राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चैट और यूपीएससी
06-Feb-2023 2:46 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चैट और यूपीएससी

चैट और यूपीएससी

छत्तीसगढ़ में चल रही ईडी की जांच ने हर किसी को यह बहुत बड़ा सबक दे दिया है कि जुर्म के कामों की कोई बात वॉट्सऐप पर भी नहीं करनी चाहिए जिसे कि आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। लोगों को गलतफहमी यह है कि वॉट्सऐप पर लिखी बातों तक कोई नहीं पहुंच सकते। यह बात इसी हद तक ठीक है कि आमतौर पर देश की कोई सरकार लोगों के वॉट्सऐप संदेशों को भेद नहीं सकती, लेकिन जब लोगों के मोबाइल फोन ही सरकारी एजेंसियों के हाथ लग जाते हैं, तो फिर उसी फोन से वॉट्सऐप चैट को डाऊनलोड कर लेना किसी मोबाइल शॉप के छोटे से कर्मचारी के लिए भी बाएं हाथ का खेल है।

एक आईपीएस अफसर की मोबाइल चैट उसके जुर्म का बहुत बड़ा सुबूत होकर ईडी के हाथ लगी है, यह एक अलग बात है कि उस जुर्म में ईडी की कोई दिलचस्पी नहीं है, और न ही वह उसके अधिकार क्षेत्र की जांच है। लेकिन जो पुख्ता खबरें इस चैट को लेकर आई हैं, वे एक आईपीएस की नौकरी खाने के लिए बहुत हैं, राज्य न सही केंद्र सरकार भी ऐसे जुर्म पर अपने अफसर को बर्खास्त कर सकती है, और यह सुबूत तो इस आईपीएस की चैट से ही जांच एजेंसी के हाथ लगा है। अब गले-गले तक काम में डूबी हुई ईडी यह मामला केंद्र सरकार तक बढ़ाती है, या उसे छोड़ देती है, यह अभी साफ नहीं है, और वक्त ही इसे बताएगा। फिलहाल इस चैट को जानने वाले लोगों का कहना है कि यूपीएससी पर लानत है।

भत्ते से कितनी राहत मिलेगी बेरोजगारों को?

पिछले साल दिसंबर में 46 हजार 616 पदों के लिए प्रदेश भर में मेगा रोजगार मेले आयोजित किए गए थे। आश्चर्यजनक ढंग से इसमें आवेदन करने वालों की संख्या केवल 8000 थी। यानी पद के मुकाबले 20 फ़ीसदी भी नहीं। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोजगारी दर होने के सुनहरे आंकड़ों के बीच चुनावी साल में बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा के बाद हर एक जिले के रोजगार पंजीयन कार्यालयों में युवाओं की कतार लगी हुई है। दरअसल रोजगार मेलों में पीजी, एमबीए, इंजीनियरिंग पास युवाओं को जो नौकरियां निजी कंपनियां दे रही हैं, उनमें वेतन 8 हजार से शुरू होकर बमुश्किल 15 से 16 हजार तक ही जाता है। कारपेंटर, प्लंबर, ड्राइवर जैसे आठवीं पास हुनरमंद भी इतना कमा लेते हैं और अपनी शर्तों पर काम के घंटे तय करते हैं। निजी कंपनियां 10-12 घंटे काम लेती हैं। कोई अतिरिक्त लाभ नहीं, सेवा स्थायी भी नहीं। दूसरी तरफ कलेक्टर दर पर काम करने वाले दैनिक वेतन भोगियों की भी मासिक तनख्वाह इससे अधिक है। सरकारी दफ्तरों का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी 30 हजार के आसपास वेतन उठाता है।

साल 2022 में रोजगार मेलों के माध्यम से 50,000 का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन सिर्फ 10,000 ने निजी कंपनियों की नौकरी ली।
सन् 2014 के चुनाव में दिया गया दो करोड़ युवाओं को हर साल नौकरी या रोजगार का आश्वासन केंद्र सरकार पूरा नहीं कर पाई। एक सपना युवाओं के सामने रखकर 12 हजार करोड़ रुपए का कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया गया। सन् 2016 से 2020 तक इसमें एक करोड़ प्रशिक्षित युवाओं को प्लेसमेंट देने का लक्ष्य था। मार्च 2022 में अपनी एक रिपोर्ट में मनी कंट्रोल डॉट कॉम ने बताया कि सिर्फ 20.5त्न प्रशिक्षित युवा रोजगार अथवा निजी संस्थानों में नौकरी पा सके।
केंद्रीय बजट 2023-24 में इसी विफल योजना के 4.0 चरण की घोषणा की गई है। चुनावी साल है लिहाजा 47 लाख युवाओं को स्टाइपेंड देने की बात भी की गई है। इसे अमृत काल की सात बड़ी परियोजनाओं में से एक कहा गया है।

1 अक्टूबर 2022 की सीएमआईई की रिपोर्ट, जिसके मापदंड को कई विशेषज्ञ नकारते हैं, प्रदेश सरकार के लिए अपनी पीठ थपथपाने का कारण हो सकता है। इसमें राज्य की बेरोजगारी दर 0.1त्न बताई गई है। दूसरी ओर उसके एक महीने पहले सामने की खबर है। व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने 8वीं पास के लिए चपरासी भर्ती के 91 पद निकाले। इसके लिए पीजी, इंजीनियरिंग, एमबीए पास युवाओं सहित सवा दो लाख बेरोजगारों ने आवेदन किया। पीएससी की तर्ज पर कठिन परीक्षा के दौर से उन्हें चयन के लिए पहली बार गुजरना पड़ा। सरकारी न सही, कोई सम्मानजनक निजी संस्थानों की नौकरी या रोजगार युवाओं को देने में केंद्र और राज्य दोनों के पास ठोस कार्यक्रम नहीं हैं।

दांव-पेंच के 20 दिन

छत्तीसगढ़ में कांगे्रस का राष्ट्रीय अधिवेशन पार्टी के पिछले पांच बरस का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। कुछ लोगों का कहना है कि इसमें दस हजार लोग प्रदेश के बाहर से आ सकते हैं, जाहिर है कि इतना बड़ा इंतजाम मुख्यमंत्री ही करवा सकते हैं। यह मौका सत्तारूढ़ पार्टी के अलग-अलग गुटों के लिए भी एक बड़ा मौका बनकर आया है कि आपस के हिसाब चुकता कर लिए जाएं। दिल्ली से आए हुए पार्टी के बड़े नेताओं के सामने छत्तीसगढ़ के नेता तरह-तरह के दांव चल रहे थे, और उसका कोई असर हो रहा था या नहीं, यह तो पता नहीं। फिलहाल अगले 20 दिन यह दांव-पेंच चलते रहेंगे, और कांग्रेसियों का असली रंग भी दिखता रहेगा। इस कार्यक्रम का कामयाबी से हो जाना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम रहेगा, और इसलिए भी मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरी सरकार भी इंतजाम में जुट गई है।

केसीआर और अमित की मुलाकात

जनवरी 2022 में तेलंगाना में केसीआर के नेतृत्व में विपक्षी एकता का शक्ति प्रदर्शन किया गया था जिसमें अरविंद केजरीवाल, पी विजयन और अखिलेश यादव जैसे नेता शामिल हुए। इस सवाल के बीच कि यह गठबंधन क्या भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पूर्व विधायक अमित जोगी ने हैदराबाद में केसीआर से मुलाकात की है। छत्तीसगढ़ में पारंपरिक मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होने की संभावना के बावजूद नतीजों पर तीसरे दलों की मौजूदगी हार-जीत पर असर डालती है। हाल ही में अमित जोगी ने राहुल गांधी भारत छोड़ो यात्रा के समापन में नहीं पहुंच पाने पर खेद जताया था और इस यात्रा की प्रशंसा की थी। तब यह चर्चा जोर पकडऩे लगी थी कि उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो सकता है। पर केसीआर से मुलाकात उल्टी दिशा का कदम है। आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति को भारत जोड़ो यात्रा में आमंत्रित नहीं किया गया था। कांग्रेस ने इन दोनों से दूरी यह समझकर बना रखी है कि ये भाजपा विरोधी मतों का विभाजन करना चाहते हैं। बस्तर से सटे कुछ इलाकों में केसीआर कुछ संभावनाएं तलाश जरूर सकते हैं लेकिन शेष छत्तीसगढ़ में शुरुआत शून्य से उसे करनी होगी। किसी तीसरे दल की मदद से ऐसा वे कर सकते हैं। सन 2018 के विधानसभा चुनाव में स्वर्गीय अजीत जोगी की उपस्थिति के बीच 5 सीटें छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के पास थी, लेकिन अब 2 रह गई है। विकल्प बनने की कोशिश में छजक? ने उस वक्त बहुजन समाज पार्टी से तालमेल किया था, जो कुछ समय बाद हुए लोकसभा चुनाव में टूट गया। इधर आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ की सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान कर ही दिया है। यानि वह किसी तीसरे दल के साथ मिलकर मैदान में नहीं उतरने वाली। ऐसी परिस्थिति में केसीआर और अमित जोगी दोनों को एक दूसरे की जरूरत हैं।

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