राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अदालत में ईडी से खुले कई राज
12-Dec-2022 4:23 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अदालत में ईडी से खुले कई राज

अदालत में ईडी से खुले कई राज

सूर्यकांत तिवारी गिरोह के खिलाफ ईडी ने अदालत में लंबी चार्जशीट पेश कर दी है। यह कुल आठ हजार से अधिक पेज की बताई जा रही है, लेकिन इसके ढाई सौ पेज का एक दस्तावेज ईडी की जुबान में कम्प्लेंट कहा जा रहा है, यह दस्तावेज बड़ा दिलचस्प है। कुछ लोगों के पास यह कल पहुंचा तो लोगों ने इसे एक क्राईम थ्रिलर की तरह देर रात जागकर भी पढ़ लिया। अब इसमें जो सॉफ्ट कॉपी लोगों के हाथ लगी है उसमें 199 से 221 तक के पेज गायब हैं। इस कम्प्लेंट के शुरू में बनाई गई सूची को देखें तो ऐसा लगता है कि इस मामले में अब तक फरार संदिग्ध लोगों की जानकारी वाले पन्ने गायब हैं, और कई लोगों को गवाह बनाने के पीछे ईडी की वजह भी गायब है। बीस-बाईस पेज को लेकर लोगों की उत्सुकता बनी हुई है कि अदालत में पेश कॉपी में भी ये पन्ने लगे हैं या नहीं? और इन पन्नों की ये जानकारियां बड़ी दिलचस्प भी होंगी इसलिए भी लोग एक-दूसरे से इन पन्नों को मांगते घूम रहे हैं।

ईडी की इस कम्प्लेंट से पता लगता है कि किस तरह आईएएस समीर बिश्नोई ने सूर्यकांत तिवारी से बातचीत को अपने फोन पर रिकॉर्ड करके रखा था, और बाद में यह फोन और रिकॉर्डिंग ईडी के हाथ लग गए, तो उसका काम कुछ आसान भी हो गया, और कुछ मजबूत सुबूत भी मिल गए।

न सिर्फ इस कोयला-उगाही के हिसाब-किताब से, बल्कि नेता, अफसर, ठेकेदार, इन सबकी जमीन खरीदी से भी पता लगता है कि नोटबंदी के एक दावे की पोल खुल चुकी है कि अब दो नंबर का कारोबार बंद हो गया है। लोग जमीनों की खरीद-फरोख्त में चेक से अधिक भुगतान दो नंबर की कैश से कर रहे हैं, और उस पर कोई भी रोक नहीं है, जमीन का हर सौदा दो नंबर के पैसों से हो रहा है, और नोटबंदी की तरफ देखकर ये नोट हॅंसते रहते हैं।

लेन-देन में नाम तो इनके भी!

कुछ लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि कोयले के इस कारोबार को लेकर प्रदेश में भाजपा को जितना आक्रामक होना था, वह उसके आसपास भी नहीं है। लेकिन कुछ अधिक जानकार लोग बताते हैं कि इंकम टैक्स और ईडी के छापों में दो नंबर के लेन-देन के जो कागज बरामद हुए थे, उन्हीं में यह हिसाब भी निकला है कि भाजपा के किन नेताओं को इस वसूली में से कितना भुगतान होता था। अब ये दोनों विभाग अपने को मिली हर जानकारी का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, सिर्फ कोयला कारोबार तक अपने को सीमित रखा है, इसलिए वे नाम अभी दबे हुए हैं, लेकिन दिल्ली की जानकारी में आ चुके हैं, और राज्य में कुछ फेरबदल के पीछे भी ऐसे ही नाम थे।

बहुत देर हो चुकी है

दिल्ली की खबर यह है कि छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के तथाकथित फॉर्मूले के आधार पर अब कोई भी फेरबदल नहीं होना है। पार्टी की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि ‘उस आधार पर’ कुछ भी करने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है। वैसे भी हिमाचल में एक राजपूत के मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ के इस चर्चित फॉर्मूले पर पूर्णविराम लग गया है।

एक ट्रेन पर सौ कुर्बान...

रविवार का दिन रेलवे के नाम पर था। बिलासपुर से नागपुर के बीच शुरू हुई वंदेभारत ट्रेन का जिस तरह स्वागत हुआ उससे यह भी साफ हुआ कि किसी एक उपलब्धि को कितना बड़ा इवेंट बनाया जा सकता है। वंदेभारत ट्रेन को पहले दिन उन स्थानों पर भी रोका गया, जहां उसका स्टापेज नहीं था। नागपुर से बिलासपुर तक जबरदस्त तैयारी की गई थी। इस बीच बाकी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों का क्या हाल था, इस पर भी नजर डाल लेते हैं। पहली बार नागपुर से बिलासपुर के लिए तेज रफ्तार से वंदेभारत ट्रेन चल रही थी। इधर विपरीत दिशा से इंटरसिटी एक्सप्रेस छूटी। यह भी बिलासुपर से नागपुर (इतवारी) चलती है। दोपहर बाद 03.50 पर यह बिलासपुर से छूटती है। इसे 04.35 पर 46 किलोमीटर दूर भाटापारा पहुंचना चाहिए, पहुंची शाम 07.35 बजे। यह दूरी लगभग 40 मिनट में तय हो जाती है, पर लग गए 02.30 घंटे से भी ज्यादा। इसके बाद ट्रेन ठीक चली और एक घंटे बाद रायपुर पहुंच गई। शायद इसलिये क्योंकि वंदेभारत ट्रेन तब तक भाटापारा पार करके अपने आखिरी स्टेशन तक पहुंच चुकी थी। इसी बीच बिरौनी से गोंदिया से चलने वाली ट्रेन का उसलापुर (बिलासपुर) पहुंचने का था। वह ट्रेन पहले से देर से चल रही थी। पर दोपहर में जब पेंड्रारोड पहुंच गई तो उसलापुर तक पहुंचने में उसे तीन घंटे से ज्यादा वक्त लगा। वंदेभारत ट्रेन से आने वाले यात्रियों ने बताया कि कहीं पर भी 110 से 120 की स्पीड में चली इस ट्रेन को ओवरटेक करते नहीं देखा गया। रास्ते भर यात्री ट्रेनें और मालगाड़ी किनारे लगी दिखीं। रेलवे के अफसर बता रहे हैं कि नागपुर से बिलासपुर के बीच चलने वाली 125 से अधिक ट्रेनों को वंदेभारत के लिए नियंत्रित किया गया। इनमें मालगाड़ी के अलावा सुपरफास्ट यात्री गाडिय़ां भी थीं। अब सप्ताह में 6 दिन शेड्यूल के मुताबिक लगभग पूरे दिन अप-डाउन मिलाकर वंदेभारत ट्रेन बिलासपुर-नागपुर के ट्रैक पर चलेगी। पहले से ही इस रूट पर अधिकांश गाडिय़ां लगभग रोज ही लेट चल रही हैं। अब इसमें और इजाफा हो सकता है। जिस तरह एक्सप्रेस गाडिय़ों के बाद पैसेंजर का और सुपर फास्ट ट्रेनों के बाद एक्सप्रेस का क्रेज घटा, उसी तरह अब सेमी हाई स्पीड ट्रेन के बाद क्या सुपर फास्ट ट्रेनों की स्थिति नहीं हो जाएगी?

जांच रिपोर्ट में सब ओके?

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में चार नवजात शिशुओं की मौत के मामले की जांच के लिए टीम बनाई गई, 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश था। जांच टीम ने इससे भी तेजी से काम किया। उसने जांच संभालते ही तीन-चार घंटे के भीतर ही रिपोर्ट तैयार कल ली। डीएमई को जांच रिपोर्ट भेज दी और डीएमई ने स्वास्थ्य मंत्री को फाइल भेज दी। मालूम हुआ है कि इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिजली बंद होने के कारण वेंटिलेटर बंद नहीं हुआ था और इसकी वजह से नवजातों की जान नहीं गई। पर दूसरा पहलू यह है कि जब इनकी तबीयत बिगडऩे लगी तब सीनियर डॉक्टर्स वहां मौजूद थे? परिजनों का तो आरोप है कि इस दौरान डॉक्टर पहुंचे ही नहीं। उन्हें तबीयत बिगडऩे के बारे में किसी स्टाफ ने रात में कुछ नहीं बताया, सीधे मौत की खबर दी गई। ये जिम्मेदारी किसकी थी? मौतों को लेकर अंबिकापुर में काफी गुस्सा था। स्वास्थ्य मंत्री और विभाग के सचिव हेलिकॉप्टर से वहां पहुंचे। भाजपा ने काला झंडा दिखाकर प्रदर्शन किया। भाजपा का कहना है कि उन्हें जांच टीम पर भरोसा नहीं । जांच करने वाले डॉक्टर यहां के डीन और अधीक्षक के नीचे काम कर चुके हैं। हालांकि भाजपा ने खुद भी एक टीम बनाकर अपनी जांच रिपोर्ट तैयार करने की बात कही है। भले ही उस रिपोर्ट को राजनीतिक नजरिये से देखा जाए और वैधानिकता न हो, पर कुछ और सच सामने आने की गुंजाइश बनी हुई है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट पर तक किसी पर कोई एक्शन होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।

मिट्टी से महक लेते आईपीएस

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, महासमुंद के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने वक्त निकाला और अपने गांव रायगढ़ जिले के तारापुर पहुंच गए। गांव में इस समय धान के फसल की कटाई, मिंसाई का काम चल रहा है। इसमें भी उन्होंने हाथ बंटाया। सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए उन्होंने लिखा- छत्तीसगढ़ महतारी के माटी के सुंगध मोर रोम-रोम पुलकित कर देवत हे। बड़े प्रशासनिक पदों से जुड़े अधिकारी जब मिट्टी से जुड़ाव को नि:संकोच जाहिर करते हैं तो उनको तारीफ मिलती है। इस ट्वीट को भी मिल रही है। रायगढ़ से आने वाले अफसरों को लेकर लोग कुछ अलग बातें भी करते हैं। सन् 2023 से जोडक़र इसे नहीं देखा जाना चाहिए।  

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