राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : तबादलों की सनसनी
28-Jan-2023 3:28 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : तबादलों की सनसनी

तबादलों की सनसनी

बीती आधी रात छत्तीसगढ़ में आधा दर्जन से अधिक आईपीएस और दर्जन भर से अधिक आईएएस के तबादलों ने सरकार को जानने वाले लोगों को कई तरह की अटकलें लगाने का मौका दिया है। लोग यह सोचने में भी लगे हैं कि किसी को कलेक्टर क्यों बनाया गया है, किसी को ज्यादा बड़ा जिला क्यों दिया गया है, और किसी को जिले से हटाया क्यों गया है। ऐसे फेरबदल के पीछे कुछ लोग स्थानीय वजहें होने की बात करते हैं, कुछ लोग राजधानी में सरकार के ताकतवर लोगों की पसंद और नापसंद की बात करते हैं, और कुछ लोग अफसरों की काबिलीयत की वजह से भी उनकी अधिक महत्वपूर्ण तैनाती की चर्चा करते हैं। अफसोस की बात यही है कि काबिलीयत के पैमाने की चर्चा सबसे आखिर में होती है, सबसे कम होती है। फिलहाल आईएएस तबादला लिस्ट में यह देखना दिलचस्प है कि आधे नाम महिला अफसरों के हैं, फिर चाहे वे कम महत्वपूर्ण जगहों पर गई हों, या अधिक महत्वपूर्ण जगहों पर गई हों।
लेकिन अफसरशाही के जानकार लोगों का मानना है कि यह चुनाव के पहले का आखिरी फेरबदल नहीं है, और इसके बाद और भी तबादले हो सकते हैं।

गिट्टी-रेती के मायने

सामान्य जानकारी के अनुसार गिट्टी-रेती का उपयोग मकान या निर्माण कार्य में होता है और घर बनाने वाले गिट्टी-रेती का हिसाब जरूर रखते हैं, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के अधिकारी छत्तीसगढ़ में गिट्टी-रेती का हिसाब रख रहे हैं। अब आपको दुविधा हो सकती है कि कही ईडी यहां घर तो नहीं बनवा रहे हैं ? तो हम आपकी ये दुविधा भी दूर कर देते हैं कि वे ऐसे कुछ नहीं कर रहे हैं। तब यह सवाल उठता है कि ईडी के अधिकारी ऐसा कौन सा काम कर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें गिट्टी-रेती का हिसाब रखना पड़ रहा है, क्योंकि ईडी तो यहां भ्रष्टाचार की जांच कर रही है। जी हां, ईडी भ्रष्टाचार के सिलसिले में ही गिट्टी-रेती का बही खाता रखी हुई है। पूरा मामला दरअसल यह है कि ईडी को कुछ डायरियां और वाट्सएप चैट मिले हैं, जिसमें लगातार गिट्टी और रेती के डिलीवरी की जानकारी शेयर की गई है। ईडी ने जब इस बारे में तहकीकात और पूछताछ की, तो पता चला कि पैसों के लेन-देन का कोड वर्ड है। कोड-वर्ड को डिकोड किया गया तो असली मतलब पता चला कि गिट्टी का मतलब करोड़ और रेत का लाख है।

ईडी के रोचक किस्से

छत्तीसगढ़ में ईडी की जांच की खूब चर्चा होती है। इन चर्चाओं में कई रोचक किस्से भी सुनने को मिलते हैं। ऐसे ही एक रोचक किस्से की खूब चर्चा है। जिसमें एक आईएएस की सासू मां का कथित बयान सुर्खियों में है। इस अधिकारी का ससुराल बिकानेर, राजस्थान में है। अधिकारी की सासू मां अपनी बेटी यानी अधिकारी की पत्नी को कारोबार शुरू करने के लिए आर्थिक मदद करती थी। वो कभी 50 हजार या एक लाख रुपए तक उपहार स्वरूप बेटी को देती थी। प्राय: हर मां अपनी बेटी को अपनी आर्थिक क्षमता के मुताबिक गिफ्ट देती हैं। लेकिन यहां बड़ी रकम का लेन-देन हो रहा था, क्योंकि ईडी के अधिकारी ने जब अफसर के पास से जब्त रकम का ब्यौरा पूछा तो पता चला कि एकमुश्त 19 लाख रुपए सासू मां ने दिए हैं। लिहाजा, ईडी ने इसकी तस्दीक के लिए सासू मां से पूछताछ की तो दिलचस्पी स्टोरी सामने आई। चर्चा है कि सासू मां बीकानेर से 19 लाख रुपए नकद लेकर ट्रेन से रायपुर आई थी, वो भी बिना रिर्जेवेशन के सामान्य बोगी में। उन्होंने यह भी बताया कि एक कपड़े के झोले में इतनी बड़ी रकम लेकर आई थीं। बीकानेर से रायपुर आने में 24-25 घंटे का समय लगता है। ट्रेन में सफर के दौरान उन्हें बाथरूम भी जाना पड़ा था, तो वो कपड़े के बैग को, जिसमें 19 लाख रुपए रखे थे, उसे सीट के नीचे रखकर जाती थीं। इतना ही नहीं, सफर के दौरान उन्होंने कोई मोबाइल फोन भी नहीं रखा था और बीकानेर से ट्रेन छूटने के नियत समय से 5-6 घंटे पहले स्टेशन पहुंच गई थीं। चर्चा करने वालों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि कैसे एक बुजुर्ग महिला आधी रात इतनी बड़ी रकम लेकर अकेले निकल सकती है। कहानी के अनुसार सासू मां अपने साथ ना केवल रुपयों से भरा थैला बल्कि 10 किलो घी और कपड़े लेकर रायपुर तक पहुंची थी।

जंगल में जड़ी-बूटी-का बाजार

असाधारण काम करने वाले साधारण लोगों को भी पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाए तो अनायास ही ध्यान खिंच जाता है। इनमें से एक पड़ोसी राज्य उड़ीसा के नांदोल, कालाहांडी के पतायत साहू भी है। इन्होंने अपने घर के पीछे डेढ़ एकड़ जमीन पर 3000 से ज्यादा औषधीय पौधे उगाए हैं। यह सिलसिला 40 वर्षों से चल रहा है। प्लांट में कभी भी वे केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते। दिन में खेती करते हैं और शाम को जरूरतमंदों को मुफ्त इन्हीं पौधों से बनी दवाएं बांटते हैं।
इस पुरस्कार के मिलने से बस्तर के कोंडागांव की तरफ ध्यान जाता है। यहां एक एथिनो-मेडिको पार्क तैयार किया गया है, जिसमें न केवल छत्तीसगढ़ से तलाश किए गए सैकड़ों बल्कि देश के विभिन्न क्लाइमेट जोन से लाए गए हजारों औषधीय पौधे उगाए गए हैं। सैकड़ों आदिवासी इससे जुड़े हैं। इसका बाजार केवल दूसरे राज्यों में नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। छत्तीसगढ़ में समय-समय पर पौधरोपण के कार्यक्रमों में औषधीय पौधे लगाए गए हैं।
हाल के दिनों में छत्तीसग्रह सरकार का बनाया जा रहा कृष्ण-कुंज चर्चा में आया था। रविवि, बस्तर यूनिवर्सिटी और केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के छात्रों में समय-समय पर अपने शोध से बताया है कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में सैकड़ों दुर्लभ औषधीय प्रजाति के पौधे प्राकृतिक रूप से ही मिल जाते हैं, जो संजीवनी बूटी की तरह हैं। छत्तीसगढ़ हर्बल के नाम से ऐसे अनेक उत्पादों को बाजारों में उतारा भी गया है। पर व्यवसाय और लाभान्वित किसानों का दायरा बहुत सीमित है। खेती के पैटर्न में बदलाव के लिए इसे व्यापक पैमाने पर अपनाने के बारे में अभी छत्तीसगढ़ में नहीं सोचा जा रहा है।

इनको भी मिला देते मोदी से

बालोद जिले के भैंसबोड़ हाई स्कूल में छात्राओं के अचानक बेहोश हो जाने के बाद इसे भूत प्रेत और टोने-टोटके की घटना समझी गई। हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ हुआ, धूपबत्ती जलाई गई और देवी-देवताओं की पूजा की गई। पूजा-पाठ अपनी जगह तो ठीक है लेकिन स्कूल में भूत प्रेत और जादू टोना को इस तरह से मान्यता दे देना अजीब है। छत्तीसगढ़ के कई स्कूलों में इस तरह की घटनाएं हो चुकी है और देश के अलग-अलग भागों से भी ऐसी खबरें आती रही है। जादू-टोना, अंधविश्वास और टोने-टोटके के खिलाफ लडऩे वाले लोग तथा मनोवैज्ञानिक ऐसे मामलों पर शोध करते आए हैं। पाया गया है कि प्राय: सभी घटनाएं ग्रामीण अंचलों में होती हैं। पीडि़त बच्चियां गरीब किसान, खेतिहर परिवार से आती हैं। स्कूल जाने के पहले और लौटने के बाद घर और खेत के काम में हाथ भी बंटाते हैं। इनकी पढ़ाई का स्तर औसत या उससे नीचे होता है। माता-पिता कम शिक्षित या फिर अशिक्षित है, जो बच्चियों को पढऩे के लिए मार्गदर्शन देने में असमर्थ है। मनोवैज्ञानिक इसे स्ट्रेट एंक्ज़ाइटी डिसऑर्डर बीमारी मानते हैं, जो भूख, कुपोषण और पढ़ाई को लेकर अरुचि या भय की वजह से पैदा होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल लाखों बच्चों से तनाव मुक्त पढ़ाई और परीक्षा को लेकर संवाद किया। अच्छा होता अगर 2-4 ऐसे बच्चे प्रधानमंत्री से बात कराने के लिए हमारे अफसर चुन लेते।

अबूझमाड़ में ही संभव


दुनिया भले ही फैशन के नए आयामों को गढ़ रही हो लेकिन अबूझमाड़ की बात निराली है। बालों में सबसे ऊपर जो पंख जैसा दिखाई दे रहा है, वह दरअसल मछली की पूंछ है। पूंछ को सुखाया जाता है, फिर यह सिंगार के लिए तैयार हो जाता है।

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