राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कर्नाटक चुनाव में ओनली अजय !
22-Apr-2023 3:42 PM
राजपथ-जनपथ : कर्नाटक चुनाव में ओनली अजय !

कर्नाटक चुनाव में ओनली अजय !

पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर प्रदेश भाजपा के अकेले नेता हैं, जिनकी कर्नाटक चुनाव में ड्यूटी लगी है। उन्हें बैंगलुरु ग्रामीण में प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस से तो सीएम भूपेश बघेल स्टार प्रचारक तो हैं ही। उनके मुकाबले भाजपा ने अब अजय को आगे किया है। हालांकि अजय सिर्फ बैंगलुरु ग्रामीण तक ही सीमित रहेंगे।

बैंगलुरु के रिसॉर्ट में रहकर अजय पार्टी प्रत्याशी को जिताने की रणनीति तैयार करेंगे। वो चुनाव प्रचार खत्म होने तक यानी 6 मई तक वहां रहेंगे। पार्टी के भीतर अजय को महत्व दिए जाने की खूब चर्चा हो रही है। जबकि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, बृजमोहन अग्रवाल, और धरमलाल कौशिक को प्रचार के लिए नहीं बुलाया गया है।

हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कुछ महीने बाकी रह गए हैं। ऐसे में बाकी स्थानीय नेताओं को कर्नाटक इसलिए नहीं भेजा जा रहा है, कि वो यहां रहकर चुनाव तैयारियों में लगे रहे। चाहे कुछ भी हो, अजय हाईकमान की नजर में हैं।

कर्नाटक और सट्टा बाजार

कर्नाटक में जीत हार को लेकर सट्टे का भाव खुल गया है। सटोरियों  का अनुमान है कि कर्नाटक में स्पष्ट रूप से कांग्रेस को बहुमत मिलेगा। सट्टा बाजार में कांग्रेस को 118 से 121 सीट मिलने का दावा किया गया है। जबकि भाजपा को अधिकतम 75 सीटें मिलने की बात कही गई है। इसके अलावा जेडीएस को 21 से 25 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। यानी भाजपा की सरकार बनने पर चार गुना रकम देने के लिए तैयार हैं। वैसे तो कुछ ओपिनियन पोल में भी कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया गया है, लेकिन जानकार लोग सट्टा बाजार को ज्यादा विश्वसनीय मानते हैं। चुनाव नतीजे 12 मई को घोषित किए जाएंगे। तब तक हार जीत को लेकर बहस चलती रहेगी।

दुष्कर्म पीडि़तों का परास्त हो जाना...

नाबालिगों के साथ होने वाले दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले बेहद नाजुक होते हैं। ठीक तरह से विवेचना हो तो ऐसे मामलों में आरोपी को उम्र कैद और कभी-कभी फांसी तक की सजा हो सकती है। पुलिस ने यदि पीडि़त लडक़ी और परिजनों का जख्म महसूस किया हो तब तो वह प्रलोभन में नहीं आती वरना ऐसे मामले उनके लिए वसूली का सुनहरा मौका बन जाता है। हाल की दो घटनाएं झकझोरने वाली हैं। बिलासपुर जिले के चकरभाठा थाने की एक विवाहिता ने शादी के कुछ महीने बाद ही आत्महत्या कर ली। वह चार माह की गर्भवती भी थी। यह सामान्य विवाह नहीं था। उसकी शादी जिस युवक से हुई वह दूर का रिश्तेदार था। उसने तब लडक़ी से रेप किया जब वह नाबालिग थी। जैसा परिजनों ने बताया है, सरपंच और पुलिस ने बेटी और आरोपी युवक के भविष्य और कोर्ट कचहरी के नाम पर समझौता करा दिया। साथ ही रास्ता सुझाया गया कि आरोपी लडक़ा, लडक़ी से शादी करेगा। लडक़े ने शादी की लेकिन वह शादी के बाद मारपीट करने लगा क्योंकि वह किसी और के चक्कर में भी फंसा था। बेटी ने खुदकुशी के दो दिन पहले अपने मायके में फोन करके रोते-रोते अपना दर्द बयान किया था। लडक़ी ने अपनी जान दे दी। इसके बाद भी पुलिस इस वजह से पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी कि लडक़ी ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा, या मरने से पहले प्रताडऩा की कोई शिकायत नहीं की थी। जबकि, परिजन हत्या का आरोप लगा रहे थे। एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता की दौड़-धूप के बाद आखिरकार एसपी के निर्देश पर आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर सिर्फ आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध दर्ज किया गया, जबकि विवाह के बाद प्रताडि़त लडक़ी के साथ तो नाबालिग अवस्था में रेप का शिकार भी हुई थी। आत्महत्या की नौबत आ गई तो शादी के उस समझौते का मतलब ही नहीं रह जाता। दूसरी घटना सूरजपुर जिले के रामानुजगंज की है। जहां 8वीं की छात्रा ने आत्महत्या कर ली। उसके साथ बिजली सुधारने वाले परिचित शादीशुदा आरोपी ने रेप किया। पुलिस ने कई दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस यह सफाई दे रही है कि जान-पहचान के युवक के खिलाफ पीडि़ता के पिता ने सिर्फ चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जबकि दूसरी ओर परिजनों का कहना है कि पीडि़त बच्ची और प्रत्यक्षदर्शी छोटे भाई को आरोपी और उसकी पत्नी ने कुछ रुपयों का प्रलोभन देकर मुंह बंद रखने कहा। नाबालिग से दुष्कर्म की शिकायत होने के बावजूद आरोपी खुले में घूम रहा था और पीडि़ता को घर से बाहर निकलते ही जान से मारने की धमकी दे रहा था। दहशत में छात्रा ने आत्महत्या कर ली। जान से मारने की धमकी में वजन महसूस किया होगा, क्योंकि एक साल पहले ही सूरजपुर में ऐसी घटना हो चुकी है। नाबालिग ने जब बलात्कार के बाद आरोपी के खिलाफ पुलिस में जाने की धमकी दी तो आरोपी ने उसकी हत्या कर दी थी।

बालकों के खिलाफ लैंगिक अपराधों को लेकर कानून बड़े सख्त हैं। पुलिस दावा करती है कि हर जिले में महिला रक्षकों की टीम है जो कॉल करते ही पीडि़त के पास पहुंचेगी। महिला थाना तो है ही, काउंसलिंग की प्रक्रिया भी अनिवार्य रूप से कराने का नियम है। पर बिल्हा और सूरजपुर जैसे मामले हर महीने-दो महीने में आ ही जाते हैं। छत्तीसगढ़ में बाल संरक्षण आयोग भी है, सुना नहीं गया कि कभी ऐसे मामलों के उजागर होने पर उसने अपनी ओर से कोई सुनवाई शुरू की हो।

आप अभी मैदान में डटी रहेगी...

बदले राजनीतिक हालत में क्या भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता का कोई असर छत्तीसगढ़, विधानसभा चुनाव में भी दिखाई देगा? इस बात का संकेत दिखाई दे रहा था जब नीतिश कुमार से मुलाकात के दौरान अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष की एकजुटता पर सहमति जताई थी। आम आदमी पार्टी अब तक अकेले ही मैदान में उतरते रही। उसका राजनितिक उभार कांग्रेस विरोध से ही हुआ है। कांग्रेस को दिल्ली में हराकर ही वह पहली बार ऐतिहासिक जीत के साथ सरकार बना सकी। विपक्षी एकता से मतलब है कि कांग्रेस का साथ मिलकर काम करना। अकेले सारी लड़ाई लडऩे का मकसद लेकर चलने वाली आप पार्टी के रूख में लचीलापन अपने मंत्रियों की गिरफ्तारी और खुद केजरीवाल पर मंडरा रहे संकट के बाद आया है। कांग्रेस ने भी विपक्षी एकता की मुहिम में आप को लेकर अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, पर अब वह समान विचारों के साथ सभी दलों को एकजुट करने की बात कहने लगी है, जिसमें आप भी शामिल है। इन सभी विपक्षी दलों का लक्ष्य सन् 2024 में मोदी को केंद्र की सत्ता से बाहर करना है, पर उससे पहले होने वाले चुनावों में किसका क्या रुख रहेगा? छत्तीसगढ़ में दो साल से आम आदमी पार्टी मेहनत कर रही है। ब्लॉक व पंचायत स्तर पर इसके संगठन तैयार हो चुके हैं। प्रशिक्षण के कार्यक्रम चल रहे हैं। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ कई आंदोलन वह कर चुकी। ऐसे में यह उम्मीद करना कि यहां किसी समझौते के रास्ते पर बात करेगी, गलत होगा। वह भी तब जब उसे हाल में राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल गया हो। छ्त्तीसगढ़ के निवासी आप के राज्यसभा सदस्य का गोवा में कल दिया गया यह बयान महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी पार्टी विपक्ष के साथ है, लेकिन चुनाव मैदान में वह अकेले ही उतरेगी। इसका अर्थ यह भी है कि लोकसभा चुनाव में भी आप ने साझे उम्मीदवारी की किसी योजना के बारे में विचार नहीं किया है।

और इस आम की खास हिफाजत..

यूं तो आम के बाग-बगीचों की रखवाली करने माली होते ही हैं, पर इस आम को खास सुरक्षा मिली हुई है, बिल्कुल किसी वीवीआईपी नेता की तरह। एक पत्थर पड़ा और मधुमक्खियों का झुंड पत्थर फेंकने वाले पर टूट पड़ेगा। यह आम पूरी तरह पक जाने के बाद अपने आप टूटकर गिरेगा, तभी खाने को मिल सकता है।

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