राजपथ - जनपथ
डि-लिस्टिंग रैली में ऐसे जुटी भीड़
राजधानी में 16 अप्रैल को डि-लिस्टिंग, यानि दूसरे धर्म यानि ईसाई इत्यादि अपना चुके लोगों को आदिवासियों को मिलने वाली आरक्षण सुविधा से अलग करने की मांग पर रखी गई रैली में भाजपा सामने नहीं थी। यह आयोजन जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर पर किया गया था, जिसमें भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोग शामिल थे। भाजपा के कई आदिवासी नेता इसमें दिखे। रैली की भीड़ देखकर यह भ्रम हो सकता है कि इसमें शामिल होने वाले सब आदिवासी समुदाय से ही थे। पर ऐसा नहीं है। रैली में बड़ी संख्या में वे लोग शामिल थे सामान्य वर्ग अथवा अनारक्षित लोगों में से हैं। इन्हें रैली में लाने ले जाने के लिए बकायदा बसों की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए सोशल मीडिया पर अभियान भी चला। इनके एक वाट्सएप ग्रुप में अपील की गई कि रायपुर की रैली में शामिल होना चाहते हैं, उनके लिए बस खड़ी रहेगी, नाम लिखा दें, फिर वाट्सएप नंबर भी दिया गया है। मतलब, रैली में शामिल होने के लिए भाजपा और आरएसएस से जुड़े उन तबके के लोगों की भी जबरदस्त भागीदारी थी, जिन्हें आदिवासी आरक्षण से लेना देना नहीं था लेकिन ताकत दिखानी थी। यह भी गौर की बात है कि डि-लिस्टिंग पर फैसला केंद्र सरकार को लेना है, जहां भाजपा की ही सरकार है। पर रैली से संदेश यह दिया गया कि प्रदेश सरकार अन्याय कर रही है।
वाट्सएप ग्रुप की जांच कौन करे?
यह बार-बार पुष्ट हो चुका है कि सौशल मीडिया कैंपनिंग में विपक्षी दलों की कोई हैसियत नहीं। पूरे प्रदेश में सैकड़ों ऐसे वाट्सएप ग्रुप उग्र हिंदुत्व से जुड़े लोगों के बने हुए हैं जो हर दिन लाखों लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने में सफल हैं। यह पहले से तय होने के बावजूद कि सोशल मीडिया के जरिये नफरती संदेश, विभिन्न समुदायों के बीच कटुता फैलने वाले मेसैज, वीडियो आदि प्रसारित नहीं करें, कानूनन जुर्म है। अभी छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी चेतावनी जारी की है। पर, इन सैकड़ों में से ज्यादातर वाट्सएप ग्रुप ऐसे हैं जिनमें बिना किसी रोक-टोक के आपत्तिजनक संदेश वायरल हो रहे हैं। पर ये सब आपस का मामला है। या कह लीजिए एक बड़े परिवार का, जिसकी भनक बाहर लगती नहीं। ऐसे संदेश आपस में ही घूमते रहते हैं। कई बार कुछ उत्साही लोग अपने दोस्तों और परिवारों के ग्रुप में इनमें से कुछ वीडियो वायरल कर देते हैं तो कभी-कभी हंगामा मच जाता है। पुलिस तब जाकर कोई एक्शन लेती है जब शिकायत होती है। छत्तीसगढ़ में ही रोजाना बेमेतरा, जगदलपुर,कवर्धा आदि की घटनाओं को लेकर अनेक आपत्तिजनक पोस्ट इनमें से कई ग्रुपों में चल रहे हैं। इन दिनों अतीक अहमद और योगी आदित्यनाथ भी इनमें हॉट टॉपिक है। जो काम आने वाले 2023 और 2024 के चुनावों के लिए ये समूह कर रहे हैं, उसका कितना अधिक असर है- कांग्रेस, आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी दलों को अंदाजा है ही नहीं।
कांकेर में ब्रह्मास्त्र का निर्माण
गोबर के बाद जब गायों के मूत्र को भी खरीदने का फैसला छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया तो लगा यह शायद मुमकिन नहीं, अव्यावहारिक योजना है। यह जरूर है कि लक्ष्य के मुताबिक काम नहीं हो रहा हो, पर नए काम की शुरुआत तो हुई है। यह कांकेर में बना कीटनाशक जैविक रसायन है, जिसे गोमूत्र से बनाया गया है। नाम दिया गया है- ब्रह्मास्त्र। इसके उत्पादन और बिक्री में कांकेर जिला पूरे प्रदेश में पहले नंबर पर है।