राजपथ - जनपथ
ऐसी दावत पर यहां सजा हो जाए!
अभी कनाडा में बसे हुए एक भारतवंशी जोड़़े के घर दूसरी संतान के आने की एक दावत कल होने जा रही है। लेकिन इस दावत का न्यौता बताता है कि यह इस राज को खोलेगी कि होने वाली संतान लडक़ा है, या लडक़ी? न्यौते पर बिग रिवील छपा हुआ है। अब इसके बारे में परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक वहां पर चिकित्सा विज्ञान पांचवें महीने में, होने वाली संतान के बारे में बता देता है कि वह लडक़ा होगा, या लडक़ी होगी। और यह राज परिवार के दोस्तों को सीलबंद लिफाफे में दे देता है। फिर इस पार्टी में लोगों के बीच लिफाफा खोला जाता है, और बताया जाता है कि लडक़ा होगा या लडक़ी होगी।
उन्हीं सभ्य देशों में यह मुमकिन है जहां पर लडक़ी होने की खबर सुनकर परिवारों में गमी नहीं छा जाती है, और गर्भ की कन्या को मारने की तरकीबें ढूंढना शुरू नहीं हो जाता है। हिन्दुस्तान में ऐसी कोई दावत सबको जेल भेज देगी, और अगर जेल का यह इंतजाम न हो, तो लड़कियों का अनुपात आबादी में तीन चौथाई से भी कम रह जाएगा।
आबादी में अनुपात की बात निकली तो यह भी सोचने की जरूरत है कि आज भी हिन्दुस्तान में पसंद की लडक़ी पाने के लिए, या लडक़ी पाने के लिए लडक़े या आदमी अपने से पांच-सात साल छोटी उम्र की लडक़ी पर भी विचार करते हैं, इसका मतलब यह है कि लडक़ों को पसंद करने के लिए लड़कियों की अधिक आबादी हासिल रहती है।
खैर, सभ्य देश हर किस्म की दावतों के अधिक हकदार रहते हैं, हिन्दुस्तान में लोग दावतों की कमी को नफरत के जुलूसों से बराबर कर देते हैं।
हवा में सनसनी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जिस तरह ईडी दफ्तर के बाहर कांग्रेस ने एक लंगर खोल दिया है, और अपने प्रदर्शनकारियों के अलावा आते-जाते लोगों को भी वहां खाना खिलाया जा रहा है, उससे यह तो तय है कि पार्टी के प्रदर्शनकारी रहें या न रहें, वहां पर जब चाहें तब कुछ सौ लोग तो लंगर के चक्कर में जुटे ही रह सकते हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी तरह-तरह के फैसलों से छत्तीसगढ़ की राजनीति में आग लगा चुके हैं, और लोग अगले चुनाव तक इन फैसलों के असर की अटकलें लगा रहे हैं कि किसे किस अदालत से कौन सी राहत मिलेगी, और किसे परेशानी मिलेगी। केन्द्र और राज्य दोनों की जांच एजेंसियां, दोनों तरह की बड़ी अदालतें, केन्द्र और राज्य की सरकारें, कांग्रेस और भाजपा दो सांप-नेवलों जैसी पार्टियां, एकता कपूर के किसी सीरियल जैसी नौबत आ चुकी है। हवा में भारी सनसनी है, लोगों को अपनी अटकलें बताने के लिए अब वॉट्सऐप भी महफूज नहीं लग रहा है, और बिना बताए रहा भी नहीं जा रहा है। आने वाले दिन लोगों के लिए नाटकीय खबरें लेकर आएंगे यह तो तय है।
ऐसी सनसनी के बीच कल किसी ने एक पोस्टर बनाकर कुछ लोगों को भेज दिया कि आज जेल में बंद कुछ प्रमुख और चर्चित लोगों को जल्द ही नए पड़ोसी मिल सकते हैं। अब अटकलबाज लोग तुरंत ही टूट पड़े कि ये पड़ोसी राज्य के होंगे, या राज्य के बाहर के होंगे?
कामयाब नुस्खा
बिलासपुर के आज के एसपी संतोष सिंह जहां रहते हैं वहां नशे के खिलाफ अभियान छेड़ते हैं। फरवरी के महीने में बिलासपुर जिले में शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले 207 लोगों के खिलाफ गाड़ी जब्ती की कार्रवाई की गई, और अदालत से ऐसी हर गाड़ी दस-दस हजार रूपये के जुर्माने पर छूटी।
अब अगर प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस नशे में गाड़ी चलाने वालों पर ऐसी कार्रवाई करे, तो हर दिन लाखों रूपये का जुर्माना वसूल हो सकता है, और दर्जनों जिंदगियां रोज बच सकती हैं। आज सडक़ हादसों में सबसे अधिक जिम्मेदार एक अकेली बात ड्राइवर का नशे में होना है। संतोष सिंह का यह नुस्खा पूरे प्रदेश में कड़ाई से लागू होना चाहिए, ताकि हादसे में शराबी और बेकसूर, सभी बच सकें।
राजभवन में होगा बदलाव
नये महामहिम को राजभवन में एक सप्ताह पूरे हो गए हैं। सचिवालय के लोग अपने अपने तरीके से साहब के मनोभाव को लेकर भविष्य का आकलन कर रहे हैं। एक, एक अधिकारी को तौल रहे हैं। सो सभी ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं।
महामहिम इसमें अपने पांच दशकों के राजनीतिक अनुभव की मदद ले रहे। खासकर निकटवर्ती अफसरों पर पैनी नजर रखे हुए हैं। सही बात भी है। बीते दिनों राजभवन में कुछ अच्छा नहीं हुआ था। निकटवर्तियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सो राजपथ से होकर रायसीना हिल्स का सफर हाथ से छूट गया। खैर दिल्ली से लौटकर महामहिम सचिवालय में बदलाव कर अपने तेवरों का खुलासा करेंगे।
ठगी का तरीका जनगणना, आयुष्मान
सभी फ्लैट या घर मालिक सुरक्षित रहने का प्रयास करें। ठगी और लूटने की नवीनतम तकनीक वे हाउस अथॉरिटीज के रूप में सुनी और देखी जा रहे हैं। ये लोग घर-घर जा रहे हैं और झूठ बोल रहे हैं। वे गृह मंत्रालय की मुहर और लेटर हेड भी दिखाते हैं। और वे यह पुष्टि करने का दावा करते हैं कि सभी के पास अगली जनगणना के लिए एक वैध पहचान पत्र है। कृपया ध्यान दें कि कोरोना की वजह से 2021 में निर्धारित जनगणना अब तक शुरू नहीं हुई है। और ऐसा करने के लिए सरकार ने किसी को अधिकृत नहीं किया है।
हर जगह घूम रहे हैं और वे प्रेजेंटेबल दिखते हैं । कृपया अपने परिवार और दोस्तों को बताएं, एक व्यक्ति आपके घर आएगा और कहेगा मैं आयुष्मान भारत योजना से हूं और मैं आपकी फोटो/फिंगरप्रिंट लेना चाहता हूं उनके पास लैपटॉप, बायोमेट्रिक मशीन और सभी नामों की डेटा सूची है वे आपको सभी डेटा सूची नाम दिखाते हैं और अतिरिक्त जानकारी मांगते हैं कहा जाता है कि यह सब फ्राड है उनके साथ कोई भी जानकारी साझा न करें। कृपया अपने घर की महिला सदस्यों को बताएं कि भले ही वे आईडी दिखाएं इन्हें घर में न घुसने दें। इस जानकारी को अपने और पड़ोसियों के समूह चैट में साझा करें और इस अलर्ट मैसेज को फैलाएं।
अस्पताल, थानों में बर्थ डे पार्टियां
घर परिवार के साथ या होटलों में दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाना अब लोगों को रास नहीं आ रहा। हर दिन किसी न किसी शहर में चौक-चौराहों पर आधी रात गाडिय़ां खड़ी कर केक काटने की खबर आ रही है। केक तलवार से भी काटे जा रहे हैं। इतना ही नहीं, ये सब सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहे हैं। कुछ जिलों में पुलिस ने ऐसे मामलों में कार्रवाई भी की है। उसने आर्म्स एक्ट और शांतिभंग के मामले दर्ज किए हैं। पर दूसरी ओर थानों में भी पार्टी हुई है। सरगुजा जिले के लखनपुर में एक भाजपा नेता का जन्मदिन तो कुछ दिन पहले ही थाने में मनाया गया। वहां मौजूद डीएसपी ने खुद अपने हाथों से केक नेता को खिलाया।
अब इसी सरगुजा के दूरस्थ बिहारपुर से खबर है कि वहां खाली पड़े कोविड वार्ड में एक कर्मचारी का जन्मदिन डीजे की आवाज के साथ थिरकते हुए मनाया गया। अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर भी इसमें शामिल हुए। मरीज परेशान होते रहे, पर जश्न चलता रहा। पिछले साल नवंबर में एम्स रायपुर में भी जबरदस्त वेकलम पार्टी रखी गई थी। बड़ा हंगामा हुआ था। फिर इधर बिहारपुर जैसे दूर के किसी छोर में डॉक्टर और दूसरे विभागों के कर्मचारी अधिकारी क्या कर रहे हैं इसे देखने कौन जाता है? यहां डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी है। ज्यादातर मरीज जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिए जाते हैं। थाने में जन्मदिन मनाने को इलाके के नेता और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने गलत माना था। इस मामले में जो उनके ही विभाग से संबंधित है, प्रतिक्रिया अभी नहीं मिली है।
टैक्स एक लाइलाज बीमारी
माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। 10वीं बोर्ड का पहला पेपर हिंदी का था, जिसमें कुछ वस्तुनिष्ठ सवाल किए गए थे। इनमें से एक था- डॉक्टर के पास किस बीमारी का इलाज नहीं होता? विकल्प दिए गए थे- कालरा, हैजा, टैक्स और कैंसर। जाहिर है कि टैक्स कोई बीमारी नहीं है। यही जवाब सही था। पर सेट करने वाले को अध्यापक की मनोदशा क्या रही होगी? जरूर उनको सवाल उस वक्त सूझा होगा, जब उन्होंने केंद्रीय बजट के नए स्लैब को समझा होगा। पिछले माह कर्मचारियों को सालाना रिटर्न भी भरना था। हो सकता है कि काफी सिर धुन लेने के बाद भी उनको ज्यादा टैक्स भरने से बचने का रास्ता नहीं सूझा होगा और दर्द सवाल के रूप में उभर गया। ([email protected])