राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : ढेबर से अधिक वकील परेशान
08-May-2023 4:26 PM
राजपथ-जनपथ : ढेबर से अधिक वकील परेशान

ढेबर से अधिक वकील परेशान 

आबकारी घोटाले की ईडी पड़ताल कर रही है। ईडी ने होटल कारोबारी अनवर ढेबर को मुख्य आरोपी तो बना लिया है, लेकिन कहा जा रहा है कि अब तक की पूछताछ से अनवर के वकील ज्यादा परेशान हो रहे हैं। जिला अदालत ने अनवर के वकील की मौजूदगी में पूछताछ की अनुमति दी है। पूछताछ की वीडियोग्राफी भी हो रही है।

सुनते हैं कि ईडी के अफसरों ने शनिवार, और रविवार को रात 2 बजे तक पूछताछ की। रोजाना 12-15 घंटे की लंबी पूछताछ से अनवर का तो पता नहीं, लेकिन साथ रहने वाले वकील हलाकान हैं। वो अब कोर्ट की तरफ रूख करने वाले हैं। अनवर के वकीलों का तर्क है कि पूछताछ के लिए समय नियत होना चाहिए। तडक़े तक पूछताछ चलने से अगले दिन की उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है। अब आगे क्या होता है, यह तो एक-दो दिन बाद पता चलेगा।

आबकारी मामला कहां-कहां

सीएम भूपेश बघेल ने ईडी के आबकारी घोटाले के आरोपों का तीखा प्रतिवाद किया है। ईडी ने आबकारी की जांच के लिए बड़ी टीम लगाई है। इस केस में संभवत: 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता अनवर ढेबर ने ईडी के समंस को कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका लगने के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

अनवर को आबकारी से जुड़े केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट से राहत मिली हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट पर निगाहें है। दूसरी तरफ, ईडी ने प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया से लगातार पूछताछ कर रही है। लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि जल्द ही ईडी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी कर सकती है। देखना है आगे क्या होता है।

भाजपा हुई आक्रामक 

छत्तीसगढ़ के आबकारी कारोबार की ईडी तो जांच कर रही है, लेकिन अब घोटाला राजनीतिक रंग ले रहा है। चर्चा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश इकाई को इस प्रकरण को हर स्तर पर उठाने के निर्देश दिए हैं। कर्नाटक चुनाव में भी भाजपा के नेता इस केस को सभाओं में प्रचारित कर रहे हैं।

भाजपा के रणनीतिकार छत्तीसगढ़ के आबकारी केस की तुलना दिल्ली के शराब घोटाले से कर रहे हैं, और उससे बड़ा बता रहे हैं। दिल्ली में तो इस केस में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है। ये सभी अभी जेल में है। भाजपा के लोग भी इसी अंदाज में छत्तीसगढ़ में कार्रवाई की बात कर रहे हैं, लेकिन यहां सीएम ने जिस तरह पलटवार किया है, और प्रकरण से जुड़े लोग अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं। इससे यह मामला उलझ गया है। चाहे कुछ भी हो, मई के महीने में तापमान बढऩे के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का राजनीतिक पारा भी गरम रहेगा।

जवानों में कामयाबी की खुशी

अपने-आप में हम उलझे होते हैं। जो हमारी हिफाजत करते हैं उनका खयाल भी नहीं करते। चाहे उनकी अरनपुर की तरह सामूहिक शहादत क्यों न हो जाए।  मगर जो जवान मैदान पर होते हैं, आप परवाह करें न करें-अपनी कामयाबी पर जश्न मना लेते हैं। यह 3 मई की तस्वीर है जब गरियाबंद में सीआरपीएफ के 207 कोबरा जवानों की टीम ने माओवादियों से लोहा लिया और उन्हें खदेडक़र भगा दिया। एक शव मिला और ढेर सारे हथियार भी मिले।

‘आप’ जो दिल्ली से चल रही

छत्तीसगढ़ मे तीसरी ताकत के तौर पर पैर जमाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेताओं को इस बात का बड़ा अफसोस है कि किसी को फ्री हैंड दिया ही नहीं गया है। छत्तीसगढ़ के पदाधिकारियों ने ऐसे नेताओं की एक सूची बनाई जो अपने-अपने दल से नाराज हैं। कांग्रेस के कुछ नेता हैं, कुछ भाजपा के। यह सूची महीनों पहले दिल्ली भेजी जा चुकी है। छत्तीसगढ़ का दौरा करने, प्रभार संभालने वाले आप नेताओं को भी दे दी गई। पर इनको पार्टी में लाने की कोई कोशिश नहीं हुई, दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। बोले कि केजरीवाल से पूछेंगे, और उनसे बात करने का वक्त नहीं मिल पाता।

आप के एक बड़े पदाधिकारी का कहना है कि हमें अगले चुनाव में टिकट मिली तो अपनी तय सीट से ठीक-ठाक वोट तो पा लेंगे, पर राज्य में तीसरी ताकत के तौर पर खड़ा करने के लिए कुछ ऐसे नाम चाहिए जिनकी जमीन पर दशकों से पकड़ है, चेहरा जाना-पहचाना हो। छवि साफ-सुथरी हो-भ्रष्टाचार का कोई आरोप न हो। बात ही बात में वे धर्मजीत सिंह, नंदकुमार साय, टीएस सिंहदेव और नोबेल वर्मा जैसे कई नाम ले गए। पर बात यह है कि इनमें से एक धर्मजीत सिंह किसी दल में आज नहीं हैं, साय कांग्रेस में जा चुके, सिंहदेव पार्टी से नाराज तो हैं पर किसी सूरत में कांग्रेस छोडऩे के लिए राजी नहीं हैं।  

पठान और केरला स्टोरी

द केरला स्टोरी मूवी रायपुर के पीवीआर और दूसरे मल्टीप्पेक्स सहित धमतरी, भाटापारा और छत्तीसगढ़ के अन्य देहातों में शान से चल रही है। कहीं कोई हंगामा नहीं हो रहा है, कोई तोडफ़ोड़ नहीं। फिल्म का प्रदर्शन बंद करने का कोई एक आंदोलन दिखाई नहीं दे रहा है। मध्यप्रदेश में इस मूवी को टैक्स फ्री कर दिया गया है। एक मंत्री ने वहां महिलाओं के लिए फ्री थियेटर भी बुक कर दी है। पर छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो रहा है। यह सब ब्यौरा इसलिए क्योंकि इसी साल जब जनवरी में पठान मूवी आई थी तो रायपुर के कई थियेटरों पर बजरंग दल ने पोस्टर जलाए थे। शाहरूख खान और दीपिका पादुकोण को राष्ट्रविरोधी बताया था। सोचने की बात है कि हंगामा कब होता है और कोन करता है?

एक दूसरे को पॉवर दिखाने का मौसम

जनप्रतिनिधियों, पार्टी नेताओं का सरकारी महकमे के बीच तालमेल इन दिनों बिगड़ता ही जा रहा है। दरिमा, अंबिकापुर के नए रन वे पर कल सीएम का विमान पहली बार उतरने वाला था इसके पहले ही भीतर घुसने के नाम पर कांग्रेसियों का एक गुट पुलिस वालों से भिड़ गया। एक दूसरे के खिलाफ वे अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगे। वहां मौजूद एसडीएम पर भी उनका रोष फूटा। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव कुछ दूरी पर खड़े थे। बात बढ़ी तो उनका ध्यान गया। उनके बीच-बचाव से किसी तरह विवाद शांत हो पाया। इसके एक दिन पहले तो सूरजपुर जिले में और गजब हो गया। विश्रामपुर में दाखिला संबंधी किसी विवाद के चलते एनएसययूआई ने डीएवी स्कूल के घेराव किया था। पुलिस वालों से छात्र नेताओं की बहस हो गई। एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें छात्र नेता का हाथ हवलदार की गर्दन तक पहुंच गया है। इस छात्र नेता का नाम बॉबी अग्रवाल बताया गया है। विधायक बृहस्पत सिंह का एक बैंक कर्मचारी को थप्पड़ जडऩा, फिर सुलह कर लेना भी तो कुछ दिन पहले की ही बात है। जशपुर में भाजपा के जिला पंचायत सदस्य गेंदबिहारी सिंह को जबरदस्ती खींचकर पुलिस गाड़ी में डालने और कथित मारपीट का मामला भी पिछले हफ्ते सामने आ चुका है। इसमें एसडीओपी और दो पुलिस कर्मचारियों पर एक्शन भी लिया गया। पर ऐसा केवल सरगुजा संभाग में नहीं हो रहा है। जगदलपुर में एक प्रशिक्षु आईपीएस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई की घटना 4 दिन पहले ही हुई है। दोनों पक्ष एक दूसरे पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा रहे हैं। प्रशासन को लगता है कि कानून व्यवस्था संभालना हमारी जिम्मेदारी है जिसमें नेता अवरोध खड़ा करते हैं। नेताओं, जनप्रतिनिधियों को लगता है कि पुलिस और प्रशासन का तेवर उनके प्रति गैरजरूरी ढंग से आक्रामक है।

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