राजपथ - जनपथ
न सिर्फ मेरी जीवनसाथी
वेलेंटाइन डे पर मोदी सरकार का फरमान वापिस हो जाने की वजह से गायों के गलों को तो लिपटाने वाले नसीब नहीं हो पाए, लेकिन लोगों ने अपनी पसंद के वेलेंटाइन के साथ तस्वीरें जरूर पोस्ट कीं। छत्तीसगढ़ के एक सबसे बड़े कारखाने, बालको के मालिक अनिल अग्रवाल ने इस मौके पर अपनी पत्नी किरण के साथ अपनी एक रोमांटिक फोटो पोस्ट करते हुए लिखा है कि न सिर्फ मेरी जीवनसाथी, बल्कि मेरी बेस्ट फ्रेंड भी।
सालाना शिकवा-शिकायत का दिन
जो लोग एक से अधिक लोगों की बालिग मोहब्बत में गिरफ्त रहते हैं, उनके सामने वेलेंटाइन डे जैसा मोहब्बत के इजहार का दिन बड़ी जटिल चुनौतियां लेकर आता है, किससे, कब, कहां मिलें, और सोशल मीडिया पर कैसी तस्वीर पोस्ट करें कि जिसके साथ तस्वीर नहीं है, उसे भी बुरा न लगे। जटिल संबंध खास मौकों पर और भी जटिल हो जाते हैं।
अभी तीन दिन पहले जब राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की ओर से पहुंचीं जया बच्चन की सभापति से बहस हो गई, और गरमागर्मी के बीच वे तैश में सभापति को उंगली दिखाते हुए चेतावनी देते निकल गईं, तो लोगों ने वेलेंटाइन सप्ताह का इस्तेमाल किया, और रेखा के साथ अमिताभ और जया दोनों की तस्वीर के तरह-तरह के मीम बनाए, और ट्विटर पर उनका सैलाब आ गया। वेलेंटाइन डे जैसा दिन पुराने और भूतपूर्व किए जा चुके प्रेम को लेकर भी ताने मारने का दिन रहता है, और एक से अधिक लोगों से मोहब्बत करने वाले इस दिन सालाना हमलों के लिए तैयार भी रहते हैं। कुछ लोगों को मजबूरी में सोशल मीडिया पर अपनी कई वेलेंटाइन में से एक के साथ तस्वीरें पोस्ट करनी पड़ती हैं, और दूसरे से मिलने पर धधकती आंखों का सामना करना पड़ता है।
जुगाड़ टेक्नालॉजी
हर शहर में स्थानीय जुगाड़ टेक्नालॉजी के मुताबिक कई तरह की गाडिय़ां बन जाती हैं, और वे आरटीओ के नियमों से परे बनती हैं, और ट्रैफिक के नियमों से परे चलती हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी मोटरसाइकिल के पीछे के हिस्से को ठेला बनाकर उनमें लंबे लोहे या पाईप लादकर तेज रफ्तार से दौड़ाना चल रहा है, जो कि बहुत खतरनाक है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसी जुगाड़-गाडिय़ों में उन्हीं मोटरसाइकिलों की नंबर प्लेट भी लगा दी गई है और आरटीओ से लेकर ट्रैफिक पुलिस तक सबकी अनदेखी देखने लायक है। अब इसी बीच ऐसी ही यह चलती-फिरती गन्ना रस दुकान चल रही है।
शराब की जगह ली रेत ने
रायपुर और बिलासपुर में रेत ठेकों के लिए जिस तरह से मारामारी देखी गई है उसने शराब ठेकों की याद दिला दी। तीन साल पहले नियम बना दिया गया था कि इन ठेकों में छत्तीसगढ़ के निवासी ही शामिल हो सकते हैं, पर इसका रास्ता निकाल लिया गया है। सत्ता, शराब और ठेकेदारी से जुड़े लोगों ने सैकड़ों फॉर्म भरवाए। इतने फॉर्म आए कि खनिज विभाग को इंट्री करने में ही पसीने छूट गए। हालांकि इस होड़ में लाखों रुपये सिर्फ टेंडर बेचने की कमाई आ गई। रेत घाट को वही चला पाएगा, जिसके पास भारी मशीनें और बड़ी संख्या में पहलवान होंगे। कम हैसियत वाले किसी के नाम रेत ठेका आवंटित हो भी गया तो उसका सौदा कर रसूखदार कर लेंगे और उसे घर बिठा देंगे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि नदियों की किस बेरहमी से छलनी होगी। यह सवाल भी है कि इस ऊंचे खेल के बाद आम लोगों को रेत किस भाव मिलेगा।
रिटायर्ड अफसरों ने की पढ़ाई
कल हमने इसी कॉलम पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें आईपीएस रतन लाल डांगी एक पेड़ पर चढक़र अपने बचपन की याद कर रहे थे। अब जो घटना सामने है, उस पर ज्यादा दिलचस्पी हो सकती है। रिटायर्ड आईएएस राजेंद्र प्रसाद मंडल ने बिलासपुर के गवर्नमेंट स्कूल में उन छात्रों की क्लास लगाने की पहल की, जो फिजिक्स के टीचर राव से पढक़र निकले थे। गवर्नमेंट स्कूल की उसी कक्षा में जहां मंडल ने पढ़ाई की थी, उनके बैच के हाई स्कूल में पढऩे वाले छात्र जिनमें कुछ डॉक्टर और कुछ बिजनेसमैन भी शामिल हैं, स्टूडेंट की तरह बैठे और राव सर ने अटेंडेंस लगाया। अपनी पुरानी जगह पर बैठने के लिए 1976 बैच के इन अफसरों ने झगड़ा भी किया। राव सर ने एक-एक विद्यार्थी का नाम पुकारा। बुजुर्ग हो चुके बच्चों ने यस सर, यस सर, प्रजेंट सर कह कर जवाब दिया। काबिल और अपने क्षेत्र में कामयाब हो चुके राव सर के विद्यार्थियों ने इस बहाने शिक्षा के महत्व को समझाया।
पहले आपसी सहमति बना लो
आर एस एस के सरसंघचालक मोहन भागवत के इस बयान पर कि मुस्लिम भारत में रह सकते हैं पर उन्हें हिंदू संस्कार और पद्धतियों का पालन करना पड़ेगा, कम्युनिस्ट पार्टी की पूर्व राज्यसभा सदस्य वृंदा करात ने बड़ी आलोचना की है। करात का कहना है कि वे अकेले हिंदुओं के ठेकेदार कैसे हो सकते हैं? चलिए छोड़ भी देते हैं, वृंदा करात ने क्या बोला। अभी तो शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बीच घमासान मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और दूसरी जगहों पर स्वामी निश्चलानंद ने अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य होने पर ही सवाल उठा दिया। इसका जवाब भी अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पिछले साल निधन के बाद उन्होंने गद्दी संभाली है। शंकराचार्य सनातन धर्म को प्रतिष्ठित करने का श्रेय रखते हैं। हिंदू और हिंदुत्व पर राजनीतिक और धार्मिक विवाद होने का आम लोगों के मन में संदेश क्या जा रहा है? किस शंकराचार्य को असली माने, उसकी पूजा करें और किसकी नहीं करें? आखिर, किसकी माने, किसकी सुनें या फिर आसान रास्ता हो कि तमाम विवादों से पल्ला छुड़ाते हुए अपने घर पर ही पूजा, आराधना और भजन करते रहें।