहां आ रहे हों, अभी पहले तो ठीक साल भर बाद विधानसभा के चुनाव होंगे, उसके कई महीने बाद संसद के चुनाव होंगे, और उसके बाद जाकर म्युनिसिपल चुनाव होंगे। इसलिए अभी से यह रौनक पार्टी के लिए हौसले की बात है।
भूपेश बघेल का बड़ा रिकॉर्ड!
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साल भर बाद अपना कार्यकाल पूरा करते समय इस राज्य के सबसे अधिक दौरे करने वाले मुख्यमंत्री हो जाएंगे। हो सकता है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनसे अधिक दौरे किए हों, लेकिन उस समय प्रदेश बहुत दूर-दूर तक फैला हुआ था, और भोपाल से मुख्यमंत्री अगर जशपुर तक पहुंचते थे, या जगदलपुर जाते थे, तो वह बड़ा लंबा दौरा वैसे भी हो जाता था। अब अविभाजित मध्यप्रदेश के मुकाबले एक चौथाई रह गए इस प्रदेश में भूपेश बघेल जितने किलोमीटर सडक़ और हवाई सफर कर रहे हैं, वह शायद एक रिकॉर्ड रहेगा। कितने दिन वे राजधानी से बाहर रहे, कितने दिन प्रदेश से बाहर रहे, यह गिनती लगाने की बात है। वे लगातार किसी एक या दूसरे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार में लगे रहने वाले सबसे व्यस्त मुख्यमंत्री शायद बन ही चुके हैं। पिछला ऐसा कोई मुख्यमंत्री याद नहीं पड़ता जिसके कंधों पर दूसरे प्रदेशों का भी चुनाव प्रचार इस तरह टिका रहा हो। जिस तरह क्रिकेट में स्कोरबोर्ड देख-देखकर लोग रिकॉर्ड बनने और टूटने का हिसाब रखते हैं, राजनीति में भी कोई वैसा करे तो शायद भूपेश बघेल को खुश किया जा सकता है।
हाथी का साथी बनाना संभव है?
बीते सप्ताह कोरबा में एक हाथी के शावक को मारकर दफना दिया गया। इसकी वजह यह थी यहां विचरण कर रहे 41 हाथियों के दल ने कई एकड़ में लगी फसलों को बर्बाद कर दिया। जिला पंचायत सदस्य जैसे जिम्मेदार लोग इस घटना में शामिल पाए गए हैं और एक दर्जन लोग गिरफ्तार किए गए हैं। हाथियों की समस्या वर्षों से बनी हुई है लेकिन अब तक कोई ऐसा कारगर उपाय छत्तीसगढ़ में ढूंढा नहीं जा सका है कि हाथी और मनुष्यों का आपस में सामंजस्य बन सके। सरगुजा और कोरबा वन मंडल में मित्र दलों का गठन किया गया है जो बचाव के तरीके बताने और जागरूक करने के लिए सक्रिय हैं, पर नतीजे बहुत उत्साहजनक नहीं है। इधर सोशल मीडिया पर थाइलैंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसे दक्षिण भारत की एक आईएफएस सुशंता नंदा ने पोस्ट किया है। इसमें गन्ने के खेत में कीचड़ में फंसे हाथी के शावक को एक बच्ची बाहर निकलने में मदद कर रही है। बाहर निकलने के बाद हाथी बच्ची के सिर पर सूंड फेरकर आभार जता रहा है। यह दृश्य लोगों के दिल को छू गया। कमेंट लिखा गया है कि अपने देश में भी मान लेना चाहिए कि हमें हाथी के साथ ही रहना है। उनका भरोसा जीतना है। हाथी मनुष्यों के प्रति आक्रामक न हों, इसके उपाय सीखने चाहिए। अपने छत्तीसगढ़ में तो बहुत खूबसूरत गीत रेडियो पर बजता है- हमर हाथी, हमर दोस्त। पर वास्तव में जमीन पर हाथी को देखते ही लोग या तो बिदकते हैं, छेड़ते हैं या फिर कोरबा में हुई हाल की तरह मार डालते हैं।
चुनावी साल में भर्तियों पर रोक
आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद नई भर्तियों, नियुक्तियों और भर्ती परीक्षाओं को लेकर बनी अनिश्चितता ने लाखों बेरोजगारों को निराश कर दिया है। पीएससी के 171 पदों पर तो साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और बस चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी करनी थी। 150 नए पदों के लिए फिर प्रारंभिक परीक्षा होने वाली थी, जिसकी अधिसूचना भी अभी नहीं निकलने वाली है। कृषि महाविद्यालयों की 700 सीटों पर काउंसलिंग की प्रक्रिया रोक दी गई है। बीएड और डीएलएड की 5000 सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया रुक गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने सेट परीक्षा का प्रस्ताव रोक दिया है। कॉलेजों में 600 प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया भी रुक गई है। सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में चार साल पहले 75 हजार युवाओं ने भाग लिया था। कई कारणों से इसकी अंतिम सूची नहीं निकल पाई थी। अब तो उनके सब्र का बांध ही टूट गया है। इन युवाओं ने नवंबर के पहले सप्ताह में राजधानी में प्रदर्शन करने की भी तैयारी कर रखी है। विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और सारी भर्तियां नियुक्तियां रुकी रहीं तो युवाओं की भारी नाराजगी सामने आ सकती है।