राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भगवा-केसरिया की तलाश
17-Dec-2022 3:43 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भगवा-केसरिया की तलाश

भगवा-केसरिया की तलाश

पिछले कुछ दिनों में मुस्लिमविरोधी भगवाप्रेमी भारतीय संस्कृति वाले लोगों की मेहरबानी से हिन्दुस्तान से गूगल पर सर्च करने वालों में भगवे और केसरिया कपड़े पहनीं अभिनेत्रियों का बोलबाला रहा। कुछ लोग भगवे रंग के कपड़ों के फिल्मी इस्तेमाल के ऐसे मामले ढूंढ रहे थे जिनसे कोई मुस्लिम बदन जुड़ा हो, और दूसरी तरफ इनका जवाब देने के लिए लोग ऐसे हिन्दूवादी बदनों को ढूंढ रहे थे जो कि भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक हैं, और दो-तीन छोटी-छोटी भगवा या केसरिया धज्जियों से जिन्होंने बदन ढांक रखा था। ऐसे बहुत से सर्च-रिजल्ट लोगों को कंगना रनौत तक ले गए जो कि हिन्दुत्ववादियों की पसंदीदा रानी लक्ष्मी है। इंटरनेट सर्च ने लोगों की जिंदगी आसान कर दी है। अब मोदी का इंटरव्यू लेने वाले मशहूर हिन्दुत्ववादी कनाडा निवासी अभिनेता अक्षय कुमार की ऐसी तस्वीरें ढूंढ निकाली गईं जिनमें वे न सिर्फ भगवा, बल्कि रामनामी कपड़ों को पहनी हुई अर्धनग्न सुंदरियों के बीच नाच रहे हैं। अब यह तो भगवा रंग से भी अधिक बड़ा अपमान हिन्दुत्व का हो गया क्योंकि रामनामी कपड़ों के ऊपर रूद्राक्ष की मालाएं भी पहनीं सुंदरियों ने नीचे मानो कुछ भी नहीं पहन रखा था। सोशल मीडिया ने लोगों की याददाश्त, कल्पनाशक्ति, और उनका व्यंग्यबोध, सब कुछ को खासा बढ़ा दिया है।

पदयात्रा और तबादला लिस्ट के सौ दिन

पुलिस मुख्यालय में इंस्पेक्टर और उनसे नीचे के कर्मचारियों-अधिकारियों के तबादलों के सैकड़ों नामों की लिस्ट तैयार हुए महीनों गुजर गए हैं, और उस पर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। एक आईपीएस अफसर ने दो दिन पहले कहा कि राहुल गांधी की पदयात्रा को सौ दिन पूरे हुए हैं, और इस लिस्ट को गए भी उतने ही दिन हो गए हैं। फरवरी में ये दोनों काम लगता है कि एक साथ पूरे होंगे। अब सरकारों में तबादलों को बच्चों की पढ़ाई के महीनों से जोडक़र देखना बंद हो चुका है। सरकारें मानो यह मानकर चलती हैं कि सरकारी कर्मचारी-अधिकारी हैं, तो वे तो दो शहरों में घर-बार रखने का खर्च उठा ही लेंगे। बच्चों की पढ़ाई का साल पूरे होने तक परिवार एक जगह रहता है, और अफसर-कर्मचारी दूसरे शहर-गांव में। होना तो यह चाहिए कि स्कूल-कॉलेज शुरू होने के दो-तीन महीने पहले तबादले निपट जाएं ताकि लोगों का फिजूलखर्च न हो।

अजीब है यह आंदोलन

हसदेव कोल ब्लॉक में अडानी ग्रुप अधिग्रहित और राजस्थान सरकार समर्थित नई खदानों को मंजूरी देने के खिलाफ़ जल-जंगल और रहवास उजडऩे के ख़िलाफ चल रहे आंदोलन को उम्मीद की एक छोटी रौशनी दिखाई दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके तर्कों को सुनने के बाद उस याचिका को मंजूर कर लिया है जिसमें पेसा कानून, पर्यावरण मंत्रालय, संविधान उद्धत कंडिकाओं का उल्लेख करते हुए परसा क्षेत्र और अन्य इलाकों में नई खदानों को को मंजूरी पर रोक लगाने की मांग की गई है। केंद्र सरकार ने खदान को मंजूरी देने का फैसला वापस लेने से इंकार कर दिया है। दो माह पहले इस बारे में कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने स्पष्ट कर दिया था। यह एक अजीब मामला है कि जिस विषय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सरगुजा से प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री टीएस सिंहदेव, स्पीकर डॉ. चरण दास महंत समय-समय पर विरोध व्यक्त कर चुके हैं। पर आंदोलनकारियों को इन सब का बयान केंद्र के आगे बौना लग रहा है। आदिवासियों के आरक्षण पर इन दिनों सरकार को घेर रही भाजपा ने अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी ही बांधकर रखी हुई है। राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप पेड़ों की कटाई का आदेश निरस्त हो जाने के बावजूद प्रभावितों का संकट कम नहीं हो रहा है। वे भयभीत हैं कि किसी भी दिन प्रशासन को साथ लेकर बुलडोजर घुसेगा, उनको तहस-नहस करने के लिए। संभवत: इसीलिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। साफ है, हसदेव में नई कोयला खदानों के ख़िलाफ चल रहा आंदोलन सिर्फ प्रभावितों का है। इसे किसी राजनीतिक दल का मजबूत समर्थन ही नहीं है।

मशहूर लाल चीटियों की चटनी

झारखंड से कोई आया, बस्तर घूमकर गया। वहां के प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक, पौराणिक स्थलों की तस्वीरें तो डाल दी, पर खास तौर पर इस लाल चीटीं का उल्लेख किया। लिखते हैं- बस्तर में खाए जाने वाले सबसे अजीब खाद्य पदार्थों में लाल चींटियां और उनके अंडों से बनी चटनी है। लोग चाव से इसे खाते हैं। यह भी कहते हैं कि देश-दुनिया के लोग बस्तर को क्या बूझ सकेंगे, जब छत्तीसगढ़ के और खुद बस्तर के ही लोग नहीं बूझ पाए।

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