राजपथ - जनपथ
थोक में लिया पैसा तो लौटा दो...
कभी पुलिस, तो कभी बैंक कर्मचारियों पर हमला करके विवादों से घिरते रहे रामानुजगंज के विधायक बृहस्पत सिंह करें तो क्या करें आखिर ! रोज उनके पास फरियादी ऐसी शिकायत ले आते हैं कि गुस्सा आ ही जाता है। पर, अब सोचने लगे हैं कि ज्यादा बदनामी ठीक नहीं। इसीलिए हाल के एक वाकये में उन्होंने नरमी से काम लिया। यहां तक कि छोटी-मोटी रिश्वत लेने पर ऐतराज नहीं होने की बात भी कह दी।
दरअसल, इलाके के महावीरगंज की एक महिला का पति घर में घुसकर छेड़छाड़ के मामले में एक साल से जेल में बंद है। विधायक ने उसकी शिकायत सुनी फिर विजयनगर चौकी के प्रभारी को लगाया फोन। कहा- ये जो कृष्णा रवि के माध्यम से जो तुम लोगों ने 50 हजार रुपये लिए हैं, उसको वापस करो। ये पैसा उसी ने रख लिया है तो उसे बुलाकर वापस कराओ। चालान पेश हो चुका है। हाईकोर्ट का मामला है, ये लोग अपनी जमानत कराते रहेंगे। देखो यार... थोड़ा बहुत रिश्वत लेते हो, कोई शिकायत नहीं है। लेकिन इसका पति जेल में है, उसका 50 हजार लेकर दौड़ाओगे? इसको वापस कराओ। नहीं तो ऊपर अधिकारी में शिकायत होगी, रिपोर्ट भी दर्ज होगी। आप लोगों को भी परेशानी होगी। दलाल पैसा नहीं लौटाता है तो महिला से शिकायत लो, एफआईआर करो।
विधायक ने फोन पर आगे कहा- हम सच बोलने पर विवादित हो जाते हैं। अगर हम इस मामले को उठाएंगे तो कल को फिर यही बात उठेगा कि विधायक अधिकारी से रोज लड़ाई करता है। आप लोग दो चार पांच हजार से नहाते हो, नहा लो। जो करना है कर लो, लेकिन थोक में जो पैसा लिए हो उसको वापस कर दो यार..। यह भी मालूम हुआ है कि महिला ने 50 हजार रुपये अपनी भैंस बेचकर जुटाए थे। जिस व्यक्ति का नाम आ रहा है उसे पूर्व मंत्री रामविचार नेताम का करीबी कहा जा रहा है।
रायपुर से निकले स्वामीजी
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित रामकृष्ण मठ राजकोट के प्रमुख स्वामी निखिलेश्वरानंद की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। दुनिया के अलग-अलग देशों में जीवन प्रबंध पर उनका व्याख्यान काफी मशहूर रहा। स्वामीजी रायपुर से सीधा नाता रहा है। वो सिविल लाइन रहवासी दिवंगत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नागरदास बावरिया के पुत्र हैं। उनका सन्यास लेने से पूर्व नाम प्रबोध बावरिया था। दो भाई, और दो बहनों में सबसे बड़े प्रबोध ने यहां गुजराती स्कूल से स्कूल की पढ़ाई पूरा करने के बाद रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री हासिल की। वो गोल्ड मेडलिस्ट रहे।
प्रबोध ने मद्रास आईआईटी से इंड्रस्टीयल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने देश की शीर्ष कंस्लटेंसी कंपनी में सलाहकार के रूप में सेवाएं दी। प्रबोध का रुझान शुरू से ही अध्यात्म की ओर रहा। बाद में वो बेलूर मठ के संपर्क में रहे, और 1976 में रामकृष्ण मिशन में दीक्षा लेकर सन्यास ग्रहण किया। उनका नामकरण स्वामी निखिश्वरानंद किया गया। स्वामी निखिलेश्वरानंद वर्तमान में मिशन के राजकोट मठ के प्रमुख है। वे मिशन के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।
तनाव खत्म नहीं
बिरनपुर घटना के बाद बेमेतरा, और आसपास के इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है, लेकिन दो अलग-अलग घटना में तीन लोगों की मौत के बाद पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। मगर उन लोगों के खिलाफ अब तक कुछ कार्रवाई नहीं हुई, जिन्होंने माहौल को बिगाडऩे का काम किया। चर्चा है कि एक जनप्रतिनिधि ने तो खुले तौर पर बदला लेने की बात कह दी थी। इसके बाद माहौल और बिगड़ गया। घटना, और फिर बाद की परिस्थितियों पर सरकार के अंदरखाने में बारीक समीक्षा हो रही है। देर सबेर कुछ और लोगों पर कानूनी शिकंजा कस सकता है।
बिना तेल ही लाजवाब
बस्तर के आदिवासी समुदाय के पारम्परिक भोजन को खाने का आनंद कुछ और है। इस ट्राइबल मेन्यू में है चोपड़ा चटनी, कूरक साग, भेड़ा जीरा चटनी, बेसी गुड़ा चटनी, कोरआउग साग और चावल। खास बात यह है कि इसमें से किसी भी व्यंजन में तेल नहीं। फिर भी लाजवाब।
वाल पेंटिंग पर रिवर्स अटैक
महासमुंद की इस पानी टंकी में जो बड़े बड़े अक्षरों में दिख रहा है वह विधायक का नाम है- विनोद सेवनलाल चंद्राकर। साथ में पंजा निशान। पर यह अब इस स्थिति में नहीं है। पूर्व विधायक, भाजपा नेता विमल चोपड़ा और कार्यकर्ताओं ने टंकी पर चढक़र कालिख पोती और नाम मिटा दिया। टंकी के एक हिस्से में जल जीवन मिशन का प्रचार था, पर विधायक का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में होने से 35 फीट नीचे सिर्फ वही साफ-साफ दिखाई दे रहा था। विधायक का कहना है कि केंद्र सरकार की राशि से बनी टंकी सरकारी संपत्ति है, जिसमें कांग्रेस विधायक अपना और अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे हैं। जहां-जहां सरकारी दीवारों पर प्रचार दिखेगा, वे बाइक से घूम-घूम कर उनमें कालिख पोतेंगे। कुछ दिन पहले कोरिया विधायक डॉ. विनय जायसवाल के नाम को नेशनल हाईवे की पुलिया पर देखकर भी वहां के भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसी तरह से विरोध किया था।
भाजपा ने अगले चुनावों में प्रचार के लिए वाल राइटिंग को खास टूल बनाने का फैसला लिया है। छत्तीसगढ़ में भी इसका अभियान चल रहा है। यह मानकर चलना चाहिए कि वे खुद भी सरकारी भवनों, दीवारों से बचेंगे, वरना कांग्रेसी भी हिसाब लेने उतर जाएंगे।