राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नए गवर्नर का काया मिजाज
10-Mar-2023 4:51 PM
 	 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नए गवर्नर का काया मिजाज

नए गवर्नर का काया मिजाज

नए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन की कार्यशैली कुछ हद तक दिवंगत राज्यपाल बलरामजी दास टंडन से मिलती जुलती है। दोनों को मुलाकातियों से परहेज नहीं रहा है, लेकिन ज्यादा देर वो चर्चा नहीं करते। अलबत्ता, पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके राजनीतिक, सामाजिक लोगों से गर्मजोशी से मिलती थीं, और कईयों से तो घंटों चर्चा करती थीं। साधु-संतों, और ज्योतिषियों का भी जमावड़ा राजभवन में लगा रहता था। मगर नए राज्यपाल हरिचंदन मुलाकातियों से अधिकतम 5-7 मिनट से ज्यादा नहीं मिलते। होली के मौके पर उनसे दर्जनभर से अधिक सरकारी, और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति आए थे। कुछ कुलपति तो लंबी चर्चा के मुड में थे, लेकिन सामान्य हालचाल लेने के बाद राज्यपाल ने हाथ जोड़ लिए। करीब एक घंटे के भीतर सारे कुलपतियों से मुलाकात खत्म हो गई। अब सरकार से उनका तालमेल कैसा रहता है, यह देखने वाली बात होगी।

चुनावपूर्व होली के रंग

कांग्रेस, और भाजपा के  चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं ने अपने निवास पर होली मिलन रखा था। यह अभी भी चल रहा है, और रंग पंचमी तक जारी रहेगा। सीएम भूपेश बघेल, और सरकार के मंत्रियों ने अपने-अपने इलाके में होली मनाया।
सरकार बजट में बेरोजगारी भत्ता, और छोटे कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाया है। इसके चलते उनके यहां होली के मौके पर काफी रौनक देखने को मिली। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम से लेकर मंत्रियों के घर तक कर्मचारी संघ के नेता होली पर बधाई देने पहुंचे थे। मरकाम के घर तो सैकड़ों आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने पहुंचकर बधाई दी।

रायपुर शहर में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के यहां होली मिलन का कार्यक्रम भव्य तरीके से मनाया जाता रहा है, लेकिन इस बार उनके पारिवारिक मित्र अरूण लूथरा के निधन के कारण कार्यक्रम सीमित कर दिया गया था। वो अपने पैतृक निवास पर आम लोगों से मेल मुलाकात करते रहे। मेयर एजाज ढेबर ने तो सुभाष स्टेडियम में कार्यक्रम रखा था। इसमें सीएम और अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे।

इतनी बोझिल गुडमॉर्निंग

इन दिनों हिन्दुस्तान में वॉट्सऐप का चलन खासा बढ़ गया है। लोगों में भी, और भेजे जाने वाले संदेशों में भी। हर वॉट्सऐप फोन पर हर दिन हर सुबह बहुत से गुडमॉर्निंग संदेश आते हैं, धार्मिक तीज-त्यौहार पर ऐसे संदेश सैकड़ों गुना बढ़ जाते हैं। फिर भी जो बुजुर्ग घर बैठे हैं, उनके हाथ फोन लगने पर कुछ तो प्रैक्टिस करने के लिए, कुछ आसपास लोगों को यह अहसास कराने के लिए कि वे अभी हैं, वे रोजाना कई संदेश भेजते हैं, बहुत से ग्रुप में जुड़े रहते हैं। अब हालत यह है कि हिन्दुस्तान के करीब 40 करोड़ वॉट्सऐप उपभोक्ताओं की वजह से दुनिया में इंटरनेट की कमर टूट रही है, बिना काम के इतने पोस्टर और वीडियो सिर्फ गुडमॉर्निंग और त्यौहार पर भेजे जा रहे हैं कि पाने वालों की फोन की मेमोरी भर जा रही है। अभी एक खबर में बताया है कि हर तीन में से एक स्मार्टफोन की मेमोरी हर दिन पूरी खत्म हो जा रही है। अमरीका में यही हालत दस फोन में से एक की है, और हिन्दुस्तान में हर तीन में से एक। एक रिपोर्ट बतलाती है कि हिन्दुस्तानी बुजुर्ग जब स्मार्टफोन और वॉट्सऐप जैसी तकनीक को पहली बार इस्तेमाल कर रहे हैं तो किसी से पीछे न छूट जाने के डर से वे अधिक से अधिक संदेश भेज रहे हैं, और परिवार के बच्चों की तस्वीरों के बड़े-बड़े ग्रुप बना लिए गए हैं। इन सबसे फोन की मेमोरी की भी कमर टूट रही है, और वॉट्सऐप या इंटरनेट की भी। अब लोगों से सामाजिक और निजी संपर्क बनाए रखने की कुछ तो लागत आएगी ही। कहते हैं कि नया-नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है, अब नए-नए स्मार्टफोन उपभोक्ता फोन का ऐसा इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसमें हैरानी कैसी?

होली ने चर्चा न होने दी...

दो दिन पहले जोरशोर से महिला दिवस भी मना लिया गया। उसी दिन होली भी थी, और कई लोग महिला दिवस के नाम पर महिलाओं को गुलाल लगाने की ताक में भी रहे होंगे। लेकिन यह दिन होली का दिन था इसलिए अधिक गंभीर कोई बात हो नहीं पाई। आज ही उस पर कम से कम एक छोटी सी बात हो जाए। विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि हिन्दुस्तान में कामकाजी लोगों में महिलाओं का अनुपात 19.23 फीसदी है, और चीन में यह 61.61 फीसदी है। अब जो लोग भारत की चीन से बराबरी के दावे करते हुए राहुल गांधी की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें अपने ही देश में कामकाजी लोगों में महिलाओं की हिस्सेदारी के बारे में सोचना चाहिए जो कि चीन के मुकाबले एक तिहाई से भी कम है। दक्षिण एशिया के देशों में महिला कामगारों की भागीदारी के मामले में 2021 के आंकड़े बताते हैं कि नेपाल लिस्ट में सातवें नंबर पर है यानी वहां महिलाएं अधिक कामकाजी हैं, उन्हें अधिक रोजगार हासिल हैं। दूसरी तरफ भूटान 94वें नंबर पर है, बांग्लादेश 148वां हैं, श्रीलंका 159वां हैं, पाकिस्तान 169वें नंबर पर हैं, और हिन्दुस्तान 170वें नंबर पर है। होली के माहौल में तो महिलाओं के हाल पर ऐसी गंभीर चर्चा मुमकिन नहीं थी, लेकिन अब कम से कम इस पर थोड़ी सी बात हो जाए।

नजरों के ब्लूटूथ से

विधानसभा में मनाई गई होली में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत गले मिले, और इस दौरान आंखों में आंखें डालकर उन्होंने मानो नजरों के ब्लूटूथ से दिल की बातों की बड़ी-बड़ी फाईल का लेन-देन कर लिया। अब इस फाईल में मोहब्बत की बातें कितनी थीं, और शिकवा-शिकायतें कितनी थीं, उन्हें ये दोनों ही जानते हैं क्योंकि ये नजरें वॉट्सऐप संदेशों की तरह ही एंड से एंड इनक्रिप्टेड हैं।

कुलपतियों पर सियासत

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बड़े रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में कुलाधिपति ने जाते-जाते कुलपति की नियुक्ति कर गईं। मौजूदा कुलपति का कार्यकाल इस महीने खत्म हो जाएगा, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का इस बात पर आपत्ति है कि लगातार राज्य में बाहरी कुलपतियों की नियुक्ति की जा रही है। नए राज्यपाल से कुलपति की नियुक्ति रद्द करने की मांग भी की जा चुकी है, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में कांग्रेसी विरोध की तैयारी कर रहे हैं। विरोधी लगातार राज्य के तमाम कुलपतियों का बायोडॉटा खंगाल रहे हैं। उनका दावा है कि 8 विश्वविद्यालयों में उत्तरप्रदेश के कुलपतियों का कब्जा है। इतना ही नहीं एक निजी विवि में भी उत्तरप्रदेश के प्रोफेसर को कुलपति बनाया गया है। दूसरी तरफ भाजपा के लोग छत्तीसगढ़ के ऐसे प्रोफेसरों की तलाश कर रहे हैं, जो दूसरे राज्यों में कुलपति बनाए गए हैं। हालांकि बीजेपी की लिस्ट काफी छोटी है, उन्हें ऐसे छत्तीसगढिय़ों को तलाशने में मुश्किल हो रही है।

अबूझमाड़ में महिला दिवस

होली के चलते 8 मार्च को ज्यादातर शहरों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन टाल दिया गया। कहीं-कहीं इस दिवस के कार्यक्रम शनिवार और रविवार को होने वाले हैं। दूसरी ओर सुदूर अबूझमाड़, बस्तर की आदिवासी महिलाओं ने इस दिन को यादगार बना दिया। यहां की महिलाओं ने धूमधाम से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया और समानता के अधिकार पर आवाज बुलंद की। महिलाओं ने अपने हाथ में तीर कमान भी थाम रखी थी। नाचते गाते हुए मढोनार में करीब तीस गांवों की युवतियां अपनी खास वेशभूषा में पहुंची थीं। अत्यंत पिछड़ा समझे जाने वाले अबूझमाड़ की आदिवासी महिलाओं को बराबरी के अधिकार के लिए लड़ते हमें देखकर लोगों ने कहा कि महिला दिवस सार्थक हो गया।

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