राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इतनी खातिरदारी के बाद...
25-Feb-2023 4:04 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इतनी खातिरदारी के बाद...

इतनी खातिरदारी के बाद...

एआईसीसी अधिवेशन में कांग्रेस टिकट के दावेदार स्वाभाविक रूप से सक्रिय हैं। ये नेता बड़े नेताओं की मेहमाननवाजी में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। ऐसे ही एक धनाढय नेता ने तो पार्टी के दो ताकतवर राष्ट्रीय पदाधिकारियों को अपने ग्रिप में ले लिया है। दोनों पदाधिकारियों की सेवा में दो महंगी कार लगा दी हंै। यही नहीं, एक पदाधिकारी तो अपने परिवार के साथ आए हैं। पदाधिकारी तो मेफेयर में रूके हैं, लेकिन उनके परिवार के सदस्य नेताजी के फार्म हाऊस में ठहरे हैं। इतनी खातिरदारी के बाद विधानसभा की टिकट कन्फर्म हो पाती है या नहीं, यह तो चुनाव के समय में पता चलेगा।

केरल की पूछताछ  

एआईसीसी अधिवेशन में केरल के प्रतिनिधियों की पूछपरख ज्यादा हो रही है । राहुल गांधी का केरल से सांसद है, और प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री केसी वेणुगोपाल भी केरल से हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि केरल वालों को महत्व मिल रहा है।  ऐसे में उन्हें अनदेखा करना कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को भारी पड़ गया, और उन्हें खूब फटकार झेलना पड़ा।

हुआ यूँ कि केरल के कुछ नेता सुबह माना एयरपोर्ट पहुंचे, तो उन्हें रिसीव करने के लिए कोई नेता नहीं पहुंचा। इसके बाद केरल के  नेता ओला कर किसी गंतव्य पहुंच गए। बाद में उन्होंने इसकी शिकायत केसी वेणुगोपाल से कर दी। इसके बाद फिर शैलजा, और मोहन मरकाम ने प्रोटोकॉल में लगे नेताओं की जमकर क्लास ली।

फोटो काफी छोटी लगाई थी

अधिवेशन स्थल शहीद वीर नारायण सिंह नगर के आसपास पूरे इलाके को बैनर-पोस्टर, और कट आउट से पाट दिया गया। मगर इस व्यवस्था में लगे नेता चूक कर गए। उन्होंने केसी वेणुगोपाल की फोटो काफी छोटी लगाई थी, और संगठन के अन्य प्रमुख नेताओं की तस्वीर उनसे बड़ी थी। और जब प्रदेश प्रभारी शैलजा की नजर इस पर पड़ी, तो उन्होंने रायपुर शहर के बड़े नेता को प्रोटोकॉल का ध्यान न रखने पर जमकर फटकार लगाई ।

जिले से राजधानी आकर भी वही हाल

एक जिले से हटाकर एक अफसर को राजधानी में नियुक्त किया गया, लेकिन विवाद उसका पीछा ही नहीं छोड़ रहे हैं। उसे जिन विभागों का काम दिया गया है, वहां पर ऐसी अंधाधुंध वसूली और उगाही शुरू हो गई है कि वहां के सचिव ने ऊपर यह खबर की है कि इस अफसर को हटाया नहीं गया तो कृषिप्रधान छत्तीसगढ़ में जनता के बीच भारी बेचैनी फैल सकती है। अब सरकार के पास ऐसी एक-एक शिकायत पर गौर करने का वक्त अभी है, ऐसा लगता नहीं है। हो सकता है कि कांग्रेस का महाधिवेशन निपट जाने के बाद ऐसे प्रशासनिक मामलों की बारी आएगी, और सरकार अगर इस चुनावी साल में गंभीर रहेगी, तो फिर एक जिले के बंगले में अब तक चल रहे तांत्रिक अनुष्ठान भी राजधानी में अफसर को बचा नहीं पाएंगे। वैसे अलग-अलग लोगों को बचाने के लिए, और लोगों को निपटाने के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान अभी फैशन में हैं, और जब कभी किसी किस्म की अस्थिरता रहती है, तो फिर अनुष्ठानों का बाजार एकदम से गर्म हो जाता है, और छत्तीसगढ़ में अभी वैसा ही चल रहा है।

यह कम हैरानी की बात नहीं है

सोशल मीडिया पर रोजाना राजधानी रायपुर में लाउडस्पीकरों के शोर के वीडियो पोस्ट होते हैं, जानकारी डाली जाती है। फिर भी गजब का प्रशासन है कि गाडिय़ों पर बांधे गए स्पीकर जीना हराम किए रहते हैं, और भारी दबाव के बाद पुलिस नमूना गिनाने के लिए एक-दो पर कोई कार्रवाई कर देती है, लेकिन बाकी भीड़ के बीच जाने की हिम्मत नहीं करती। यह बात भी हैरान करती है कि दीपांशु काबरा जैसे असरदार अफसर के रहते हुए ट्रांसपोर्ट विभाग ऐसी गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं कर रहा है जो कि सडक़ों पर हाईकोर्ट का आदेश तोड़ते हुए रात-दिन दिखती हैं। दीपांशु काबरा के जिम्मे सरकार का जनसंपर्क विभाग भी है, और फिर चाहे यह विभाग जनता से सीधे संपर्क न रखता हो, जिस जनता का जीना हराम हो रहा है उससे सरकार, और सत्तारूढ़ पार्टी को कितना नुकसान हो सकता है, इसका अंदाज उन्हें लगाना चाहिए। अगर प्रदेश में कुछ दर्जन गाडिय़ों को ही राजसात कर लिया जाए, या उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए, तो ऐसी गुंडागर्दी करने वाले लोगों की अक्ल दो दिन में ठिकाने आ सकती है। लेकिन दबंग मुखिया के रहते हुए भी ट्रांसपोर्ट विभाग लाउडस्पीकरों से लदी गाडिय़ों को छू भी नहीं पा रहा है, यह कम हैरानी की बात नहीं है।

अलग-अलग फार्मूले

अलग-अलग प्रदेशों से आए हुए नेता वहाँ पर की राजनीतिक संस्कृति की चर्चा करते हैं। कांग्रेस के अधिवेशन में कर्नाटक से आये एक बड़े नेता ने वहाँ का हाल पूछने पर कहा कि कर्नाटक में 3 चीज़ें ही मायने रखती है,कैंडिडेट, कास्ट और कैश। इन 3 का अच्छा जोड़ा हो तो पार्टी टिकट देने की सोचती है। अब अलग-अलग प्रदेशों के लोग अपने-अपने प्रदेश में क्या फ़ॉर्मूले चलते हैं, इसकी जानकारी ले-दे रहे हैं।

मालवाहकों का पीछा करते यमराज

बीते शुक्रवार सडक़ दुर्घटनाओं में 17 लोगों की मौत हो गई। 3 दिन पहले बेलगहना के मरही माता मंदिर दर्शन और कटघोरा के पास महाशिवरात्रि मेले में गए लोगों की मौत भी ट्रैक्टर या पिकअप के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण हुई। बलौदा बाजार में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत खबर ने तो प्रधानमंत्री का भी ध्यान खींच लिया। पीडि़त परिवारों के लिए उन्होंने मुआवजे की घोषणा की।

कुछ समय पहले शादियों के सीजन में एक अखबार ने रायपुर दुर्ग के बीच सडक़ पर अपने रिपोर्टर तैनात किए थे। इसमें यह पाया गया कि 70 प्रतिशत बारात माल ढोने वाली गाडिय़ों में निकल रही है। दुर्घटनाओं के बाद दर्ज कराई गई एफआईआर की पड़ताल करने पर पता चला कि 75 प्रतिशत मामलों में ड्राइवर नशे में धुत थे। यह देखा जा रहा है कि आमतौर पर हादसों के बाद सरकार संवेदना जाहिर करने और मुआवजा देने के बाद एक्शन नहीं लेती। ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ ने भी कभी इन दुर्घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया। यातायात सुरक्षा अभियान शहरों के चौक चौराहे पर सिमटा होता है। पर ऐसी दुर्घटनाओं के शिकार ज्यादातर लोग ग्रामीण क्षेत्रों से होते हैं। ट्रांसपोर्टरों के संगठन भी कदम नहीं उठाते हैं।

पास कराने वाली माता

जशपुर जिला मुख्यालय से 135 किलोमीटर दूर 25 फीट की ऊंचाई पर बगीचा ब्लॉक की एक गुफा में खुडिय़ा रानी का मंदिर है। यहां दिन में भी इतना अंधेरा रहता है कि लोग टॉर्च लेकर जाते हैं। इस तस्वीर में मूर्ति के सिर पर जो सफेद कागज दिखाई दे रहे हैं वह दरअसल  प्रवेश पत्र की फोटोकॉपी है। स्कूल कॉलेज के पढऩे वाले बच्चे युवा बड़ी संख्या में मन्नत मांगने के लिए आते रहते हैं। रिजल्ट को लेकर बच्चों में डर तो होता ही है और यही डर भक्ति की ओर भी ले जाता है।

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