राजपथ - जनपथ

एससी एसटी एक्ट पर सुलगता ट्विटर
बीते 4 दिनों से ट्विटर पर एससी-एसटी एक्ट हटाओ टॉप ट्रेंड पर है। अखिलेश यादव की बयान बाजी और जोशीमठ के अस्तित्व पर आए संकट का मुद्दा भी इससे पीछे है। पिछले महीने भोपाल में एक निजी कॉलेज के सहायक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उसके खिलाफ दो युवकों ने मामूली विवाद पर इस एक्ट के तहत अपराध दर्ज कराया था। इसके बाद से मामला सुलगता गया और भोपाल में एक भारी प्रदर्शन भी जंबूरी मैदान पर कल हुआ। सम्मेलन की जो तस्वीरें आई हैं, उससे पता चलता है कि इसमें हजारों की संख्या में लोग इसमें शामिल हुए।
एससी एसटी एक्ट को अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को सामाजिक न्याय देने के दी गई कानूनी सुरक्षा है, लेकिन अनेक बार इस कानून का दुरुपयोग आपसी विवाद का बदला लेने या रकम ऐंठने के लिए किया जाता है। सितंबर महीने में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक आरोपी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में दी गई सजा को संशोधित किया था। कोर्ट ने कहा था कि केवल इस आधार पर कि आरोपी को पीडि़त की जाति मालूम है, यह धारा नहीं जोड़ी जा सकती। यह सिद्ध होना चाहिए आपराधिक कार्य जातिगत पूर्वाग्रह के कारण किया गया है। करीब 2 साल पहले स्पेशल कोर्ट के आदेश पर मंत्री जयसिंह अग्रवाल और कांग्रेसी नेता सुरेंद्र जायसवाल के खिलाफ दर्ज एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।
सन् 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देशभर में हुए आंदोलन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने एक संशोधन पारित किया था जिसके तहत इस एक्ट में नामजद आरोपी की गिरफ्तारी के लिए किसी अधिकारी की मंजूरी की जरूरत नहीं और एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच की भी नहीं। अधिनियम के अंतर्गत आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं दी जा सकती। हालांकि इसके बाद अदालतों ने अग्रिम जमानत दिए हैं। सन 2022 के अप्रैल महीने में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस एक्ट के तहत दर्ज एफ आई आर में एक उप-सरपंच को अग्रिम जमानत दी। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कानून का दुरुपयोग प्रतीत हो तो कोर्ट के पास अग्रिम जमानत देने की शक्ति है।
मगर इसके कुछ दूसरे पहलू भी हैं। सन् 2020 से 2021 के बीच अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग पर अत्याचार 9 प्रतिशत बढ़ गए। मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार ऐसे राज्य हैं जहां अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों की दर बहुत अधिक है। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति के दर्ज अपराधों की संख्या पर बात करें तो स्थान पांचवां है।
ट्विटर टॉप ट्रेंड होने से यह निष्कर्ष निकाल लेना ठीक नहीं होगा कि यह इस वक्त का सबसे बड़ा मुद्दा है, पर यह ऐसा विषय जरूर है जिसके मकसद और नतीजों पर विमर्श हो।
प्लास्टिक की खपत हुई कम
शहर की स्वच्छता पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके अंबिकापुर नगर निगम का एक नया आंकड़ा सामने आया है। इसके मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बाद लोगों के बीच की इसकी खपत में 40 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। यह हिसाब इसलिए लगाया जा सका क्योंकि एकत्र किए गए प्लास्टिक का वजन किया जाता है और फिर प्रोसेस के जरिए प्लास्टिक दाना, ईंधन या कोई दूसरा उपयोगी सामान बनाया जाता है। पहले प्रतिदिन डेढ़ टन तक प्लास्टिक कचरा इक_ा कर लिया जाता था लेकिन अब सिर्फ 1 टन मिल रहा है। प्रोसेसिंग के जरिए करीब एक करोड़ रुपये की कमाई भी इस साल हुई है। छत्तीसगढ़ के बाकी नगर-निगमों में भी ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए?
प्रतिमाओं पर पर्देदारी..
बीते 7 जनवरी को कोरबा के इंदिरा स्टेडियम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जनसभा हुई तो वहां लगाई गई पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की प्रतिमाओं को कपड़े से ढक दिया गया था। एक कांग्रेस नेता का कहना था कि प्रतिमाएं यूं ही लगी रहती तो शायद इस ओर लोगों का ध्यान नहीं जाता लेकिन छिपा देने से उन्हें भी इंदिरा और राजीव के बारे में जानने का मौका मिल गया, जो उनके बारे में बहुत कम जानते थे।
गलत नंबर प्लेट की इस गाड़ी पर कोई कार्रवाई करने से पुलिस के ऊपर भगवान महादेव का श्राप बिजली की तरह टूट कर गिर सकता है। पुलिस सावधान रहे। तस्वीर/ छत्तीसगढ़