राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इस बार के ईडी छापों का राज
13-Jan-2023 4:13 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इस बार के ईडी छापों का राज

इस बार के ईडी छापों का राज

कई दिनों के बाद ईडी ने आज सुबह फिर छत्तीसगढ़ में कई जगह छापेमारी की है, और एक आईएएस दम्पत्ति के घर पर भी अभी जांच और तलाशी चल रही है। अंबलगन पी. अभी जल संसाधन, संस्कृति एवं पर्यटन सचिव हैं, और उनकी पत्नी अलरमेलमंगई डी. नगरीय प्रशासन सचिव हैं, और वित्त विभाग में भी सचिव हैं। अभी की जानकारी के अनुसार यह छापा अंबलगन पी. पर पड़ा है, और उनके भिलाई के 32 बंगले कॉलोनी के मकान पर जांच चल रही है। यह समझ पड़ता है कि वे खनिज सचिव भी थे, और उस दौरान कोयले की उगाही या लौह अयस्क की खदानों के मामलों को लेकर वे ईडी की जांच के घेरे में थे, और कुछ हफ्ते पहले अदालत में ईडी द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में उनका भी जिक्र था। वह चार्जशीट वैसे तो कांग्रेस नेता सूर्यकांत तिवारी और आईएएस समीर बिश्नोई के खिलाफ थी, लेकिन उसमें कुछ जगहों पर अंबलगन पी. का नाम भी था, और उन्हें कांफ्रेंस कॉल पर लेकर बात करने की घुडक़ी भी सूर्यकांत तिवारी दे रहा था।

बीएसपी के बंगलों पर करोड़ों खर्च
भिलाई में राज्य सरकार के आईएएस और आईपीएस अफसरों की महिमा अपरंपार है। अपने बच्चों को भिलाई की बेहतर स्कूलों में पढ़वाने के लिए राज्य के ये अफसर बीएसपी से बंगला अलॉट करवा लेते हैं, और फिर पूरी जिंदगी ऐसे बंगले रखे रहते हैं। इन बंगलों में या तो बीएसपी की मेहरबानी से, या राज्य सरकार के कुछ विभागों के अघोषित खर्चों से, या ठेकेदारों और कारोबारियों को धमकाकर करोड़ों का काम करवाया जाता है। ये बंगले पहचान में नहीं आते, और ऐसा खर्च करवाने वाले अफसर इसे नाजायज इसलिए नहीं मानते कि यह उनकी निजी सम्पत्ति तो है नहीं, और वे तो यह सब किया-कराया यहीं छोड़ जाएंगे। यह एक अलग बात है कि अफसर आमतौर पर इन बंगलों को रखे ही रहते हैं।
आज अंबलगन पी. के जिस बंगले पर यह जांच चल रही है, उसके बारे में एक दूसरी जांच एजेंसी के अफसर ने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि बीएसपी के ढांचे जैसे मकान को बंगला बनवाने का खर्च कहां से आया? अब ऐसी जांच भिलाई में बीएसपी के बंगलों से परे राजधानी रायपुर में राज्य सरकार के बंगलों की हो जाए तो भी अफसरों के लिए यह सफाई देना मुश्किल हो जाएगा कि बंगलों का हुलिया बदलने की लागत कहां से आई। एक केन्द्रीय जांच एजेंसी यह देखकर भी हैरान है कि राज्य के एक अफसर ने बीएसपी के पूरे बंगले तो तोड़वाकर उस जमीन पर पूरा बंगला ही तनवा दिया है।

लोहे की खदान लोहे से भारी पड़ी
फिलहाल ऐसा माना जा रहा है कि खनिज और खदानों से जुड़े हुए कुछ कारोबारियों पर भी ईडी की कार्रवाई हो सकती है। आज का यह छापा भी लौह अयस्क की उन खदानों की नीलामी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है जिनमें एक कारोबारी ने खनिज विभाग के भीतर बैठकर नीलामी में बोली लगाते कारोबारियों के नाम कम्प्यूटर पर देखकर उन पर राज्य सरकार के अफसरों के मार्फत दबाव डलवाया था, और एक खदान बहुत कम रेट पर हासिल की थी। प्रदेश के दूसरे सभी बड़े उद्योगपतियों को यह बात मालूम है, और अफसरों में भी आधा दर्जन का इस्तेमाल इसके लिए किया गया था। अब यह खुलासा होना बाकी है कि उस कुख्यात नीलामी और खदानों की दूसरी गड़बड़ी की जानकारी ईडी को अफसरों के बयानों में मिली है, कारोबारियों के बयान में मिली है, या फिर ईडी के छापों में जब्त लोगों के मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की गई किसी कॉल से मिली है, या आपसी वॉट्सऐप संदेशों से मिली है। राज्य के कम से कम एक आईएएस अफसर ने खनिज विभाग के आईएएस अफसर के कहने के बाद भी कारोबारियों को फोन करके बोली न लगाने का निर्देश नहीं दिया था। अब हो सकता है कि ऐसे अफसरों के साथ ईडी कुछ नरमी भी बरते।

छत्तीसगढ़ की झांकी पर रोक

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में होने वाले मुख्य समारोह में छत्तीसगढ़ की झांकी को मौका नहीं मिल रहा है। इसके पीछे कुछ तकनीकी कारण बताए गए हैं। पूरे देश के राज्यों को रक्षा विभाग ने 7 जोन में बांटा और हर जोन से 2-2 राज्यों को इंट्री दी। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड को बुलाया गया, जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ छूट गए। चयन इस आधार पर किया गया कि जिन राज्यों को कम मौका मिला है, उन्हें रखा जाए।
इस बार छत्तीसगढ़ ने मिलेट मिशन का मॉडल बनाना तय किया था। प्रदेश के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने झांकी की अनुमति नहीं दिए जाने को नाइंसाफी और पक्षपात बताया है। दूसरी ओर भाजपा सांसद सुनील सोनी ने झांकी की थीम पर सवाल उठाया और कहा कि मिलेट तो देशभर में उगाया जाता है, कुछ नया करना था तब मौका मिलता- राम वन गमन पथ की झांकी ही बना लेते।
मिलेट मिशन प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। कहीं अफसरों ने यह तो नहीं सोच लिया कि इसका श्रेय कांग्रेस की किसी राज्य सरकार को क्यों मिलना चाहिए? मगर इससे जुदा बात भी हो सकती है। हो सकता है, मोदी इस झांकी को देखकर खुशी जाहिर करते। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक रूप से तारीफ भी की थी। उन्होंने मिलेट कैफे शुरू करने का सुझाव भी दिया। और अभी-अभी यह खबर भी सामने आई है कि रायगढ़ में तो पिछले साल जुलाई महीने से मिलेट कैंटीन चल रहा है। एक महिला स्व-सहायता समूह इसे संचालित कर रहा है। महीने का टर्नओवर 3 लाख रुपये का है। कैंटीन में संडे के दिन टेबल खाली होने का इंतजार भी करना पड़ता है।

हाथी फिर बेमौत मारा गया

धरमजयगढ़ में शिकारियों के बिछाए करंट से चिपककर एक हाथी की जान चली गई। शिकारी पकड़ लिए गए हैं। उनका कहना है कि जंगली सुअर मारने के लिए उन्होंने तार बिछाई थी, पर हाथी उसकी चपेट में आ गया। आए दिन कभी दलदल में फंसकर तो कभी ग्रामीणों के खदेड़े जाने से हाथी मारे जा रहे हैं। कटघोरा में तो एक शावक हाथी को मारकर शव ही दफना दिया गया था। वन विभाग की रिपोर्ट में ही बताया गया है कि सन् 2020 से लेकर अब तक जिन 42 हाथियों की मौत का पता चल सका है उनमें से 13 की मौत करंट लगने के कारण हुई। ये तो शिकारियों की करतूत थी लेकिन रायगढ़, जशपुर जिले में हाईटेंशन लाइन पर कवर नहीं होने के चलते भी कई बार हाथियों ने जान गंवाई है। वन विभाग के अफसर वन संपदा और बजट का ध्यान तो रखते हैं पर वन्यजीवों के साथ हो रही क्रूरता पर नहीं। कोई घटना होती है तब वे जागते हैं। वे बीट गार्ड और फारेस्टर को चौकसी के लिए कैसे कहें, जब खुद ही जंगल नहीं जाते। शिकारी सक्रिय हैं और पता तब चल रहा है जब किसी वन्यजीव की मौत हो जाती है। बादलखोल में आंशिक रूप से काम हुआ है पर बाकी जगह एलिफेंट कॉरिडोर बनाने की योजना बीते दो दशकों से कागजों पर ही चल रही है।

प्रधान पुजारी की प्रतिष्ठा

नये साल की शुरूआत से ही बस्तर में जगह-जगह मड़ई मेला लगना शुरू हो जाता है। इन मेलों में देवी की पूजा की एक खास रस्म होती है। गांव के लोग प्रधान पुजारी को अपने कंधे पर उठाकर देवी की गुड़ी तक पहुंचाते हैं। यह दरभा ब्लॉक के नेतानार की तस्वीर है जहां नेतानारिन देवी के मंदिर तक पुजारी को कंधे पर लेकर गांव के लोग चल रहे हैं।

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