राजपथ - जनपथ
बीजेपी मीडिया में फेरबदल
आखिरकार भाजपा में बड़े नेताओं की नाराजगी के चलते मीडिया सेल में बदलाव किया गया है। पार्टी के बड़े नेताओं ने मीडिया सेल अपनी शिकायतों को संगठन प्रमुखों के पास रखा था। कहा जा रहा है कि प्रदेश सहप्रभारी ने कल मीडिया प्रकोष्ठ की बैठक भी ली थी। इसमें उन्होंने विषय की पकड़, तथ्यान्वेषण और सत्ता पक्ष को घेरने के बिन्दुओं, मीडिया से संपर्क तालमेल जैसे विषयों पर प्रकोष्ठ को परखा।
उन्होंने यह महसूस किया कि जब वे, पूर्व आयोजित प्रेस मीट करते है तो उसके लिए तथ्य, विषय से संबंधित प्रकोष्ठ से लेना पड़ता है। जबकि यह कार्य मीडिया सेल को करना चाहिए। बहरहाल बदलाव के अन्याय कारणों को देखते हुए चार लोगों को जिम्मेदारी दी गई है।
दीपकमल के पूर्व संपादक पंकज झा अब सभी के रिपोर्टिंग मैनेजर होंगे। टीवी डिबेट की जिम्मेदारी, जगदलपुर के युवा पत्रकार हेमंत पाणिग्रही को, और प्रेस नोट और मीडिया समन्वय का काम मौजूदा दोनों पदाधिकारी अमित चिमनानी, और अनुराग अग्रवाल देखेंगे। वैसे दिल्ली से भी कुछ लोग पंकज के सहयोग के लिए आ सकते हैं। देखना है कि सेल में बदलाव कितना कारगर रहता है।
खौफ से परे हैं अफसर
ईडी की कार्रवाई तेजी से चल रही है। नई खबर यह है कि जिस आईएएस दंपत्ति के यहां छापेमारी हुई थी, उन पर शिकंजा कस सकता है। चर्चा यह भी थी कि आईएएस दंपत्ति असम, और दिल्ली में अपने संपर्कों के जरिए अपने खिलाफ केस को मैनेज करने में सफल रही है। कई दिनों तक जांच-पड़ताल के बाद आगे की कार्रवाई रूकी पड़ी थी।
चर्चा है कि आईएएस दंपत्ति के खिलाफ ईडी अब जल्द चालान पेश कर सकती है। दंपत्ति और उनके करीबियों के पास से बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति का पता चला है। यह भी दावा किया जा रहा है कि गिरफ्तारी भी हो सकती है। हालांकि दंपत्ति बेखौफ काम करते नजर आ रहे हैं। काम करने का अंदाज भी पुराना है। ऐसे में आगे क्या होगा, यह तो कुछ दिनों बाद ही पता चलेगा।
बैस, कितने पास कितने दूर
पूर्व केन्द्रीय मंत्री रमेश बैस भले ही महाराष्ट्र के राज्यपाल बनकर सक्रिय राजनीति से दूर हैं। मगर वो पार्टी की छोटी-बड़ी गतिविधियों से वाकिफ रहते हैं। अरुण साव को भले ही प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में संघ परिवार, और पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की भूमिका रही है, लेकिन बैस ही साव के गाडफादर माने जाते हैं। चर्चा यह है कि बैस का उन्हें मार्गदर्शन भी हासिल है।
दूसरी तरफ, नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनवाने में रमेश बैस की भूमिका रही है, लेकिन चर्चा है कि बैस उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं। बेटे के खिलाफ रेप केस की वजह से नारायण चंदेल खुद ही बैकफुट पर आ गए थे। प्रदेश के असंतुष्ट नेताओं को बैस से काफी उम्मीदें हैं। वो भले ही मुंबई में रहते हैं, लेकिन असंतुष्ट नेता वहां जाकर उनसे मिल ही आते हैं। बैस के राज्यपाल बनने के बाद छत्तीसगढ़ के नेताओं की महाराष्ट्र राजभवन में आवाजाही बढ़ी है।
आईआरसीटीसी की मार्केटिंग
भारतीय रेल की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी ने इस बार अपने पर्यटन स्थलों के टूर पैकेज को नई पैकेजिंग के साथ पेश किया है। पहले पोर्टल पर विवरण डाल दिया जाता था, लोग बुकिंग करा लेते थे। पर इस बार उन्होंने इसे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ योजना का हिस्सा बताया। पहली यात्रा बिलासपुर से दक्षिण के पर्यटन स्थलों के लिए चलाई जा रही ट्रेन को ‘भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन’ नाम दिया है अमृत महोत्सव, एक भारत-श्रेष्ठ भारत जैसे लेवल लगाकर साधारण कामों को भी असाधारण दर्शाने के काम में वैसे भी केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग लगे हुए हैं। तो, इस बार आईआरसीटीसी ने इस गौरव यात्रा के लिए न केवल विभिन्न स्थानों पर मीडिया से बातचीत की बल्कि जन प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें ब्रोसर सौंपे। आम लोगों को बस यही शिकायत है कि नियमित यात्री ट्रेनों को चलाने में भारी अनियमितता दिखाई दे रही है। पर्यटकों की कनेक्टिंग ट्रेन और फ्लाइट भी इस देरी के कारण छूट जा रही है। रेलवे इस तरह के गौरव वाले अतिरिक्त ट्रेन चलाकर वाहवाही लूटे, यह ठीक है पर जो लोग बिना आईआरसीटीसी का पैकेज लिए घूमने-फिरने जा रहे हैं उनका भी ख्याल रखे।
पंडो आदिवासियों की प्रगतिशील सोच
समाज ने धीरे-धीरे कई कुरीतियों से छुटकारा पाया। बाल विवाह ऐसी ही एक प्रथा है। छत्तीसगढ़ में सरकारी, गैर सरकारी संगठन कम उम्र में होने वाली शादियां रोकने में लगे रहते हैं। कहीं, समझाने-बुझाने से काम चल जाता है तो कहीं पुलिस हस्तक्षेप की नौबत आ जाती है। पर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष संरक्षित जनजातियों में से एक पंडो समाज ने जो तय किया है उसमें ऐसे दखल की जरूरत नहीं पड़ रही है। यह जानकर हैरानी हो सकती है कि सरगुजा संभाग के बलरामपुर और सूरजपुर जिलों में बीते एक साल के भीतर पंडो समाज में 112 शादियां तय की गईं, पर इनमें से सिर्फ 55 हो पाई, बाकी रोक दी गईं। दरअसल, जो 57 शादियां भविष्य के लिए टाल दी गईं, वे कम उम्र में की जा रही थीं।
दरअसल, पंडो समाज के कुछ बड़े-बुजुर्गों ने इस बात को समझा कि छोटी उम्र में शादी होने से बच्चियां बीमार होती हैं, बच्चों और माताओं की मौत की दर बढ़ रही है। इनके साथ हिंसा और उत्पीडऩ की घटनाएं भी हो रही हैं, काम का बोझ कमजोर बना देता है। अब इन दोनों जिलों में प्रमुख लोगों की एक पंचायत बना ली गई है। अब जब भी कोई परिवार अपने बच्चों की शादी तय करता है तो इसकी जानकारी इस पंचायत को देनी पड़ती है। पंचायत दूल्हे दुल्हन दोनों की उम्र की जानकारी हासिल करता है। इसमें सरकारी मदद भी ली जाती है। जब यह तय हो जाता है कि लडक़ी की उम्र 18 और लडक़े की 21 है तभी इस शादी की मंजूरी मिल पाती है। बाकी को बता दिया जाता है कि वे अभी रुकें, जब समय आए तब करें। अक्सर पंडो और दूसरी विशेष संरक्षित जनजातियों के बारे में खबर आती है कि उन्हें सामूहिक रूप से किसी बीमारी ने घेर लिया। पूरा गांव पीडि़त है। मौतें भी हो चुकी हैं। इस समय पंडो जनजाति का अस्तित्व संकट में चल रहा है। इन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। ऐसे में, पंडो समाज, जिसे बहुत पिछड़ा माना जाता है उस की यह प्रगतिशील सोच उनकी आबादी को स्वस्थ बनाने, मृत्यु दर घटाने में मदद कर रही है।
पानी की तलाश तो नहीं?
राजधानी रायपुर से लगे मांढऱ रेलवे स्टेशन पर काफी देर तक यह बारहसिंगा पटरियों और प्लेटफॉर्म पर उछलकूद करता रहा, फिर वह जंगल की ओर वापस चला गया। इन दिनों चीतल, हिरण और दूसरे जंगली जानवर पानी की तलाश में मानव बस्तियों की ओर पहुंच रहे हैं। इनमें से कई दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं तो कुछ को शिकारी ही अपना निशाना बनाते हैं। वन विभाग के अफसरों को पता नहीं इस खतरे का अंदाजा है भी या नहीं।