राजपथ - जनपथ

संक्षिप्त नामों से खतरा
दो नंबर के लेन-देन में नाम इशारों में लिखे जाते हैं, और ऐसे में कभी-कभी बड़ी गलतफहमी भी होती है। छत्तीसगढ़ में लोगों को याद है कि नान घोटाले की डायरी में सीएम मैडम को भुगतान का हिसाब लिखा हुआ मिला था, और उस वक्त एक पक्ष का यह कहना था कि सीएम का मतलब नाम के एक अधिकारी, चिंतामणि की मैडम से था, दूसरे पक्ष का कहना था कि यह सीएम, यानी चीफ मिनिस्टर की पत्नी के बारे में था। बाद में वह रकम इतनी छोटी थी कि उसके साथ मुख्यमंत्री की पत्नी का नाम जुड़ा होने का किसी को भरोसा नहीं हुआ था। नान नाम की उस संस्था में कमाई और भ्रष्टाचार की कितनी संभावना थी, वह कांग्रेस सरकार बनने के पहले ही ठीक से सामने आ गई थी। और इस सरकार में पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल इस निगम पर काबिज हुए। अब यहां खाता न बही, जो रामगोपाल कहे वह सही।
लेकिन नामों की दिक्कत आना जारी है। आईटी और ईडी के छापों में एक आरजी को करोड़ों रूपये देने का हिसाब वॉट्सऐप चैट में मिला। ऐसा ही हिसाब कोयला-माफिया खलनायक सूर्यकांत तिवारी की डायरियों में भी मिला। अब जैसा पिछली सरकार में सीएम मैडम नाम की गलतफहमी हुई थी, इस सरकार में भी आरजी के नाम से दर्ज करोड़ों की रकम का मतलब रामगोपाल है, या राहुल गांधी है, यह किसे पता। फिर भी कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल अब तक किसी जांच से बचे हुए हैं, क्योंकि भाजपा के एक पिछले कोषाध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल उनके सगे समधी हैं, और कई बड़े कारोबार में दोनों परिवार भागीदार भी हैं। लेकिन कांग्रेस की राजनीति में संक्षिप्त नाम को आरजी लिखना बड़ा खतरनाक है।
रेल सुविधाओं की राजनीति
किसी शहर या कस्बे के कद को तौलने का एक तरीका यह भी होता है कि वहां कौन सी महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव है। 11 दिसंबर से शुरू होने वाली वंदेभारत ट्रेन का जहां-जहां ठहराव होगा, उस शहर के दर्जे को ऊंचा उठाएगा। राजनांदगांव से मांग उठी और सांसद संतोष पांडेय ने रेल मंत्री से मुलाकात कर लोगों की नाराजगी के बारे में बताया। ट्रेन के स्टापेज की संख्या शुरू होने से पहले ही बढ़ा दी गई। दुर्ग के बाद अब यह महज 31 किलोमीटर दूर राजनांदगांव में भी रुकेगी।
इधर सांसद गोमती साय ने भी रेल मंत्री से मुलाकात की है। उन्होंने वंदेभारत ट्रेन रायगढ़ से चलाने की मांग की है। मंत्री जी ने भी कहा कि आपके प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर निर्णय लिया जाएगा। कोई संदेह नहीं कि रायगढ़ से वंदेभारत ट्रेन शुरू होने और राजनांदगांव में स्टापेज मिलने से यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी, पर दोनों सांसद केवल उस विषय पर बात कर रहे हैं जो आज के दिन चर्चा में है। रायगढ़ जिले को, और अब सारंगढ़ को भी- ममता बेनर्जी के समय हुई घोषणा पर आज भी आगे काम होने का इंतजार है। यह है रायपुर-सारंगढ़-झारसुगुड़ा रेल परियोजना। यूपीए सरकार के समय ही संसद में इसके सर्वेक्षण के लिए मंजूरी दे रखी है। 310 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर उस समय अनुमान लगाया गया था कि करीब 2100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रास्ते में 33 स्टापेज भी तय किए गए थे। इनमें पलारी, बलौदाबाजार, लवन, कसडोल, बिलाईगढ़, सरसीवां, सारंगढ़ आदि शामिल हैं। इसी तरह एक पुरानी मांग है राजनांदगांव, खैरागढ़ से मुंगेली होते हुए कटघोरा तक रेल लाइन बिछाने की। करीब 100 साल पहले अंग्रेजों ने इस लाइन का सर्वे किया था। इसके लिए जमीन भी अधिग्रहित की गई थी। शहरों में इस जमीन पर कॉलोनियां बन चुकी हैं और गांवों में खेत-खलिहाल। एनडीए के पहले कार्यकाल में इस परियोजना में थोड़ा संशोधन किया गया। राजनांदगांव की जगह से डोंगरगढ़ से कवर्धा होते हुए मुंगेली और बिलासपुर के उसलापुर होते हुए कटघोरा को जोडऩे की योजना बनाई गई। सन् 2017 में इसकी करीब 277 किलोमीटर इस रेल लाइन की लागत 4820 करोड़ तय की गई।
दावा किया गया था कि इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम तीन साल के भीतर कर लिया जाएगा। यानि 2020 में काम शुरू हो जाना था। याद आता है कि बिलासपुर के सांसद अरुण साव ने एक बार लोकसभा में इस परियोजना के लिए शून्यकाल में आवाज उठाई थी। वे बिलासपुर से सांसद हैं और मुंगेली उनका गृह-जिला है। सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से भाजपा सांसदों ने वंदेभारत ट्रेन शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई तो दी है, पर साव, गोमती साय, संतोष पांडेय और वे सभी सांसद जिनके इलाकों को इन वर्षों से रुकी हुई परियोजनाओं से लाभ होगा, के लिए भी आवाज उठाते नहीं देखा जा रहा है। वंदेभारत के लिए जश्न तो मनाना बनता है, पर छत्तीसगढ़ के लाखों निवासियों को फायदा पहुंचाने वाली वर्षों पुरानी मांगों को भूल जाना भी ठीक नहीं है।
नए जिलों को लेकर अभी ना..
जिन जगहों में नए जिलों की मांग है उनमें राजिम भी एक है। यहां भी एक सर्वदलीय मंच है जो इसे लेकर आंदोलित है। पिछले दिनों इसके प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी तो उन्हें साफ बता दिया गया कि अभी राजिम को जिला बनाने पर विचार नहीं हो रहा है। जिला बनाने की मांग करने वालों का कहना है कि अमितेश शुक्ल को रिकॉर्ड 58 हजार मतों से सन् 2018 में इसीलिए जीत मिली थी क्योंकि उन्होंने जिला बनाने की मांग को पूरा करने का भरोसा दिया था। कांग्रेसी इसके जवाब में कह रहे हैं कि एक यही मांग पूरी नहीं हुई, वरना सीएम ने तो राजिम इलाके के विकास के लिए जितनी भी परियोजनाओं की मांग की गई, सबको मंजूरी दी है। वैसे स्व. अजीत जोगी के कार्यकाल में राजिम को जिला बनाने को लेकर लगभग सहमति बन चुकी थी। कुछ तकनीकी कारणों से इसकी घोषणा नहीं हो पाई। कटघोरा, भानुप्रतापपुर सहित पांच-सात जगहों से नए जिलों की मांग उठ रही है। मौजूदा स्थिति यही कि नए जिलों की घोषणा को लेकर अब सरकार जल्दी में दिखाई नहीं देती।
दानी और दयालु चोर
बीते दिनों दुर्ग के पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव ने चोरी के मामले में पकड़ाए कुछ आरोपियों से संवाद किया। उनसे पूछा कि चोरी क्यों की? किसी ने कहा नशे की आदत के चलते, किसी ने घर चलाने, लत लग जाने की बात कही। पर एक ने बताया कि उसने 10 हजार रुपये चुराए, पर सब लुटा दिए। कुछ पैसे गरीबों को बांट दिए, जिन्हें भोजन की जरूरत थी। बाकी पैसों से गर्म कपड़े खरीदे। गली-मोहल्लों में घूम रहे लोग, लावारिस गाय, कुत्ते इस समय ठंड से ठिठुर रहे हैं, जो दिखा उनको पहनाता गया। एसपी भी चौंक गए। कहा- तब तो अल्लाह का तुमको आशीर्वाद मिला होगा? आरोपी ने कहा-उसी की दुआ है तब तो कर पा रहा हूं..।
यकीनन, इसने रॉबिन हुड या सुल्ताना डाकू के बारे में नहीं सुना होगा, वरना चोरी से भी बड़े जुर्म को अंजाम देने की सोच सकता है। बहरहाल, इकबाल के बावजूद कानून के तहत उसे जेल भेज दिया गया है।