राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बैस को लेकर अटकलें
16-Apr-2023 4:20 PM
 राजपथ-जनपथ :  बैस को लेकर अटकलें

बैस को लेकर अटकलें

दो दिन पहले पीएम से मुलाकात के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस की छत्तीसगढ़ वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं। बैस को दो महीना पहले ही झारखण्ड की जगह महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया था। पार्टी हल्कों में इस बात की चर्चा है कि बैस को विधानसभा आम चुनाव की वजह से फिर से प्रदेश की राजनीति में भेजा जा सकता है।

बैस के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि वो पार्टी के पिछड़ा वर्ग के बड़े चेहरा हैं। बैस की अपने कुर्मी समाज में अच्छी पकड़ है। वैसे तो नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक, और अजय चंद्राकर भी इसी वर्ग से आते हैं। मगर बैस को ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।

 सात बार के सांसद बैस को भाजपा ने पिछले चुनाव में टिकट नहीं दी थी। उन्हें एक तरह से सक्रिय राजनीति से अलग कर दिया गया था। अब जब पार्टी के अंदरखाने में सीएम भूपेश बघेल के मुकाबले पिछड़ा वर्ग, और मजबूत कुर्मी चेहरे की बात आ रही है, तो बैस फिट बैठ रहे हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का दावा है कि पखवाड़े भर के भीतर सब कुछ तय हो जाएगा। देखना है आगे क्या होता है?

एसपी के खिलाफ मंत्री समर्थक

आईपीएस यू उदय किरण को दो माह पहले ही कोरबा का पुलिस अधीक्षक बनाया गया। उनकी तैनाती के समय ही बात उठने लगी थी कि मंत्री जयसिंह अग्रवाल के समर्थकों के साथ उनका क्या रवैया होगा। दरअसल, वे इसके पहले जब कोरबा में एडिशनल एसपी थे तब मंत्री के कई समर्थकों को पुलिस ने पीटा था। पुलिस का कहना था कि वे ठेका और ट्रांसपोर्ट के अवैध कारोबार में लिप्त थे। उनके विरुद्ध काफी प्रदर्शन हुए। अब एक बार फिर मंत्री समर्थकों से उनका विवाद हो गया है। मंत्री के एक समर्थक अमरजीत सिंह के खिलाफ गैरजमानती धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है। कोयला परिवहन के विवाद में अमरजीत पर नीलकंठ ठेका कंपनी के कर्मचारियों के साथ मारपीट करने का आरोप है। एफआईआर दर्ज होने के बाद मेयर, सभापति, जिला कांग्रेस अध्यक्ष सब एक साथ कलेक्टर, एसपी से मिले। महापौर राजकिशोर प्रसाद का कहना था कि रिपोर्ट पूरी तरह झूठी है। जिस वक्त की घटना बताई जा रही है, अमरजीत पूरे दिन मरे ही साथ थे। बतौर एसपी उदयकिरण का यह नारायणपुर और जीपीएम जिले के बाद तीसरी पदस्थापना है। कोरबा के संसाधनों के देखकर हर आईएएस, आईपीएस एक बार यहां ड्यूटी करना चाहता है, पर इस आईपीएस के बारे में लोगों की राय अलग है। एसपी ने उनकी शिकायत तो रख ली पर उनके तौर-तरीकों को जानने वाले कह रहे हैं कि यदि घटना हुई है तो रियायत की उम्मीद छोड़ दें। कुर्सी रहे न रहे, परवाह नहीं।

अजन्मे बच्चे की हिफाजत

यह टिटहरी अकेले होती तो फुर्र से उड़ जाती। पर फोटोग्रॉफर कैमरा लेकर जैसे-जैसे करीब जा रहा था वह अपने नन्हें चोंच से चीं..चीं..चीं.. कर चीखने लगी, लेकिन अपनी जगह पर डटी रही। फोटोग्रॉफर ने ठिठककर देखा, टिटहरी नीचे अपने पेट पर अंडे को सेंक रही है। फोटोग्रॉफर ने और नजदीक जाना ठीक नहीं समझा। कोटा बिलासपुर के मोहनभाठा से यह तस्वीर नरेंद्र वर्मा ने ली है।

राजकीय पशु असमिया बनेंगे !

छतीसगढ़ के बार नवापारा में असमिया जंगली वन भैसों की संख्या छह हो गई है। पहले लाए गए एक नर और एक मादा वन भैंसे पहले से बाड़े में हैं। अब चार फीमेल सबएडल्ट यहां कल पहुंच गई हैं। इनसे वन भैसों का प्रजनन करने की योजना  है। वनभैंसा छत्तीसगढ़ का राज्य पशु है। ये सघन नक्सली इलाके इंद्रवती नेशनल पार्क से लेकर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के जंगल तक देखे जाते हैं। यह रक्तशुद्ध प्रजाति में गिने जाते हैं क्योंकि ये यहां के पालतू भैसों के सम्पर्क में नहीं आए। नक्सलियों के क्षेत्र से वन भैंसों को लाने का जोखिम वन के अफसर नहीं उठा रहे हैं। अब असम से वन भैंसें लाकर प्रजनन के जरिये छतीसगढ़ में वनभैसा बढऩे की योजना पर काम चल रहा है। कहा जा सकता है कि राज्य के वन विभाग की अक्षमता सदा के लिए इतिहास में दर्ज हो रहा है। अब अपना राज्य पशु शुद्ध नहीं होगा, बल्कि उसमें असमिया रक्त भी मिश्रित होगा।

प्लास्टिक बोतल भी काम की

एक छोटे से काम से शुरुआत कीजिए। इसे घर में बच्चों से लेकर बड़े तक कोई भी आसानी से कर सकता है। पानी की बोतल घरों में आते ही रहते हैं। हर घर में हर दिन कम से कम एक या एक से अधिक प्लास्टिक की थैलियाँ आती हैं,, जैसे तेल की थैली, दूध की थैली,, किराने की थैली, शैम्पू,, साबुन, मैगी, कुरकुरे आदि। ये थैलियां हमें रोज कूड़ेदान की जगह पानी की बोतल में डालनी है। हम सप्ताह में एक बार बोतल को भर सकते हैं और फिर ढक्कन के साथ कूड़ेदान में फेंक दें। ऐसा करने से जानवर बिखरा हुआ प्लास्टिक नहीं खाएंगे। नगर के सफाई विभाग को भी प्लास्टिक कचरे के निष्पादन में सुविधा होगी। घरों में बच्चे यह काम खेल-खेल में कर रहे हैं। देश में कई एनजीओ हैं, जो इस तरह के अभियान से अब जुड़े हुए हैं। पर पहल घर से ही की जा सकती है।

लाठी भी नहीं टूटी...

कई बार नेताओं के दबाव में ऊपर के अफसर कार्रवाई तो कर देते हैं पर आदेश में कुछ सुराख छोड़ देते हैं, जिससे बचने का रास्ता मिल जाता है। पलारी, बलौदाबाजार के तहसीलदार को लेकर यही बात सामने आई थी कि विधायक शकुंतला साहू ने उन्हें रेत लदी एक गाड़ी को छोडऩे के लिए कहा, तहसीलदार ने बात नहीं मानी तो दो तीन घंटे के भीतर ही उनका तबादला करा दिया गया। राजस्व अधिकारियों के संगठन ने इस कार्रवाई पर विरोध जताया और आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली है। पर ऐसा लगता है कि अब इसकी नौबत नहीं आएगी। तहसीलदार को हाईकोर्ट से स्थगन मिल गया है। दरअसल, दुबे को प्रतिनियुक्ति पर निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय रायपुर भेजा गया था। यह सामान्य सा नियम है कि किसी शासकीय सेवक को प्रतिनियुक्ति में भेजे जाने पर उसकी सहमति ली जाती है, साथ ही जिस दफ्तर में भेजा जा रहा है, वहां के प्रभारी को उस नाम पर एतराज नहीं होना चाहिए। इस प्रक्रिया को यहां नहीं अपनाया गया। हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में स्थगन दे दिया। अब आगे शासन का पक्ष सुना जाएगा। फैसला तो दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद तो आ ही जाएगा। पर फिलहाल तो तहसीलदार दुबे पलारी से हटने के बाध्य नहीं हैं।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news