राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सूचना आयोग में कौन-कौन?
21-Dec-2022 4:32 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सूचना आयोग में कौन-कौन?

सूचना आयोग में कौन-कौन? 

छत्तीसगढ़ के सूचना आयोग में एक सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के पद खाली हैं। इन दो पदों पर नियुक्ति के लिए करीब सौ लोगों ने आवेदन किया है और नियुक्ति की प्रक्रिया के मुताबिक सरकार को इन्हीं में से लोगों को नियुक्त करना है, या फिर दुबारा अर्जियां बुलानी हैं। पिछले दो महीने में वैसे तो बहुत सी नियुक्तियां हुईं लेकिन सूचना आयोग की बारी नहीं आ पाई। कुछ मुख्यमंत्री की व्यस्तता रही, और कुछ इस आयोग को लेकर सरकार की दिलचस्पी में कमी भी रही। जैसा कि नाम से जाहिर है सूचना आयोग प्रदेश भर से सरकारी दफ्तरों, और रजिस्टर्ड संगठनों से जानकारी न मिलने के खिलाफ लगाई गई शिकायतें सुनता है, और इससे आरटीआई एक्टिविस्ट लोगों को बढ़ावा मिलता है, जो कि सरकार के बहुत काम की बात नहीं है। सूचना का अधिकार सूचनाओं पर सरकार के एकाधिकार की परंपरा को तोड़ता है, इसलिए सूचना आयोग सरकार की अवांछित संतान रहती है। अभी भी उसमें जब तक चार सदस्य थे तब तक भी कर्मचारियों की कमी से वहां काम कम हो पाता था, और सरकार के खिलाफ लगी अर्जियां हजारों की कतार में खड़ी रहती थीं। अब यह कतार और लंबी हो गई होगी। 

जिन लोगों ने सूचना आयोग के दो ओहदों के लिए अर्जियां भेजी हैं, उनमें राज्य के तीन रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं, और कई पत्रकार भी हैं। जैसे ही आवेदन देने का वक्त खत्म हुआ, लोगों ने तेजी से सूचना के अधिकार के तहत वह लिस्ट मांग ली कि किन लोगों ने आवेदन किया है, ताकि बाद में कोई आवेदन जोड़ न सके। इस लिस्ट में पहली नजर में जो नाम पहचान में आ रहे हैं, उनमें राजेश चौहान हैं, जो कि शायद क्रिकेट खिलाड़ी रहे हुए हैं। कुछ वकीलों ने भी आवेदन किया है। रिटायर्ड आईएएस में से उमेश कुमार अग्रवाल, नरेन्द्र कुमार शुक्ला, और टी.सी. महावर ने अर्जी भेजी है। पत्रकारों ने भी आवेदन किया है जिनमें बिलासपुर के रूद्र अवस्थी, स्टेट्समेन अखबार के संवाददाता अजयभान सिंह, टाईम्स ऑफ इंडिया की रश्मि अभिषेक मिश्रा, रूपेश गुप्ता के नाम पहली नजर में पहचान में आते हैं, हालांकि किसी एप्लीकेशन के साथ उनके अखबार का नाम आवेदकों की लिस्ट में नहीं लिखा हुआ है, और न ही उनका पेशा लिखा हुआ है। हम अपने सामान्य ज्ञान के हिसाब से कुछ नामों को पहचान कर लिख रहे हैं, लेकिन इससे परे के भी कुछ अफसर या पत्रकार लिस्ट में हो सकते हैं। अब देखना है कि 94 लोगों की यह लिस्ट नेता प्रतिपक्ष के साथ बैठकर मुख्यमंत्री कब सोचते-विचारते हैं, और उस पर फैसला करते हैं।  

रिपोर्ट किस पर बनाएं? 
दुर्ग जिले में पुलिस ने प्रदूषणमुक्त-हेलमेटयुक्त अभियान चलाया है। नारा बड़ा खूबसूरत है, और पता नहीं क्यों प्रदेश में हेलमेट की कामयाबी हर बार दुर्ग जिले में ही क्यों हो पाती है, राजधानी रायपुर ऐसी किसी कोशिश से बिल्कुल अछूता बना रहता है। जब एक अखबार के संपादक ने दुर्ग जिले के एक संवाददाता को संदेश भेजा कि हेलमेट-अभियान पर रिपोर्ट बनानी चाहिए, तो उसने तुरंत फोन करके पूछा- सर, ये पुलिस के हेलमेट अभियान पर बनानी है, या अजय चंद्राकर के हेलमेट अभियान पर? दरअसल भाजपा की सभा पर पथराव का आरोप लगाते हुए अजय चंद्राकर ने अभी दुर्ग में हेलमेट लगाकर भाषण दिया था, और उनका वह वीडियो तेजी से फैला था। अब ऐसे माहौल में संवाददाता का असमंजस स्वाभाविक था कि संपादक किस हेलमेट अभियान पर रिपोर्ट बनाने कह रहे हैं। 

भाषण पर सियासत...
मुंगेली जिले के लालपुर में हर वर्ष गुरु घासीदास जयंती के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री को मुख्य अतिथि बनाया जा रहा है। इसलिए इस कार्यक्रम की अलग ऊंचाई है। स्व. अर्जुन सिंह के समय से परंपरा चल रही है। कोई भी मुख्यमंत्री हो- तय तिथि 18 दिसंबर को यहां पहुंचते ही रहे हैं। सभी दलों के नेता इसमें शामिल होते है। मुख्यमंत्री अपने सरकार के कामकाज पर बोलते जरूर हैं, पर समारोह का स्वरूप प्राय: गैर-राजनीतिक ही होता है। इस बार यहां एक अप्रिय स्थिति पैदा हुई जब सतनामी समाज के कुछ युवाओं ने समारोह के दौरान काले रंग की तख्तियां लेकर नारेबाजी की। ये युवक जब नारा लगाते हुए मुख्यमंत्री के नजदीक आ रहे थे तो वहां तैनात पुलिस वालों ने उनको रोकने की कोशिश की। मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने तक आने देने के लिए कहा, पर सुरक्षा में लगे जवानों ने ऐहतियात बरतते हुए ऐसा नहीं किया। दरअसल, यह स्थानीय पुलिस की एक बड़ी चूक कही जा सकती है। मुख्यमंत्री की सभा में कुछ लोग प्रदर्शन के लिए पहुंचे, पर इसका अंदाजा वह पहले से नहीं लगा सकी। ऐसे किसी विरोध की आशंका इसलिए भी थी क्योंकि अनुसूचित जाति आरक्षण का प्रतिशत कम होने का मुद्दा सुलगा हुआ है। ऐसी स्थिति में बिना व्यवधान के कार्यक्रम हो इसकी प्रशासन की ओर से तैयारी में कमी रह गई।
इस जिले में बिल्हा के कुछ हिस्से को छोड़ देने से दो विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह आते हैं, लोरमी और मुंगेली। दोनों में अभी कांग्रेस नहीं है। मुंगेली भाजपा के पुन्नूलाल मोहले के पास है, तो लोरमी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से जीते हुए धर्मजीत सिंह के। यह चर्चा है कि धर्मजीत सिंह अगले चुनाव में भाजपा की टिकट पर लड़ सकते हैं। जिस दल के मुख्यमंत्री 18 दिसंबर को लालपुर पहुंचते हैं, उस पार्टी को थोड़ा-बहुत फायदा तो पहुंचता ही है, भले ही कार्यक्रम गैर राजनीतिक हो। लालपुर में सभा के दौरान प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री ने कथित रूप से कहा है कि- जो शाम होते ही भौंकते हैं, उनसे मैं नहीं डरता। भाजपा ने दो दिन बाद बयान की इस लाइन पर आपत्ति जताई है। वह इसे सतनामी समुदाय के युवाओं पर की गई टिप्पणी बता रही है। सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात भी वह कह रही है। सतनामी संगठनों की प्रतिक्रिया अभी देखने में नहीं आई है। भाजपा ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि 16 प्रतिशत आरक्षण की युवाओं की मांग पर उसका क्या रुख है। पर भाषण को लेकर सीएम को घेरने का पर्याप्त सियासी फायदा है।

रुको, जाओ, जो मर्जी करो...


यह बिलासपुर के एक चौराहे की तस्वीर है जिसमें सामने दो ट्रैफिक सिग्नल के पोल दिखाई दे रहे हैं। एक में सिग्नल रेड है और उसके ठीक पीछे तीनों दिशाओं के लिए ग्रीन सिग्नल दिख रहा है। कोई ट्रैफिक नियमों का पालन करना भी चाहे तो कैसे करे? इसलिए सिग्नल की परवाह किए बिना बेरोकटोक लोग आ-जा रहे हैं। दरअसल, यहां एक नए ऑटोमैटिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम पर काम हो रहा है। नया अभी तैयार नहीं हुआ है, पुराना उखाड़ा नहीं गया है। पर, दोनों में सिग्नल चालू हैं।

छत्तीसगढ़ के लोग उर्दू अकादमी के अभी के अध्यक्ष इदरीस गांधी को जवान समझते थे। लेकिन कल मोतीलाल वोरा की जयंती पर उनकी ट्वीट से पता लगा कि इदरीस गांधी और मोतीलाल वोरा साथी थे। अब इस रहस्य के खुलने के बाद इदरीस गांधी के लिए एक बहुत बुजुर्गों वाला सम्मान भी लोगों के बीच पैदा होगा। ([email protected])

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