राजपथ - जनपथ

कांग्रेस विधायकों की चिट्ठी
कांग्रेस में अक्सर कहा जाता है कि उसे विरोधियों की जरूरत नहीं पड़ती। वे आपस में ही एक दूसरे को निपटाने में लगे रहते हैं। सरगुजा में टीएस सिंहदेव के खिलाफ विधायक बृहस्पत सिंह तो स्थायी रूप से मोर्चा खोलकर ही बैठे हुए हैं, कुछ ऐसा ही कोरबा में मंत्री जयसिंह अग्रवाल के साथ हो रहा है। न्यू ट्रांसपोर्टनगर के लिए बरबसपुर की जगह किसी दूसरी जगह जमीन तलाशने की कोशिश होने पर उन्होंने मौके पर जाकर अधिकारियों को फटकारा। कलेक्टर को भी नहीं बख्शा। इस पर भाजपा के दो विधायक पुरुषोत्तम कंवर और मोहित राम केरकेट्टा ने सीएम को पत्र लिखकर मंत्री पर सीधे-सीधे आरोप लगा दिया कि वे अपने रिश्तेदारों, करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों पर दबाव डाल रहे हैं। भाजपा तो यह आरोप पहले से ही लगा रही थी। कल अमित शाह की सभा में उनके आने से पहले सरोज पांडेय ने भी कह दिया कि जहां खाली जमीन है, सब पर मंत्री की निगाह है। कुछ माह पहले मंत्री ने रानू साहू को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट कलेक्टर बताया था। उन्होंने डीएमएफ की रकम को खर्च करने में मनमानी करने का आरोप लगाया था। उस समय भी इन दोनों विधायकों ने कलेक्टर का साथ दिया और मंत्री पर ही निशाना साधा। भाजपा विधायक, पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर का भी यही रुख था। रानू साहू के तबादले के बाद अब ये विधायक फिर कलेक्टर की तरफ हैं, जो न्यू ट्रांसपोर्ट नगर नई जगह पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। सिंहदेव जैसी स्थिति कुछ-कुछ जयसिंह की भी है, पर ऐसा नहीं लगता कि वे कह देंगे- इस बार चुनाव लडऩे का मन नहीं।
हे धरती तू फट जा..
इस बार छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग-भिलाई में आईटी छापे पड़े, तो यह सनसनी फैली कि इसका कोई न कोई राजनीतिक कनेक्शन है। बाद में विभाग के अफसरों ने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि जमीन कारोबारी सुनील साहू पर ही यह छापा केन्द्रित है, और उनसे जिन बड़े कारोबारियों का संदिग्ध लेन-देन था, वे भी घेरे में लाए गए हैं। ऐसे में आज सुबह एक घर में अचानक ही पैकिंग में कुछ महीने पहले का यह अखबार निकला जिसके दो पन्नों पर सुनील साहू के श्री स्वास्तिक ग्रुप की महिमा का धार्मिक भावना से बखान है। संयोग छोटा नहीं है, खासा बड़ा है, अभी छापा पूरा नहीं हुआ और पैकिंग में यह अखबार निकलकर सामने आ गया। अब पता नहीं इसमें लिखे हुए कई किलो विशेषणों को पढक़र ही इंकम टैक्स यहां तक पहुंचा था या किसी और जानकारी के आधार पर।
फिलहाल छत्तीसगढ़ में माहौल यह बना हुआ है कि अफसरों पर छापे पड़ें तो जमीन कारोबारी फंसेंगे, और जमीन कारोबारियों पर छापे पड़े, तो अफसरों के सुबूत निकलेंगे। आयकर विभाग के जानकार लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ का कुल कारोबार जितना है, उससे तो देश के कई शहरों का कारोबार अधिक है, लेकिन इतना ब्लैकमनी और कहीं नहीं है। खैर, अभी ईडी और आईटी जांच और मुकदमेबाजी का नतीजा आना बाकी है, और इंसानों के धंधे में जमीन नाहक बदनाम हो रही है। आज जमीनों का बस चलता तो उनके मुंह से निकलता- हे धरती तू फट जा..।
अभयारण्य का निष्क्रिय टावर
प्रदेश के अन्य अभयारण्यों से बाघों को लाकर छत्तीसगढ़ में संख्या बढ़ाने का हाल ही में मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया। पहले अचानकमार में फिर अनुकूल माहौल होने पर बार नवापारा में इन्हें छोड़ा जाएगा। यह भी कहा गया है कि जंगलों की गतिविधियों की त्वरित सूचना के लिए अभयारण्यों में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाया जाए और टावर लगाए जाएं। मोबाइल कनेक्टिविटी मिलने से अवैध कटाई, शिकार रोकने, आपात स्थिति में मदद पहुंचाने, वनों में रहने वाले ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी। यह योजना तो बेशक अच्छी है, पर पहले की योजनाओं की स्थिति क्या है, यह भी देखना चाहिए। यह तस्वीर बार नवापारा में तन कर खड़े मोबाइल टावर की है। साल भर से अधिक हो गया, इसने काम करना शुरू ही नहीं किया है। पर्यटक, ग्रामीणों और वन विभाग को इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
गोमूत्र 4 रुपये, टमाटर के 50 पैसे भी नहीं
दुर्ग से लेकर जशपुर तक टमाटर उत्पादक किसानों को भरपूर पैदावार की कीमत नहीं मिलने की इन दिनों सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी चल रही है। वह यह कि हमारे यहां गोमूत्र 4 रुपये लीटर, गोबर दो रुपये किलो में बिक रहा है, पर टमाटर को 50 पैसे या एक रुपये में खरीदने वाला भी कोई नहीं मिल रहा।
यह सवाल जायज तो है। बात वही है, प्रोसेसिंग प्लांट की। गोबर को खाद व गो मूत्र को जैविक रसायन बना कर रखने का काम बहुत छोटे-छोटे स्तर पर गौठानों में हो रहा है। उसकी प्रोसेसिंग हो गई और उसे तब तक स्टोर करके रखा जा सकता है, जब तक बिके नहीं। टमाटर और दूसरी फसल उगाने वाले किसान अपने लिए भी यही मांग तो वर्षों से कर रहे हैं।
कोरबा में गिरिराज के बाद शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कल कोरबा जिले के प्रवास पर पहुंच रहे हैं। उनका यहां कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है। माता सर्वमंगला देवी का दर्शन कर आम सभा को संबोधित करेंगे और कोर ग्रुप की बैठक के बाद करीब 2 घंटे रहकर शाह वापस लौट जाएंगे। बस्तर के अलावा कोरबा भी एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। संयोग से लोकसभा में प्रदेश की दोनों सीट ही कांग्रेस के पास है। दोनों इलाकों में कुछ को छोडक़र विधानसभा की भी लगभग सारी सीटें कांग्रेस को ही मिली है। बस्तर में दिल्ली से नियुक्त किए गए भाजपा के प्रभारी नेताओं ने हाल के दिनों में खूब दौरा किया है। कोरबा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह का चर्चित दौरा रहा जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री आवास रोके जाने के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। इन दोनों ही बेल्ट में यदि भाजपा अपनी खोई हुई पकड़ फिर से बना लेती है तो सन 2023 के चुनाव में मजबूत स्थिति में पहुंच सकती है, ऐसा उनकी पार्टी के लोगों का मानना है। लोगों की निगाह इस बात पर टिकी हुई है कि अमित शाह जनसभा में क्या बोलते हैं और कोर ग्रुप की बैठक में पार्टी के क्षेत्रीय नेताओं के बीच कौन सा मंत्र फूंक कर जाएंगे। ऐसा लगता नहीं कि 2018 की तरह इस बार वे अब की बार 65 पार दोहराने वाले हैं।